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बुधवार, 8 मार्च 2023

मुरादाबाद मंडल के हसनपुर (जनपद अमरोहा) निवासी साहित्यकार मुजाहिद चौधरी की ग़ज़ल ...प्यार के रंग मैं सब को लगाना चाहूंगा


 दुनिया के सब दर्द मिटाना चाहूंगा ।

मैं तो सबको रंग लगाना चाहूंगा ।।

चाहूंगा नफरत को मिटाना चाहूंगा ।

प्रेम की गंगा फिर से बहाना चाहूंगा ।।

झूम के खुशबू और रंगों की मस्ती में ।

प्यार के रंग मैं सब को लगाना चाहूंगा ।। 

हिंदू को मुस्लिम से कुछ तकलीफ ना हो ।

एक दूजे से सबको मिलाना चाहूंगा ।।

तुम भी मुझको पाठ पढ़ाना वेदों के ।

मैं तुमको कुरआन पढ़ाना चाहूंगा ।।

धर्म सभी अच्छे हैं सच बतलाते हैं ।

मैं तो मुजाहिद प्यार सिखाना चाहूंगा ।।


✍️ मुजाहिद चौधरी 

हसनपुर, अमरोहा

मंगलवार, 31 जनवरी 2023

मुरादाबाद मंडल के हसनपुर (जनपद अमरोहा ) के साहित्यकार मुजाहिद चौधरी की ग़ज़ल ..मैं अपने मुल्क पर कुर्बान हो जाऊं ये ख्वाहिश है


मैं अपने मुल्क पर कुर्बान हो जाऊं ये ख्वाहिश है ।

मैं सच की राह पर कुर्बान हो जाऊं ये ख्वाहिश है ।।

यहां हर सिम्त हर सू झूठ का ही बोल बाला है ।

जमाने को मैं इतना सच बता जाऊं ये ख्वाहिश है ।।

तुम्हारी जिंदगी अंधेरी राहों का समंदर है ।

मैं जुगनू बन के जगमगा जाऊं ये ख्वाहिश है ।।

हटा दूं राह के पत्थर मैं चुन लूं राह के कांटे ।

तुझे मंजिल दिला जाऊं फकत मेरी ये ख्वाहिश है ।।

हमारी जिंदगी में और इस दुनिया के रहने तक ।

तिरंगा बनके लहराऊं फकत मेरी ये ख्वाहिश है ।।

सभी मिलकर करें मजबूत रिश्ता फिर मोहब्बत का ।

मैं नफरत को मिटा जाऊं फकत मेरी ये ख्वाहिश है ।।

खत्म हो जाएं मुजाहिद आपसी झगड़े ।

खुशी बनके मैं छा जाऊं फकत मेरी ये ख्वाहिश है ।।


✍️ मुजाहिद चौधरी 

हसनपुर, अमरोहा

उत्तर प्रदेश, भारत

रविवार, 31 जुलाई 2022

मुरादाबाद मण्डल के जनपद अमरोहा निवासी मुजाहिद चौधरी की रचना -----


मेरे घर के बाहर सावन  है । 

मेरे मन के अंदर सावन है ।। 

उस नील गगन पर सावन है । 

इस धरा पै छाया सावन है ।।

कुछ प्रसन्न मेरा चित्त है ।

कुछ आनंदित मेरा मन है ।।

है आंखों से नदिया जारी ।

मेरी आंखों में भी सावन है ।।

रिमझिम रिमझिम सी बूंदे हैं ।

मनमोहक है मनभावन है ।।

है अमृत बारिश का पानी । 

ये पानी बहुत ही पावन है ।। 

हर ओर है हरियाली छाई ।

पौधों पर छाया यौवन है ।।

फूलों ने खुशबू छोड़ी है ।

हर ओर सुगंधित उपवन है ।।

लेकिन यह मेरा दुश्मन है । 

मुझे मां की याद दिलाता है ।

मेरा माज़ी याद दिलाता है ।।

बचपन की याद दिलाता है । 

वह कच्चे घर सच्चे रिश्ते ।

छप्पर की याद दिलाता है ।।

वह घर गिरने की आवाजें । 

उस शोर की याद दिलाता है ।।

कोई हिंदू था ना मुस्लिम था । 

उस दौर की याद दिलाता है।। 

सब हाथ मदद को उठते थे । 

सारे दुख मिल कर सहते थे ।।

ना कोई किसी का दुश्मन था । 

ऐसे मिलजुल कर रहते थे ।।

यह सावन बहुत ही ज़ालिम है।

मुझे यौवन याद दिलाता है ।।

जब गांव की गोरी पनघट पर ।

पानी लेने को जाती थी ।। 

हम घंटों तकते रहते थे ।

एक आस में जीते रहते थे ।। 

मन में कोई विद्वेष नहीं । 

अब स्मृति कुछ शेष नहीं ।

मुझ में भी कोई अवशेष नहीं ।।

मैं तो बस एक सूखा तिनका हूं । 

क्या जानू कब उड़ जाऊंगा ।

कब पवन उड़ा ले जाएगी ।। 

कब सबसे जुदा हो जाऊंगा ।

कब मिट्टी में मिल जाऊंगा ।। 

लेकिन निश्चिंत मेरा मन है ।

जब जब भी सावन आएगा ।

तुम्हें मेरी याद दिलाएगा ।।

मैं याद बहुत फिर आऊंगा ।

मैं आंखों में बस जाऊंगा ।।

सावन में बहुत रुलाऊंगा ।

जीना मुश्किल कर जाऊंगा ।। 

है आज मुजाहिद का वादा । 

अपने पद चिन्ह बनाऊंगा ।।

✍️ मुजाहिद चौधरी

हसनपुर, अमरोहा

उत्तर प्रदेश, भारत


रविवार, 8 मई 2022

मुरादाबाद मंडल के हसनपुर (जनपद अमरोहा ) निवासी साहित्यकार मुजाहिद चौधरी की रचना ---


"मां तेरी मोहब्बत सी मोहब्बत नहीं देखी l 

ममता की कोई दूसरी मूरत नहीं देखी ll

देखी है जमाने में हसीनाएं बहुत सी l

दुनिया में तेरी सी कोई सूरत नहीं देखी ll.......

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" वह जिंदगी से मेरी कुछ ऐसे चले गए l 

सारे जहां ने रोका मगर वह चले गए l l 

कैसे सफर पर निकले कोई साथ ही नहीं l 

सामान कुछ लिया नहीं तनहा चले गए l l 

बादल को इंतकाल की जैसे खबर हुई l 

तुम जिस जगह से गुजरे वह रो कर चले गए l l 

पहले तो आंख में कभी आने न दी नमी l 

आखिर में सबकी आंखें भिगो कर चले गए l l 

जाना ही था तो इतना हमें प्यार क्यों दिया l 

फिर क्यों हमें ही गम में डुबो कर चले गए l l 

अब उनकी मगफिरत को दुआगो  हैं हम सभी l 

 ताउम्र जो दुआएं हमें दे कर चले गए l l 

 कैसे मनाएं खुशियां तुम्हारे बगैर हम l 

खुशियां हमारी साथ में लेकर चले गए l l 

मुजाहिद  ने जब यह दर्द सरे बज्म कह दिया l 

आंखों में सारे अश्कों को लेकर चले गए l l 

✍️ मुजाहिद चौधरी

हसनपुर, अमरोहा 


सोमवार, 10 जनवरी 2022

मुरादाबाद मंडल के हसनपुर (जनपद अमरोहा) निवासी साहित्यकार मुजाहिद चौधरी की ग़ज़ल ---विश्वास था तो जग जीत लिया, अब जग है पर विश्वास नहीं


मंजिल की और तलाश नहीं ।

मंजिल भी शायद पास नहीं ।।     

मैं थक के राह में बैठ गया    । 

मुझे दर्द का कुछ एहसास नहीं ।

नहीं पाने की कोई चाहत अब ।   

अब कुछ खोने की आस नहीं ।।   

मुझे कौन मिला किसने छोड़ा ।   

ये सब किस्मत के किस्से हैं ।।      

हां जिनके लिए सबको छोड़ा ।     

अब उनको मेरा पास नहीं ।। 

विश्वास था तो जग जीत लिया । 

अब जग है पर विश्वास नहीं ।। 

क्यों अपना मुजाहिद को समझूं ।

जब मैं ही खुद के पास नहीं ।।                  


✍️मुजाहिद चौधरी 

हसनपुर , अमरोहा

उत्तर प्रदेश, भारत

रविवार, 20 जून 2021

मुरादाबाद मंडल के हसनपुर (जनपद अमरोहा ) निवासी साहित्यकार मुजाहिद चौधरी की रचना ----बादल की मानिंद पिता को रोज़ बरसते देखा है


मैंने एक पिता को तन्हा घुटकर रोते देखा है ।

बच्चों की खुशियों की खातिर पांव घिसटते देखा है ।।

खेतों में खलिहानों में और घने बाजारों में ।

अपने बच्चों के सपनों का बोझा ढोते देखा है ।।

विपदा और संकट में भी जो खड़ा-खड़ा मुस्काता है ।

मैंने एक पिता को अक्सर परबत चढ़ते देखा है ।।

संघर्षों से हार न माने भूख प्यास से ना घबराए ।

जीवन पथ पर ऐसे राही को शान से चलते देखा है ।।

बच्चों की उपलब्धि पर वो फूले नहीं समाता है ।

बच्चों की मानिंद मचलते और उछलते देखा है ।।

सपने पूरे होने पर जो इठलाता इतराता है ।

बादल की मानिंद पिता को रोज़ बरसते देखा है ।।

त्याग तपस्या और साधना सब उस से मजबूर हुए ।

हमने मुजाहिद को सपनों में खूब उलझते देखा है ।।

✍️ मुजाहिद चौधरी, हसनपुर, अमरोहा

मंगलवार, 12 जनवरी 2021

मुरादाबाद मंडल के हसनपुर (जनपद अमरोहा)निवासी साहित्यकार मुजाहिद चौधरी का गीत ----- हिंदी अपना गौरव है हिंदी अपनी जान है , हिंदी अपनी मर्यादा है आन बान शान है ....


 हिंदी अपना गौरव है हिंदी अपनी जान है ।

हिंदी अपनी मर्यादा है आन बान शान है ।।

हिंदी अपनी संस्कृति है हिंदी ही अभिमान है ।

विश्व पटल पर हिंदी से ही हम सब का सम्मान है ।।

हिंदी अपना परिचय है हिंदी ही पहचान है ।

हिंदी से इतिहास सुरक्षित और जीवन गतिमान है ।।

हिंदी अपना धर्म ग्रंथ है गीता वेद पुराण है ।

हिंदी सब धर्मों की भाषा बाइबिल और कुरान है ।।

हिंदी पथ प्रदर्शक अपनी हिंदी ही विज्ञान है । 

हिंदी अपनी जीवन गाथा हिंदी एक अभियान है।।

हिंदी से ही विश्व में अपना भारत देश महान है ।।

हिंदी की सेवा मुजाहिद का अरमान है ।

हिंदी बोलें हिंदी लिखें जन जन से आव्हान है ।।

🎤✍️ मुजाहिद चौधरी , हसनपुर, अमरोहा

शनिवार, 14 नवंबर 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा निवासी साहित्यकार मुजाहिद चौधरी की रचना --चलो मनों में दिए जलाएं ,चलो घरों में दिए जलाएं ।-


चलो मनों में दिए जलाएं ।

चलो घरों में दिए जलाएं ।।

चलो चांद से मिल के आएं । 

चलो गगन में दिए जलाएं।।

आशा और विश्वास जगाएं ।

चलो अंधेरा दूर भगाएं ।।

चलो मोहब्बत सब में बांटे ।

चलो सभी को गले लगाएं ।।

नफरत का हर शब्द मिटाएं ।

प्रेम-भाव सद्भाव बढ़ाएं ।।

आओ मिलकर दिए जलाएं ।

आओ यूं दिवाली मनाएं ।।

✍️मुजाहिद चौधरी, हसनपुर ,अमरोहा

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा निवासी साहित्यकार मुजाहिद चौधरी की गजल ---उसको खुश देखकर नाचते रह गए


 

मंगलवार, 25 अगस्त 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा निवासी साहित्यकार मुजाहिद चौधरी की ग़ज़ल------ अजब मायूसी है,वहशत का आलम है जमाने में । नहीं गांव में कुछ खौ़फो़ ख़तर बस ये लगा मुझको ।।


मैं जब भी अपने पुरखों से मिला हूं ये लगा मुझको ।
मैं उनके ख्वाब जैसा हूं हमेशा ये लगा मुझको ।।

मेरे गांव के रस्ते, सूने घर, वीरान चौपालें ।
मेरे ही मुंतज़िर हैं वो हमेशा ये लगा मुझको ।।

कभी भूला नहीं बचपन के यारों को, बुजु़र्गों को ।
मैं जब भी घर गया उनसे मिला हूं ये लगा मुझको ।।

अजब मायूसी है,वहशत का आलम है जमाने में ।
नहीं गांव में कुछ खौ़फो़ ख़तर बस ये लगा मुझको ।।

ये हिंदू और मुस्लिम के जो झगड़े हैं शहर में हैं ।
मेरे गांव में हैं सब भाई भाई ये लगा मुझको ।।

ये दरिया धूप बादल और सितारे भी सभी के हैं ।
मेरा घर मेरा आंगन है सभी का ये लगा मुझको ।।

मुजाहिद एक इंसां है उसे इंसां से रग़बत है ।
मैं तन्हा हो के सबका हूं हमेशा ये लगा मुझको ।।

✍️ मुजाहिद चौधरी

शुक्रवार, 14 अगस्त 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा निवासी साहित्यकार मुजाहिद चौधरी की लघुकथा --------जिम्मेदार कौन


      सुनीता के पति सीबीआई में अधिकारी थे । दोनों की शादी को लगभग 14 वर्ष हो चुके थे, दो बच्चे थे । एक बेटा और बेटी अनुपम के माता-पिता भी साथ में रहते थे l अनुपम बहुत खुश रहते थे,अपनी पत्नी,बच्चों और माता पिता के साथ । और पत्नी भी अपने मायके की सारी यादें,चिंता और कष्ट भूल चुकी थी और अपनी ससुराल में रम चुकी थी । उसे अपने सास ससुर और पति तथा बच्चों के अलावा कुछ दिखाई नहीं देता था ।
     वह सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव थी,लेकिन दोनों पति पत्नी रात में अपने सोशियल मीडिया की एक्टिविटीज को भी एक दूसरे से शेयर करते थे, एक दिन अचानक किसी महिला का फोन आया और सुनीता और उस महिला की टेलीफोन पर नरमा गर्मी होने लगी । अनुपम सोए हुए थे,शोर से उनकी आंख खुली तो उन्होंने विवाद का कारण पूछा,सुनीता ने बताया कि उनके फेसबुक फ्रेंड की पत्नी ने उनकी फ्रेंडशिप को गलत नाम दे दिया है, उसने मुझे  चरित्रहीन व‌‌ बाजारी औरत कहकर संबोधित किया है ।
      अनुपम ने अपनी पति को भी बताया कि मेरा आकाश से कोई संबंध नहीं है,मात्र फेसबुक फ्रेंडशिप है । और बात आई गई हो गई । परन्तु अगले दिन अनुपम के फोन पर भी उस पत्नी की कॉल आई उसने सुनीता के बारे में अनुपम से भी अनाप-शनाप बातें कीं और सुनीताके चरित्र पर सवाल उठाया और फोन अपने पति आकाश को दे दिया । आकाश ने भी सुनीता के साथ-साथ अनुपम को भी खुद को फंसाने का दोषी ठहराया । उसके बाद तो अनुपम का गुस्सा चौथे आसमान पर था,उसने अपना घर सर पर उठा लिया । चीखने चिल्लाने लगा ।
        आज एक महीना हो चुका है,अनुपम ना किसी से बात करता है,ना हंसता है,ना मुस्कुराता है, ना उसे खाने पीने की परवाह है,ना कपड़े बदलने का ख्याल । सुनीता उसके पास जाती है तो वह उसे धोखेबाज, बदचलन औरत कहता है और कमरे से बाहर निकाल देता है । सैकड़ों बार माफी मांगने के बाद भी अनुपम अपनी पत्नी को माफ करने के लिए तैयार नहीं है ।बच्चे सहमे हुए हैं,माता-पिता लाचार हैं । हंसता खेलता घर सोशल मीडिया पर हुई गलतफहमी से बिखरने के कगार पर है । सुनीता बार-बार सोचती है,इसका जिम्मेदार कौन है ? मैं स्वयं ? सोशियल मीडिया ? उसका औरत होना ?या चरित्रहीन औरतों का सोशल मीडिया पर एक्टिव होना ... या फिर पुरुषों का शक्की मिजा़ज....

मुजाहिद चौधरी
हसनपुर,अमरोहा