गुरुवार, 12 दिसंबर 2019

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डॉ मनोज रस्तोगी
8, जीलाल स्ट्रीट
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर 9456687822
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बुधवार, 31 जुलाई 2019

मुरादाबाद में भी की थी महर्षि दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना

धार्मिक और सांस्कृतिक नव जागरण के अग्रदूत महर्षि दयानन्द सरस्वती ने मुरादाबाद प्रवास के दौरान न केवल अपनी ओजस्वी वाणी से वैदिक धर्म का प्रचार किया बल्कि पादरी पार्कर (इन्हीं के नाम पर यहां पार्कर इंटर कालेज है)से कई दिन तक लिखित शास्त्रार्थ भी किया था। यही नहीं उन्होंने यहां आर्य समाज की स्थापना भी की । आर्य संस्कृति के प्रचार- प्रसार में इस आर्य समाज का उल्लेखनीय योगदान रहा है । वर्तमान में यह मंडी बांस में संचालित हो रहा है । महर्षि दयानन्द सरस्वती का आगमन मुरादाबाद में दो बार हुआ था। दोनों ही बार वह यहां राजा जयकृष्ण दास की कोठी में ठहरे और धर्म प्रचार किया।पहली बार महर्षि सन 1876 में मुरादाबाद आये और राजा साहब की कोठी के चबूतरे पर कई दिन व्याख्यान दिये। इसी दौरान रैबरेंड डब्ल्यू पार्कर साहब से लगभग पंद्रह दिन महर्षि दयानंद जी का लिखित शास्त्रार्थ हुआ था। शास्त्रार्थ के अंतिम दिन सृष्टि कब उत्पन्न हुई पर विशद् चर्चा हुई। उन्होंने उस समय यहां आर्य समाज की शाखा भी स्थापित की थी ,परन्तु उनके चले जाने के बाद यह समाप्त हो गयी थी।
 सन 1879 में 20 जुलाई को विधिवत हुई आर्य समाज मुरादाबाद की स्थापना
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महर्षि दयानन्द सरस्वती जब दूसरी बार तीन जुलाई सन 1879 को मुरादाबाद आये । राजा जयकृष्ण दास की कोठी पर ही उन्होंने पुनः आर्य समाज की स्थापना के संदर्भ में चर्चा की । चर्चा के दौरान साहू श्यामसुंदर ब्रजरतन कोठीवाल ने आर्यसमाज मंदिर के लिए भवन देने का वचन दिया। इसपर महर्षि ने राजा जयकृष्ण दास की कोठी पर ही 20 जुलाई 1879 को आर्य समाज की स्थापना कर दी और मुंशी इंद्रमणि को प्रधान बना दिया । मुंशी इंद्रमणि अरबी,फ़ारसी के विद्वान होने के साथ साथ इस्लाम व ईसाई धर्म के प्रखर आलोचक थे । राजा जयकृष्ण दास के पुत्र कुंवर परमानंद और ठाकुर शंकर ंिसंह को मंत्री नियुक्त किया। कोषाध्यक्ष श्यामसुंदर जी और पुस्तकालयाध्यक्ष जगन्नाथ दास जी बनाये। इसके अतिरिक्त 38 सदस्य बनाए गए ।
मंडी बांस में निर्मित भवन में स्थापित हुआ आर्य समाज मंदिर
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आर्य समाज के गठन के पश्चात साहू श्यामसुंदर की कोठी में विधिवत साप्ताहिक सत्संग प्रारम्भ हो गया। मंडी बांस में आर्य समाज मंदिर का भवन जब सन 1881 में बनकर तैयार हो गया तो यहां नियमित रूप से साप्ताहिक सत्संग प्रारम्भ हो गया। इस भवन के ऊपरी कक्ष में सत्संग होता था। नीचे के कक्ष में बलदेव संस्कृत पाठशाला स्थापित की गई जो कालांतर में स्थानांतरित हो गई। इस भवन का जीर्णोद्धार सन 1952 में डॉ कृष्ण कुमार ने तथा सन1998 में डॉ हंसराज चोपड़ा ने कराया। वर्तमान में इसी भवन में स्त्री आर्य समाज का भी संचालन हो रहा है । 
 प्रांतीय आर्य प्रतिनिधि सभा का मुख्यालय भी था यहां
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 आर्य प्रतिनिधि सभा पश्चिमोत्तर प्रदेश (वर्तमान उत्तर प्रदेश) की स्थापना सन 1886 में हुई थी। प्रतिनिधि सभा का मुख्यालय भी सन उन्नीस सौ तक मुरादाबाद में ही रहा । यहीं से प्रांत की समस्त आर्य समाजों का संचालन किया जाता था। प्रतिनिधि सभा द्वारा सन1896 में उर्दू साप्ताहिक पत्र मुहर्रिक का प्रकाशन शुरू किया गया। इस पत्र के संपादक प्रतिनिधि सभा के तत्कालीन मंत्री मुंशी नारायण प्रसाद (महात्मा नारायण स्वामी ) थे। इसका प्रकाशन आर्य भास्कर प्रेस से होता था। लगभग 1 वर्ष बाद यही मुहर्रिक हिंदी साप्ताहिक आर्यमित्र नाम से प्रकाशित होने लगा। लगभग छह वर्ष तक इसका प्रकाशन मुरादाबाद से हुआ।
 धूमधाम से मनाया गया था आर्य समाज स्थापना शताब्दी समारोह
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 आर्य समाज (मंडी बांस) मुरादाबाद का चार दिवसीय शताब्दी समारोह सन 1979 में धूमधाम से मनाया गया था । 21 अक्टूबर को शोभा यात्रा निकाली गई थी तथा 22 से 24 अक्टूबर तक यज्ञ, भजन, प्रवचन का आयोजन किया गया था । समारोह की अध्यक्षता आर्य विद्वान व इतिहासवेत्ता स्वामी ओमानंद सरस्वती ने की थी। संयोजक मंडल में डॉ हंसराज चोपड़ा, कृष्णलाल अरोड़ा, वीरेंद्र नाथ, रामप्रसाद गुप्त, महेश चंद्र आर्य, विनय कुमार, ज्ञान प्रकाश थे। इस अवसर पर डॉ कृष्ण कुमार के संपादन में स्मारिका का भी प्रकाशन हुआ था ।
 प्रत्येक मंगलवार को होता है साप्ताहिक सत्संग
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 आर्य समाज मंडी बांस के प्रधान निर्मल आर्य बताते हैं कि यहां प्रत्येक मंगलवार को सुबह साप्ताहिक सत्संग आयोजित होता है। प्रत्येक वर्ष होली पर्व से पूर्व तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव तथा जुलाई में तीन दिवसीय स्थापना दिवस समारोह का आयोजन किया जाता है । इसके अतिरिक्त नवसम्वत्सर पर प्रभातफेरी निकाली जाती है जो मंडी चौक, अमरोहा गेट, कोतवाली, गंज गुरहट्टी, कोर्ट रोड, गुलजारीमल धर्मशाला रोड, बुध बाजार होते हुए स्टेशन रोड आर्य समाज पर समाप्त होती है।
 होम्यो चिकित्सालय व योग शिक्षा केंद्र भी हो रहा है संचालित
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 मंत्री आर्य मनोज कुमार रस्तौगी ने बताया कि आर्य समाज मंडी बांस द्वारा गुरु बिरजानंद धार्मिक होम्यो चिकित्सालय का संचालन किया जा रहा है, जिसमें होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ संदीप कुमार प्रतिदिन प्रातः व सायं रोगियों की चिकित्सा व औषधि वितरण करते हैं। समाज द्वारा योग शिक्षा केंद्र भी संचालित किया जा रहा है ,जिसमें उनके द्वारा प्रतिदिन सुबह योग कक्षा संचालित की जाती है। प्रत्येक वर्ष जून में बीस दिवसीय योग शिविर भी आयोजित किया जाता है।
 स्त्री आर्य समाज का भी होता है सत्संग
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स्त्री आर्य समाज की मंत्राणी प्रीता आर्य बताती हैं यहां प्रत्येक शनिवार को सायं स्त्री समाज की ओर से साप्ताहिक सत्संग होता है ,जिसमें यज्ञ, भजन, प्रवचन का आयोजन किया जाता है। तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव के अतिरिक्त मकर संक्रांति,होली व तीज पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं ।
 मनाया गया 141 वां स्थापना दिवस
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आर्य समाज मंडी बांस का तीन दिवसीय 141 वां स्थापना दिवस समारोह 20 से 22 जुलाई 2019 तक धूमधाम से मनाया गया ।प्रातः 7-30 से 11-00 बजे तक और सायं 5-00 से 8-30 बजे तक यज्ञ,भजन और प्रवचन आयोजित हुए । समारोह में बाराबंकी से आए वैदिक प्रवक्ता आचार्य सुरेश जोशी एवं भजनीक आचार्या रुक्मणि जोशी के व्याख्यान हुए।यज्ञ के ब्रह्मा आर्य पुरोहित पंडित ऋषिपाल शास्त्री रहे ।
 सत्यार्थ प्रकाश लिखने की प्रेरणा दी थी
राजा जय कृष्ण दास ने -
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 राजा जयकृष्ण दास की प्रेरणा से ही स्वामी दयानन्द सरस्वती ने सत्यार्थ प्रकाश की रचना आरंभ की। राजा साहब ने ही अनेक ग्रन्थ जर्मनी से मंगा कर स्वामी जी को दिये। यही नहीं सत्यार्थ प्रकाश का प्रथम प्रकाशन भी उन्होंने स्टार प्रेस काशी में कराया। सत्यार्थ प्रकाश के चौदहवें समुल्लास के संशोधन का गौरव भी मुरादाबाद के मुंशी इंद्रमणि को प्राप्त होता है। ::::::::::::::::प्रस्तुति::::::::::::





✍️डॉ मनोज रस्तोगी 8, जीलाल स्ट्रीट मुरादाबाद 244001 उत्तर प्रदेश,भारत मोबाइल फोन नंबर 9456687822

बुधवार, 19 जून 2019

मुरादाबाद की वरिष्ठ रंगकर्मी डॉ इंदिरा गुप्ता के निधन पर श्रद्धांजलि सभा -------------------------------------------
साहित्यिक संस्था 'अक्षरा' की ओर से सुप्रसिद्ध नवगीतकार माहेश्वर तिवारी जी के नवीन नगर स्थित आवास "हरसिंगार" पर 16 जून 2019 को एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया जिसमें मुरादाबाद की वरिष्ठ रंगकर्मी, शिक्षिका एवं रचनाकार डॉ इंदिरा गुप्ता के आकस्मिक निधन पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर उपस्थित वक्ताओं ने डा. इन्दिरा गुप्ता के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार से चर्चा की। वरिष्ठ साहित्यकार डा. माहेश्वर तिवारी ने इस अवसर पर कहा कि 'डा. इन्दिरा गुप्ता का निधन निश्चित रूप से मुरादाबाद के रंगमंच और साहित्य की बहुत बड़ी क्षति है। वह आकाशवाणी लखनऊ और रामपुर केन्द्र की एक महत्वपूर्ण तथा चर्चित नाटक कलाकार थी। उनकी संस्था 'मंजरी' की ओर से नाटक 'दिल की दुकान', 'माधवी', विष्णु प्रभाकर कृत 'युगे-युगे क्रांति' की प्रस्तुति काफी चर्चित रही।' साहित्यकार डा. मनोज रस्तोगी ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि 'झांसी में 23 अप्रैल, 1939 को जन्मी डा. इन्दिरा गुप्ता बचपन से ही लेखन से जुड़ी रहीं, उनकी एक काव्य कृति 'अंतर्ध्वनि' भी प्रकाशित हुई। इसके अतिरिक्त संगीत, रंगमंच और साहित्य के क्षेत्र में भी उनका उल्लेखनीय योगदान रहा। उन्होंने 1984 में नाट्य संस्था 'मंजरी' की स्थापना की जिसके माध्यम से अनेक नाटकों का सफल मंचन हुआ।' अन्त में उपस्थित साहित्यकारों द्वारा 2 मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। श्रद्धांजलि सभा में श्री अशोक विश्नोई, योगेन्द्र वर्मा 'व्योम', राजीव 'प्रखर', विशाखा तिवारी, हेमा तिवारी भट्ट, मोनिका शर्मा 'मासूम', डा. नीरू कपूर, आनंद वर्धन शर्मा, भाषा तिवारी आदि उपस्थित रहे।
डॉ मनोज रस्तोगी
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मंगलवार, 18 जून 2019

चौदह जून 2019 को आयोजित हुई राष्ट्र भाषा हिन्दी प्रचार समिति, मुरादाबाद की काव्य-गोष्ठी
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राष्ट्र भाषा हिन्दी प्रचार समिति, मुरादाबाद की मासिक काव्य-गोष्ठी, लाइन पार स्थित विश्नोई धर्मशाला में 14 जून 19 को आयोजित हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ ग़ज़लकार श्री ओंकार सिंह 'ओंकार' ने की। मुख्य अतिथि वरिष्ठ रचनाकार श्री अशोक विश्नोई एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ मीना कौल मंचासीन हुईं। माँ शारदे की वंदना एवं संचालन श्री अशोक 'विद्रोही' ने किया। उपस्थित रचनाकारों में शायर 'मुरादाबादी', राजीव 'प्रखर' रघुराज सिंह 'निश्चल', अशोक 'विद्रोही', मनोज 'मनु', डॉ राकेश 'चक्र', रामेश्वर वशिष्ठ, राम दत्त द्विवेदी, आर पी गहोई, रमेश गुप्त, शबाब 'मैनाठेरी', डॉ मनोज रस्तोगी, डॉ मीना कौल, अशोक विश्नोई एवं ओंकार सिंह 'ओंकार' ने अपनी रचनाओं/अभिव्यक्तियों के माध्यम से, विभिन्न सामाजिक विषयों पर प्रकाश डाला। संस्था के उपाध्यक्ष श्री रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ द्वारा आभार-अभिव्यक्त किया गया।
डॉ मनोज रस्तोगी
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गुरुवार, 13 जून 2019

मुरादाबाद के वरिष्ठ व्यंग्यकार श्री राजेश्वर प्रसाद गहोई को 'हस्ताक्षर साहित्यसेवी सम्मान'

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था 'हस्ताक्षर' के तत्वावधान में सात जून 20019 को महानगर के वरिष्ठ व्यंग्यकार राजेश्वर प्रसाद गहोई के आवास पर, सम्मान-अर्पण कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें श्री राजेश्वर प्रसाद गहोई को हिन्दी साहित्य में उल्लेखनीय रचना कर्म के लिए, मानपत्र, अंगवस्त्र, श्रीफल व प्रतीक चिह्न आदि भेंट कर 'हस्ताक्षर साहित्यसेवी सम्मान' से सम्मानित किया गया। उल्लेखनीय है कि संस्था द्वारा मुरादाबाद के अति वरिष्ठ साहित्यकारों को, उनके जन्मदिन पर उनके आवास पर जाकर सम्मानित किए जाने की श्रृंखला आरंभ की गई है जिसमें, सुप्रसिद्ध बाल साहित्यकार श्री शिव अवतार रस्तोगी 'सरस', श्री सुरेश दत्त शर्मा 'पथिक' एवं श्री एस० पी० सक्सेना 'सूर्य' को इससे पूर्व सम्मानित किया जा चुका है। कार्यक्रम की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध साहित्यकार माहेश्वर तिवारी ने की। मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ अजय अनुपम तथा विशिष्ट अतिथि श्री अशोक विश्नोई रहे। संस्था के सह-संयोजक राजीव 'प्रखर' ने सम्मानित रचनाकार  राजेश्वर प्रसाद गहोई के व्यक्तित्व व कृतित्व पर आधारित आलेख-वाचन एवं आभार अभिव्यक्ति की। संचालन संस्था के संयोजक योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने किया। इस अवसर पर उपस्थित साहित्यकारों ने श्री गहोई की रचना-धर्मिता एवं साहित्यिक समर्पण के संदर्भ में अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम में स्थानीय साहित्यकार डॉ मनोज रस्तोगी, डॉ पूनम बंसल, डॉ कृष्ण कुमार नाज़ आदि उपस्थित रहे।
  





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सोमवार, 3 जून 2019

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिंदी साहित्य संगम द्वारा दो जून 2019 को आयोजित काव्य-गोष्ठी ----

      मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम मुरादाबाद की दो जून 2019 को मिलन विहार स्थित सनातन धर्मशाला पर काव्य गोष्ठी आयोजित हुयी। अध्यक्षता वरिष्ठ रचनाकार श्री योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई ने की। मुख्य अतिथि श्री अशोक विश्नोई एवं विशिष्ट अतिथि के रुप में श्री ओंकार सिंह 'ओंकार' मंचासीन हुए। माँ शारदे की वंदना श्री राम सिंह 'नि:शंक' ने प्रस्तुत की तथा संचालन राजीव 'प्रखर' ने किया। आर० के० सैनी, आवरण अग्रवाल 'श्रेष्ठ', अशोक 'विद्रोही', मोनिका 'मासूम', हेमा तिवारी भट्ट, जितेन्द्र कुमार 'जौली', राजीव 'प्रखर', डॉ मनोज रस्तोगी, वीरेन्द्र सिंह 'ब्रजवासी', राम सिंह 'नि:शंक', राम दत्त द्विवेदी, रामेश्वर वशिष्ठ, ओंकार सिंह 'ओंकार', अशोक विश्नोई एवं योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई ने अपनी रचनाओं/अभिव्यक्ति के माध्यम से विभिन्न सामाजिक विषयों पर प्रकाश डाला। संस्था के अध्यक्ष श्री राम दत्त द्विवेदी ने आभार-अभिव्यक्त किया ।












गुरुवार, 23 मई 2019

हिन्दी साहित्य संगम, मुरादाबाद द्वारा काव्य-गोष्ठी का आयोजन
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 मुरादाबाद की प्राचीन संस्था हिन्दी साहित्य संगम की माह मई की काव्य-गोष्ठी रविवार 5 मई को मिलन विहार स्थित मिलन धर्मशाला पर आयोजित हुयी। अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ मीना कौल ने की। मुख्य अतिथि वरिष्ठ ग़ज़लकार श्री ओंकार सिंह 'ओंकार' एवं विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ रचनाकार श्री योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई मंचासीन रहे। माँ शारदे की वंदना डॉ मीना कौल ने प्रस्तुत की तथा कार्यक्रम का संचालन संयुक्त रूप से जितेन्द्र 'जौली' एवं राजीव 'प्रखर' द्वारा किया गया। नृपेन्द्र शर्मा, ए० के० आनंद, आवरण अग्रवाल 'श्रेष्ठ', जितेन्द्र 'जौली', हेमा तिवारी भट्ट, मोनिका 'मासूम', राजीव 'प्रखर', योगेन्द्र वर्मा 'व्योम', विकास 'मुरादाबादी', डॉ मनोज रस्तोगी, रमेश कुमार गुप्त, रामेश्वर वशिष्ठ, रामदत्त द्विवेदी, योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई, ओंकार सिंह 'ओंकार' एवं डॉ मीना कौल ने विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर आधारित रचनाएं प्रस्तुत कीं। श्री रामदत्त‌ द्विवेदी द्वारा आभार अभिव्यक्त किया गया।
 डॉ मनोज रस्तोगी
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बुधवार, 22 मई 2019

R राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति की काव्य-गोष्ठी ----------------------------------------------------- राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति मुरादाबाद की मासिक काव्य गोष्ठी 14 मई 2019 को लाइनपार स्थित विश्नोई धर्मशाला में आयोजित हुयी। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ रमेश यादव 'कृष्ण' ने की। मुख्य अतिथि श्री अशोक विश्नोई एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ एमपी बादल 'जायसी' मंचासीन हुए। माँ शारदे की वंदना श्री राम सिंह 'नि:शंक' ने प्रस्तुत की तथा संचालन राजीव 'प्रखर' ने किया। रचनाकारों मे राम सिंह 'नि:शंक', राजीव 'प्रखर', चिंतामणि शर्मा, आर० पी० गहोई, कृपाल सिंह धीमान, श्रीकृष्ण शुक्ल, डॉ मनोज रस्तोगी, रघुराज सिंह 'निश्चल', के पी 'सरल', रामवीर सिंह 'वीर', शिशुपाल 'मधुकर', रामेश्वर वशिष्ठ, रमेश गुप्त, शबाब 'मैनाठेरी', डॉ मीना कौल, डॉ प्रेमवती उपाध्याय, ओंकार सिंह 'ओंकार', सतीश 'फ़िगार', एमपी बादल 'जायसी', अशोक विश्नोई तथा डॉ रमेश यादव 'कृष्ण' ने विभिन्न सामाजिक विषयों पर अपनी रचनाओं/अभिव्यक्तियों के माध्यम से प्रकाश डाला। संस्था के संरक्षक श्री योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई ने आभार अभिव्यक्त किया । डॉ मनोज रस्तोगी 8,जीलाल स्ट्रीट मुरादाबाद 244001 उत्तर प्रदेश, भारत मोबाइल फोन नंबर 9456687822
रविवार 19 मई 2019 को आयोजित 150 वें वाट्स एप कवि सम्मेलन एवं मुशायरे में 51 साहित्यकारों ने लिया हिस्सा ---------------------------------- साथियों, मेरे द्वारा वाट्स ऍप पर संचालित समूह साहित्यिक मुरादाबाद में रविवार 10 जुलाई 2016 को एक अनूठा और अभिनव प्रयोग किया गया था-  वाट्स ऍप कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का  आयोजन । उसके बाद प्रत्येक रविवार को इसका आयोजन होता रहा । रविवार 19 मई 2019 को 150 वां आयोजन सम्पन्न हुआ। सोशल मीडिया पर  इस अनूठे आयोजन को सर्वत्र सराहना मिली यही नहीं हम से प्रेरित होकर  देश के विभिन्न शहरों में  कई साहित्यकारों ने भी इस तरह के आयोजन की शुरुआत की । प्रिंट मीडिया में भी इसकी चर्चा करते हुए इसे एक अभिनव प्रयोग बताया गया । देशभर में इस आयोजन ने अपनी एक विशिष्ट पहचान स्थापित कर ली है । इस आयोजन में  केवल मुरादाबाद मंडल के रचनाकार एक सादे कागज पर अपनी हस्तलिपि में रचना लिखते हैं, रचना के अंत में अपने हस्ताक्षर करके अपना नाम,पता और मोबाइल फोन नंबर लिखते हैं। कागज के एक कोने में अपना पासपोर्ट साइज फोटो लगाते हैं । इसका चित्र लेकर वह समूह में साझा करते हैं । बाद में माह के दूसरे रविवार को वीडियो/आडियो कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन होने लगा । 150 वें आयोजन में 51 रचनाकारों सर्वश्री ओंकार सिंह विवेक जी, राजीव प्रखर जी, नृपेंद्र शर्मा सागर जी, रवि प्रकाश जी, ऋचा पाठक जी, सूर्यकांत द्विवेदी जी, मुजाहिद चौधरी जी, मयंक शर्मा जी, डॉ ममता सिंह जी, डॉ इंदिरा गुप्ता जी, अमित कश्यप जी,डॉ कृष्ण कुमार नाज जी, दीपिका माहेश्वरी जी, जितेंद्र कमल आनन्द जी, मीनाक्षी ठाकुर जी, संतोष कुमार शुक्ल जी, डॉ रीता सिंह जी, श्रीकृष्ण शुक्ल जी, डॉ राकेश चक्र जी, डॉ अलका अग्रवाल जी, डॉ अर्चना गुप्ता जी, डॉ मीना नकवी जी, डॉ अंचल गुप्ता जी, मोनिका शर्मा मासूम जी, कंचन खन्ना जी, शिव अवतार रस्तोगी सरस जी, सुमित सिंह जी, कंचन लता पांडेय जी, अनवर कैफ़ी जी, योगेंद्र वर्मा व्योम जी, माहेश्वर तिवारी जी, डॉ अजय अनुपम जी, किरण बाला झा जी, अखिलेश वर्मा जी, आवरण अग्रवाल श्रेष्ठ जी, डॉ जगदीश शरण जी, मनोरमा शर्मा जी, शिशुपाल सिंह मधुकर जी, कमाल जैदी जी, हेमा तिवारी भट्ट जी, मंगलेश लता यादव जी, प्रदीप शर्मा जी, वहाजुल हक काशिफ जी, अमितोष शर्मा जी, मंसूर उस्मानी जी, आरिफा मसूद जी, डॉ मुजाहिद फराज जी, शशि त्यागी जी, निवेदिता सक्सेना जी  और मैंने अपनी रचनाएं साझा की  । सभी की रचनाएं सराहनीय रहीं । डॉ मनोज रस्तोगी 8,  जीलाल स्ट्रीट मुरादाबाद 244001 उत्तर प्रदेश, भारत मोबाइल फोन नंबर 94566 87822 जिंदाबाद जिंदाबाद साहित्यिक मुरादाबाद जिंदाबाद

मंगलवार, 21 मई 2019

तमाशा जन्मदिन का

लोग आये
उन्होंने
मोमबत्तियां बुझाईं
केक काटा
तालियां बजाईँ
और
नारे उछाले
“हैप्पी बर्थ डे टू यू ”
फिर उन्होंने
बच्चे को देखा
उसके मम्मी -डैडी को देखा
एक अर्थभरी
मुस्कान फैंकी
और
बच्चे के हाथ में
पकड़ा दिया एक
वज़नी लिफाफा
और बढ़ते गये
खाने की टेबिल की ओर
देर रात तक
यह सिलसिला
चलता रहा
और बच्चा
टुकुर टुकुर देखता रहा
मम्मी डैडी को
लिफाफों को
और लोगों की
मुस्कान को
देखते देखते
यह तमाशा
अपने जन्मदिन का
जब थक गया बच्चा
तब, सबकी नजर बचा
एक बूढ़ी नौकरानी आई
उसने
सिर्फ उसके सिर पर
प्यार भरा हाथ फेरा
और
मुस्कराई
अब बच्चा
टुकुर टुकुर नहीं देख रहा था
खिलखिला रहा था

 डा. मनोज रस्तोगी
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रविवार, 14 अप्रैल 2019

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था 'हस्ताक्षर' द्वारा 13 अप्रैल 2019 को किया गया लघु-कथा गोष्ठी का आयोजन

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था 'हस्ताक्षर' की ओर से एक लघु-कथा गोष्ठी 13 अप्रैल 2019 को विश्नोई धर्मशाला, लाइनपार पर आयोजित की गयी। गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ अजय 'अनुपम' ने की। मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार  अशोक विश्नोई एवं विशिष्ट अतिथि  शिशुपाल 'मधुकर' रहे। 

       हेमा तिवारी भट्ट द्वारा प्रस्तुत माँ सरस्वती की वंदना से आरंभ हुई इस गोष्ठी में उपस्थित रचनाकारों द्वारा, भिन्न-भिन्न संदर्भों एवं परिवेशों पर आधारित लघुकथाएं प्रस्तुत की गयीं। डॉ अजय 'अनुपम' द्वारा 'पत्थर' शीर्षक से,  अशोक विश्नोई द्वारा 'ममता', 'अपनापन' एवं 'इन्सान तो हूँ' शीर्षकों से, शिशुपाल 'मधुकर' द्वारा 'प्यास' एवं 'कातर दृष्टि' शीर्षकों से, हेमा तिवारी भट्ट द्वारा, 'कंजिका पूजन' एवं 'पापा रोते नहीं हैं' शीर्षकों से, राजीव 'प्रखर' द्वारा 'सभ्य' एवं 'भिखारी' शीर्षकों से, अंकित गुप्ता 'अंक' द्वारा 'नारी सशक्तिकरण' एवं 'मोबाइल' शीर्षकों से,  डॉ मनोज रस्तोगी द्वारा 'पाँच सौ के सोलह नोट' एवं 'शान्ति भंग' शीर्षकों से, योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' द्वारा 'कीटाणु' एवं 'फेसबुक' शीर्षकों से लघु कथाएं प्रस्तुत की गयीं।  संचालन राजीव 'प्रखर' ने किया तथा आभार अभिव्यक्ति योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' द्वारा की गयी। कार्यक्रम में नकुल त्यागी, राम सिंह 'नि:शंक', योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई आदि भी उपस्थित रहे। 










रविवार, 6 जनवरी 2019

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष पुष्पेंद्र वर्णवाल के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर केंद्रित डॉ मनोज रस्तोगी का आलेख

 




प्रख्यात साहित्यकार, इतिहासकार एवं पुरातत्ववेत्ता  पुष्पेंद्र वर्णवाल का जन्म मुरादाबाद नगर के नबावपुरा मोहल्ले में 4 नवंबर 1946 को हुआ था ।  

         तीन भाइयों एवं दो बहनों में सबसे बड़े पुष्पेंद्र वर्णवाल का वास्तविक नाम उमेश पाल वर्णवाल था ।आपके पिता नेत्र पाल एवं माता जी शांति देवी के व्यक्तित्व का आप पर पूरा प्रभाव पड़ा। आपने अपने पिताजी से ही छंद और गति पर अधिकार प्राप्त कर दिया था। विद्यार्थी जीवन काल में सन 1966 में पुस्तकालय विज्ञान में प्रमाण पत्र परीक्षा उत्तीर्ण कर कुछ समय उपरांत उत्तर प्रदेश पुस्तकालय संघ की मुरादाबाद शाखा के सचिव पद पर 1974 से 1976 ईस्वी तक रहे। नियमित अध्ययन करते हुए आगरा विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में 1972 ईस्वी में स्नातकोत्तर परीक्षा उत्तीर्ण की ।इसी बीच 25 जून 1972 को मृदुला गुप्ता से परिणय हुआ किंतु संयुक्त परिवार में आस्थावान, स्वभाव से फक्कड़, अपने ही ढंग से जीने की अलमस्त शैली वाले कवि का साथ न दे पाने के कारण विवाह के तुरंत बाद ही पत्नी का आपसे संबंध विच्छेद हो गया ।श्री वर्णवाल कुछ समय उत्तरकाशी में प्राध्यापक भी रहे । आप यहां नगर निगम में कार्यरत भी रहे ।परंतु स्पष्टवादिता और सत्य के प्रतिपादन में अपने स्वाभिमान को भी बनाए रखने की हठ में इनका किसी भी नौकरी में निर्वाह नहीं हो पाया और आपने नगर निगम की नौकरी से इस्तीफा दे दिया। विद्यार्थी काल से ही आपकी रुचि लेखन के प्रति हो गई थी ।आपकी रचनाएं वर्ष 1965 में पहली बार दिल्ली से प्रकाशित सैलानी पत्र में प्रकाशित हुई ।उसके पश्चात प्रदेश पत्रिका, दैनिक भास्कर,नव सत्यम, वीर अर्जुन आदि पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं ।
        श्री पुष्पेंद्र वर्णवाल की कृतियों में  मुक्तक संग्रह- रिमझिम,  लघु काव्य -  अभीक, ऋषि, खण्डकाव्य - शब्द मौन , विराधोद्धार, प्रबंध काव्य - उत्पविता, सिंधु विजय, गीत- विगीत संग्रह- प्रणय दीर्घा, प्रणय योग, प्रणय बंध, प्रणय प्रतीति,  प्रणय परिधि, प्रणय पर्व, नाट्य वार्तिक- बीज और बंजर जमीन, कविता संग्रह - अबला,इतिहास- ब्रज यान की आधार भूमि, समीक्षा- विजय पताका एक विहंगम दृष्टि ,निबंधकार महामोपाध्याय पंडित रघुवर आचार्य ,  उपन्यास - रामानन्द बाल विरद उल्लेखनीय हैं।  
    आपकी मुरादाबाद के शिक्षण संस्थान, मुरादाबाद के पूजा स्थान और बलि विज्ञान नामक तीन कृतियों का जापानी भाषा में अनुवाद ओसाका(जापान) निवासी प्रसिद्ध हिंदीविद डॉ कात्सुरा  कोगा द्वारा किया जा चुका है ।इसके अतिरिक्त आपकी कृति विरोधोद्धार का डॉ भूपति शर्मा जोशी द्वारा संस्कृत और शब्द मौन का ऋषिकांत शर्मा द्वारा अंग्रेजी में अनुवाद हो चुका है । आपकी कुछ कहानियों व लघुकथाओं का गुजराती व पंजाबी भाषा में भी अनुवाद हुआ है । मुरादाबाद जनपद के इतिहास के संबंध में उनके खोजपूर्ण लेख अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए ।
        आपके कृतित्व पर शोध प्रबंध - प्रणय मूल्यों की अभिव्यक्ति :नूतन शिल्प विधान (पुष्पेंद्र वर्णवाल के काव्य लोक में) -जय प्रकाश तिवारी 'जेपेश', पुष्पेंद्र वर्णवाल के विगीत-एक तात्विक विवेचन -डॉ कृष्ण गोपाल मिश्र, कवि पुष्पेंद्र वर्णवाल और उनका साहित्य - डॉ एस पी शर्मा,  विगीत और प्रेयस- डॉ छोटे लाल शर्मा नागेंद्र प्रकाशित हो चुके हैं । 

     आपका पत्रकारिता के क्षेत्र में भी एक उल्लेखनीय योगदान रहा ।आपने प्रदेश पत्रिका का संपादन, चित्रक साप्ताहिक का समाचार संपादन किया तथा सिने पायल, फिल्मी जागृति , सागर तरंग के प्रबंध संपादक रहे ।

       पुष्पेन्द्र वर्णवाल जी को साहित्य के क्षेत्र में विशेष उल्लेखनीय योगदान के लिए समय- समय पर भारत की साहित्यिक संस्थाओं द्वारा विविध उपाधियों, अलंकरणों और सम्मानों द्वारा विभूषित भी किया गया है जिनका विवरण इस प्रकार है-- विश्व हिन्दू सम्मेलन काठमाण्डू नेपाल द्वारा 'साहित्यालंकार' सम्मान (1982), साहू शिव-शक्तिशरण कोठीवाल स्मारक समिति, मुरादाबाद द्वारा साहित्य सम्मान' (1988), हैदराबाद हिन्दी अकादमी, आन्ध्र प्रदेश द्वारा साहित्य सम्मान' (1992), जगद्गुरु रामानन्दाचार्य पीठ, अहमदाबाद (गुजरात) द्वारा साहित्य सम्मान' (1994), सृजन (साहित्यिक - सांस्कृतिक-संस्था), उत्तरकाशी (उत्तराखण्ड) द्वारा साहित्य सम्मान' (2004), हिन्दी साहित्य संगम, मुरादाबाद (उ.प्र.) द्वारा 'साहित्य श्री सम्मान' (2005), राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति मुरादाबाद (उ.प्र.) द्वारा साहित्य गौरव सम्मान (2006), श्री पुष्पेन्द्र वर्णवाल हीरक जयन्ती अभिनन्दन समिति द्वारा हीरक जयन्ती सम्मान (2006), रूहेलखण्ड साहित्य-साधना संस्था, बरेली द्वारा सृजन सम्मान' (2009), अखिल भारतीय साहित्य कला मंच, मेरठ (उ.प्र.) द्वारा 'साहित्य भूषण सम्मान' (2012), अन्तर्राष्ट्रीय साहित्य कला मंच, मुरादाबाद (उ.प्र.) द्वारा काठमाण्डू (नेपाल) में 'साहित्य श्री सम्मान' (2013), अन्तर्राष्ट्रीय साहित्य संगम, सम्भल (उ.प्र.) द्वारा साहित्य - वैभव सम्मान' ( 2018 ) ।
     विभिन्न संस्थाओं के अध्यक्ष और पदाधिकारी भी रहे। वाट्स एप पर संचालित समूह साहित्यिक मुरादाबाद  के वह वरिष्ठ सदस्य थे ।
4 जनवरी 2019 को उन्होंने मुरादाबाद में यह नश्वर देह त्याग दी ।


✍️ डॉ मनोज रस्तोगी
8, जीलाल स्ट्रीट
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नम्बर 9456687822

Sahityikmoradabad.blogspot.com
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मंगलवार, 1 जनवरी 2019

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष डॉ भूपति शर्मा जोशी पर केंद्रित डॉ मनोज रस्तोगी का आलेख

 




डॉ भूपति शर्मा जोशी का जन्म तहसील अमरोहा के ग्राम सरकड़ा कमाल में मार्गशीर्ष शुक्ल तृतीया तदनुसार *13 दिसंबर 1920* को सोमवार के दिन हुआ था। आपके पिता का नाम तेजो राम शर्मा तथा माता का नाम रिसालो देवी था। उनके पूर्वज महाराष्ट्र में कोंकण क्षेत्र के निवासी थे। कालांतर में आपके पितामह नंदराम के पितामह  पंजाब होकर मुरादाबाद जनपद में आ बसे थे। 

       डॉ जोशी की प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में हुई। वर्ष 1932 में अमरोहा के तहसीली स्कूल में प्रवेश लिया। वर्ष 1935 में हिंदी और वर्ष 1936 में उर्दू मिडिल की परीक्षा उत्तीर्ण की। वर्ष 1944 तक विशेष योग्यता के साथ हिंदी प्रभाकर (ऑनर्स), साहित्य रत्न एवं संस्कृत साहित्य शास्त्री परीक्षाएं उत्तीर्ण की और धामपुर (जनपद बिजनौर स्थित के एम इंटर कॉलेज में हिंदी शिक्षक के रूप में नियुक्त हो गए। अध्यापन कार्य के दौरान उच्च अध्ययन के प्रति आप की ललक निरंतर बनी रही। वर्ष 1950 में साहित्याचार्य,  वर्ष 1955 में स्नातकोत्तर हिंदी और वर्ष 1958 में स्नातकोत्तर संस्कृत की परीक्षाएं उत्तीर्ण की । इसी मध्य आपका विवाह फतेहपुर विश्नोई निवासिनी लीलावती से हो गया। कुछ समय बाद पत्नी का अस्वस्थता के कारण असामयिक निधन हो गया। दूसरा विवाह अमरोहा निवासी मोहन लाल शर्मा की सुपुत्री मनोरमा जोशी से हुआ। 

       वर्ष 1957 में आपको केंद्रीय गृह मंत्रालय (वर्तमान में राजभाषा विभाग) की हिंदी शिक्षण योजना के अंतर्गत प्राध्यापक के रूप में कोचीन (केरल प्रदेश) में जाकर सरकारी कर्मचारियों को हिंदी सिखाने का सुअवसर प्राप्त हुआ। इस योजना के अंतर्गत आपने लगभग 20 वर्षों 1978 तक अहिंदी भाषी प्रांतों में हिंदी की अलख जगाई। सेवाकाल के दौरान ही उन्होंने बंगला, असमिया और मलयालम भाषाओं का ज्ञान प्राप्त कर लिया। इसके अलावा उन्हें फारसी भाषा का भी ज्ञान था। वर्ष 1968 में उन्होंने विविध भाषा मर्मज्ञ डॉ रमानाथ त्रिपाठी के निर्देशन में शोध कार्य पूर्ण किया ,जिसका विषय था- *फारसी भाषा से हिंदी में आगत शब्दों का भाषा शास्त्रीय अध्ययन* । 

      साहित्य सर्जन के नवांकुर तो आपके भीतर बाल्यकाल से ही प्रस्फुटित होने लगे थे। आप जब कक्षा 6 के विद्यार्थी थे तो आपने पहली कविता *बालचर* शीर्षक से लिखी थी। धामपुर में सेवाकाल के दौरान विद्यालय के प्रधानाचार्य और वीर रस के कवि पंडित अनूप शर्मा ने उनकी प्रतिभा को पहचान कर उन्हें प्रोत्साहित किया। उन्हीं से प्रेरित होकर उन्होंने 68 छंदों की एक काव्य रचना *प्रोत्साहन* का प्रणयन किया। ( यह रचना 1960 में केरल प्रवास के दौरान केरल भारती पत्रिका में प्रकाशित भी हुई।)   उसके बाद तो उनकी लेखनी रुकी ही नहीं।केरल प्रवास के दौरान उनकी काव्य प्रतिभा को नए आयाम मिले। उन्होंने हिंदी के साथ-साथ संस्कृत भाषा में भी गीतों और छंदों की रचना की । इसके अतिरिक्त बंगला भाषा के पद्य नाटक *मीराबाई* और असमिया के उपन्यास *सपोन जोतिया मांगे* का हिंदी में अनुवाद किया। मलयालम की अनेक कविताओं का भी पद्यानुवाद किया। मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृति शेष पुष्पेंद्र वर्णवाल के खंडकाव्य *विराधोद्धार* का संस्कृत भाषा में रूपांतर भी किया। दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि उनका संपूर्ण साहित्य अप्रकाशित है । 

अपने अनेक देशों में हिंदी व सनातन धर्म का प्रचार प्रसार भी किया। आपके अनुज ज्योतिषाचार्य पंडित डाल चंद शास्त्री महर्षि महेश योगी के सलाहकार थे। वर्ष 1955 में ममतामयी मां रिसालो देवी के निधन के उपरांत वह अपने अनुज के माध्यम से महर्षि महेश योगी के संपर्क में आये और पेरु, चिली, पनामा, मैक्सिको, हॉलैंड, कोलंबिया, जर्मनी, यूएसए आदि देशों में हिंदी व सनातन धर्म का प्रचार प्रसार किया।

     आपको महानगर की विभिन्न संस्थाओं साहू शिव शक्ति शरण कोठीवाल स्मारक समिति, राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति, ब्राह्मण महासभा, मानसरोवर कन्या इंटर कालेज द्वारा सम्मानित भी किया गया ।

 आप का निधन 15 जून 2009 को गांधीनगर,मुरादाबाद स्थित आवास पर हुआ।

::::;;प्रस्तुति ::::::

डॉ मनोज रस्तोगी

8,जीलाल स्ट्रीट

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल फोन नम्बर 9456687822