गुरुवार, 16 मार्च 2023

मुरादाबाद के साहित्यकार योगेंद्र वर्मा व्योम की रचना .....गुझिया इठलाकर बल खाकर पिचकारी से बोली चल आ जा हम खेलें होली .....

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मुरादाबाद के साहित्यकार (वर्तमान में बरेली निवासी ) सुभाष रावत राहत बरेलवी का गीत.... .नाथ नगरी पधारों घनश्याम जी .....

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रविवार, 12 मार्च 2023

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिंदी साहित्य सदन के तत्वावधान में 11 मार्च 2023 को डॉ अजय अनुपम मुक्तक-कृति 'अविराम' का लोकार्पण

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ. अजय अनुपम के मुक्तक-संग्रह ‘अविराम' का लोकार्पण साहित्यिक संस्था - हिंदी साहित्य सदन के तत्वावधान में श्रीराम विहार कालोनी मुरादाबाद स्थित विश्रांति भवन में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता नवगीतकार माहेश्वर तिवारी ने की, मुख्य अतिथि के रूप में व्यंग्य कवि डा मक्खन मुरादाबादी तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में पर्यावरण मित्र समिति के संयोजक के. के. गुप्ता उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन योगेंद्र वर्मा व्योम द्वारा किया गया। 

       कवयित्री डा. पूनम बंसल द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से आरम्भ हुए कार्यक्रम में लोकार्पित कृति- ‘अविराम' से रचनापाठ करते हुए डॉ अजय अनुपम ने मुक्तक सुनाये- 

"ड्योढ़ी पर सांकल की आहट नहीं रही

घूंघट उतर गया, शरमाहट नहीं रही/

हाय-हलो पर सिमट गई दुनियादारी/

रिश्तों के भीतर गर्माहट नहीं रही।" 

उन्होंने एक और मुक्तक सुनाया -

 "पीड़ा या भार नहीं होती/

वह जय या हार नहीं होती/

दुनिया में सब कुछ होती है/

मांँ रिश्तेदार नहीं होती।"  

"दर्द दूर करना चाहो तो, सच कहना होगा

गति पाने के लिये, धार के संग बहना होगा

इतिहासों में शब्द बदलकर घटित नहीं मिटता

सुख को परिभाषित करने में, दुख सहना होगा।"

    कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सुप्रसिद्ध नवगीतकार यश भारती माहेश्वर तिवारी ने कहा- "डा. अनुपम के मुक्तक संभावना से सार्थकता तक की यात्रा के साक्षी हैं, उनकी रचनाधर्मिता लोक मंगल के लिए समर्पित है। संग्रह के मुक्तक कविता की व्याख्या से परे की अभिव्यक्ति है। निश्चित रूप से वह मुक्तकों के रूप में साहित्य की भावी पीढ़ी को एक रास्ता दिखा रहे हैं।" 

          मुख्य अतिथि के रूप में विख्यात व्यंग्य कवि डा मक्खन मुरादाबादी ने कहा कि "अनुपम जी के मुक्तक जीवन की धुकर-पुकर के मुक्तक हैं,जिन्हें उन्होंने पिया भी है और जिया भी है। इनमें उनका वह मन भी खुलकर खुला है जो अन्यत्र कहीं नहीं खुला। इनमें अनुपम जी की वह मुस्कानें भी हैं जो शायद और कहीं नहीं मुस्काईं। इनमें संस्कारों भरी वह शरारतें भी मौजूद हैं जिनका फलक बहुत बड़ा है।" 

   योगेंद्र वर्मा व्योम ने अपने आलेख का वाचन करते हुए कहा कि ‘'अविराम' पुस्तक के सभी मुक्तक पृथक-पृथक विस्तृत व्याख्या की अपेक्षा रखते हैं। यह कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि इक्कीसवीं सदी के वर्तमान कालखंड का यह सौभाग्य है कि उसके पास एक सशक्त, समृद्ध और विलक्षण मुक्तककार के रूप में डॉ. अजय अनुपम हैं जिनकी लेखनी से सृजित मुक्तक भावी पीढ़ी के लिए प्रकाशपुंज के रूप में पर्याप्त मार्गदर्शन करेंगे।" 

      शायर ज़िया जमीर ने कहा-"डॉ अजय अनुपम जी का यह दूसरा मुक्तक संकलन देर तक याद रखा जाएगा क्योंकि इसमें मौजूद जज़्बात और एहसासात सिर्फ़ काग़ज़ रंगने  या काव्य कौशल की संतुष्टि भर नहीं हैं, बल्कि भोगे हुए हैं। तभी शब्दों के पुल से होते हुए मन के भीतर उतरने और ठहरे रहने की ताक़त रखते हैं।"  

        लोकार्पित मुक्तक-संग्रह पर आयोजित चर्चा में कवि राजीव प्रखर ने पुस्तक की समीक्षा प्रस्तुत करते हुए कहा- ‘जीवन के विभिन्न रंगों को सुंदरता से समेटे डॉ अजय अनुपम के इस मुक्तक-संग्रह के विषय में यह नि:संकोच कहा जा सकता है कि यह मात्र एक उत्कृष्ट मुक्तक-संग्रह ही नहीं अपितु, रचनाकार की लेखनी से होकर पाठकों व श्रोताओं के सम्मुख साकार हुआ जीवन का सार एवं उसकी मनोहारी काव्यात्मक अभिव्यक्ति भी है।’ 

       शायर डॉ आसिफ हुसैन ने कहा कि "अनुपम जी ने अपने मुक्तक संग्रह अविराम में अपने रचना कौशल से साधारण शब्दों को असाधारण रूप देकर समाज को दर्पण दिखाने की जो कामयाब कोशिश की है, उसके लिए वह बधाई के पात्र हैं" 

     कवयित्री डॉ पूनम बंसल, डॉ अंजना दास, राजन राज, ज्योतिर्विद विजय दिव्य, सुशील शर्मा आदि ने भी डॉ अजय अनुपम को बधाई दी। आभार अभिव्यक्ति डॉ कौशल कुमारी ने प्रस्तुत की।













::::प्रस्तुति::::::::

योगेन्द्र वर्मा 'व्योम'

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल- 9412805981

मुरादाबाद मंडल के जनपद संभल की साहित्यिक, सांस्कृतिक व सामाजिक संस्था "परिवर्तन" ट्रस्ट ने आयोजित किया हास्य कवि सम्मेलन। इस अवसर पर जकार्ता (इंडोनेशिया) की कवयित्री वैशाली रस्तोगी का नागरिक अभिनंदन भी किया गया ।

मुरादाबाद मंडल के जनपद संभल की साहित्यिक, सांस्कृतिक व सामाजिक संस्था "परिवर्तन" ट्रस्ट  के तत्वावधान में जकार्ता (इंडोनेशिया) की कवयित्री वैशाली रस्तोगी के नागरिक अभिनंदन के उपलक्ष्य में शनिवार 11 मार्च 2023 को हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन आर्य समाज सभागार, आर्य समाज रोड सम्भल में किया गया।

    कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती के चित्र के समक्ष कार्यक्रम अध्यक्ष नगर के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ यूसी  सक्सेना, मुख्य अतिथि प्रसिद्ध उद्योगपति अमित त्यागी, व मंच संचालक हास्य व्यंग्य के सशक्त हस्ताक्षर त्यागी अशोका कृष्णम् के द्वारा दीप प्रज्ज्वलन व पुष्पार्पण के साथ किया गया। परिवर्तन ट्रस्ट की सचिव चौ दीक्षा सिंह द्वारा प्रस्तुत मां सरस्वती वंदना से आरंभ कार्यक्रम में वैशाली रस्तोगी को शॉल, स्मृति चिह्न व पुष्पाहार भेंट कर उनका नागरिक अभिनंदन किया गया।

  मुरादाबाद से पधारे वरिष्ठ व्यंग्यकार डॉ. मनोज रस्तोगी ने सुनाया- 

  बीत गए कितने ही वर्ष 

  हाथों में लिए डिग्रियां, 

  कितनी ही बार जलीं 

  आशाओं की अर्थियां। 

  विख्यात व्यंग्यकार त्यागी अशोका कृष्णम् ने कहा- 

हर दिन होली सी रहे रंगों की बौछार, 

मंगलमय संसार का रसमय हो व्यवहार ।

अमरोहा की कवयित्री प्रीति चौधरी प्रीत ने सुनाया....

   रंग ने गंध का हाथ पकड़ा 

   यहां प्रीति फागुन हुई 

   मन मचलने लगे

   कवि आकर्ष त्यागी ने सुनाया ......

शाम ए गम में दिल लगाने का बहाना सीखिए, 

जिंदगी हंसने न दे तो मुस्कुराना सीखिए। 

       कवि दुष्यंत बाबा की इस रचना पर खूब ठहाके लगे.......

   गुझिया खाकर मेढ़की मले पेट पर हींग, 

   गधे आंदोलन कर रहे हम लेकर रहेंगे सींग । 

कवयित्री वैशाली रस्तोगी ने कहा - 

   होली पर मन कर रहा दर्शन दे दो श्याम,

   रंग तुम्हारे मैं रंगू और हमें क्या काम। 

 चौधरी दीक्षा सिंह ने सुनाया- 

 सारे रंगों से मिलकर जो रंग बना है, 

 वो सुंदर मनुहार छुपा है होली में। 

 इसके अतिरिक्त  पंकज दर्पण, शशि त्यागी, प्रदीप कुमार दीप ने भी काव्य पाठ किया। अंत में  वैशाली रस्तोगी ने अपने परिवर्तन ट्रस्ट परिवार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वह अपने घर में सम्मानित होकर अभिभूत हैं।