साहित्यकार अशोक विश्नोई के सम्मान में 8, जीलाल स्ट्रीट स्थित साहित्यिक मुरादाबाद शोधालय में शुक्रवार 29 मार्च 2024 को साहित्यकार मिलन गोष्ठी का आयोजन किया गया। साहित्यकारों ने शोधालय में संरक्षित मुरादाबाद के दुर्लभ साहित्य, पांडुलिपियों, प्राचीन पत्र–पत्रिकाओं और स्मारिकाओं का अवलोकन किया। उन्होंने कहा कि मुरादाबाद की साहित्यिक विरासत को संजोने में यह न केवल एक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रहा है बल्कि शोधार्थियों के लिए उपयोगी केंद्र सिद्ध हो रहा है।
इस अवसर पर हेमा तिवारी भट्ट द्वारा प्रस्तुत मां सरस्वती वंदना से आरंभ काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार वीरेंद्र सिंह बृजवासी ने कई गीत प्रस्तुत कर मंत्र मुग्ध कर दिया । उन्होंने कहा ....
होली का हर रंग मुबारक, इक दूजे के संग मुबारक,
जीवन भर हँसने-गाने का, ऐसा सुंदर ढंग मुबारक
रंगों की बौछार मुबारक, सदा बरसता प्यार मुबारक,
रंग, अबीर, गुलाल महकता, सबको यह त्यौहार मुबारक।
मुख्य अतिथि अशोक विश्नोई ने गीत के माध्यम से जीवन संघर्षों को कुछ इस तरह उकेरा ...
थका- थका सा जीवन अपना,
बोझ बहुत है भारी।
चलते- चलते पाँव थके हैं,
आधी मिली न सारी।
पल - पल मरता- जीता रहता,
दिल मे चुभती पिन ।।
संचालन करते हुए शोधालय के संस्थापक डॉ मनोज रस्तोगी ने चुनावी माहौल पर कहा ...
जैसे तैसे बीत गए पांच साल रे भैया
फिर लगा बिछने वादों का जाल रे भैया
सोच समझकर इस बार करना तुम मतदान
बाद में न करना पड़ जाए मलाल रे भैया
हास्य व्यंग्य के चर्चित कवि फक्कड़ मुरादाबादी ने कहा ....
आदमी में किस तरह विष भर गया है
विषधरों का वंश भी अब डर गया है
कल सुनोगे आदमी के काटने से
कोई सांप रास्ते में मर गया है
योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने चुनावी दोहे प्रस्तुत किए.….
आज़ादी के बाद का, बता रहा इतिहास।
सिर्फ चुनावों के समय, वोटर होता खास।।
युवा साहित्यकार राजीव प्रखर का कहना था ......
थोड़ी सी हमको हिचक हुई, थोड़ा सा वो भी शर्माए।
दोनों के तपते अन्तस में, उल्लास भरे घन घिर आये।
छेड़ी कोयल ने स्वर-लहरी, पाया लेखन ने नवजीवन,
भावों के पुष्पों पर जब से, शब्दों के मधुकर मॅंडराए।
हेमा तिवारी भट्ट ने दोहे के माध्यम से संदेश दिया ....
हंसी ठिठौली नेह की,भरती सारे घाव।
हास और परिहास का, बना रहें सद्भाव।।
लौट शिशिर घर को चला,माघ समेटे ठाट।
फागुन के हत्थे लगी,फिर वासंती हाट।।
युवा शायर फरहत अली खां का कहना था ....
चलो झगड़े पुराने ख़त्म कर लें
नए पौधे पनपना चाहते हैं
पुराने दोस्त मिल बैठे हैं 'फ़रहत'
कोई क़िस्सा पुराना चाहते हैं
दुष्यंत बाबा ने हास्य की फुलझड़ी छोड़ते हुए कहा ...
गुजिया खाकर मेढकी मले पेट पर हींग
गधे आंदोलन कर रहे हम लेकर रहेंगे सींग
राशिद हुसैन ने आह्वान किया ....
बहुत जरूरी एक काम करें हम चलो मतदान करें।
लोकतंत्र की मजबूती के लिए अपना भी योगदान करें।।
गोष्ठी में ओम प्रकाश रस्तोगी, मालती रस्तोगी, गिरीश चंद्र भट्ट उपस्थित रहे । आभार शिखा रस्तोगी ने व्यक्त किया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें