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सोमवार, 30 मई 2022

मुरादाबाद के साहित्यकार वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी के लघु कहानी संग्रह 'अनोखा ताबीज़' का अखिल भारतीय साहित्य परिषद मुरादाबाद की ओर से रविवार 29 मई 2022 को आयोजित समारोह में लोकार्पण

मुरादाबाद के  साहित्यकार  वीरेन्द्र सिंह 'ब्रजवासी' के लघु कहानी संग्रह 'अनोखा ताबीज़' का  लोकार्पण 29 मई 2022 ,रविवार को अखिल भारतीय साहित्य परिषद मुरादाबाद के तत्वावधान में एम. आई. टी. सभागार में हुआ। इस अवसर पर वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी को उनकी साहित्य साधना के लिए, अखिल भारतीय साहित्य परिषद, मुरादाबाद की ओर से साहित्य मनीषी सम्मान से अलंकृत भी किया गया। सम्मान स्वरूप उन्हें अंग-वस्त्र, मानपत्र एवं प्रतीक चिन्ह अर्पित किए गए।

 मयंक शर्मा द्वारा प्रस्तुत माॅं शारदे की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सुधीर गुप्ता एडवोकेट (वरिष्ठ अधिवक्ता एवं चेयरमैन-एम.आई.टी.) ने कहा कि अपने इस उत्कृष्ट कहानी संग्रह के माध्यम से श्री ब्रजवासी जी समाज के सभी वर्गों तक अपनी पहुॅंच बनाने में सफल होंगे, ऐसा मुझे विश्वास है‌।

     लोकार्पित लघु कहानी संग्रह के विषय में अपने विचार व्यक्त करते हुए सुप्रसिद्ध नवगीतकार माहेश्वर तिवारी ने कहा - "ब्रजवासी जी हिंदी के समर्पित साधक हैं। उन्होंने सृजन के विभिन्न स्वरूपों, यथा गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, लोकगीत आदि में अपने लेखकीय व्यक्तित्व का विकास किया है। यही नहीं, गद्य में भी उनकी अच्छी गति है और सद्य प्रकाशित लघु कहानियों का संग्रह अनोखा ताबीज़ इस गौरवशाली यात्रा में एक नया पड़ाव कहा जा सकता है। भविष्य में उनसे ऐसी ही उत्कृष्ट कृतियों की अपेक्षा की जाए तो यह स्वाभाविक ही होगा।

विशिष्ट अतिथि एवं मेरठ से उपस्थित हुए गीतकार डॉ. रामगोपाल भारतीय के उद्गार थे - "गीतकार तथा कहानीकार वीरेन्द्र ब्रजवासी ने अपने लघु कथा संग्रह अनोखा ताबीज़ में भारतीय  परिवेश में समाज के रिश्तों को परिभाषित किया है। वह गीतकार तो हैं ही एक अच्छे कहानी कार भी हैं।"

  विशिष्ट अतिथि  साहित्यकार डॉ. महेश 'दिवाकर' ने  कहा - "मुझे विश्वास है कि श्री ब्रजवासी जी की यह कृति भी सभी के हृदयों को स्पर्श करते हुए समाज की महत्वपूर्ण कृतियों में अपना स्थान बनायेगी।"

    विशिष्ट अतिथि डॉ. विशेष गुप्ता का कहना था - "वीरेन्द्र ब्रजवासी जी द्वारा लिखित कहानी संग्रह अनोखा ताबीज़ में अतीत, वर्तमान तथा भविष्य के पात्रों के माध्यम से समाज को सांस्कृतिक मूल्यों से परिपूर्ण सार्थक संदेश मिला है।"

     विशिष्ट अतिथि  अनिल शमी ने कहा - "श्री ब्रजवासी जी का यह सारस्वत प्रयास साहित्यकारों की नयी पीढ़ी को भी निश्चित रूप से प्रेरित करेगा।" 

     कृति के संबंध में विचार रखते हुए राजीव प्रखर का कहना था - "समाज में व्याप्त विभिन्न विद्रूपताओं को सशक्त रूप में सामने रखना व उनके हल प्रस्तुत करना इस कृति की विशेषता है। लेखन संबंधी कुछ समस्याओं के बावजूद श्री ब्रजवासी अपनी बात समाज के आम जनमानस तक पहुॅंचाने में सफल रहे हैं।"

      डाॅ. आर सी शुक्ला, दुष्यंत बाबा, हेमा तिवारी, विवेक निर्मल, हिमानी सागर, श्रीकृष्ण शुक्ल, रश्मि प्रभाकर, राघवेन्द्र मणि, योगेन्द्र पाल विश्नोई, रघुराज सिंह निश्चल,  पूजा राणा, उदय अस्त उदय, के. पी. सरल, ज़िया ज़मीर, डॉ. कृष्ण कुमार नाज़, मनोज मनु, जितेन्द्र'जौली', नजीब सुल्ताना, नकुल त्यागी, वीरेंद्र सिंह, शलभ गुप्ता, रवि चतुर्वेदी, काले सिंह साल्टा, ओंकार सिंह ओंकार, शिशुपाल मधुकर, लीलावती, आदि ने भी कृति के विषय में अपने विचार व्यक्त किए। अर्पित मान पत्र का वाचन अशोक विद्रोही ने किया। 

  कार्यक्रम का संचालन संयुक्त रूप से वरिष्ठ व्यंग्यकार अशोक विश्नोई एवं वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार डॉ. मनोज रस्तोगी तथा संयोजन राजीव प्रखर ने किया।डॉ. प्रेमवती उपाध्याय ने आभार-अभिव्यक्त किया।

































सोमवार, 31 जनवरी 2022

अखिल भारतीय साहित्य परिषद मुरादाबाद की ओर से तीस जनवरी 2022 को शहीदों के सम्मान में हुई ऑनलाइन काव्य-गोष्ठी

 


अखिल भारतीय साहित्य परिषद ,मुरादाबाद की ओर से देश के अमर शहीदों के सम्मान में गूगल मीट के माध्यम से एक ऑनलाइन काव्य-गोष्ठी का आयोजन रविवार 30 जनवरी 2022 को किया गया। कवि राजीव 'प्रखर' द्वारा प्रस्तुत माँ सरस्वती की वंदना से आरंभ हुए इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवयित्री एवं मुरादाबाद इकाई की अध्यक्ष डॉ. प्रेमवती उपाध्याय ने राष्ट्रप्रेम की अलख जगाते हुए कहा - 

"राष्ट्र की अर्चना, राष्ट्र आराधना, निशि दिवस हम करें ,राष्ट्र वंदन करें ।।

राष्ट्रहित जो मरे ,राष्ट्रहित जो जिये, उनके चरणों मे  शत शत नमन हम करें ।।"

 मुख्य अतिथि वरिष्ठ इतिहासकार तथा साहित्यकार डॉ. अजय 'अनुपम' ने मुक्तक प्रस्तुत किए- 

"दर्पण की धूल हटाओ, देश हमारा है। 

भीतर का सत्य जगाओ, देश हमारा है।

हर फूल, शूल अपना होता है, क्यारी में मिलकर,

उपवन विकसाओ, देश हमारा है।"

विशिष्ट अतिथि के रूप में सुप्रसिद्ध नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने वर्तमान परिदृश्य का चित्र खींचते हुए अपने दोहों में कहा -

"राजनीति में देखकर, छलछंदों की रीत।

कुर्सी भी लिखने लगी, अवसरवादी गीत।।

आज़ादी के बाद का, बता रहा इतिहास।

सिर्फ़ चुनावों के समय, वोटर होता ख़ास।।"

 विशिष्ट अतिथि कवयित्री सरिता लाल ने अपनी आस्था कुछ इस प्रकार व्यक्त की- 

"शहीदों की आत्मायें भी शायद 

अब तक मुक्त नहीं हो पायीं हैं, 

बद्दुआ तो नहीं दे सकतीं अपने देश को, 

लेकिन दुआओं के लिए भी हाथ नहीं उठा पायीं हैं।।"

विशिष्ट अतिथि डॉ. संगीता महेश ने मंगलकामना करते हुए 

कहा -

"आकाश से पृथ्वी तक मेरा भारत सूर्य सम चमके, 

रब से दुआ हम दिन रात करते हैं। 

आओ अपने प्यारे भारत की बात करते हैं।" 

 संचालन करते हुए राजीव 'प्रखर' ने अपनी अभिव्यक्ति इस प्रकार की - 

"निराशा ओढ़कर कोई, न वीरों को लजा देना।

नगाड़ा युद्ध का तुम भी, बढ़ाकर पग बजा देना।

तुम्हें सौगन्ध माटी की, अगर मैं काम आ जाऊँ, 

बिना रोये प्रिये मुझको, तिरंगों से सजा देना।

कवि प्रशांत मिश्र ने अपनी आंदोलित करती रचना में कहा- 

"शत्रु ह्रदय प्रति-साँस, भारत माता की जय-जय कार करें, आओ...! सिंहनाद करें।" 

कवयित्री डाॅ. रीता सिंह ने वीरों का वंदन करते हुए सुनाया- 

"वीरों का वंदन, माथे का चंदन।

 आओ करें नमन, इनको करें नमन।"

कवि अशोक 'विद्रोही' ने शहीदों को नमन करते हुए कहा-

"मान माता तेरा हम बढ़ाएंगे, धूल माथे से तेरी लगाएंगे।

 एक क्या सौ जन्म तुझ पे कुर्बान माँ, भेंट अपने सरों की चढ़ाएंगे।।" 

कवयित्री हेमा तिवारी भट्ट के उदगार थे - 

"नेतृत्व चाहिए, नेतृत्व चाहिए। 

हमें बोस भगत से व्यक्तित्व चाहिए। 

नया सवेरा हमें लाना होगा। 

विवेकानंद बन जाना होगा।।"

कवयित्री मोनिका 'मासूम' ने अपनी हृदयस्पर्शी ग़ज़ल में कहा - 

"निहां है दर्द भी हँसती हुई आँखों में पढ़कर देखिए। 

लगा कर मौत सीने से कभी सरहद पे लड़कर देखिए। 

बहुत आसाँ है महलों को खङा करना खयालों में कभी, 

हकीकत की ज़मी पे नींव की दो ईंट गढ़ कर देखिए।" 

शायर व कवि मनोज 'मनु' ने अपने दोहे प्रस्तुत करते हुए कहा -

"शब्द नहीं एक भाव है, आज़ादी की बात।

स्वाभिमान की राष्ट्र को, मिलने दें सौगात।।

नमन शहीदों आपको, मेरा शत शत बार।

बलिदानों से आपके , हर दिन अब त्यौहार।।" 

कार्यक्रम में वरिष्ठ व्यंग्यकार अशोक विश्नोई एवं कवयित्री डॉ. सुगंधा अग्रवाल ने उपस्थित रहकर सभी का उत्साहवर्धन किया। मोनिका 'मासूम'  द्वारा आभार-अभिव्यक्ति के साथ कार्यक्रम विश्राम पर पहुँचा।


सोमवार, 4 अक्तूबर 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विश्नोई के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर केंद्रित ग्रंथ 'अशोक विश्नोई : एक विलक्षण साधक' का अखिल भारतीय साहित्य परिषद् की ओर से रविवार 3 अक्टूबर को किया गया लोकार्पण । इस ग्रन्थ का सम्पादन किया है डॉ महेश दिवाकर ने।

 मुरादाबाद के वरिष्ठ साहित्यकार एवं लघु फ़िल्म निर्माता-निर्देशक अशोक विश्नोई के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. महेश 'दिवाकर' द्वारा सम्पादित ग्रंथ 'अशोक विश्नोई : एक विलक्षण साधक ' का लोकार्पण एवं सम्मान समारोह का आयोजन रविवार तीन अक्टूबर 2021 को एम.आई.टी. सभागार में हुआ। अखिल भारतीय साहित्य परिषद  मुरादाबाद की ओर से आयोजित इस भव्य समारोह में अशोक विश्नोई को 'साहित्य सागर सम्मान' से सम्मानित भी किया गया।  महानगर के रचनाकार राजीव 'प्रखर' द्वारा प्रस्तुत माँ शारदे की वंदना से आरंभ हुए इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता  सुधीर गुप्ता (ट्रस्टी एम. आई. टी., मुरादाबाद) ने कहा कि मुरादाबाद के साहित्यिक व सांस्कृतिक पटल पर आदरणीय अशोक विश्नोई जी का योगदान आने वाली रचनाकारों की पीढ़ियों को निरंतर प्रोत्साहित करेगा, ऐसा मेरा मानना है।       मुख्य अतिथि डॉ. विशेष गुप्ता (अध्यक्ष बाल संरक्षण आयोग  उ. प्र. सरकार) ने साहित्यिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में श्री अशोक विश्नोई के योगदान की चर्चा करते हुए कहा - बहुमुखी प्रतिभा के धनी आदरणीय अशोक विश्नोई जी का मुरादाबाद सहित दूर-दूर के साहित्यिक पटलों पर योगदान किसी से छिपा नहीं है। उनका सतत साहित्यिक समर्पण व सक्रियता आज देश में दूर-दूर तक सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है। निश्चित ही वह साहित्य जगत की अनमोल धरोहर हैं।

  विशिष्ट अतिथि के रुप में मुम्बई से आये साहित्यकार प्रदीप गुप्ता ने कहा कि अशोक विश्नोई ने न केवल हिन्दी साहित्य की विभिन्न विधाओं में उल्लेखनीय योगदान दिया है बल्कि अपने प्रकाशन के माध्यम से साहित्यकारों की रचनाओं से हिन्दी संसार को अवगत भी कराया है। वह मेरे रोल मॉडल रहे हैं ।

   विशिष्ट अतिथि डॉ. बृजेश तिवारी के उद्गार थे - हिन्दी के अनन्य साधक श्री अशोक विश्नोई  का संपूर्ण जीवन माँ वीणापाणि की सतत साधना में व्यतीत हुआ है। आप एक कवि, लेखक,पत्रकार व समाजसेवी एवं फिल्म निर्माता-निर्देशक के रूप में मुरादाबाद ही नहीं अपितु अखिल सॄजन संसार में चिरस्मणीय रहेंगे। 

     सम्मानित विभूति अशोक विश्नोई  के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. महेश 'दिवाकर' का कहना था - "मुरादाबाद निवासी साहित्यकार श्री अशोक विश्नोई  हिन्दी के लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। अपने 75 वर्षीय जीवन में से पांच दशक आपने हिन्दी की सेवा में दिए। साहित्य सर्जक, पत्रकार और सागर तरंग प्रकाशन के स्वामी के रूप में साहित्य के क्षेत्र में मुरादाबाद का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित करने वाले श्री अशोक विश्नोई का अकूत योगदान साहित्य जगत को सदैव प्रेरित करता रहेगा।"

    कार्यक्रम का संचालन करते हुए वरिष्ठ रचनाकार एवं पत्रकार डॉ. मनोज रस्तोगी ने कहा कि अशोक विश्नोई ने मुरादाबाद की साहित्यिक पत्रकारिता की परंपरा को आगे बढ़ाया। छात्र जीवन में ही उनके भीतर साहित्य के अंकुर फूटने लगे थे। वर्ष 1967 में जब वह हिंदू महाविद्यालय में स्नातक के छात्र थे तब उन्होंने प्रख्यात साहित्यकार एवं संगीतज्ञ पंडित मदन मोहन व्यास और प्रोफेसर महेंद्र प्रताप जी के संरक्षण में मासिक पत्रिका 'हृदय-उद्गार' का प्रकाशन-संपादन शुरु किया। इस पत्रिका के परामर्शदाता थे साहित्यकार आमोद कुमार अग्रवाल जी। साहित्यिक पत्रकारिता की यह यात्रा फिल्म पत्रिका 'सिने पायल', 'चित्रक' साप्ताहिक, 'वसंत-विहार' साप्ताहिक, 'ज्योतिष पथ मासिक' एवं 'सागर-तरंग' मासिक के पड़ाव को पार करती हुई निरंतर गतिशील रही। वर्ष 1995 में उन्होंने वार्षिक पत्रिका 'आकार' का प्रकाशन- संपादन प्रारंभ किया। इस पत्रिका का उद्देश्य था-'समाज के लिए अज्ञात एवं अप्रत्यक्ष रचनात्मकता को ज्ञात एवं प्रत्यक्ष करना।' 

     वरिष्ठ साहित्यकार शिशुपाल सिंह मधुकर ने कहा कि विश्नोई जी जितने साधारण दिखाई देते हैं वे उतने ही असाधारण प्रतिभा अपने अन्दर समेटे हैं।  वे न केवल कविता व साहित्य के क्षेत्र में अपनी धमक बनाए हुए हैं बल्कि प्रकाशन, पत्रकारिता, रंगमंच व फ़िल्म के क्षेत्र में भी अपनी सक्रियता से कई उपलब्धियां अपने खाते में दर्ज कराते हैं।  उनका सारा लेखन आम जनता को समर्पित है । आम आदमी की समस्याएं, दुख-तकलीफें ही उनकी कविताओं का मूल केंद्र हैं। वह समाज में व्याप्त तमाम बुराइयों, विसंगतियों, कुरीतियों, अन्ध विश्वासों व गलत परम्पराओं के ख़िलाफ़ विद्रोह का स्वर बुलंद करते हैं। राजनीति की अस्वस्थ होती जा रही परम्पराओं पर भी उनकी पैनी नज़र रहती है। उनका समस्त रचना संसार का अस्तित्व इन्हीं यथार्थ परक भावनाओं और संवेदनाओं पर टिका है जो कि उन्हें एक सच्चे साहित्यकार होने का गौरव प्रदान करता है ।

वैदिक वानप्रस्थ आश्रम मुरादाबाद के व्यवस्थापक काले सिंह 'साल्टा' ने कहा कि अशोक विश्नोई से  मेरे सम्बंध लगभग 60 वर्ष पुराने हैं। वह जैसे पहले थे आज भी वैसे ही हैं । वह एक अच्छे कवि, उत्कृष्ट लेखक हैं। उनके द्वारा अनेक पुस्तकें, सागर तरंग प्रकाशन, मुरादाबाद द्वारा प्रकाशित की गई हैं।

  रामपुर से आये वरिष्ठ कवि राम किशोर वर्मा ने उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर दोहे प्रस्तुत किये ---

निर्माता लेखक सभी, गुण रखें कवि अशोक । विश्नोई इच्छा सदा, कहीं नहीं हो शोक |


मेरे तो भ्राता बड़े, करें बहुत ही प्यार । 

जितना उनको मान दूँ, देते सभी उतार ।।


मुंह पर कहते साफ़ हैं, वह मन से ही साफ । 

ग़लती जो स्वीकार ले, कर देते हैं माफ़


अभिनेता फ़िल्मी सभी, देखे उनके साथ । 

लघु फ़िल्में होतीं सफल, जिन पर रखते हाथ ॥


काव्य कला में आपका, उच्च बहुत नाम । 

सभी कनिष्ठों में सदा, हित भी करते काम ।


कम शब्दों में हैं कही, गहरी गहरी बात । 

माला में चुनकर सभी छंद पिरोते आप | 


नये लेखकों को सदा, मार्ग दिखाते आप | 

आपके व्यक्तित्व की, यही अनोखी बात ॥ 


करे लेखनी आपकी, ऐसे उद्धत काज । 

जिनको पढ़ होता सदा, इस समाज को नाज़ ॥ 


उस व्यक्तित्व में भरा, इतना ज्ञान अपार । 

उनके मन में है भरा, परहित पर उपकार ।।

रामपुर से पधारे वरिष्ठ साहित्यकार रवि प्रकाश ने अशोक विश्नोई को बधाई देते हुए कुण्डलिया प्रस्तुत की -----

विश्नोई  जी  को  नमन ,प्रतिभा से संपन्न

वृद्ध हुआ है तन मगर ,मन से युवा प्रसन्न

मन  से  युवा  प्रसन्न ,समीक्षा  करते पाते 

लिखे  हायकू काव्य ,छटा अद्भुत फैलाते

कहते  रवि कविराय ,क्षेत्र कब छूटा कोई

अभिनय  के सम्राट , धन्य श्री श्री विश्नोई

गजरौला (अमरोहा) से पधारीं कवयित्री  प्रीति चौधरी ने भी इस अवसर पर कुछ दोहे प्रस्तुत किये ----

कम शब्दों में हैं कही, गहरी गहरी बात ।

 माला में चुनकर सभी, छंद पिरोते आप ॥ 

 नये लेखकों को सदा, मार्ग दिखाते आप । 

 आपके व्यक्तित्व की, यही अनोखी बात ॥ 

 करे लेखनी आपकी, ऐसे उद्धत काज । 

 जिनको पढ़ होता सदा, इस समाज को नाज़ || 

 उस व्यक्तित्व में भरा, इतना ज्ञान अपार । 

 उनके मन में है भरा, परहित पर उपकार ॥

वरिष्ठ साहित्यकार वीरेंद्र सिंह बृजवासी ने भी इस अवसर पर उन्हें शुभकामनाएं देते हुए उन्हें सम्मानित किया। 

लोकार्पण एवं सम्मान समारोह के पश्चात् श्री अशोक विश्नोई की प्रस्तुति  में बनी लघु फ़िल्म 'शपथ' का प्रथम प्रदर्शन भी हुआ। बलात्कार जैसी जघन्य बुराई के विरुद्ध अधिवक्ताओं के उत्तरदायित्व पर आधारित इस लघु फ़िल्म उपस्थित जन समूह की ओर से भरपूर सराहना व समर्थन प्राप्त हुआ। कार्यक्रम में योगेन्द्र वर्मा व्योम, डाॅ. कृष्ण कुमार नाज़, उमाकांत गुप्ता, डाॅ. मधु सक्सेना, डॉ. मीरा कश्यप, शलभ गुप्ता, अरविन्द आनंद, मयंक शर्मा, अतुल जौहरी, डाॅ. शीनुल इस्लाम, अनिल कांत बंसल, फक्कड़ मुरादाबादी, अशोक विद्रोही, एमपी बादल जायसी, रूप किशोर गुप्ता, ओंकार सिंह ओंकार आदि उपस्थित रहे।

अखिल भारतीय साहित्य परिषद मुरादाबाद इकाई की अध्यक्ष डॉ प्रेमवती उपाध्याय ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अशोक विश्नोई को सम्मानित करते हुए संस्था गर्व का अनुभव कर रही है ।