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रविवार, 6 नवंबर 2022

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ मनोज रस्तोगी का संस्मरण..... मुरादाबाद से गहरा लगाव रहा था बाबा नागार्जुन का

      सहज जीवन के चितेरे, शब्दों के अनूठे चित्रकार, प्रकृति प्रेमी जनकवि बाबा नागार्जुन का मुरादाबाद से विशेष लगाव रहा है। अक्सर गर्मियों के तपते दिन वह  लैंस डाउन और जहरी खाल की हरी भरी उपत्यकाओं में बिताते रहे हैं। वहां की हरियाली,घुमावदार सड़कें, चेरापूंजी जैसी बारिश और साहित्यकार वाचस्पति का स्नेह उन्हें हर साल वहां खींच लाता था तो मुरादाबाद भी वह आना नहीं भूलते थे। यहां प्रसिद्ध गीतकार माहेश्वर तिवारी और हिन्दू कालेज के सेवानिवृत्त प्रवक्ता डॉ डी. पी. सिंह -डॉ माधुरी सिंह के यहाँ रहते। उनके परिवार के साथ घंटों बैठकर बतियाते रहते। पता ही नहीं चलता था समय कब बीत जाता था।   साहित्य से लेकर मौजूदा राजनीति तक चर्चा चलती रहती और उनकी खिलखिलाहट पूरे घर में गूंजती रहती । मुरादाबाद प्रवास के दौरान वह सदैव सम्मान समारोह, गोष्ठियों से परहेज करते रहते थे।

    वर्ष 91  का महीना था बाबा, माहेश्वर तिवारी के यहां रह रहे थे। महानगर के तमाम साहित्यकारों ने उनसे अनुरोध किया कि वह अपने सम्मान में गोष्ठी  की अनुमति दे दें लेकिन वह तैयार नहीं हुए। वहीं साहित्यिक संस्था "कविता गांव की ओर"  के संयोजक राकेश शर्मा जो पोलियो ग्रस्त थे, बाबा के पास पहुंचे, परम आशीर्वाद लिया । बाबा देर तक उनसे बतियाते रहे. बातचीत के दौरान राकेश ने बाबा से उनके सम्मान में एक गोष्ठी का आयोजन करने को अनुमति मांगी। बाबा ने सहर्ष ही उन्हें अनुमति दे दी।
      अखबार वालों से वह दूर ही रहते थे । पता चल जाये कि अमुक पत्रकार उनसे मिलने आया है तो वह साफ मना कर देते। स्थानीय साहित्यकारों से वह जरूर मिलते थे, बतियाते बतियाते यह भी कह देते थे बहुत हो गया अब जाओ ।दाएं हाथ में पढ़ने का लैंस लेकर अखबार पढ़ने बैठ जाते थे और शुरू कर देते थे खबरों पर टिप्पणी करना।
    वर्ष 1992 में जब  बाबा यहां आए तो उस समय यहां कृषि एवं प्रौद्योगिक प्रदर्शनी चल रही थी। छह जून को के.सी. एम. स्कूल में कवि सम्मेलन था । बाबा ने एक के बाद एक, कई रचनाएं सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कवि सम्मेलन जब खत्म हुआ तो वह चलते समय वहाँ व्यवस्था को तैनात पुलिस कर्मियों के पास ठहर गये और लगे उनसे बतियाने। ऐसा अलमस्त व्यक्तित्व था बाबा का। वह सहजता के साथ पारिवारिकता से जुड़ जाते थे।
    बच्चों के बीच बच्चा बनकर उनके साथ घंटों खेलते रहना उनके व्यक्तित्व का निराला रूप दिखाता था। डॉ माधुरी सिंह अपने दीनदयाल नगर स्थित आवास पर बच्चों का एक स्कूल टैगोर विद्यापीठ संचालित करती थीं।  वर्ष 1995 की तारीख थी दस अगस्त , बाबा जब वहां गए तो बैठ गए बच्चों के बीच और बाल सुलभ क्रीड़ाएं करते हुए उन्हें अपनी कविताएं सुनाने लगे । यही नहीं उन्होंने बच्चों से भी कविताएं सुनीं, जमकर खिलखिलाए और बच्चों को टाफियां भी बांटी। बच्चों के बीच बाबा , अद्भुत और अविस्मरणीय पल थे।

     बाबा जब कभी मुरादाबाद आते, मेरा अधिकांश समय उनके साथ ही व्यतीत होता था । वर्ष 1985 में नजीबाबाद में आयोजित दो दिवसीय लेेेखक शिविर में भी उनके साथ रहने का  सुअवसर प्राप्त हुआ। अनेक यादें उनके साथ जुड़ी हुई हैं। वर्ष 1998 में इस नश्वर शरीर को त्यागने से लगभग छह माह पूर्व ही वह दिल्ली से यहां आए थे । कुछ दिन यहां रहने के बाद वह काशीपुर चले गए थे ।
















✍️ डॉ मनोज रस्तोगी
8, जीलाल स्ट्रीट
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन 9456687822










रविवार, 17 जुलाई 2022

'साहित्यिक मुरादाबाद' की ओर से 16 जुलाई 2022 को आयोजित भव्य समारोह में मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विश्नोई की कृतियों 'सपनों का शहर' (लघुकथा संग्रह) एवं 'ओस की बूंदें' (हाइकु संग्रह) का लोकार्पण एवं देशभक्ति पर आधारित लघु नाटिका एकांकी प्रतियोगिता के विजेताओं और तीन बाल साहित्यकारों को सम्मानित किया गया।

 मुरादाबाद मंडल के साहित्य के प्रसार एवं संरक्षण को पूर्ण रूप से समर्पित 'साहित्यिक मुरादाबाद' की ओर से आयोजित भव्य समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार अशोक विश्नोई की कृतियों 'सपनों का शहर' (लघुकथा संग्रह) एवं 'ओस की बूंदें' (हाइकु संग्रह) का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर 13 साहित्यकारों को सम्मानित भी किया गया।

 राम गंगा विहार स्थित एमआईटी के सभागार में आयोजित समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रख्यात साहित्यकार यशभारती माहेश्वर तिवारी ने कहा - "श्री अशोक विश्नोई जी की मुरादाबाद के साहित्य के प्रति निष्ठा और समर्पण अनुकरणीय है‌। उन्होंने सदैव  नए रचनाकारों को प्रोत्साहित और प्रेरित करने का कार्य किया है।"

मयंक शर्मा द्वारा प्रस्तुत माॅं सरस्वती वंदना से आरंभ इस कार्यक्रम में डॉ. मनोज रस्तोगी ने साहित्यिक मुरादाबाद की उपलब्धियों पर चर्चा की।

मुख्य अतिथि डॉ महेश 'दिवाकर' तथा विशिष्ट अतिथियों के रूप में डॉ. मक्खन मुरादाबादी, जितेंद्र कमल आनंद, धवल दीक्षित एवं डॉ. कुलदीप नारायण सक्सेना ने अशोक विश्नोई के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर चर्चा करते हुए कहा कि हिंदी साहित्य, पत्रकारिता, पुस्तक प्रकाशन एवं लघु फिल्म निर्माण में आपका उल्लेखनीय योगदान रहा है। 

इस अवसर पर साहित्यिक मुरादाबाद की ओर से स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के अंतर्गत देशभक्ति पर आधारित लघु नाटिका एकांकी प्रतियोगिता के वरिष्ठ वर्ग में प्रथम डॉ अशोक रस्तोगी, द्वितीय अशोक विद्रोही, तृतीय रवि प्रकाश एवं कनिष्ठ वर्ग में प्रथम मीनाक्षी ठाकुर, द्वितीय नृपेन्द्र शर्मा सागर तथा तृतीय डॉ. प्रीति 'हुंकार' को सम्मानित किया गया। डॉ. फ़हीम अहमद, प्रो. ममता सिंह, सपना सक्सेना दत्ता सुहासिनी को बाल साहित्यकार सम्मान 2022 प्रदान किया गया। निर्णायक के रूप में रवि प्रकाश, डॉ. अनिल शर्मा अनिल, धन सिंह धनेंद्र एवं शिव ओम वर्मा को सम्मानित किया गया। सभी सम्मानित साहित्यकारों को अंग वस्त्र, स्मृति चिन्ह एवं सम्मान पत्र प्रदान किए गए।

डॉ मनोज रस्तोगी के संचालन में आयोजित समारोह में अशोक विश्नोई का जीवन परिचय राजीव प्रखर ने प्रस्तुत किया। योगेंद्र वर्मा व्योम, मीनाक्षी ठाकुर, हेमा तिवारी भट्ट , पूजा राणा, काले सिंह साल्टा, शिशुपाल मधुकर, डॉ. प्रेमवती उपाध्याय ने लोकार्पित कृतियों की समीक्षा प्रस्तुत की। धन सिंह धनेंद्र ने एकांकी लेखन एवं डॉ. अनिल कुमार शर्मा अनिल ने बाल कविता लेखन की बारीकियों और विशेषताओं पर प्रकाश डाला। 

  इस अवसर पर डॉ. संगीता महेश, मनोरमा शर्मा, डॉ पुनीत कुमार,डॉ रीता सिंह,नकुल त्यागी, नीमा शर्मा हंसमुख, रचना शास्त्री,प्रीति चौधरी, इंदु सिंह, विवेक आहूजा , श्री कृष्ण शुक्ल, अनुराग रोहिला, अतुल शर्मा, रामकिशोर वर्मा, शिखा रस्तोगी, प्रशांत मिश्र, ज़िया ज़मीर, मनोज मनु, रेखा रानी, वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी , योगेंद्र पाल विश्नोई, रामेश्वर वशिष्ठ, ओंकार सिंह ओंकार, फक्कड़ मुरादाबादी, उदय अस्त, स्वदेश कुमारी, राशिद हुसैन,  आदि उपस्थित रहे। दुष्यंत बाबा ने आभार अभिव्यक्त किया।




























































































































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डॉ मनोज रस्तोगी

संस्थापक

साहित्यिक मुरादाबाद

मोबाइल फोन नंबर 9456687822