शुक्रवार, 31 दिसंबर 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष सुरेन्द्र मोहन मिश्र की काव्य कृति - मुरादाबाद और अमरोहा के स्वतंत्रता - सेनानी। यह कृति वर्ष 2003 में प्रतिमा प्रकाशन , दीनदयाल नगर ,मुरादाबाद द्वारा प्रकाशित की गई थी। स्मृतिशेष मिश्र जी ने अपनी यह कृति मुझे तीन जून 2004 को प्रदान की थी ।



 क्लिक कीजिए और पढ़िए पूरी कृति

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::::::::प्रस्तुति:::::::

डॉ मनोज रस्तोगी

8, जीलाल स्ट्रीट

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल फोन नम्बर 9456687822

बुधवार, 29 दिसंबर 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष सुरेन्द्र मोहन मिश्र की रचना --यहां भग्न मूर्ति का भाग हूं । यह रचना उन्होंने अपने दिल्ली प्रवास के दौरान लिखी थी । हमें यह रचना उपलब्ध कराई है उनके सुपुत्र अतुल मिश्र ने ।


मैं शिकारियों से घिरा हुआ, 

मैं थके हिरन सा डरा हुआ,

किसी राजधानी में खो गया,

मुझे क्या हुआ, मुझे क्या हुआ।


वहां लिख रहा था कहानियां,

वहां खोजता था निशानियां,

वहां कर रहा था खुदाइयां,

जहां ज्ञान-धन था दबा हुआ।


हैं पुरावशेष रखे जहां,

मृण्पात्र-शेष रखे जहां,

मुझे उस मकां का पता तो दो,

है बुतों से ही, जो सजा हुआ।


यह नया शहर भी अजीब है,

यहां हर शरीफ़ ग़रीब है,

यहां हर निगाह है अजनबी,

है सभी में ज़हर घुला हुआ।


वहां शब्द-शब्द का अर्थ था,

वहां शब्द-शब्द समर्थ था,

यहां आके सब ही भुला चुका,

वहां पुस्तकों का पढ़ा हुआ।


वहां मूर्ति थी किसी यक्ष की,

वहां यक्षिणी मेरे वक्ष थी,

यहां भग्न मूर्ति का भाग हूं,

ना जुड़ा हुआ, ना ढला हुआ।


वहां तितलियों को सुगंध दी,

वहां ज़िंदगी मेरी छंद थी,

यहां डाल-टूटा गुलाब हूं,

ना झरा हुआ, ना खिला हुआ।


वहां आंचलों ने सजा दिया,

यहां आंधियों ने हिला दिया,

मैं वो बदनसीब चिराग हूं,

ना धरा हुआ, ना जला हुआ।


✍️ सुरेंद्र मोहन मिश्र

::::प्रस्तुति::::::

अतुल मिश्र

सुपुत्र स्मृतिशेष सुरेंद्र मोहन मिश्र

चन्दौसी, जिला सम्भल

उत्तर प्रदेश, भारत


मंगलवार, 28 दिसंबर 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विश्नोई की व्यंग्य कविता ---हम्माम में नँगा -


मैं,

देख रहा हूँ

उसका कद बड़ा होते हुए

मैं,

देख रहा हूँ-चुपचाप

दूसरों की मज़ाक बनाते हुए

मैं,

देख रहा हूँ

अपने को बड़ा साबित

करते हुए

मैं,

देख रहा हूँ

विनम्रता के साथ

कुटिलता की चौसर

खेलते हुए,

मैं,

देख रहा हूँ

चमचागिरी से उपर उठते हुए

मैं,

देख रहा हूँ

मठाधीशों की चरण रज

माथे पर लगाते हुए,

हाँ मैं, 

देख रहा हूँ

गुटबाजी में सबसे आगे

जबकि,

मैनें, देखा था उसे

आयोजनों में मुरझाये

चेहरे के साथ

पीछे की पंक्ति में बैठे हुए

मैनें,देखा था

उसका वजूद जो

उस समय न के समान था

मैनें, देखा है

अपने हितों के लिए

धोखा देते हुए

आज

वो विद्वान है ।

जी हजूरी में महान है ।

वह

बड़ी चालाकी से

मीठे शब्दों की

बहाता है गंगा।

जबकि मैनें देखा है

उसको हम्माम में नँगा।।


 ✍️अशोक विश्नोई

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश ,भारत

सोमवार, 27 दिसंबर 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष सुरेन्द्र मोहन मिश्र की प्रथम काव्य कृति -- मधुगान । इस कृति में उनके 37 गीत हैं । इस कृति का प्रकाशन श्री योगेन्द्र मोहन मिश्र, काव्य कुटीर चन्दौसी द्वारा वर्ष 1951 में हुआ । हमें यह दुर्लभ कृति उपलब्ध कराई है उनके सुपुत्र श्री अतुल मिश्र जी ने ।


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::::::::::प्रस्तुति:::::::::

डॉ मनोज रस्तोगी

8,जीलाल स्ट्रीट

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल फोन नम्बर 9456687822

रविवार, 26 दिसंबर 2021

मुरादाबाद मंडल के जनपद सम्भल निवासी साहित्यकार सुभाष चंद्र शर्मा का गीत ----है मेरी अभिलाषा अविरल, हो हिंदी सबके उर में


 मां वाणी को प्रणाम करें, वे निवास करें सबके सुर में।

है मेरी अभिलाषा अविरल, हो हिंदी सबके उर में।।

अलंकार से हो अलंकृत, हिंदी भाषा का अंग-अंग।

हम हिंदी के हिंदी हमारे, रहे सदा ही संग-संग।।

कभी अलग न होवे हमसे, सदा बसे अन्तःपुर में।

है मेरी अभिलाषा अविरल, हो हिंदी सबके उर में।।

हिंदी के प्रकाश में दुनियां, नियमित आगे बढ़ें सदा।

हिंदी भाषी ही फिल्मों में, कलाकार की दिखे अदा।।

हिंदी के शब्दों का संगम, संगीत बजे फिर नूपुर में।

है मेरी अभिलाषा अविरल, हो हिंदी सबके उर में।।

सूर कबीर तुलसी का परिश्रम, केशव का प्रयास अथक।

रसखान जायसी हिंदी सुत हैं, है इसमें न कोई शक।।

कविता की रसधार दीखती, भूषण और रत्नाकर में।

है मेरी अभिलाषा अविरल, हो हिंदी सबके उर में।।

एक अटूट विश्वास हो, हिंदी हो सब भाषाओं की नायक।

रोजगार से जोड़ सभी को, बन जाएगी अर्थ सहायक।।

प्रदान करे ये विद्वानों को, धन दौलत मात्रा प्रचुर में।

है मेरी अभिलाषा अविरल, हो हिंदी सबके उर में।।

आश्वस्त हैं हिंदी भाषी, एक दिन ऐसा भी ठहरेगा।

हिंदी भाषा का यह परचम, अखिल विश्व पर भी फहरेगा।।

बने आस्था जन-जन की, हिंदी गौ-गंगा-भूसुर में।

है मेरी अभिलाषा अविरल, हो हिंदी सबके उर में।।

छोटी सी कविता लिखकर मैं, डूब रहा हूं अहंकार में।

ज्ञान शून्य अल्पज्ञ सर्वदा, रस छंद और अलंकार में।।

अंतिम इच्छा हिंदी सेवा, बाद बसें फिर सुरपुर में।

है मेरी अभिलाषा अविरल, हो हिंदी सबके उर में।।


✍️ सुभाष चंद्र शर्मा 

मोहल्ला-बरेली सराय, प्रेमशंकर वाटिका गेट 2, सम्भल, उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल नंबर-9761451031

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार की व्यंग्य कविता ---- हरफनमौला


वह पढ़ने लिखने में

बहुत अटकता था

सबकी आंखों में खटकता था

शर्मिंदगी से बचने को

घर के काम में

हाथ बंटाने लगा

धीरे धीरे

पूरे घर का खाना बनाने लगा

कुछ दिन बाद उसके मामा ने

एक साबुन कंपनी में लगा दिया

उसने घर घर जाकर

साबुन बेचने का काम किया

इसी बीच देश में

भ्रष्टाचार का विकास हो गया

और वह कम पढ़कर भी

हाई स्कूल,इंटर, बी ए, बी टी सी

पास हो गया

आज वह

सफल प्राइमरी टीचर है

और उसकी घुसपैठ

सभी बड़े 

शिक्षा अधिकारियों के भीतर है

उसका निरंतर

गुणगान किया जाता है

हर बात में

उसका उदहारण दिया जाता है

मिड डे मील वाला ना हो

तो खुद खाना बना लेता है

प्रधान से लेकर बच्चों तक

सबको खिला देता है


किसके घर में कितने बच्चे है

स्कूल जाते है या नही

जब सरकार ने यह सर्वे करवाया

उसने अपने

मार्केटिंग अनुभव का लाभ उठाया

अगले ही दिन

पूरी लिस्ट बना लाया

जनगणना हो, बी एल ओ दायित्व हो

या हो पोलियो अभियान

यूनिफॉर्म से लेकर

विटामिन की गोलियां तक

बंटबाने में उसका

रहता है महत्वपूर्ण योगदान

बस पढ़ाई के मामले में

उसका हाथ तंग दिखता है

वैसे भी आजकल

पढ़ाई किसकी प्राथमिकता है

और ये भी

एक कड़वी वास्तविकता है

जो पढ़े लिखे टीचर हैं

उनको भी पढ़ाने का

वक्त कहां मिलता है


उसका हरफनमौला व्यक्तित्व

बाकी सब पर भारी है

इस साल उसको

राष्टीय पुरस्कार देने की तैयारी है।


✍️ डॉ.पुनीत कुमार

T 2/505 आकाश रेजीडेंसी

आदर्श कॉलोनी रोड

मुरादाबाद 244001

M 9837189600

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष सुरेन्द्र मोहन मिश्र की दुर्लभ गीति काव्य कृति -- कल्पना कामिनी । इस कृति में उनके वर्ष 1951-52 में लिखे 51 गीत हैं । इस कृति का प्रकाशन काव्य कुटीर चन्दौसी द्वारा वर्ष 1955 में हुआ । हमें यह कृति उपलब्ध कराई है उनके सुपुत्र श्री अतुल मिश्र जी ने ।


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::::::::प्रस्तुति::::::

डॉ मनोज रस्तोगी

8,जीलाल स्ट्रीट

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल फोन नम्बर 9456687822

रविवार, 19 दिसंबर 2021

मुरादाबाद की साहित्यकार इला सागर के कहानी संग्रह 'क्योंकि- द सिनफुल बिकॉज़' का कार्तिकेय की ओर से आयोजित समारोह में विमोचन

मुरादाबाद की  साहित्यकार इला सागर के कहानी संग्रह 'क्योंकि- द सिनफुल बिकॉज़' का विमोचन सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संस्था कार्तिकेय की ओर से रविवार 19 दिसम्बर 2021 को आयोजित समारोह में किया गया।

 मुरादाबाद के स्वतंत्रता सेनानी भवन में हुए समारोह का शुभारंभ मुख्य अतिथि अपर जिलाधिकारी नगर आलोक कुमार वर्मा तथा विशिष्ट अतिथि दीपक बाबू सीए द्वारा दीप प्रज्ज्वलन से हुआ।  मां सरस्वती वंदना दीपिका अग्रवाल और संतोष गुप्ता  ने प्रस्तुत की। संचालन करते हुए वरिष्ठ रंगकर्मी व राम लीला निर्देशक डॉ पंकज दर्पण अग्रवाल ने इला सागर की पुस्तक के सन्दर्भ में जानकारी दी। विशिष्ट अतिथि और कार्तिकेय संस्था के अध्यक्ष दीपक बाबू ने कहा कि कार्तिकेय संस्था का उद्देश्य  नवोदित प्रतिभाओं को आगे लाने का है। मुख्य अतिथि अपर जिलाधिकारी नगर आलोक कुमार वर्मा ने कहा कि साहित्य ही समाज का दर्पण होता है। साहित्य के द्वारा ही समाज मे अनेक प्रकार के सकारात्मक बदलाव सम्भव हैं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता महाराजा हरिश्चंद्र महाविद्यालय के प्रबंधक डॉ काव्य सौरभ रस्तोगी ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में मुम्बई से पधारे वरिष्ठ हिंदी सेवी एम एल गुप्ता, दयानन्द कॉलेज की प्राचार्या डॉ जौली गर्ग और गाज़ियाबाद में तैनात क्षेत्रीय वैज्ञानिक अधिकारी एस सी शर्मा ने भी सम्बोधित किया।

इस अवसर पर रश्मि प्रभाकर, मीनाक्षी ठाकुर, डॉ रीता सिंह, डॉ संगीता महेश, मयंक शर्मा, श्री कृष्ण शुक्ल आदि  ने काव्य पाठ किया।

समारोह में गोपाल हरि गुप्ता, अभय पाण्डेय, डॉ नीलू सिंह, सागर रस्तोगी, डॉ महेश दिवाकर, शिशुपाल सिंह मधुकर, डॉ शशि त्यागी, आवरण अग्रवाल, ईशांत शर्मा, राजीव प्रखर, शालिनी भारद्वाज , दुष्यंत बाबा, डॉ मनोज रस्तोगी, धवल दीक्षित, अम्बरीष गर्ग, अंजू अग्रवाल, शिव ओम वर्मा, संगीता महेश, स्वदेश कुमारी, रति रस्तौगी  आदि विशेष रूप से उपस्थित रहे। इला सागर ने आभार व्यक्त किया।




























::::::प्रस्तुति:::::::

डॉ पंकज दर्पण अग्रवाल

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

शुक्रवार, 17 दिसंबर 2021

मुरादाबाद मंडल के जनपद सम्भल के प्रख्यात गीतकार स्मृतिशेष रामावतार त्यागी की जन्मभूमि कुरकावली में अमृत महोत्सव आयोजन समिति की ओर से गुरुवार 16 दिसम्बर 2021 को राष्ट्रवादी कविसम्मेलन का आयोजन

मुरादाबाद मंडल के जनपद सम्भल की अमृत महोत्सव आयोजन समिति के अध्यक्ष एडवोकेट राहुल दीक्षित एवं भू केंद्र शर्मा के निर्देशन और प्रख्यात साहित्यकार त्यागी अशोक कृष्णम के संयोजन में  प्रख्यात गीतकार स्मृतिशेष रामावतार त्यागी की जन्मभूमि कुरकावली में स्वाधीनता का अमृत महोत्सव कार्यक्रम श्रंखला के अंतर्गत राष्ट्रवादी कविसम्मेलन का आयोजन गुरुवार 16 दिसम्बर 2021  को किया गया।  कार्यक्रम की अध्यक्षता ए के रिसॉर्ट के स्वामी अमित त्यागी ने की। मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला प्रचारक आशुतोष जी थे। 

कार्यक्रम का शुभारंभ भारतमाता के चित्र पर माल्यार्पण एवं सिकन्दराराऊ हाथरस से पधारीं कवयित्री उन्नति भारद्वाज द्वारा प्रस्तुत मां सरस्वती वंदना से हुआ । इसके पश्चात उन्होंने राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत रचनाएं प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया । सम्भल की पावन धरा को नमन करते हुए उन्होंने कहा ---

पृथ्वीराज की राजधानी का गुणगान करती हूं,

शंकर जी की इस पावन धरा का मान करती हूं,

श्रीमद् भागवत में है कल्कि अवतार का वर्णन ,

प्रकट होंगे जहां विष्णु उनका यशगान  करती हूं।

  कवि सम्मेलन का संचालन करते हुए प्रख्यात व्यंग्य कवि त्यागी अशोक कृष्णम का कहना था ---

 भारत माता की रखी वीरों ने ही लाज 

 प्राण निछावर कर दिए देश धर्म के काज

 वरिष्ठ साहित्यकार डॉ मनोज रस्तोगी ने कोरोना के संदर्भ में रचना प्रस्तुत की ---

 मत कहो वायरस जहरीला बहुत

 इंसान ही आजकल कमजोर है

 आगरा के चर्चित कवि दीपक दिव्यांशु ने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच रचना प्रस्तुत की ---

 भारती के चीर पर जब भी नजर गंदी पड़ी।

हुक्मरानी हस्तियों की आंख जब उस पर गढ़ी।

तो ढाल बनकर मौत की संगीन लेकर निज करों में।

जिंदगी का दान देकर जंग हमने है लड़ी।

      युवा साहित्यकार अतुल कुमार शर्मा ने अपनी सँस्कृति और परंपराओं से जुड़ने का आह्वान करते हुए कहा ---

 सूर्य अर्घ्य और गाय की पहली रोटी ,हमें अच्छे से याद है।

 तुलसी पूजा और  चौपालों का सत्संग भी याद है।

 सुजातपुर के कवि प्रदीप कुमार का स्वर था ---

 मिला है नीर गंगा का शहीदों के लहू के संग।

है चंदन से भी पावन मेरे हिंदुस्तान की मिट्टी।

इस अवसर पर स्मृतिशेष रामावतार त्यागी जी के भतीजे राहुल त्यागी ने शेरजंग गर्ग द्वारा संपादित कृति " हमारे लोकप्रिय गीतकार - रामावतार त्यागी " सभी कवियों को भेंट की । आयोजकों द्वारा सभी कवियों को अंगवस्त्र ,सम्मान पत्र व सम्मान राशि प्रदान कर सम्मानित भी किया गया । कार्यक्रम में मुख्य रूप से पूर्व एमएलसी भारत सिंह यादव, लोकतंत्र सेनानी चौधरी महिपाल सिंह, चौधरी नरेंद्र सिंह, योगेंद्र त्यागी, प्रदीप कुमार त्यागी, प्रेमराज त्यागी, खिलेंद्र सिंह, सुभाष चन्द्र शर्मा आदि उपस्थित रहे ।






























:::::::प्रस्तुति:::::

त्यागी अशोक कृष्णम 

कुरकावली, जनपद सम्भल

उत्तर प्रदेश, भारत