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शनिवार, 17 फ़रवरी 2024

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति ने बसंत पंचमी बुधवार 14 फरवरी 2024 को आयोजित की काव्य- गोष्ठी

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति की ओर से बसंत पंचमी बुधवार 14 फरवरी 2024 को काव्य-गोष्ठी का आयोजन योगेन्द्र पाल विश्नोई  के लाइनपार स्थित आवास पर किया गया। 

    कवयित्री रश्मि चौधरी द्वारा प्रस्तुत माॅं सरस्वती की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए रामदत्त द्विवेदी ने कहा ....

फॅंस रहा अज्ञान के अंधकार में, 

फिर रहा हूॅं मैं दिशा भटका हुआ संसार में,

 ज्ञान का दीपक दिखाओ, प्यारी माॅं! 

मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. महेश दिवाकर ने भाषा-सम्मान के प्रति अभिव्यक्ति की - 

घोर दासता में डूबा है, भारत मत बर्बाद करो। 

छोड़ विधर्मी भाषाओं को, तन-मन को आजाद करो।।

 विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. राकेश चक्र ने भारत की उपलब्धियों को प्रणाम किया - 

भारत है ये नया देश का नभ, भू पर सम्मान बढ़ा  है। 

चन्द्रयान पहुॅंचाया शशि पर फहराए ध्वज मान बढ़ा है। 

 कार्यक्रम का संचालन करते हुए राजीव प्रखर ने अपने इन वसंती दोहों से सभी को इस पर्व के उल्लास में डुबोया - 

देखी नटखट भ्रमर की, जब कलियों से प्रीत। 

चुपके-चुपके लेखनी, लगी चुराने गीत।। 

आहत बरसों से पड़ा, रंगों में अनुराग।  

आओ टेसू लौट कर, बुला रहा है फाग।।

 संयोजक योगेन्द्र पाल विश्नोई  की पंक्तियों ने प्रेम को अभिव्यक्ति दी - 

प्यार की कल्पना ही करो मित्रवर,

 प्यार की गंध मौसम में घुल जायेगी। 

कवि रघुराज सिंह निश्चल की पंक्तियों ने भी वसंत का सुंदर चित्र खींचा - 

आ गए ऋतुराज प्यारे आ गए हैं। 

सबकी ऑंखों के दुलारे आ गए हैं।

कवि राम सिंह निशंक ने महर्षि दयानंद के प्रति अपने उद्गार व्यक्त किये - 

दयानंद धरा पर जो आए न होते। 

वेदों के मंत्र हमने गाए न होते। 

वरिष्ठ रचनाकार डॉ. मनोज रस्तोगी ने जाड़े की धूप का चित्र कुछ इस प्रकार खींचा - 

सूरज की पहली किरण, 

उतरी जब छज्जे पर, 

ऑंगन का सूनापन उजलाया। 

इसी क्रम में सुप्रसिद्ध नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा व्योम के मनभावन वसंती दोहे भी सभी के हृदय को स्पर्श कर गए। आपने कहा - 

खुश हो कहा वसंत ने, देख धरा का रूप। 

ठिठुरन के दिन जा चुके, जिओ गुनगुनी धूप।। 

महकी धरती देखकर, पहने अर्थ तमाम। 

पीली सरसों ने लिखा, ख़त वसंत के नाम।।

वहीं वरिष्ठ कवि मनोज मनु ने माॅं शारदे का अभिनंदन करते हुए कहा -

 हे! गरिमा मयी  ज्ञान दायिनी , 

दिव्य ज्ञान व्यवहारित कर दो। 

हे !सरस्वती .. हे! स्वर वरदा, 

वाणी  मेरी  सुभाषित कर दो। 

कवयित्री रश्मि चौधरी की अभिव्यक्ति थी - 

तुम्हारे चरणों में आकर माॅं कुछ बात बन जाए। 

तुम्हारा आशीष मेरे लिए सौगात बन जाए। 

कार्यक्रम के अंत में उपस्थित रचनाकारों द्वारा वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. कृष्ण कुमार बेदिल (मेरठ) एवं श्री एम. पी. कमल (पंवासा) के निधन पर शोक व्यक्त किया गया तथा दो मिनट का मौन रखते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम में रविन्द्र विश्नोई, सुरेंद्र आर्य, रमेश गुप्त आदि साहित्य प्रेमी भी उपस्थित रहे।





































सोमवार, 14 अगस्त 2023

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति की ओर से 14 अगस्त 2023 को काव्य गोष्ठी का आयोजन

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति की ओर से 14 अगस्त 2023 को काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया । सरस्वती वंदना राम सिंह निशंक एवं संचालन अशोक विद्रोही ने किया । 

अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ ने कहा ....

आज प्रातः की मधुबेला में सकल मन हरषाया।  

एक बरस के बाद यह शुभ 15 अगस्त आया। 

मुख्य अतिथि रघुराज सिंह निश्चल ने कहा ....

दुनिया भर में घूम लो सारा जग लो छान । 

सबसे अच्छा देश है अपना हिंदुस्तान। 

विशिष्ठ अतिथि के पी सिंह सरल ने कहा ....

गिद्ध सर्प अरु नेवले करें अनोखा मेल। 

खेल रहे मिल बैठकर तरह-तरह के खेल।।

 योगेंद्र पाल सिंह विश्नोई ने कहा ......

हम तुलसी कबीर के जाये सिया राम मय सब जग जानी,

ढाई आखर में ही पढ़ली हमने सारी राम कहानी। 

अशोक विद्रोही ने कहा- 

वो जान देके भी हमें जीना सिखा गए। 

रंग दे बसंती चोला अमर गीत गा गए।

 सुखदेव भगत राजगुरु चूम के फंदे 

मां भारती की आरती में सिर चढा गए ।

राम सिंह निशंक ने कहा 

स्वर्ग से बढ़कर धरती अपनी 

छवि इसकी अभिराम है । 

सष्य श्यामला धरती इसकी 

कण-कण में भगवान है । 

डॉ मनोज रस्तोगी ने कहा ....

हम देश के हर फैसले पर 

ऐतराज जताते हैं 

और तो और 

अपनी ही हार पर  

जश्न मनाते हैं । 

वीरेंद्र सिंह बृजवासी ने पढा .....

ज्ञानी तुम हो,ज्ञाता तुम हो अपने भाग्य विधाता तुम हो।

 जिसकी पूजा करते हो तुम उसके भी निर्माता तुम हो। 

राजीव प्रखर ने कहा......

अम्मा ऑंसू भूलकर, करती है ऐलान।

तारा मेरी ऑंख का, माटी पर क़ुर्बान।

ओंकार सिंह ओंकार ने कहा....

तीन रंगों से है बना, दिया तिरंगा नाम । 

झंडा हिंदुस्तान का अद्भुत इसके काम। 

 विवेक निर्मल ने कहा....

शहरों की आपाधापी से मन ऊबा तब यह सोचा काश हमारा भी एक छोटा सा घर होता गांव में।  

कृपाल सिंह धीमान ने कहा .... 

सूखे में जवां होंगे लू में मुस्कुराएंगे 

हम देश के गुलशन में वह फूल खिलाएंगे 

 नकुल त्यागी का कहना था .....

 मेरा भारत महान देश जो बंटना था बंट चुका 

अब और नहीं बंटेगा। 





























::::::प्रस्तुति:::::

अशोक विद्रोही 

उपाध्यक्ष 

राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति