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रविवार, 20 जून 2021

मुरादाबाद की साहित्यकार सरिता लाल की रचना ----मेरे रक्षाकवच,होआंखों की शान आप मेरे अस्तित्व की पहचान हो


आप मेरे सुन्दरसपनों की उड़ान

आप मेरा अडिग सा विश्वास हो

जहाँ चित्र बना सकता मैं हर पल

आप वो झिलमिल सा आकाश हो


आप मेरे सारे प्रश्नों के भी उत्तर 

मेरी नन्ही दुनिया की मुस्कान हो

हो मेरे सारेअरमानों की चितवन

आप तो हर खुशी का वरदान हो


 मेरी भाषाओं की सुखद लेखनी

आप मेरे अन्दर की परिभाषा हो

मैं निश्चिंत भाव से जो सोता हूं

आप गुदगुदाती सीअभिलाषा हो


आप मेरे खेल खिलौनो की दुनिया

आप क्या जादू सा कर जाते हो

जो चाहूँ उससे पहले देते सबकुछ

मेरे लिये सोनपरी भी बन जाते हो


 मेरे रक्षाकवच,होआंखों की शान

आप मेरे अस्तित्व की पहचान हो

नही जाना अब तक उस ईश्वर को

आप ही मेरे लिये सारे भगवान हो


✍️ सरिता लाल, मुरादाबाद

शुक्रवार, 25 दिसंबर 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार सरिता लाल की रचना -----प्रकृति शिव की पटरानी हो गयी....


चुपके से बरसी प्रेम बूंदों से

देखो ये सुबह सुहानी हो गयी

रातभर मधुर मिलन की खुशबु से

प्रकृति शिव की पटरानी हो गयी,


यूं धरती का‌ नभ‌ से आलिंगन

राधाकृष्णमय ये अद्भुत बंधन

गर्भ में समाये मिलन गीत अनमोल

मयूर सा नाच उठा अभिसारित सिंचन,


माटी का हर‌ कण देखो अब

स्वर‌ में‌ बजती वीणा की तान है

यही काम रूप सृष्टि में बहता

ये ही प्रेम‌गीत‌ इसकी ‌‌पहचान है,


नव यौवना सी सुन्दरता में पगी पगी 

मंत्रमुग्धा सी मैं रह‌गयी ठगी ठगी

बारिशों ने मासूमियत से ली जो अंगड़ाई

इन्द्रधनुष की लालिमा हो गयी‌ सजी सजी। ।


✍️ सरिता लाल

37-ए, मधुबनी

कांठ रोड

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत