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गुरुवार, 24 जून 2021
रविवार, 20 जून 2021
मुरादाबाद मंडल के धामपुर (जनपद बिजनौर) की साहित्यकार चन्द्रकला भगीरथी की रचना ----
पिता से बढ़कर दुनिया में ना है कोई ओर
जुबां पर आज दिल की बात आ गई।
पिता ही घर परिवार चलाते
पिता सारी जिम्मेदारी निभाते
पिता ही है घर के सरदार
इनसे बढकर ना कोई ओर
जुबां पर आज दिल की बात आ गई।।
पिता एक वृक्ष की तरह है
जो मजबूती से टिके रहते
बिना स्वार्थ के सबका
पालन पोषण करतें
पिता ही है घर के आधार
इनसे बढकर न कोई ओर
जुबां पर आज दिल की बात आ गई।।
दुख सारे खुद वो सहते
खुशियां सबको देते रहते
पल भर में सबके जज्बात समझते
ऐसे हैं वो प्राणाधार
इनसे बढकर न कोई ओर
जुबां पर आज दिल की बात आ गई।।
पिता से बढ़कर दुनिया में है ना कोई ओर
जुबां पर आज दिल की बात आ गई।।
✍️ चन्द्रकला भागीरथी, धामपुर जिला बिजनौर
शुक्रवार, 18 जून 2021
मुरादाबाद मंडल के धामपुर (जनपद बिजनौर) की साहित्यकार चन्द्रकला भागीरथी की लघुकथा ----प्रतिकार
शीला डिग्री कालेज में पढ़ाती है। हिंदी दिवस आने वाला था। शीला से सीनियर रेणुका मैम थी। रेणुका मैम ने कहा, शीला तुम इस बार हिन्दी दिवस पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम का संचालन करना, क्योंकि मेरी अभी कुछ दिन पहले ही आंखों का आप्रेशन हुआ है, तो मैं इस बार संचालन नहीं कर पाऊँगी। शीला ने कहा- ठीक है मैम। शीला तैयारियों में जुट गई। सारी छात्राओं को प्रोग्राम समझाया, किसी को कविताएं दी, किसी को दोहे, किसी को भाषण । कुछ को सरस्वती वंदना के लिए तैयार कर लिया और कार्यक्रम की लिस्ट बना ली। जब 14 सितम्बर का दिन आया तो उस दिन सब कांफ्रेंस रूम में एकत्र हो गये। रेणुका मैम बड़ी सज धज कर आयीं। आकर शीला से बोली- लाओ वो लिस्ट मुझे दे दो। शीला ने कहा ठीक है मैम, कांफ्रेंस रूम में प्राचार्या मैम और मैनेजर साहब और टीचर्स भी आ गए। कार्यक्रम शुरू हो गया और संचालन रेणुका मैम करने लगीं। शीला मन ही मन सोचने लगी कि मैने सारी तैयारी की, बच्चे तैयार किए और लिस्ट बनाई। और इन मैडम ने आकर संचालन शुरू कर दिया। मन तो करता है कि इन्हें कार्यक्रम के बाद खरी खोटी सुनाऊं पर नहीं, मैं उनके जैसी बन जाउंगी तो मुझमें और उनमें क्या अंतर रह जायेगा।
✍️ चन्द्रकला भागीरथी, धामपुर, जिला बिजनौर
बुधवार, 12 मई 2021
गुरुवार, 15 अप्रैल 2021
रविवार, 28 मार्च 2021
मुरादाबाद मंडल के धामपुर (जनपद बिजनौर) की साहित्यकार चंद्रकला भागीरथी का गीत ----कान्हा संग होली खेलें राधा रानी
कान्हा संग होली।
खेलें राधा रानी।।
अबीर गुलाल कान्हा लगाये।
राधा इत उत दौडी जाये।
राधा को रंग भर मारे।
कनक पिचकारी।।
कान्हा संग होली ।
खेलें राधा रानी।।
गोपी संग ग्वाला धूम मचाये।
सब एक दूजे को रंग लगाये।
रंग भर भर मारे पिचकारी।।
कान्हा संग होली ।
खेलें राधा रानी।।
वृन्दावन में रास रचाये।
गोकुल में सब सुध बिसराये।
यशोदा मैया ढुढन जारी।
कान्हा संग होली
खेलें राधा रानी।
चन्द्र कला भागीरथी, धामपुर, जिला बिजनौर
मुरादाबाद मंडल के धामपुर (जनपद बिजनौर) की साहित्यकार चंद्रकला भागीरथी की कविता ---रंगों के नशे में झूमते नर नार
होली का है पर्व निराला।
सबके मन को हरने वाला।।
मीठे व्यंजनों की भरमार।
सभी के घरों मे आती बहार।।
कई रंगों की होती होली।
लाल, गुलाबी, नीली, पीली।।
कहीं फूलों से खिलती होली।
कहीं गुलाल पानी की धार।।
एक दूसरे के गले मिलकर।
सभी होते है मस्ती में चूर।।
एक दूसरे को देते बधाई।
प्यार करते है भर पूर।।
और मथुरा की महिलायें।
होली खेलती डंडे मार।।
गाने गाते ढोल नगाड़े बजाते।
रंगों के नशे में झूमते नर नार।।
पाप पर पुण्य की होती जीत।
भागीरथी कहती अपने गीत।।
होली का है पर्व निराला।
सबके मन को हरने वाला।
✍️चन्द्र कला भागीरथी, धामपुर, जिला बिजनौर उतर प्रदेश