क्लिक कीजिए
आयोजन
(355)
आलेख
(131)
इतिहास
(4)
ई - पुस्तक
(92)
ई-पत्रिका
(17)
उपन्यास
(3)
कहानी
(233)
काव्य
(2110)
नाटक/एकांकी
(28)
पुस्तक समीक्षा
(60)
बाल साहित्य
(117)
यात्रा वृतांत
(4)
यादगार आयोजन
(15)
यादगार चित्र
(20)
यादगार पत्र
(8)
रेखाचित्र
(2)
लघुकथा
(448)
वीडियो
(380)
व्यंग्य
(72)
संस्मरण
(33)
सम्मान/पुरस्कार
(76)
साक्षात्कार
(15)
विवेक निर्मल लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
विवेक निर्मल लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
गुरुवार, 23 जनवरी 2025
बुधवार, 25 दिसंबर 2024
मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की ओर से संस्था के संस्थापक कीर्तिशेष साहित्यकार राजेंद्र मोहन शर्मा श्रृंग की 11वीं पुण्यतिथि के अवसर पर रविवार 15 दिसंबर 2024 को उनकी स्मृति में महानगर के वरिष्ठ साहित्यकार विवेक निर्मल को 'राजेंद्र मोहन शर्मा श्रृंग स्मृति सम्मान' से सम्मानित किया गया
मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम के तत्वावधान में, संस्था के संस्थापक कीर्तिशेष साहित्यकार राजेंद्र मोहन शर्मा श्रृंग की 11वीं पुण्यतिथि के अवसर पर उनकी पावन स्मृति में महानगर के वरिष्ठ साहित्यकार विवेक निर्मल को 'राजेंद्र मोहन शर्मा श्रृंग स्मृति सम्मान' से सम्मानित किया गया। सम्मान स्वरूप उन्हें मानपत्र, श्रीफल, अंगवस्त्र एवं प्रतीक चिह्न भेंट किए गए। कार्यक्रम की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ.महेश दिवाकर ने की। मुख्य अतिथि बाल साहित्यकार राजीव सक्सेना एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में दयानंद महाविद्यालय के प्रबंधक उमाकांत गुप्ता एवं गजलकार ओंकार सिंह ओंकार रहे। मां शारदे की वंदना कवि रामसिंह नि:शंक ने प्रस्तुत की तथा कार्यक्रम का संचालन राजीव प्रखर ने किया।
इस अवसर पर सम्मानित कवि विवेक निर्मल ने काव्य पाठ करते हुए सुनाया-
"जिंदगी यदि प्रश्न है तो फिर, आओ इसमें हल तलाशें हम, जिंदगी में प्रश्न तो उलझे बहुत है, किंतु इसमें प्रश्न अनसुलझे बहुत है, जिनका हल करने में आते द्वंद भी, जिंदगी में हम स्वयं उलझे बहुत हैं, जिंदगी यदि आज है तो फिर, आओ इसमें कल तलाश में हम...।"
सम्मानित साहित्यकार विवेक निर्मल के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर राजीव 'प्रखर' द्वारा प्रकाश डाला गया। सुप्रसिद्ध नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा व्योम ने साहित्यिक सांस्कृतिक एवं सामाजिक क्षेत्र में विवेक निर्मल द्वारा किए गए योगदान को सराहते हुए उन्हें साहित्य जगत का सशक्त रचनाकार बताया। डॉ.महेश दिवाकर ने कहा कि संस्था के संस्थापक स्व० राजेन्द्र मोहन शर्मा श्रृंग जी के हिन्दी के लिए किये गए योगदान को भुलाया नहीं जा सकता, उन्होंने अनेक रचनाकारों को प्रकाश में लाने का कार्य किया है।
इसके पश्चात कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर जितेन्द्र कुमार जौली, योगेन्द्र वर्मा व्योम, वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी, रामदत्त द्विवेदी, डॉ. मनोज रस्तोगी, नकुल त्यागी, राजीव प्रखर, अशोक विद्रोही, पदम सिंह बेचैन, उमाकांत गुप्ता, राम सिंह नि:शंक, उदय सक्सेना अस्त, रवि चतुर्वेदी आदि ने काव्य पाठ किया। संस्था के महासचिव जितेन्द्र कुमार जौली ने आभार अभिव्यक्ति प्रस्तुत की।




































रविवार, 9 जुलाई 2023
शनिवार, 22 मई 2021
शनिवार, 8 मई 2021
शुक्रवार, 13 मार्च 2020
बुधवार, 11 मार्च 2020
'विजयश्री वैल्फेयर सोसाइटी' मुरादाबाद के तत्वावधान में 9 मार्च 2020 को 'काव्यरस-फुहार' का आयोजन
मुरादाबाद की प्रमुख संस्था विजयश्री वेलफेयर सोसाइटी की ओर से रामगंगा विहार मुरादाबाद स्थित शिव मंदिर परिसर में होली पर सोमवार 9 मार्च को 'काव्यरस-फुहार' का आयोजन हुआ जिसमें उपस्थित स्थानीय कवियों ने कविताओं के माध्यम से होली पर हास्य कविताओं से सभी को गुदगुदाया और देश व समाज में व्याप्त विद्रूपताओं पर कटाक्ष किए। कवि गोष्ठी की अध्यक्षता कवि रामवीर सिंह वीर ने की, मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार अशोक विश्नोई, विशिष्ट अतिथि डा. मनोज रस्तोगी रहे. तथा संचालन हास्य कवि फक्कड़ मुरादाबादी ने किया।
काव्यपाठ करते हुए मनोज मनु ने कहा-
भीतर से बाहर तलक, भरता गज़ब मिठास
होली का त्योहार तो, होता इतना खास
नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने कहा-
मनके सारे त्याग कर, कष्ट और अवसाद ।
पिचकारी करने लगी, रंगो से संवाद ।।
राजीव प्रखर ने काव्य-पाठ करते हुए कहा -
सिमट गयी संवेदना, बदल गये सब ढंग।
पहले जैसे अब कहाँ, होली के हुड़दंग।।
वरिष्ठ कवि विवेक निर्मल ने कविता प्रस्तुत की-
होली के हुड़दंग में, बदले सबके चित्र
दुश्मन भी लगने लगे, प्यारे प्यारे मित्र
प्रशांत मिश्र ने कुछ इस प्रकार कहा -
मैं क्यों खेलूं तुम संग होली,
सखियाँ मुझे चिढ़ाती हैं।
आवरण अग्रवाल 'श्रेष्ठ' का कहना था -
आओ मिलकर अबकी खेले ऐसी होली,
देश से मिट जाए बैर भाव और कटु बोली।।
अरविंद कुमार शर्मा आनंद ने कहा -
हुल्लड़ भी हुड़दंग भी शोर हम मचायेंगे।
अरे भैया फाल्गुन आयो होली हम मनाएंगे।
वरिष्ठ साहित्यकार अशोक विश्नोई ने रचना प्रस्तुत की-
धूप में सोता था अपने गाँव में
आज छाले पड़ गए हैं पांव में
चाहकर भी आपसे कैसे मिलूँ
रस्म की बेड़ी पड़ी है पांव में
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ मनोज रस्तोगी ने कहा-
महकी आकाश में चांदनी की गंध
अधरों की देहरी लांघ आए छंद
गंगाजल से छलके नेह के पिटारे
उड़ रही रेत गंगा किनारे।
कवि रवि चतुर्वेदी ने कविता सुनाई-
देश के दीवानों की मैं भक्ति हूँ
और उनके आत्मबल की शक्ति हूँ
वरिष्ठ शायर डॉ० कृष्ण कुमार 'नाज़' ने कहा -
सोहबत बुरी मिली तो गलत काम भी हुए
वैसे कमी तो ना थी कोई खानदान में
रामवीर सिंह 'वीर' ने काव्य-पाठ करते हुए कहा -
कैसे बताएं हम आपन बीती।
जो कहना था कह नहीं पाए,
बदल गई जीवन की रीति।
इस अवसर पर इंदु रानी, सविता निर्मल, महेंद्र शर्मा, देवेंद्र सिंह, महेंद्र सिंह, अनिल पाल सिंह क्षय, अजय सिंह आदि लोग उपस्थित रहे।
:::::::प्रस्तुति::::::
**विवेक निर्मल
सचिव
विजयश्री वैल्फेयर सोसाइटी
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश
सदस्यता लें
संदेश (Atom)