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मंगलवार, 26 मई 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार नवाज अनवर खान की लघुकथा ------- शादी



        मेरा एक पुत्र होगा। जिसका नाम बालेश्वर होगा। वह बारहवीं कक्षा में आते-आते चार बार फ़ैल होगा। उसे किसी भी कारोबार में कोई रूचि नहीं होगी। युवावस्था तक आते-आते उसे एक लड़की से प्रेम हो जायेगा। वह लड़की नगर के एम एल ए दान सिंह की पुत्री रत्नावती होगी। दोनों के बीच प्रेम इतना सुदृढ़ हो जायेगा की वह विवाह करना चाहेंगे। लेकिन क्योंकि मेरी पार्टी दान सिंह की पार्टी की विपक्षी पार्टी होगी। इसलिए मैं विवाह के लिए राज़ी नहीं होऊंगा। हम दोनों नेताओं के कारण हमारे बच्चों का जीवन खराब हो जायेगा। रत्नावती आत्महत्या कर लेगी। बालेश्वर सदमे में आ जायेगा। अगले माह चुनाव होंगे, चुनावों में दान सिंह की हार हो जायेगी। दान सिंह मुझसे बदला लेने की ठानेगा। चुनावों में हार और अपनी बेटी की मौत का जिम्मेदार मुझे समझेगा। घर पर गुंडे भेजेगा। लेकिन मेरी सुरक्षा में लगे पहरेदार उन गुंडों को मार डालेंगे। बात ऊपर तक पहुंचा दूंगा। पार्टी के बड़े नेता दान सिंह पर प्रतिबंध लगा देंगे। अगले चुनावों में निर्विरोध चुन लिया जाऊंगा। फिर अपनी पसंद की लड़की से बालेश्वर का विवाह करूँगा। दोनों सुख से रहेंगे। अगले आम चुनावों में बालेश्वर को पार्टी का टिकट दिला दूंगा। बालेश्वर जीत जायेगा। तब तक मेरी आयु भी साठ के करीब हो जायेगी।
आखिर मेरी शादी कब होगी?

 ✍️ नवाज़ अनवर ख़ान
च 21, कबीर नगर, एम डी ए कालोनी
 मुरादाबाद 244001
मो. 8057490457

गुरुवार, 2 अप्रैल 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार नवाज अनवर खान की कहानी ---बदला


चिंटू सड़क पर टहल रहा था तभी अचानक एक तेज़ रफ़्तार कार ने उसे ज़ोरदार टक्कर मार दी। चिंटू लहूलुहान होकर गिर पड़ा और सड़क पर तड़पने लगा। उसके ऊपर से सैकड़ों वाहन गुज़र गये उसे कोई बचाने नहीं आया। करीब 15 मिनट तड़पने के बाद चिंटू ने दम तोड़ दिया।
चिंटू की मौत की ख़बर सुनकर उसके परिवार में कोहराम मच गया क्योंकि दो महीने पहले ही उसके छोटे भाई मिंटू की मौत भी एक तेज़ रफ़्तार बस के नीचे आने से हो गयी थी। जैसे-तैसे चिंटू का अंतिम संस्कार कर दिया गया लेकिन अब उसका परिवार और सब्र नहीं कर सकता था चिंटू के पापा सरपंच शेरा से मिलने उनके घर गए शेरा ने चिंटू की मौत पर अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं।
"आखिर कब तक हमारे बच्चे ऐसे ही मरते रहेंगे कुछ तो करना होगा सरपंच साहब" चिंटू के पापा ने कहा और बहुत देर की वार्तालाप के बाद एक सभा का आयोजन करने का निर्णय लिया गया और शेरा ने गांव में एक सभा करने की घोषणा कर दी। सभा हुई, जिसमें दूर दराज़ के गांवों से आये कुत्तों ने अपनी आपसी रंजिशें भुलाते हुए इस सभा में भाग लिया।
चिंटू के पापा माइक पर आये और उन्होंने बोलना शुरू किया- आख़िर कब तक वफ़ादारी दिखाएंगे हम लोग, कब तक चिंटू और मिंटू की तरह ऐसे अपनों को खोतें रहेंगे, ऐसे चुपचाप बैठकर अपनों की मौतें कब तक देखें, कब तक... अगर हमने अब कोई बड़ा कदम नहीं उठाया तो हमारे अपने ऐसे ही हमें छोड़कर जाते रहेंगे आज मिंटू, कल चिंटू, फिर कोई और....हमारी जाति ही खत्म न हो जाये मुझे तो अब यह डर भी सता रहा है। क्या कुछ नहीं करते हम इंसानों के लिए रात-रात भर जागते हैं कि कहीं इनके घरों में कोई बाहरी न घुस जाये फिर भी इनके बच्चे हम पर ईंटे मारते हैं, इन्हें गुस्सा आता है तो कभी भी डंडा मार देते हैं। अभी पीछे चिंटू की माँ को तेज़ का ज़ुकाम था वो दवाई के लिए भटक रही थी अचानक एक इंसानी बच्चे ने उसपर पानी डाल दिया क्या यह अन्याय नहीं है, क्या ज़ुकाम इनको ही होता है, क्या हम लोग बस इनके अत्याचार सहने के लिए बने हैं?
चिंटू के पापा भावुक हो गए और मंच पर ही रो पड़े, खुद सरपंच शेरा ने आकर उन्हें संभाला और ज़मीन पर बिठाया।
शेरा ने माइक सँभालते हुए कहा- अब वक्त आ गया है हम लोग अपनी आपसी रंजिशें भुला दें और अपने परिवारों की हिफाज़त के लिए कुछ बड़ा कदम उठाएं। शेरा ने आगे कहा कि अगर किसी के पास कोई सुझाव है तो वह माइक पर आकर सबको बताये।
कुछ गांव के कुत्तों का कहना था कि इंसान जहां कहीं भी दिखे उसको लपककर काट लो और उसका इतना मांस नोंच लो की वह मर जाये। लेकिन शेरा ने कहा कि हम भी अगर इंसानों की तरह ही बेगुनाहों की जान लेंगे तो उनमें और हम में क्या फ़र्क रह जायेगा।
कुछ कुत्तों ने इंसानी घरों में घुसकर लूटपाट करने की सलाह दी। वह कह रहे थे की इंसानों के घर में जो भी रखा हो उसे मुँह में दबाकर ले आओ चाहे वह खाने का न भी हो, अगर खाने का न हो तो उसको सड़क पर व्यर्थ कर दो और इंसानों का खूब नुकसान करो।
हालांकि कुछ बूढ़े कुत्ते यह भी कह रहे थे की हमें खुद ही अपने बच्चों का ख्याल रखना चाहिए, उन्हें सड़क तक जाने ही न दो जो कोई इंसान उन्हें रौंदकर चला जाये।
बहुत सारे कुत्तों ने अपने-अपने सुझाव दिए लेकिन सरपंच शेरा कोई ऐसी तकनीक की खोज कर रहे थे जिससे इंसानी क़ौम को साफ-साफ पता चल जाये की अब कुत्ते खामोश नहीं बैठेंगे और वह उनसे बदला ले रहे हैं। सरपंच शेरा की मंशा थी की हम ज़्यादा आतंक भी न मचाएं और इंसानों को सबक भी सिखा दिया जाये। वह दूरदर्शी थे उन्हें पता था कि अगर कुत्ते इस प्रकार के किर्याकलाप करेंगे जो सुझाव दिए गए हैं तो इंसानों को गुस्सा भी आएगा और कुत्तों पर होने वाले अत्याचार और ज़्यादा बढ़ जाएंगे।
अंततः शेरा ने एक नई तकनीक खोज ली और देखते ही देखते हज़ारों की तादाद में कुत्ते शांतिपूर्वक सड़कों पर उतर आये। सारे मुख्य मार्गों को कुत्तों ने अपने कब्ज़े में ले लिया। भौं-भौं की आवाज़ें आसमान को छूने लगीं। कुत्तों के सड़कों पर उतर आने से सारा ट्रैफिक जाम हो गया। पुलिस अफसरों ने कुत्तों को सड़कों से भगाने की खूब कोशिश की लेकिन जैसे ही कोई पुलिस वाला कुत्तों के करीब आता, बहुत सारे कुत्ते उससे लिपट जाते और काट लेते तो पुलिस वालों की हिम्मत भी नहीं हो रही थी की वह उनके नज़दीक जाएँ। वह गोली भी नहीं चला सकते थे क्योंकि हज़ारो कुत्तों की भीड़ में सबको तो मारा नहीं जा सकता था।
पुलिस कमिश्नर ने फौरन कुत्तों की भाषा समझने और कुत्तों को उनकी भाषा में ही समझाने वाली टीम को बुला लिया। वह टीम पूरी तैयारी के साथ आई उन अफसरों के कपड़ों पर कुत्ते नहीं काट सकते थे।
जैसे ही उनका अधिकारी कुत्तों की तरफ बढ़ा कुत्ते भी उसे काटने के लिए दौड़े लेकिन वह काट नहीं पाए। बार बार कई कुत्ते काटने का प्रयास कर रहे थे लेकिन काट नहीं पा रहे थे।
यह देखकर शेरा समझ गया कि यह कोई इंसानी अधिकारी है और उसने सारे कुत्तों को एक किनारे होने का आदेश दिया।
अब सारे कुत्ते सड़क के किनारे हो गए और गोल घेरा बनाकर खड़े हो गए बीच में सिर्फ़ उस टीम के अधिकारी, सरपंच शेरा और चिंटू-मिंटू के मम्मी-पापा थे।
उन्होंने भौंक-भौंककर और रो-रोकर अपनी बात कहना शुरू की और चिंटू-मिंटू की मौत के बारे में अधिकारी को सारी बात बताई। अधिकारी ने उनकी समस्या सुनकर उनकी भाषा में समझाना शुरू किया और इंसानी कानूनों में सुधार होने की बात कही और शेरा व बाकी सारे कुत्तों को उनकी सुरक्षा का आश्वासन दिया और उनसे सड़क से हट जाने की विनती की। शेरा के आदेश पर सब कुत्ते अपने-अपने गांवों को लौट गए। फिर कभी किसी इंसानी वाहन ने किसी कुत्ते को नहीं कुचला अगर कोई कुत्ता सामने आ भी जाता तो वाहन चालक एकदम ब्रेक लगा लेते और कुत्तों को भी मरने से बचाने की पूरी कोशिश ऐसे ही करते जैसे इंसानों को बचाने की किया करते थे।


***नवाज़ अनवर ख़ान
च 21, कबीर नगर, एमडीए कालोनी,
 निकट प्रेम वंडर लैंड
 मुरादाबाद-244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मो. +91 8057490457