काव्य प्रवाह अनुगूंज लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
काव्य प्रवाह अनुगूंज लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

रविवार, 5 मई 2024

मुरादाबाद के दिवंगत साहित्यकार अखिलेश वर्मा की स्मृति में शनिवार 4 मई 2024 को श्रद्धांजलि-सभा का आयोजन



मुरादाबाद के स्वतंत्रता सेनानी भवन में आयोजित श्रद्धांजलि-सभा में कीर्तिशेष अखिलेश वर्मा जी का स्मरण करते हुए आज उपस्थित सभी साहित्यकारों की आंखें नम हो गईं। विदित हो कि महानगर मुरादाबाद के साहित्यिक परिदृश्य  पर एक लंबे अरसे तक चर्चित व लोकप्रिय रहे सुविख्यात ग़ज़लकार एवं लघुकथा लेखक श्री अखिलेश वर्मा का रविवार 28 अप्रैल 2024 को बरेली में हुई सड़क दुर्घटना में असमय निधन हो गया था। उनकी स्मृति में हुई श्रद्धांजलि सभा में  साहित्यकारों ने उनके साथ अपने संस्मरणों को साझा करते हुए अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की। 

कीर्तिशेष अखिलेश वर्मा का स्मरण करते हुए वरिष्ठ कवि रघुराज सिंह निश्चल ने कहा - "निष्ठुर काल ने हमसे एक और प्यारा इंसान व बेहतरीन शायर छीन लिया। उनकी रचनाएं हमें सदैव उनका स्मरण कराती रहेगी।" 

    वरिष्ठ कवि श्रीकृष्ण शुक्ल ने कहा -"अपने मधुर व्यवहार  से अखिलेश जी ने प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में एक विशिष्ट स्थान बनाया। उनके व्यक्तित्व की सरलता उनकी रचनाओं में भी स्पष्ट दृष्टिगोचर होती है।" 

वरिष्ठ शायर डॉ. कृष्ण कुमार नाज़ की भावुकता भी अखिलेश जी को याद करते हुए इस प्रकार झलक उठी  - "अखिलेश वर्मा हमारे बीच में नहीं है, मन इस बात को मानने को अब भी तैयार नहीं। शायरी का एक जगमगाता दीपक समय से पूर्व ही विश्राम पर चला गया।" 

 डॉ. मनोज रस्तोगी के अनुसार -"कीर्तिशेष अखिलेश जी के अप्रकाशित साहित्य को सभी के प्रयासों से प्रकाशित कराया जायेगा। लोकप्रिय ब्लॉग साहित्यिक मुरादाबाद को आगे ले जाने में उनकी एक बड़ी भूमिका रही।" 

कवयित्री डॉ. अर्चना गुप्ता के अनुसार - "अखिलेश जी भौतिक रूप से आज भले ही हमारे बीच न हों परंतु अपने साहित्यिक अवदान में सदा उपस्थित रहेंगे।" 

वरिष्ठ नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा व्योम का कहना था -"श्री अखिलेश वर्मा ने अल्प समय में ही साहित्य को बहुत कुछ दिया। वह अपनी उत्कृष्ट रचनाओं में अमर रहेंगे। उनका अप्रकाशित साहित्य प्रकाशन तक जाना चाहिए।" 

कवि मनोज मनु के अनुसार - "अभी भी मन यही कह रहा है कि अखिलेश जी यहीं कहीं आसपास हैं। उनकी अद्भुत रचनाओं ने सभी के हृदय को भीतर तक स्पर्श किया।" 

महानगर के रचनाकार राजीव प्रखर का कहना था - "अखिलेश जी के व्यक्तित्व में विद्यमान सरलता, सौम्यता एवं जीवटता ने उन्हें एक बड़ा रचनाकार बनाया। उनका साहित्यिक समर्पण सभी को निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देगा।" 

कवयित्री मीनाक्षी ठाकुर भी अखिलेश जी का स्मरण करते हुए अत्यंत भावुक हो उठीं। उनका कहना था - "अखिलेश जी ने साहित्य के क्षेत्र में पग पग पर मेरा मार्गदर्शन किया मेरी साहित्यिक-यात्रा में उनका बहुत बड़ा योगदान है।" 

वरिष्ठ समाजसेवी धवल दीक्षित का कहना था - "अल्प समय में ही अखिलेश जी साहित्य व समाज को ऐसी रोशनी दे गये हैं जिसे शब्दों में व्यक्त करना संभव नहीं।" 

कवि मयंक शर्मा का कहना था - "अखिलेश जी की रचनाएं ज़मीन से जुड़ी हुई रचनाएं हैं। उनका असमय चले जाना समाज की एक बड़ी क्षति है।" 

कवि दुष्यंत बाबा ने कहा - "अखिलेश वर्मा जी का असमय चले जाना साहित्य एवं मानवता दोनों के लिए एक ऐसी क्षति है जिसकी पूर्ति करना संभव नहीं होगा।" 

कवि राशिद हुसैन के अनुसार -"अखिलेश जी को पढ़ते-सुनते हुए ही मैं ग़ज़ल लेखन की ओर आकर्षित हुआ। उनका चले जाना निश्चित रूप से एक अपूर्णीय क्षति है।" 

युवा कवि आवरण अग्रवाल श्रेष्ठ के अनुसार - "अखिलेश जी की रचनाएं उनकी उपस्थिति का आभास कराती रहेंगी।" 

इस अवसर पर वरिष्ठ रंगकर्मी राजेश सक्सेना,  कीर्तिशेष अखिलेश वर्मा जी के परिवार से उनके बड़े भ्राता श्री अवनेश वर्मा, श्री अशोक वर्मा, श्रीमती इंदु वर्मा, अखिलेश जी के सुपुत्र लक्ष्य वर्मा तथा भतीजे ऋषभ वर्मा ने भी उनकी स्मृतियां को साझा करते हुए उन्हें अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की। अंत में अखिलेश जी की स्मृति में दो मिनट के मौन एवं शांति पाठ के पश्चात् श्रद्धांजलि-सभा पूर्ण हुई। 











































मंगलवार, 21 सितंबर 2021

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था काव्यप्रवाह अनुगूंज की ओर से चंदौसी (जनपद सम्भल) के साहित्यकार रमेश अधीर के सम्मान में मंगलवार 21 सितंबर 2021 को किया गया काव्य गोष्ठी का आयोजन

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था काव्यप्रवाह अनुगूंज की ओर से आशियाना में कवयित्री डॉ रीता सिंह के आवास पर चंदौसी (जनपद सम्भल) के साहित्यकार रमेश अधीर के सम्मान में  काव्य- गोष्ठी का आयोजन मंगलवार 21 सितंबर 2021 को किया गया। 

युवा कवि मयंक शर्मा द्वारा प्रस्तुत माँ शारदे की वंदना से आरंभ हुए इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार डॉ. मनोज रस्तोगी ने अपनी चिर परिचित शैली में व्यंग्य का रंग भरते हुए कहा  - 

"सुन  रहे यह साल  आदमखोर है। 

हर तरफ  चीख, दहशत, शोर है। 

मत कहो वायरस जहरीला बहुत, 

इंसान ही आजकल कमज़ोर है।"

 मुख्य अतिथि के रूप में चंदौसी के वरिष्ठ रचनाकार  रमेश अधीर ने कहा --

 "मैं धरती का बाशिंदा हूँ धरती मुझको भाती है।

 आसमान में उड़ने वाली कला मुझे कब आती है।

 आज हवाओं का भी दामन दानवता ने दाग़ दिया,

 सुन-सुन कर क़िस्से कुटिलों के धरती धैर्य गँवाती है।" 

  विशिष्ट अतिथि के रूप में अखिलेश वर्मा ने ग़ज़ल प्रस्तुत करते हुए कहा ----

  "जो सोच रक्खे हैं सारे सवाल बदलेंगे

   ये उम्र बदलेगी तेरे ख़याल बदलेंगे

   उगलते ज़ह्र हैं इंसान का लबादा है 

   बरोज़ हश्र के ये अपनी खाल बदलेंगे"

कार्यक्रम का संचालन करते हुए राजीव प्रखर ने सुरक्षा के लिये सजग रहने वाले वीर सैनिकों को नमन करते हुए कहा - 

"निराशा ओढ़ कर कोई, न वीरों को लजा देना।

 नगाड़ा युद्ध का तुम भी, बढ़ा कर पग बजा देना।

 तुम्हें सौगन्ध माटी की, अगर मैं काम आ जाऊँ।

 बिना रोये प्रिये मुझको, तिरंगे से सजा देना।" 

कवयित्री डॉ. अर्चना गुप्ता ने अपने भावों को अपनी ग़ज़ल से अभिव्यक्ति देते हुए कहा - 

"मुहब्बत करेगी असर धीरे धीरे। 

उठेगी झुकी सी नज़र धीरे धीरे। 

चलो साथ मेरे क़दम तुम मिलाकर, 

लगेगा हसीं ये सफ़र धीरे धीरे।"

संयोजिका कवयित्री डाॅ. रीता सिंह की अभिव्यक्ति कुछ इस प्रकार रही - 

"मैं वेद पुराणों की गाथा। 

मैं भू का उन्नत सा माथा। 

मैं गंगा सतलज की धारा, 

मैं जग की आँखों का तारा।

मैं राम कृष्ण की धरती की,

नित लिखता नयी इबारत हूँ । 

मैं भारत हूँ , मैं भारत हूँ ....।"

युवा साहित्यकार मयंक शर्मा ने गीत की सुरीली तान कुछ इस प्रकार छेड़ी  -

 "मन ले चल अपने गाँव हमें शहर हुआ बेगाना,

  दुख का क्या है दुख से अपना पहले का याराना।"  

अपनी काव्यात्मक अभिव्यक्ति करते हुए दुष्यंत बाबा ने कहा - 

  "सपने कागज पर उकेर कर खुद ही मिटाता हूँ।

 गर्मी, सर्दी, बर्षा के साथ गम भी सह जाता हूँ।

 भोजन के बाद सलाद में गालियां भी खाता हूँ।

 इतनी आसानी से कहाँ पुलिसकर्मी बन जाता हूँ।"  

 कवयित्री डॉ. रीता सिंह द्वारा आभार अभिव्यक्त

किया गया ।

















::::::::प्रस्तुति::::::::

राजीव प्रखर

डिप्टी गंज

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत