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गुरुवार, 26 नवंबर 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार (वर्तमान में बरेली निवासी) सुभाष राहत की ग़ज़ल - कैसे कहें हम तंगहाली में, कैसे मनेगी दीवाली ,फटा-पुराना सूट था जिसको ,रफू करा रक्खा है .....


हमने ख़ुद को ज़िंदा, ग़म से आँख मिला कर रक्खा है
अहल-ए-दुनिया देखे तो, क्या हाल बना कर रक्खा है

नादारी  की  आँधी भी  न, दिल  का  ईमाँ  तोड़  सकी
हमने तसल्ली का आँगन में, शजर लगा कर रक्खा है

आक़िल-शाहों  को भी उसके, दर पे झुकना पड़ता है
इस  मिट्टी पर  जिसने सारा, मज़मा ला कर  रक्खा है

गर है तुझको शौक-ए-यारी तुरबत को भी  ताज बना
गौर  से  देखो  दरियाओं  ने  चाँद  डुबा कर  रक्खा है

कैसे   कहें   हम   तंगहाली  में, कैसे  मनेगी   दीवाली
फटा-पुराना  सूट था जिसको,  रफ़ू  करा कर रक्खा है

हम  देखेंगे  कब  तक शातिर,  ई. वी. एम  से  जीतेंगे
हमने भी इक तुरुप का पत्ता दिल में छुपा कर रक्खा है

हमको     'राहत'    देने    वाले    तेरे    वादे    झूठे   थे
तूने  सबको  अंग्रेज़ी   का,   फूल  बना  कर  रक्खा है

 ✍️ सुभाष रावत 'राहत बरेलवी'

मकान सँ० 41, तिरुपति विहार कॉलोनी, अंकुर नर्सिंग होम के पीछे, नेकपुर, बदायूँ रोड, बरेली-243001 (उत्तर प्रदेश)

मोबाइल फोन नंबर :- 09456988483/ 7017609930

ईमेल :-subhashrawat59@gmail.com

गुरुवार, 15 अक्तूबर 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार (वर्तमान में बरेली निवासी) सुभाष राहत बरेलवी की लघुकथा ----बदलते रिश्ते

   


 जुम्मन की पूरी ज़िंदगी कोठे पर कट गयी थी, वहीँ पैदा हुआ। कौन बाप मालूम नहीं, न कोई साथी रहा, न कोई  बना पाया, बस कोठे पर सारंगी बजाते बजाते उम्र के  59 वर्ष के पड़ाव पर पहुँच गया।  रंजना को अभी आये कुछ माह ही हुए थे, वह सूंदर तो थी ही, मगर उसके स्वर में जैसे माँ सरस्वती का वास था । संगीत की विधिवत शिक्षा न होने पर भी  वह अभूतपूर्व आवाज़ की धनी थी। ऊपर से जुम्मन की सारंगी के स्वर के साथ मिलकर ऐसा लगता था पूरा कोठा संगीत में झूम रहा हो। रंजना हमेशा ग़मज़दा गज़ले ही सुनाती थी और लोग वाह्ह वाह्ह करते हुए रुपए पैसे की बौछार करते जाते। एक गुरुवार को कोठे पर कोहराम मचा था कि 59 साल का बुड्ढा लड़की को भगा ले गया। चारों  तरफ खोज़ जारी रही लेकिन उन्हें ज़मीन निगल गयी या पाताल, पता न लगा । कुछ माह बाद रेडियो से 'आपकी आवाज' नामक  कार्यक्रम में कोई अपने मधुर स्वर में गा रहा था ~~~~अगर दिलवर की रुस्वाई हमें मंजूर हो जाये............. तभी कोठे पर सभी ने कहा ..........अरे ये तो.. ......रंजना की आवाज लग रही है ..........................और ..........दूसरी तरफ़

शायद............बदनाम हुआ रिश्ता................ पवित्र रिश्ता बन चुका था.................

✍️ सुभाष रावत , बरेली

मंगलवार, 6 अक्तूबर 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार (वर्तमान में बरेली निवासी) सुभाष रावत 'राहत बरेलवी' का गीत -----गुलमोहर सी तरुणाई, छलके यौवन में ! भरती है आवेश अनल सी, यह तन-मन में !!

 


गुलमोहर   सी  तरुणाई,   छलके  यौवन  में !

भरती है आवेश अनल सी, यह  तन-मन  में !!


खिले कंवल के आकर्षण सी कोमल काया ,

स्पर्श   पवन  ने  उसे   किया,  तो  मदमाया !

इस  सुख  की अनुभूति  करा दो  जीवन  में ,

गुलमोहर   सी  तरुणाई,   छलके  यौवन  में !

भरती है आवेश अनल सी, यह  तन-मन  में !!


चंचल    चितवन   देख    जिया   हर्षाता  है ,

नयन  बाण   से   उर  पंछी   बिंध  जाता  है !

स्वर  पीड़ा  के  दिये  सुनाई  मन-क्रन्दन  में ,

गुलमोहर   सी  तरुणाई,   छलके  यौवन  में !

भरती है आवेश अनल सी, यह  तन-मन  में !


प्रेम - दृष्टि तुम तनिक  अकिंचन पर कर दो ,

अन्तस  ग्रीवा  प्रेम - सुधा   से  तर  कर  दो !

ज्यों  भ्रमर  करे  प्रेम, कली  से  मधुबन  में ,

गुलमोहर   सी  तरुणाई,   छलके  यौवन  में !

भरती है आवेश अनल सी, यह  तन-मन  में !!


पीत   वसन   में   अंग - अंग   सिमटे   ऐसे ,

वृक्ष   तनों   पर   अमर  बेल   लिपटे   जैसे !

यों  मुझे  भी  ले  लो  हे  प्रिये  आलिंगन  में ,

गुलमोहर   सी  तरुणाई,   छलके  यौवन  में !

भरती है आवेश अनल सी, यह  तन-मन  में !!


सम्मोहन   के    मंत्र    तुम्हें    किसने   बाँटे ,

धरा - गगन   के    टूट    गये    सब   सन्नाटे !

केवल  तुम हो आते -जाते, मन - उपवन  में ,

गुलमोहर   सी  तरुणाई,   छलके  यौवन  में !

भरती है आवेश अनल सी, यह  तन-मन  में !!

 

✍️ सुभाष रावत 'राहत बरेलवी'

मकान सँ० 41, तिरुपति विहार कॉलोनी

अंकुर नर्सिंग होम के पीछे, नेकपुर, बदायूँ रोड, बरेली-243001 (उत्तर प्रदेश)

मोबाइल फोन नंबर :- 09456988483/ 7017609930

ईमेल :-subhashrawat59@gmail.com