मुरादाबाद की साहित्यकार सरिता लाल के मधुबनी स्थित आवास पर मंगलवार 25 मार्च 2025 को आध्यात्मिक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। डॉ.ममता सिंह द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से आरंभ हुए इस गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार अशोक विश्नोई ने सुनाया-
जकड़े हुए लोगों की, बेड़ियाँ तोड़ीं,
राम नाम जप कर, कड़ियाँ जोड़ीं
आडम्बर से वो लड़ते रहे सदा,
भक्ति रस में डूब कर, रुढ़ियां तोड़ी।
मुख्य अतिथि के रूप में साहित्यिक मुरादाबाद शोधालय के संस्थापक डॉ.मनोज रस्तोगी का व्यंग्य था ....
होली पर कीचड़ लगवाने से
मत कीजिए इनकार
स्वच्छ मुरादाबाद का
कीजिए सपना साकार
सब मिलकर
नालों से कीचड़ निकालिए
एक दूसरे को प्रेम से लगा
होली मनाइए
विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ नवगीतकार योगेंद्र वर्मा व्योम का कहना था ....
ऋषि-मुनि संत-फ़क़ीर यह, कहते हैं अधिकांश।
आँखें ही होती सदा, भावों का सारांश।।
आशाएँ मन में न अब, होतीं कभी अधीर।
इच्छाएँ सूफ़ी हुईं, सपने हुए कबीर।
संयोजिका सरिता लाल ने पढ़ा-
अपने प्रभु को भेंट चढ़ाने
मैं स्वयं पूजा का थाल बनी,
मैं ही पत्री, मैं ही नारियल
मैं रोली और श्रंगार बनी ।
डॉ. प्रेमवती उपाध्याय ने गीत सुनाया-
राम का मंदिर बना, साकार सपना हो गया।
स्वर्ग उतरा अब धरा पर, आ गए श्रीराम हैं।
श्रीकृष्ण शुक्ल ने सुनाया-
भगवान तुम्हारी करुणा से,
चलता क्षण क्षण मेरा जीवन।
किस भांति तुम्हें आभार कहूॅं,
शत् कोटि नमन मेरे भगवन।
वरिष्ठ शायर डा.कृष्णकुमार नाज़ की अभिव्यक्ति रही-
शब्दकोश सामर्थ्यवान तुम,
मैं तो एक निरर्थक अक्षर।
अपनी शक्ति मुझे भी दे दो,
अधिक नहीं केवल चुटकी-भर।
डॉ.अर्चना गुप्ता ने सुनाया-
जितना ये मन भावुक होगा
उतना ही दुर्बल होगा।
उतना ही इसको दुख होगा
जितना ये निश्छल होगा।
विवेक निर्मल ने सुनाया-
गर चुनौती दे सकें अज्ञान को
तो ज्ञान अपना आवरण खुद खोल देगा।
राजीव 'प्रखर' ने सुनाया-
आहत बरसों से पड़ा, रंगों में अनुराग,
आओ टेसू लौट कर, बुला रहा है फाग।
डॉ.ममता सिंह ने कुछ इन शब्दों से समां बांधा-
माया के पीछे लोभी बन,
सारा जीवन भागा,
अपने सुख की खातिर तूने,
अपनों को ही त्यागा।
रवि शंकर चतुर्वेदी ने सुनाया-
पत्थर भी बोलते हैं मेरी अर्चना के बाद,
कोई कल्पना नहीं है मेरी कल्पना के बाद।
संचालन करते हुए दुष्यंत बाबा ने सुनाया-
केसर ढोल बजा रहे, नत्थू की चौपाल।
झांझर झनझन कर रहे, बजा बजाकर लाल।
गोष्ठी में मयंक शर्मा, डॉ. सुगंधा अग्रवाल, शालिनी भारद्वाज, आवरण अग्रवाल श्रेष्ठ, राघव शर्मा आदि ने भी काव्यपाठ किया। सरिता लाल द्वारा आभार अभिव्यक्त किया गया।