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मंगलवार, 21 जून 2022

मुरादाबाद मंडल के जनपद संभल निवासी साहित्यकार सुभाष चंद्र शर्मा की रचना .... योग करने से रोग, जाएगा उड़ धूल-सा, पूर्ण स्वस्थ शरीर भी, हल्का होगा फूल-सा....


वर्ष का दिन बड़ा,

कड़ा ताप धूप में।

21 जून मना रहे,

योग दिवस के रूप में।।

अनुलोम विलोम योग को,

जब कभी करते हैं आप।

नियत रखता है आपका, 

निम्न-उच्च रक्तचाप।।

जवाब जब दे दिया,

मरीजों की जेब ने।

स्वस्थ योग से किया,

बाबा रामदेव ने।।

योग-गुरु देखते जब,

मरीजों की नब्ज को।

सबसे पहले तुड़वाते हैं,

पेट की कब्ज को।।

कब्ज ही होती बहुत,

रोगों का मूल है।

मुंह के छाले बवासीर,

चाहें पेट का शूल है।।

करो कपालभांति,

उदर विकार मुक्ति को।

रामदेव साथ हैं,

सुझाने सब युक्ति को।।

प्राणायाम करते रहो,

बुद्धि के विकास को।

लो तनाव मुक्ति को,

हास-परिहास को।।

योग करने से रोग,

जाएगा उड़ धूल-सा।

पूर्ण स्वस्थ शरीर भी,

हल्का होगा फूल-सा।।

मोदी जी थकते नहीं,

योग के प्रभाव से।

ऊबते नहीं कभी,

काम के दबाव से।।

मोदी जी को धन्यवाद,

जो विश्व में पहचान है।

अखिल विश्व कर रहा,

भारत का सम्मान है।।

यदि जड़ से ही खोना है,

आते हुए रोग को।

छोड़ सब भौतिकवाद,

अपनाओ तुम योग को।।


✍️ सुभाष चन्द्र शर्मा

सम्भल, उत्तर प्रदेश, भारत

शनिवार, 2 अप्रैल 2022

मुरादाबाद मंडल के जनपद सम्भल निवासी साहित्यकार सुभाष चन्द्र शर्मा की रचना ----सम्वत् अब नयी आयी, विगत का हो गया अन्त


सम्वत् अब नयी आयी, विगत का हो गया अन्त।

चैत्र सुदी पड़वा को, खुश होते दिक् दिगन्त।।

एक जनवरी को,अंग्रेजी वर्ष आता।

जब जोरदार जाड़ा, सभी को सताता।।

ठिठुरन होती इतनी, बजने लगते दन्त।

चैत्र सुदी पड़वा को,खुश होते दिक् दिगन्त।।

गर्मी बहुत तेज नहीं, नहीं तेज सर्दी।

सभी ने उठाकर रख दी, जाड़ों की वर्दी।।

अब ना ज्यादा सी गर्मी,और है जाड़े का अन्त।

चैत्र सुदी पड़वा को,खुश होते दिक् दिगंत।।

इसी दिन ब्रह्मा जी ने, डाली निज दृष्टि।

देख कर सूना-सूना,रच डाली सृष्टि।।

जीव-जंतु सभी बनाए, गृहस्थी एवं संत।

चैत्र सुदी पड़वा को,खुश होते दिक् दिगन्त।।

राम का राजतिलक,हुआ इसी रोज था।

जनहित में जोश,और वाणी में ओज था।।

न्याय दिया प्रजा को,अपने जीवन पर्यन्त।

चैत्र सुदी पड़वा को,खुश होते दिक् दिगन्त।।

नवरात्रि की पूजा,इसी दिन से होती।

तप व्रत से दुर्गा, मैया खुश होती।।

मंदिर सजा धजा कर,पूजा करें महन्त।

चैत्र सुदी पड़वा को,खुश होते दिक् दिगंत।।

कोई भी जन अन्न बिन, न रह सकता।

गेहूं चना सरसों मटर,इसी समय पकता।।

लहलहाती लखकर खेती,कृषक को खुशी अनंत।

चैत्र सुदी पड़वा को,खुश होते दिक् दिगन्त।।


✍️ सुभाष चन्द्र शर्मा

सम्भल

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल-9761451031

रविवार, 26 दिसंबर 2021

मुरादाबाद मंडल के जनपद सम्भल निवासी साहित्यकार सुभाष चंद्र शर्मा का गीत ----है मेरी अभिलाषा अविरल, हो हिंदी सबके उर में


 मां वाणी को प्रणाम करें, वे निवास करें सबके सुर में।

है मेरी अभिलाषा अविरल, हो हिंदी सबके उर में।।

अलंकार से हो अलंकृत, हिंदी भाषा का अंग-अंग।

हम हिंदी के हिंदी हमारे, रहे सदा ही संग-संग।।

कभी अलग न होवे हमसे, सदा बसे अन्तःपुर में।

है मेरी अभिलाषा अविरल, हो हिंदी सबके उर में।।

हिंदी के प्रकाश में दुनियां, नियमित आगे बढ़ें सदा।

हिंदी भाषी ही फिल्मों में, कलाकार की दिखे अदा।।

हिंदी के शब्दों का संगम, संगीत बजे फिर नूपुर में।

है मेरी अभिलाषा अविरल, हो हिंदी सबके उर में।।

सूर कबीर तुलसी का परिश्रम, केशव का प्रयास अथक।

रसखान जायसी हिंदी सुत हैं, है इसमें न कोई शक।।

कविता की रसधार दीखती, भूषण और रत्नाकर में।

है मेरी अभिलाषा अविरल, हो हिंदी सबके उर में।।

एक अटूट विश्वास हो, हिंदी हो सब भाषाओं की नायक।

रोजगार से जोड़ सभी को, बन जाएगी अर्थ सहायक।।

प्रदान करे ये विद्वानों को, धन दौलत मात्रा प्रचुर में।

है मेरी अभिलाषा अविरल, हो हिंदी सबके उर में।।

आश्वस्त हैं हिंदी भाषी, एक दिन ऐसा भी ठहरेगा।

हिंदी भाषा का यह परचम, अखिल विश्व पर भी फहरेगा।।

बने आस्था जन-जन की, हिंदी गौ-गंगा-भूसुर में।

है मेरी अभिलाषा अविरल, हो हिंदी सबके उर में।।

छोटी सी कविता लिखकर मैं, डूब रहा हूं अहंकार में।

ज्ञान शून्य अल्पज्ञ सर्वदा, रस छंद और अलंकार में।।

अंतिम इच्छा हिंदी सेवा, बाद बसें फिर सुरपुर में।

है मेरी अभिलाषा अविरल, हो हिंदी सबके उर में।।


✍️ सुभाष चंद्र शर्मा 

मोहल्ला-बरेली सराय, प्रेमशंकर वाटिका गेट 2, सम्भल, उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल नंबर-9761451031