मंगलवार, 13 सितंबर 2022

मुरादाबाद के साहित्यकार योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' को हिन्दी साहित्य संगम ने 13 सितम्बर 2022 को हिन्दी साहित्य गौरव सम्मान से किया अलंकृत

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की ओर से सुप्रसिद्ध नवगीतकार  योगेन्द्र वर्मा व्योम को उनके साहित्यिक अवदान के लिये, हिन्दी दिवस की पूर्व संध्या पर मंगलवार 13 सितंबर 2022 को आयोजित  समारोह में हिन्दी साहित्य गौरव सम्मान से अलंकृत किया गया।  कार्यक्रम मिलन विहार स्थित आकांक्षा विद्यापीठ इंटर कॉलेज में आयोजित किया गया। मीनाक्षी ठाकुर द्वारा प्रस्तुत माॅं शारदे की वंदना से आरम्भ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध नवगीतकार यश भारती माहेश्वर तिवारी ने की। मुख्य अतिथि डॉ अजय अनुपम एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में ओंकार सिंह ओंकार और डॉ प्रेमवती उपाध्याय उपस्थित रहीं। कार्यक्रम का संचालन राजीव प्रखर ने किया।                 

         सर्वप्रथम वरिष्ठ रचनाकार डॉ. मनोज रस्तोगी ने योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आलेख प्रस्तुत करते हुए कहा ...मुरादाबाद ही नहीं राष्ट्रीय साहित्यिक पटल पर भी अपनी एक विशिष्ट पहचान स्थापित कर चुके योगेंद्र वर्मा व्योम के मन के गांव में बसी भावनाएं जब शब्दों का रूप लेकर नवगीत, ग़ज़ल और दोहों के माध्यम से अभिव्यक्त होती हैं तो वह अपने पाठकों / श्रोताओं की सोच को  झकझोर देती हैं। उनके नवगीत जिंदगी के विभिन्न रूपों के गीत हैं जो हम से बतियाते हैं और हमारे साथ उनके नवगीत जिंदगी के विभिन्न रूपों के गीत हैं जो हम से बतियाते हैं और हमारे साथ खिलखिलाते भी हैं। उन्हें पढ़/ सुनकर हमारा अस्त व्यस्त मन कभी गुनगुनाने लगता है तो कभी चहचहाने लगता है तो कभी निराशा और हताशा के बीच आशाओं के दीप जलाने लगता है।          

      तत्पश्चात् श्री व्योम को हिंदी साहित्य गौरव सम्मान से अलंकृत किया गया। सम्मान स्वरूप उन्हें अंगवस्त्र, मान-पत्र एवं प्रतीक चिह्न अर्पित किये गए। अर्पित मान-पत्र का वाचन संस्था के महासचिव जितेन्द्र कुमार जौली ने किया। इस अवसर पर सम्मानित साहित्यकार  योगेन्द्र वर्मा व्योम  ने अपना गीत प्रस्तुत किया -

 "मेरे भीतर भी इक पावन गंगा बहती है। 

माँ बनकर आशीष सदा देती, दुलराती है,

 गुस्सा करती नहीं कभी, हर पल मुस्काती है।

 पग-पग पर हरियाली बोती, चलती रहती है।"

       श्री व्योम की साहित्यिक-यात्रा पर अपने विचार रखते हुए सुप्रसिद्ध नवगीतकार माहेश्वर तिवारी का कहना था - "व्योम जी की रचनाओं से होकर गुजरना अपने समय के जीवन-संघर्षों से जुड़े परिदृश्यों से होकर गुजरना है।"

       मुख्य अतिथि डॉ अजय अनुपम ने कहा - "योगेन्द्र वर्मा व्योम मुरादाबाद के साहित्य जगत पर व्योम की भांति हैं।" 

      विशिष्ट अतिथि  ओंकार सिंह ओंकार ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा - "व्योम जी बहुत आसान शब्दों में गम्भीर विषयों पर सुन्दर रचना करने में महारत रखते हैं।" 

     वरिष्ठ कवयित्री डाॅ प्रेमवती उपाध्याय ने योगेन्द्र वर्मा व्योम के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा -"व्योम जी की रचनाओं की यह सबसे बड़ी विशेषता है कि वह बिना किसी लाग-लपेट अथवा कृत्रिमता के, सीधे पाठकों व श्रोताओं के हृदय तक पहुॅंचती हैं।"

       सुप्रसिद्ध शायर डॉ. कृष्ण कुमार 'नाज़' द्वारा श्री व्योम के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर लिखित आलेख का वाचन करते हुए राजीव प्रखर ने कहा - "व्योम जी आज देशभर में नवगीत के क्षेत्र में अपना वह मुक़ाम पा चुके हैं, जो बहुत कम लोगों का मुक़द्दर होता है। उनके यहाँ प्रत्येक भाषा के बहुप्रचलित शब्द आसन जमाये विराजमान होते हैं। बिंब बहुत साफ़-सुथरे और आम आदमी की पहुँच में आने वाले होते हैं।" 

     इस अवसर पर  जितेन्द्र कुमार जौली, दुष्यन्त बाबा, वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी, मयंक शर्मा, रामदत्त द्विवेदी, नकुल त्यागी, पूनम बंसल, मीनाक्षी ठाकुर, प्रशान्त मिश्र, मनोज मनु, अभिव्यक्ति सिन्हा, अमर सक्सेना, राघव गुप्ता, ज़िया जमीर, राहुल शर्मा, डॉ. पूनम बंसल, के. पी. सिंह सरल आदि रचनाकारों ने योगेन्द्र वर्मा व्योम जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला एवं उन्हें बधाई दी। रामदत्त द्विवेदी ने आभार-अभिव्यक्त किया।












































मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ अजय अनुपम के गीत संग्रह --- 'दर्द अभी सोये हैं' की राजीव प्रखर द्वारा की गई समीक्षा ..... भंवर से किनारे की ओर लाता गीत-संग्रह

 एक रचनाकार अपने मनोभावों को पाठकों/श्रोताओं के समक्ष प्रकट करता ही है परन्तु, जब पाठक/श्रोता उसकी अभिव्यक्ति में स्वयं का सुख-दु:ख देखते हुए ऐसा अनुभव करें कि रचनाकार का कहा हुआ उनके ही साथ घट रहा है, तो उस रचनाकार की साधना सार्थक मानी जाती है। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अजय 'अनुपम' की प्रवाहमयी लेखनी से होकर साहित्य-जगत् के सम्मुख आया गीत-संग्रह - 'दर्द अभी सोये हैं' इसी तथ्य को प्रमाणित करता है।

      एक आम व्यक्ति के हृदय में पसरे इसी दर्द पर केन्द्रित एवं उसके आस-पास विचरण करतीं इन 109 अनुभूतियों ने यह दर्शाया है कि रचनाकार का हृदय भले ही व्यथित हो परन्तु, उसने आशा एवं सकारात्मकता का दामन भी बराबर थामे रखा है। यही कारण है कि ये 109 अनुभूतियाॅं वेदना की इस चुनौती का सफलतापूर्वक सामना करते हुए, उजली आशा का मार्ग तलाश लेती हैं। 

     पृष्ठ 17 पर उपलब्ध गीत - 'दर्द अभी सोये हैं' से आरम्भ होकर वेदना के अनेक सोपानों से मिलती, एवं उनमें प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से विद्यमान आशा की किरणों में नहाती हुई यह पावन गीत-माला, जब पृष्ठ 126 की रचना - 'मैं तो सहज प्रतीक्षारत हूॅं' पर विश्राम लेती है, तो एक संदेश दे देती है कि अगर एक और ॲंधेरे ने अपनी बिसात बिछा रखी है तो उसे परास्त करने में उजली आस भी पीछे नहीं रहेगी। साथ ही दैनिक जीवन की मूलभूत समस्याओं तथा पारिवारिक व अन्य सामाजिक संबंधों पर दृष्टि डालते हुए, उनके यथासंभव हल तलाशने के प्रयास भी संग्रह को एक अलग ऊॅंचाई प्रदान कर रहे हैं। अतएव,  औपचारिकता वश ही कुछ पंक्तियों अथवा रचनाओं का  यहाॅं उल्लेख मात्र कर देना, इस उत्कृष्ट गीत-संग्रह के साथ अन्याय ही होगा। वास्तविकता तो यह है कि ये सभी 109 गीत पाठकों के अन्तस को गहनता से स्पर्श कर लेने की अद्भुत क्षमता से ओत-प्रोत हैं, ऐसा मैं मानता हूॅं। निष्कर्षत: यह गीत-संग्रह मुखरित होकर यह उद्घोषणा कर रहा है कि दर्द भले ही अभी सोये हैं परन्तु, जब जागेंगे तो आशा के झिलमिलाते दीपों की ओर भी उनकी दृष्टि अवश्य जायेगी।

मुझे आशा ही नहीं, पूर्ण विश्वास है कि सरल व सहज भाषा-शैली में पिरोया गया एवं आकर्षक साज-सज्जा व छपाई के साथ, सजिल्द स्वरूप में तैयार यह गीत-संग्रह गीत-काव्य की अनमोल धरोहर तो बनेगा ही, साथ ही वेदना व निराशा का सीना चीरकर, उजली आशा की धारा भी निकाल पाने में सफल सिद्ध होगा। 



कृति : दर्द अभी सोये हैं (गीतसंग्रह)

संपादक : डा. कृष्णकुमार 'नाज़'

कवि : डा. अजय 'अनुपम'

प्रथम संस्करण : 2022

मूल्य : 200 ₹

प्रकाशक : गुंजन प्रकाशन

सी-130, हिमगिरि कालोनी, काँठ रोड, मुरादाबाद (उ.प्र., भारत) - 244001 

समीक्षक : राजीव 'प्रखर' 

डिप्टी गंज,

मुरादाबाद

8941912642, 9368011960