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मंगलवार, 21 सितंबर 2021

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था काव्यप्रवाह अनुगूंज की ओर से चंदौसी (जनपद सम्भल) के साहित्यकार रमेश अधीर के सम्मान में मंगलवार 21 सितंबर 2021 को किया गया काव्य गोष्ठी का आयोजन

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था काव्यप्रवाह अनुगूंज की ओर से आशियाना में कवयित्री डॉ रीता सिंह के आवास पर चंदौसी (जनपद सम्भल) के साहित्यकार रमेश अधीर के सम्मान में  काव्य- गोष्ठी का आयोजन मंगलवार 21 सितंबर 2021 को किया गया। 

युवा कवि मयंक शर्मा द्वारा प्रस्तुत माँ शारदे की वंदना से आरंभ हुए इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार डॉ. मनोज रस्तोगी ने अपनी चिर परिचित शैली में व्यंग्य का रंग भरते हुए कहा  - 

"सुन  रहे यह साल  आदमखोर है। 

हर तरफ  चीख, दहशत, शोर है। 

मत कहो वायरस जहरीला बहुत, 

इंसान ही आजकल कमज़ोर है।"

 मुख्य अतिथि के रूप में चंदौसी के वरिष्ठ रचनाकार  रमेश अधीर ने कहा --

 "मैं धरती का बाशिंदा हूँ धरती मुझको भाती है।

 आसमान में उड़ने वाली कला मुझे कब आती है।

 आज हवाओं का भी दामन दानवता ने दाग़ दिया,

 सुन-सुन कर क़िस्से कुटिलों के धरती धैर्य गँवाती है।" 

  विशिष्ट अतिथि के रूप में अखिलेश वर्मा ने ग़ज़ल प्रस्तुत करते हुए कहा ----

  "जो सोच रक्खे हैं सारे सवाल बदलेंगे

   ये उम्र बदलेगी तेरे ख़याल बदलेंगे

   उगलते ज़ह्र हैं इंसान का लबादा है 

   बरोज़ हश्र के ये अपनी खाल बदलेंगे"

कार्यक्रम का संचालन करते हुए राजीव प्रखर ने सुरक्षा के लिये सजग रहने वाले वीर सैनिकों को नमन करते हुए कहा - 

"निराशा ओढ़ कर कोई, न वीरों को लजा देना।

 नगाड़ा युद्ध का तुम भी, बढ़ा कर पग बजा देना।

 तुम्हें सौगन्ध माटी की, अगर मैं काम आ जाऊँ।

 बिना रोये प्रिये मुझको, तिरंगे से सजा देना।" 

कवयित्री डॉ. अर्चना गुप्ता ने अपने भावों को अपनी ग़ज़ल से अभिव्यक्ति देते हुए कहा - 

"मुहब्बत करेगी असर धीरे धीरे। 

उठेगी झुकी सी नज़र धीरे धीरे। 

चलो साथ मेरे क़दम तुम मिलाकर, 

लगेगा हसीं ये सफ़र धीरे धीरे।"

संयोजिका कवयित्री डाॅ. रीता सिंह की अभिव्यक्ति कुछ इस प्रकार रही - 

"मैं वेद पुराणों की गाथा। 

मैं भू का उन्नत सा माथा। 

मैं गंगा सतलज की धारा, 

मैं जग की आँखों का तारा।

मैं राम कृष्ण की धरती की,

नित लिखता नयी इबारत हूँ । 

मैं भारत हूँ , मैं भारत हूँ ....।"

युवा साहित्यकार मयंक शर्मा ने गीत की सुरीली तान कुछ इस प्रकार छेड़ी  -

 "मन ले चल अपने गाँव हमें शहर हुआ बेगाना,

  दुख का क्या है दुख से अपना पहले का याराना।"  

अपनी काव्यात्मक अभिव्यक्ति करते हुए दुष्यंत बाबा ने कहा - 

  "सपने कागज पर उकेर कर खुद ही मिटाता हूँ।

 गर्मी, सर्दी, बर्षा के साथ गम भी सह जाता हूँ।

 भोजन के बाद सलाद में गालियां भी खाता हूँ।

 इतनी आसानी से कहाँ पुलिसकर्मी बन जाता हूँ।"  

 कवयित्री डॉ. रीता सिंह द्वारा आभार अभिव्यक्त

किया गया ।

















::::::::प्रस्तुति::::::::

राजीव प्रखर

डिप्टी गंज

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

रविवार, 14 फ़रवरी 2021

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था काव्य प्रवाह अनुगूंज ने आयोजित किया पुलवामा शहीदों को समर्पित कवि-सम्मेलन

     मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था काव्य प्रवाह अनुगूंज की ओर से पुलवामा के शहीदों को समर्पित एक शाम शहीदों के नाम कवि-सम्मेलन  का आयोजन रविवार 14 फरवरी 2021 को मानसरोवर कन्या इंटर कॉलेज मुरादाबाद में किया गया। डॉ. अर्चना गुप्ता द्वारा प्रस्तुत माँ शारदे की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार डॉ. मक्खन 'मुरादाबादी' ने की। मुख्य अतिथि डॉ. सोमपाल सिंह (प्राचार्य डी. एस. एम. कालेज,काँठ) एवं विशिष्ट अतिथि सुप्रसिद्ध शायर डॉ. कृष्ण कुमार 'नाज़' थे । कार्यक्रम का संचालन संयुक्त रूप से मयंक शर्मा व आवरण अग्रवाल 'श्रेष्ठ' ने किया।  

कार्यक्रम में राजीव 'प्रखर' ने कहा --

लिये जां हाथ में अपनी, सजग हर बार रहते हैं।

अड़े जिनके सदा सम्मुख, कई मझधार रहते हैं।

उन्हें शत्-शत् नमन है जो, वतन के मान पर हरदम,

लिपटने को तिरंगे में, खड़े तैयार रहते हैं।

डॉ. अर्चना गुप्ता ने कहा ---

सीमा पर रहते हो पापा,

माना मुश्किल है घर आना।

कितना याद सभी करते हैं,

चाहूँ मैं बस यह बतलाना।

अभिषेक रुहेला का स्वर था ---

मन ही मन हम चले आये हैं,

रूठ कब हम चले आये हैं।

मीनाक्षी ठाकुर ने गीत प्रस्तुत किया ---

हे भारत भूमि तुझे नमन।

वीरों की धरती तुझे नमन।

डॉ. रीता सिंह ने शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा----

वीरों का वंदन माथे का चंदन,

इन को करें नमन, आओ करें नमन।

डॉ. ममता सिंह ने ग़ज़ल प्रस्तुत की ----

वतन की आन पे तो जान भी क़ुर्बान है यारो।

कफ़न गर हो तिरंगे का तो बढ़ता मान है यारो।।

श्रीकृष्ण शुक्ल ने कहा ---

तुम क्या जानो किस जीवट से,

सैनिक का जीवन चलता है।

सीमाओं पर सैनिक प्रतिपल जीता है,

प्रतिपल मरता है।

डॉ. कृष्ण कुमार नाज़ ने कहा ----

ज़ह्न की आवारगी को इस क़दर प्यारा हूँ मैं

साथ चलती है मेरे, इक ऐसा बंजारा हूँ मैं

ईशांत शर्मा 'ईशु' का स्वर था ----

भारत को और मजबूत बनायेंगे हम

एक बार फिर से मुस्कुरायेंगे हम

दुष्यंत बाबा ने कहा ---

आओ मिलकर कर्मवीर की, विधवा का सम्मान करें।

शीश झुकाकर चरणों में हम, आज उन्हें प्रणाम करें।

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मनोज रस्तोगी ने कहा ----

हम देश के हर फ़ैसले पर,

एतराज जताते हैं।

और तो और अपनी ही हार पर,

जश्न मनाते हैं।

अखिलेश वर्मा  ने कहा ----

देश की रखे न शान, देश का रखे न मान

ऐसे देशद्रोही को तो देश से निकल दो।

चन्द्रहास 'हर्ष' ने कहा----

हमारे मन में आती रहे, श्रद्धा की यह स्वर लहरी।

नमन् करें हम उनको, जो हमारे राष्ट्र प्रहरी।

डॉ. मक्खन 'मुरादाबादी' ने कहा ----

वह सभी को/ खुश रखती थी

खुश ही रहती थी, अब नहीं रहती

एक नदी/बहती थी/अब नहीं बहती।

कार्यक्रम में अरविंद आनंद अरविंद  , विमल कुमार , रामेश्वर सिंह , दयावती , मीनू , हेमेन्द्र कुमार , सुनील ठाकुर आदि भी उपस्थित रहे ।संस्था-अध्यक्ष श्रीकृष्ण शुक्ल द्वारा आभार अभिव्यक्ति के साथ कार्यक्रम विश्राम पर पहुँचा।