गुरुवार, 5 जनवरी 2023

मुरादाबाद की संस्था जैमिनी साहित्य फाउंडेशन की ओर से स्मृतिशेष डॉ विश्व अवतार जैमिनी की जयंती पर चार जनवरी 2023 को कवि सम्मेलन का आयोजन

 मुरादाबाद की संस्था जैमिनी साहित्य फाउंडेशन की ओर से साहित्यकार एवं शिक्षाविद स्मृतिशेष डॉ विश्व अवतार जैमिनी की जयंती पर बुधवार 4 जनवरी 2023 को भावपूर्ण काव्यांजलि कार्यक्रम का आयोजन मानसरोवर पैराडाइज में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ राकेश चक्र ने की तथा संचालन फाउंडेशन के सचिव डॉ मनोज रस्तोगी ने किया ।  मुख्य अभ्यागत आरएसएस  के विभाग संघ चालक ओम प्रकाश शास्त्री, डॉ राकेश कुमार एवं समाज सेवी दीपक बाबू रहे। इस अवसर पर तीर्थंकर महावीर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के निदेशक विपिन जैन, प्रख्यात चिकित्सक डॉ राकेश कुमार और प्रख्यात रंगकर्मी राजेश रस्तोगी को डॉ जैमिनी स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया।

 कवि सम्मेलन का शुभारंभ डॉ पूनम बंसल द्वारा प्रस्तुत मां सरस्वती वंदना से हुआ।फ़ाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ काव्य सौरभ जैमिनी ने कहा नवोदित रचनाकारों के लिए डॉ विश्व अवतार जैमिनी शोधपीठ की स्थापना शीघ्र की जाएगी। महाराजा हरिश्चंद्र महाविद्यालय के प्रोफ़ेसर डॉ सुधीर अरोरा ने डॉ विश्व अवतार जैमिनी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा 4 जनवरी 1940 को संभल के प्रतिष्ठित वैश्य परिवार में जन्में डॉ जैमिनी ने काव्य और गद्य दोनों में ही समान रूप से साहित्य रचा। "संस्कृत दर्पण", हिन्दी भाषा प्रदीप' , ‘साहित्यानुशीलन’,बिंदु बिंदु सिंधु  तथा काव्य कृति मैं पद्यप उनकी उल्लेखनीय कृतियां हैं । डॉ प्रियंका गुप्ता ने डॉ जैमिनी की रचना का पाठ किया। 

      कवि सम्मेलन में प्रख्यात बाल साहित्यकार डॉ राकेश चक्र का कहना था .... 

जिसकी मिट्टी में फले-फूले सदा खाया रिजक।

नाज उस पर हर किसी को यार होना चाहिए। 

वरिष्ठ साहित्यकार ओंकार सिंह 'ओंकार' ने कहा...

 हम नयी राहें बनाने का जतन करते चलें ।

जो भी वीराने मिलें उनको चमन करते चलें ।।

नफ़रतों की आग से बस्ती बचाने के लिए ,

प्यार की बरसात से ज्वाला शमन करते चलें।।

छीनकर सुख दूसरों से अपना सुख चाहें नहीं ,

ऐसे सुख की कामनाओं का दमन करते चलें।।

रातभर जो दीप जलकर रोशनी करते रहे 

उन दियों की साधनाओं को नमन करते चलें ।

      वरिष्ठ साहित्यकार श्रीकृष्ण शुक्ल का कहना था ..

      नफ़रतें दिल में मत पनपने दो,

      प्यार थोड़ा दिलों में रहने दो,

      न करो बंद दिल के दरवाजे,

      एक खिड़की तो खुली रहने दो 

  वरिष्ठ कवयित्री डॉ प्रेमवती उपाध्याय का गीत था ... 

  कुटिल कंटकों में मुसकाते, सुरभित सुमन सुहाने हैं। 

  चहुँदिशि फैले कीर्ति पताका, गीत राष्ट्र के गाने हैं।

वरिष्ठ कवि अशोक विद्रोही ने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा .... 

दिव्य से वटवृक्ष की जैसे

घनी शीतल हो छाया ! 

चिलचिलाती धूप में व्याकुल

पथिक जहाँ चैन पाया! 

घोर काली रात में ज्यों

ज्ञान का दीपक जलाये! 

वरिष्ठ कवयित्री डॉ पूनम बंसल ने कहा ...

सर्द सुबह के बीच फंसी हैं ,सिमटी सिकुड़ी आशाएं।

शीत पवन की मार कटीली ,कैसे इससे बच पाएं।

कुहरे के चलते विरोध में,दिनकर ने हड़ताल करी

सूरज दादा को समझाकर, धूप ज़रा सी ले आएं। 

वरिष्ठ हास्य कवि फक्कड़ मुरादाबादी ने हास्य रस की फुआर छोड़ते हुए कहा ... 

शादी के पश्चात मित्रवर जब अपनी ससुराल पधारे, 

पूछन लगे वहां किसी से मनोरंजन का साधन प्यारे, 

सुनकर उनकी बात गांव का एक युवा मुस्का कर बोला 

जो साधन था मनोरंजन का चला गया वह साथ तुम्हारे

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ मनोज रस्तोगी ने रूस यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में कहा ... 

उड़ रही गंध ताजे खून की, 

बरसा रहा जहर मानसून भी, 

घुटता है दम बारूदी झोंको के बीच ।

 चर्चित नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा व्योम ने कहा...

 ठिठुरन, कुहरे ने धरा, जबसे क्रोधित रूप 

 रिश्तों में अपनत्व-सी, नहीं दिख रही धूप । 

 बूढ़ी दादी दे रही, सबको यह ही राय ।

सर्दी में सबसे भली, अदरक वाली चाय ।।

      साहित्यपीडिया की संस्थापक डॉ अर्चना गुप्ता ने कहा....

      पार्थ विकट हालात बहुत हैं, मगर सामना करना होगा

      धनुष उठाकर तुमको अपना, अब अपनों से लड़ना होगा 

    कवयित्री रश्मि प्रभाकर का कहना था ...

कड़वे मीठे अनुभव का कुछ स्वाद बनाये रखिये 

कैसी भी हो परिस्थिति संवाद बनाये रखिये। 

अच्छी बुरी हो जैसी भी प्रतिक्रिया कोई तो हो,

जिंदा हो तो जीने का उन्माद बनाये रखिये।

     चर्चित दोहाकार राजीव 'प्रखर' का मुक्तक था ...

शब्द पिरोने का यह सपना, इन नैनों में पलने दो।

मैं राही हूॅं लेखन-पथ का, मुझे इसी पर चलने दो।

कल-कल करती जीवनधारा, पता नहीं कब थम जाए,

मेरे अन्तस के भावों को, कविता में ही ढलने दो।

     कवि मनोज 'मनु' ने कहा... 

      सिर पर, छांव पिता की, 

      कच्ची दीवारों पर छप्पर

      आंधी- बारिश, खुद  पर झेले, 

      हवा  थपेड़े  रोके ,

      जर्जर तन भी ढाल बने

       कितने मौके-बेमौके ,

       रहते समय जान नहीं पाते, 

       क्यों हम सब ये अक्सर। 

कवयित्री प्रो. ममता सिंह ने ग़ज़ल प्रस्तुत करते हुए कहा ...

बाद मुद्दत के कहीं ऐसे ज़माने आये। 

उनकी ग़ज़लों में  मेरे फिर से  फ़साने आये।

उनके हर शेर में है अक्स मेरी यादों का, 

बस ये अहसास ही वो मुझको  दिलाने आये।। 

     युवा साहित्यकार ज़िया ज़मीर ने ग़ज़ल प्रस्तुत की...

हक़ीक़त था मगर अब तो फ़साना हो गया है

उसे देखे हुए कितना ज़माना हो गया है

ज़रा सी बात पे आंखों के धागे खुल गए हैं

ज़रा सी देर में ख़ाली ख़जाना हो गया है। 

      बिजनौर से आए युवा कवि दुष्यंत बाबा ने बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ के संदर्भ में रचना प्रस्तुत करते हुए कहा... 

मत रोको पापा मुझको मैं तो बाहर जाऊंगी, 

रंग भरूँगी सपनों में, मैं तो कलम चलाऊंगी

प्रत्यक्ष देव त्यागी ने कहा ...

कुछ लोग मेरे अपने थे, 

कुछ लोग मेरे सपने थे। 

आवरण अग्रवाल श्रेष्ठ ने मुक्तक प्रस्तुत किया । 

    आयोजन में  आर एस एस के विभाग प्रचार प्रमुख पवन जैन, विवेक गोयल, गौरव गुप्ता, संजीव आकांक्षी, डॉ विनोद पांडेय, राकेश जैसवाल, पंकज दर्पण, तृप्ति रस्तोगी, शिखा रस्तोगी, अमर सक्सेना, डॉ नरेंद्र सिंह, देवेंद्र शर्मा, राजीव अग्रवाल , डॉ मुहम्मद अय्यूब डॉ अब्दुररब आदि उपस्थित रहे। आभार फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ काव्य सौरभ जैमिनी ने व्यक्त किया।

         इससे पूर्व एम एच कालेज में डॉ जैमिनी को भावांजलि दी गयी। वरिष्ठ चित्रकार  डॉ नरेंद्र सिंह के निर्देशन में कलाकारों ने डॉ जैमिनी की लाइव पेंटिंग बनायी। उधर द्रोपदी रतन इंटर कालेज, मुरादाबाद में जैमिनी जयंती समारोह पूर्वक मनायी गयी।प्रधानाचार्य अर्जुन सिंह ने डॉक्टर विश्व अवतार जैमिनी के जीवन को अनुकरणीय बताते हुए उन्हें अजातशत्रु की संज्ञा दी। प्रबंधक डॉ काव्य सौरभ जैमिनी ने इस अवसर पर पाँच निर्धन बालिकाओं को छात्रवृति प्रदान की। विजय वीर सिंह, माया सक्सेना, कल्पना, सरोज गुप्ता, अंजू, कमलेश, कृष्णा आदि प्रमुख रूप से रहे।






















































































सोमवार, 2 जनवरी 2023

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम ने नव‌वर्ष आगमन पर रविवार एक जनवरी 2023 को आयोजित की काव्य-गोष्ठी

नववर्ष के आगमन पर मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम के तत्वावधान में, मिलन विहार स्थित आकांक्षा विद्यापीठ इण्टर कॉलेज में काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया । मीनाक्षी ठाकुर द्वारा प्रस्तुत माँ शारदे की वंदना से आरम्भ हुए इस कार्यक्रम की अध्यक्षता रामदत्त द्विवेदी ने की। मुख्य अतिथि ओंकार सिंह ओंकार एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में राजीव सक्सेना मंचासीन रहे। कार्यक्रम का संचालन राजीव प्रखर ने किया।  

काव्य पाठ करते हुए योगेन्द्र वर्मा व्योम ने कहा - 

धर्म के उन्माद का ना हो अंँधेरा। 

दूर ले जाये कहीं नफ़रत बसेरा। 

हो तनिक न जातिगत विद्वेष का विष, 

फिर जगे विश्वास का नूतन सबेरा

 हों सुगंधित प्यार से सारी दिशायें, 

 हैं यही नववर्ष की शुभकामनायें। 

राजीव 'प्रखर' ने नववर्ष का स्वागत करते हुए कहा 

अजी भुला भी दीजिए, दिल से सभी बवाल। 

जहाॅं नयापन सोच में, वहीं नया है साल।। 

आशाओं की जीत हो, अवसादों की हार। 

निकले सबके काव्य से, ऐसी कल-कल धार।। 

कवयित्री मीनाक्षी ठाकुर की कामना थी - 

नये साल में माँगते, प्रभु जी हम वरदान। 

विश्व गुरु बन जाये फिर, अपना हिंदुस्तान।। 

नकुल त्यागी भी इस प्रकार चहके - 

ऐसे कर्म करें हम मिलकर, जगे नई आशाएं I 

खुशियां मिले सभी को जग में सब हंसे और हंसाए I 

जितेन्द्र कुमार जौली ने अपनी इस रचना से हास्य के रंग भरे - 

मेरा सपना हो साकार, जल्दी से जोड़ी बनवाओ। 

पंडित जी कर दो उपकार, मेरी भी शादी करवाओ। 

कवयित्री हेमा तिवारी भट्ट ने समाज से प्रश्न किया -

 धरती के सीने से क्या रवि फूटेगा 

या किसी निर्धन का दिल नहीं टूटेगा,

 खुश रह पायेगा मानव क्या फटेहाल में?

  सोचने लगी हूँ क्या होगा नये साल में ?

 मनोज मनु की अभिव्यक्ति इस प्रकार रही - 

 जीवन हो सुख से भरा होवें सतत् विकास। 

 आपस में जीवित रहे, मान हास परिहास।। 

इन्दु रानी ने प्रार्थना की - 

वतन परस्ती मिशन हमारा बहुत जरूरी खयाल रखना।

 मैं मर भी जांऊ, अगर वतन पे,कभी न इसका मलाल रखना।

    इसके अतिरिक्त राम सिंह निशंक, रामेश्वर वशिष्ठ, रामदत्त द्विवेदी, राजीव सक्सेना तथा ओंकार सिंह ओंकार ने भी अपनी-अपनी रचनाओं के माध्यम से विभिन्न विषयों को उठाया। इस अवसर पर श्री पदम सिंह बेचैन की कृति श्रीमद्भागवत गीता रहस्य का विमोचन हुआ तथा आकांक्षा विद्यापीठ इण्टर कॉलेज के होनहार छात्र अभिषेक सैनी को पाॅंच हजार रुपये नकद धनराशि देकर सम्मानित किया गया। संस्था अध्यक्ष श्री रामदत्त द्विवेदी द्वारा आभार अभिव्यक्ति के साथ कार्यक्रम विश्राम पर पहुॅंचा।
























मुरादाबाद के साहित्यकार शिशुपाल मधुकर का गीत ....मेरे प्यारे वतन

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मुरादाबाद मंडल के जनपद बिजनौर निवासी साहित्यकार मनोज मानव की गीतिका - पागल है वह

दिल का सच में सच्चा है, पागल है वह।

लेकिन सिर में फोड़ा है, पागल है वह।


बातें करने के खोजता बहाने है,

सबकी सुध-बुध रखता है, पागल है वह।


लोगों से मिलता है तो दिल में बसकर,

लूट दिलों को लेता है, पागल है वह।


हर सुख-दुख में सब मित्रों के साथ खड़ा,

नजर हमेशा आता है, पागल है वह।


मात-पिता, गुरुओं  में  ईश देखता है,

शायद अब तक बच्चा है, पागल है वह।


जाने कितनी बार पिया है विष उसने,

फिर भी अब तक जिंदा है, पागल है वह।


कोई ठेस पहुँचा दे दिल को तो भी खुश,

खुद को मानव कहता है, पागल है वह।


✍️ मनोज मानव

पी 3/8 मध्य गंगा कॉलोनी

बिजनौर  246701

उत्तर प्रदेश, भारत 

मोबाइल फोन नंबर  9837252598


रविवार, 1 जनवरी 2023

मुरादाबाद की साहित्यकार हेमा तिवारी भट्ट की रचना ...…क्या होगा नए साल में


 

मुरादाबाद के साहित्यकार योगेन्द्र वर्मा व्योम का गीत ...नववर्ष की शुभकामनाएं


 

मुरादाबाद के साहित्यकार राजीव प्रखर का मुक्तक .....

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