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शनिवार, 19 जून 2021

मुरादाबाद की साहित्यकार कंचन खन्ना की कहानी ---निर्णय


"मम्मी, दादा और दादी दिखाई नहीं दे‌ रहे, क्या वे घर पर नहीं है?" हॉस्टल से‌ स्कूल की छुट्टियों में घर लौट कर आये अनुज ने माँ से पूछा। अनु अचानक पूछे गये प्रश्न पर सकपका सी गयी, उत्तर तलाश ही रही थी कि समीप बैठी उसकी सहेली ने अनुज को बताया कि उसके दादा - दादी छुट्टियाँ बिताने हिल- स्टेशन गये हैं। सुनकर अनुज उदास हो गया क्योंकि उसने तो सोच रखा था कि स्कूल की छुट्टियों में दादा - दादी के‌ साथ खूब गपशप करेगा। दादा जी के साथ शाम को सैर पर जाना, घर के बगीचे में पौधों की देखभाल करते हुए बहुत सी बातें करना व दादी द्वारा उसे‌ रात में कहानी सुनाना अनुज को बहुत पसंद था।

अनुज को घर आये काफी दिन बीत गये, उसकी छुट्टियां भी बीतती जा रही थीं। दादा - दादी ‌लौटकर नहीं आये थे। जब भी वह पूछता, उसे टाल दिया जाता। उसने फोन करना चाहा तो पता चला कि वे फोन लेकर नहीं गये। वह असमंजस में था कि उस रात अचानक नींद टूटने पर पानी पीने के लिए जाते हुए उसे मम्मी-डैडी के कमरे से बातचीत की आवाज सुनायी दी, वह कमरे के दरवाजे पर रुक कर सुनने लगा। डैडी मम्मी‌ से कह रहे थे कि इस तरह अनुज‌ से सच छुपाना उचित नहीं है। तुम्हारे दुर्व्यवहार के कारण माँ - पिताजी घर छोड़ कर चले गये। यह बात कब तक उसे नहीं बतायेंगे। 

सुनते ही अनुज के पाँव तले की जमीन मानो खिसक गयी। इतना बड़ा झूठ ! चुपचाप अपने कमरे में लौटकर वह देर रात तक सोचता रहा, फिर उसने मन ही मन निर्णय ले लिया। सुबह नाश्ते की टेबल उसने मम्मी से फिर दादा-दादी के विषय में पूछा और मम्मी ने जैसे ही उत्तर दोहराया, उसने वही प्रश्न डैडी के सम्मुख रखा। डैडी का उत्तर उसकी उम्मीद से एकदम अलग था। उनका कहना था कि वे दोनों अनुज की भांति घर छोड़ कर हाॅस्टल में रहने चले गये हैं क्योंकि घर में‌ उन्हें उनकी उम्र के साथी नहीं मिलते, इसलिये उन्होंने यह निर्णय अपनी इच्छा से लिया है। हमने उन्हें उनकी पसंद के‌ हाॅस्टल भेज दिया है। आठवी कक्षा का छात्र अनुज सुनते ही समझ गया और मुस्कुराते हुए बोला, " मम्मी-डैडी आपका निर्णय बिल्कुल ठीक है। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी जिंदगी‌ अपनी इच्छानुसार बितानी चाहिए। मैं भी बड़ा होकर आपकी प्रत्येक इच्छा का सम्मान करूँगा। आपको भी आगे चलकर बुजुर्गों के हाॅस्टल की आवश्यकता हो सकती है। इसलिए मैं अभी से बुजुर्गों के अच्छे हाॅस्टल की लिस्ट बनाना शुरू कर दूँगा।" 

शांत भाव से दिये गये अनुज के उत्तर ने मम्मी-डैडी के मन में जो उथल- पुथल मचायी, उनके चेहरों पर स्पष्ट झलक रही थी।

✍️ कंचन खन्ना, कोठीवाल नगर, मुरादाबाद, (उ०प्र०, भारत)


शुक्रवार, 4 जून 2021

मुरादाबाद की साहित्यकार कंचन खन्ना की लघुकथा ------- तनावमुक्त

 


कल से लॉकडाउन खुल रहा है। शाम की चाय पीते हुए ज्यों ही पुत्र ने बताया, शर्मा जी के हृदय को अनकही सी राहत मिली। शर्मा जी रिटायर्ड प्रोफ़ेसर थे। अधिकांश समय मित्रों से मिलने-जुलने व पढ़ने-लिखने में व्यतीत होता था। इधर जब से कोरोना फैला, घर में बंदी से बनकर रह गये थे। पुत्र का जनरल स्टोर था। राशन व दैनिक आवश्यकता की वस्तुएँ मिलने के कारण दुकान सुबह जल्दी ही लॉकडाउन के बावजूद भी खुल जाती थी, जिससे घर की व्यवस्था में भी बदलाव आ गया था। सुबह बहू जल्दी उठकर पुत्र को चाय-नाश्ता बना कर देती। पोते को भी पुत्र साथ ही मदद के लिये ले जाता। बहू और शर्मा जी घर में रह जाते। घरेलू नौकरानी भी लॉकडाउन में आ नहीं रही थी। बहू पुत्र के साथ ही सुबह उठकर रसोई में जुट जाती, जिससे शर्मा जी की सुबह की चाय लेट हो गयी थी। बहुत बार तो चाय मिलने तक दोपहर के बारह बज जाते। उस पर बहू अनेक बार छोटे-बड़े काम में मदद के लिये कह देती, उसे अकेले परेशान देख स्वयं शर्मा जी भी मदद कर देते। किन्तु दिनचर्या अव्यवस्थित सी हो गयी थी। पुत्र व पोता दोपहर बाद दुकान से लौटते तो बहू समेत सब खा-पीकर सो जाते।

      लॉकडाउन से पूर्व शर्मा जी सुबह परिवार के अन्य सदस्यों के जागने से पूर्व ही नहा-धोकर अपनी व बहू की चाय बनाते, बहू की चाय उसे देते, फिर स्वयं चाय बिस्कुट का नाश्ता करके टहलने निकल जाते। दोपहर तक मित्रों से मिलकर लौटते तो खाना खाकर कुछ देर आराम करते फिर शाम की चाय बहू व पोते के साथ पीकर पुत्र के पास कुछ समय दुकान पर बिता आते।

      किन्तु लॉकडाउन में समस्त दिनचर्या अव्यवस्थित हो गयी थी। पोते का विद्यालय बंद, पुत्र की दुकान के समय में बदलाव से उनकी व बहू की दिनचर्या के साथ ही, सबकी दिनचर्या में बदलाव होने से सभी असहज से होकर रह गये थे। आज ज्यों ही लॉकडाउन के समाप्त होने की सूचना पुत्र ने परिवार को दी तो समस्त परिवार के चेहरों पर अनकहा सा सुकून दिखाई दिया जिसे महसूस कर शर्मा जी मानो अनचाहे तनाव से मुक्त हो गये।

✍️ कंचन खन्ना, कोठीवाल नगर, मुरादाबाद, उ०प्र०, भारत

गुरुवार, 12 मार्च 2020

गजल एकेडमी की ओर से डॉ मक्खन मुरादाबादी , कंचन खन्ना और निकखत मुरादाबादी को किया गया सम्मानित

ग़ज़ल एकेडमी मुरादाबाद की ओर से रविवार आठ मार्च 2020  को स्वतंत्रता सेनानी भवन में होली के रंग मक्खन के संग "जश्न ए मक्खन मुरादाबादी'' उर्दू हिंदी फेस्टिवल के अंतर्गत आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता दिल्ली से पधारे शोएब फारूकी ने की। मुख्य अतिथि के रूप में डॉ जयपाल सिंह व्यस्त एमएलसी, विशेष अतिथि प्रख्यात साहित्यकार यश भारती माहेश्वर तिवारी, डॉ अनुराग अग्रवाल, डॉ संजय शाह ,डॉ एस के सिंह, डॉ सैयद हिलाल वारसी, संजीव आकांक्षी, मजाहिर खां, अरविंद कुमार वर्मा , राकेश चंद्र शर्मा, गोपी किशन,  नावेद सिद्दीकी, उपस्थित रहे । कार्यक्रम का शुभारंभ नाते पाक व सरस्वती वंदना से हुआ।
कार्यक्रम में हास्य व्यंग्य के प्रख्यात कवि डॉ मक्खन मुरादाबादी को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर डॉ मक्खन मुरादाबादी सम्मान सुश्री कंचन खन्ना व निकखत मुरादाबादी को दिया गया।
  डॉ मक्खन मुरादाबादी को प्रदत्त सम्मान पत्र पढ़ते हुये साहित्यकार योगेंद्र वर्मा व्योम ने कहा -भारतीय साहित्य में कबीरदास, बदरीनारायण चौधरी ‘प्रेमधन’, प्रतापनारायण मिश्र से आरंभ हुई व्यंग्य लेखन की परंपरा बहुत समृद्ध रही है, कालान्तर में शरद जोशी, श्रीलाल शुक्ल, हरिशंकर परसाई, रवीन्द्रनाथ त्यागी, लतीफ घोंघी, बेढब बनारसी के धारदार व्यंग्य-लेखन से संपन्न होती हुई यह परंपरा वर्तमान समय में ज्ञान चतुर्वेदी, सूर्यकुमार पांडेय, सुभाष चंदर, ब्रजेश कानूनगो आदि के सृजन के रूप में अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज़ करा रही है, किन्तु व्यंग्य-कविता लेखन में माणिक वर्मा, प्रदीप चौबे, कैलाश गौतम, डॉ मक्खन मुरादाबादी सहित कुछ ही नाम हैं जिन्होंने अपनी कविताओं में विशुद्ध व्यंग्य लिखा है। व्यंग्य का सच्चा धर्म निभाने वाली मक्खन जी की अनेक कविताएं अत्यधिक लोकप्रिय एवं चर्चित हुईं किन्तु लगभग 5 दशकीय कविता-यात्रा में प्रचुर सृजन उपरान्त 51 कविताओं का प्रथम संग्रह ‘कड़वाहट मीठी सी’ के रूप में हाल ही में प्रकाशित हुआ है। आपकी कविताओं को पढ़कर साफ-साफ महसूस किया जा सकता है कि कविताओं के माध्यम से समाज के, देश के, परिवेश के लगभग हर संदर्भ में अपनी तीखी व्यंग्यात्मक प्रतिक्रिया अभिव्यक्त की गई है और ये सभी कविताएं स्वतः स्फूर्तरूप से सृजित मुक्तछंद कविताएं हैं छंदमुक्त नहीं हैं संभवतः इसीलिए आपकी  कविताओं में एक विशेष प्रकार की छांदस खुशबू के यत्र-तत्र-सर्वत्र विचरते रहने के कारण सपाटबयानी या गद्य भूले से भी घुसपैठ नहीं कर सका है।
राजीव प्रखर ने कहा -
हास्य-व्यंग्य के रत्न वो, मक्खन जी अनमोल।
कड़वाहट मीठी लिये, जिनके प्यारे बोल।
रहती हो इस वक़्त की, चाहे जैसी चाल।
मक्खन जी की ताज़गी, खुद में एक कमाल‌।


वीरेन्द्र सिंह बृजवासी ने कहा -
शब्द शब्द में भर  रहे
हास्य  व्यंग्य का भाव
मक्खन जी से है यहां
सबको   बड़ा  लगाव
नमन उनको करते हैं
बनें प्रेरणा श्रोत दुआ
हम   सब  करते   हैं।


मोनिका मासूम का कहना था -
व्यंग्य विधा के बड़े धुरंधर मक्खन जी
अंजुलियों में भरें समंदर मक्खन जी
सर्द ज़रा सी हवा चले तो जम जाते
गर्मी में बह जाएं पिघल कर मक्खन जी
भरकर लाए हैं "कड़वाहट मीठी सी"
वर्षों के अनुभव से मथकर मक्खन जी


कंचन खन्ना ने कहा -
उसकी सादगी, उसका व्यक्तित्व, व्यवहार जुदा है
बात फन की चले तो वो अकेला फनकार जुदा है।
आसान  नहीं कोई लफ़्ज़ों का जादूगर हो जाये।
मीठी सी दे जो कड़वाहट ऐसा वो दिलफरेब कलाकार जुदा है।


हेमा तिवारी भट्ट का कहना था -
हो शुष्कता जो पास, तो मक्खन लगाइए।
जब हो न कोई आस, तो मक्खन लगाइए।
छपतीं किताबें इतनी कि, दीमक अघा गए।
हाँ पढ़ना हो गर ख़ास, तो मक्खन लगाइए ।


डॉ अजय अनुपम का कहना था -
भाव में व्यवहार में स्वाधीन मक्खनजी
मित्रता के हैं सदा आधीन मक्खनजी
हास्य में चिन्ता उठाते व्यंग्य में चिन्तन
हैं सभी में लोकप्रिय शालीन
मक्खनजी


मयंक शर्मा ने कहा -
छल प्रपंच मन में नहीं, रखते हैं पट खोल
सौम्य भाव से बोलते, मिसरी जैसे बोल,
तरकश में अपने रखें, हास्य व्यंग्य के बाण,
मक्खन जी के काव्य के, शब्द-शब्द अनमोल


अनवर कैफ़ी ने कहा -
जश्न मिल कर यूं मनाएं आप 'मक्खन' और हम
प्यार के कुछ गीत गायें आप 'मक्खन' और हम
जब 'कशिश' आवाज़ दें 'अनवर' मुहब्बत से हमें
मिल के सब होली मनायें आप 'मक्खन' और हम


अरविंद शर्मा आनन्द का कहना था -
बेरंग होके भी मै हर रंग हो गया।
मुरादाबादी जब से संग हो गया।
मन झूम उठा है जश्ने मक्खन  में
देख जिसे हर कोई दंग हो गया।


शोएब फारुखी ने कहा -
इल्मो अदब की शान हमारे मक्खन जी
शहरे जिगर की शान हमारे मक्खन जी
हिंदी उर्दू जिन पर दोनों नाज़
करें
फख्रे हिंदुस्तान हमारे मक्खन जी


कशिश वारसी के संचालन में आयोजित इस कार्यक्रम में गगन भारती , मुईन शादाब डॉ शाकिर , डॉ कृष्ण कुमार नाज़ , नसीम वारसी ,रिफत मुरादाबादी , साहिल कुरेशी ,फरहत खान आरिफा मसूद आदि ने काव्य पाठ किया।
इस अवसर पर मुख्य रूप से नूर जमाल नूर, डॉ मनोज रस्तोगी, राशिद मुरादाबादी, अंकित भटनागर, शावेज़ एडवोकेट,   शहजाद क़मर, उबेद वारसी ,पुलकित भटनागर ,तंजीम शास्त्री ,राहुल शर्मा ,  वसीम अली, अशोक विश्नोई , प्रशांत मिश्र, आवरण अग्रवाल, चांद मियां खान,  डॉ पूनम बंसल, उमेश प्रसाद कैरे ,अखिलेश शर्मा , उमाकांत गुप्ता, मधु मिश्रा, बृजपाल सिंह यादव,अशोक विद्रोही, केपी सिंह सरल, डॉ अर्चना गुप्ता ,पंकज दर्पण ,डॉ जगदीप भटनागर ,डॉ राकेश चक्र आदि उपस्थित थे।
ग़ज़ल एकेडमी के अध्यक्ष शफक शादानी  और   हकीम अहमद मुरादाबादी  ने  आभार व्यक्त किया।

::::::::: प्रस्तुति :::::::
कशिश वारसी
सचिव
गजल एकेडमी
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत