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गुरुवार, 8 फ़रवरी 2024

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष डॉ ज्ञान प्रकाश सोती की रचना । वह 'ठुंठ' उपनाम से कविताएं लिखा करते थे । प्रस्तुत रचना मुरादाबाद से राजनारायण मेहरोत्रा के सम्पादन में प्रकाशित 'प्रदेश पत्रिका' के रविवार 5 जनवरी 1963 में प्रकाशित हुई थी ।

 




मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष डॉ ज्ञान प्रकाश सोती की रचना । वह 'ठुंठ' उपनाम से कविताएं लिखा करते थे । प्रस्तुत रचना मुरादाबाद से राजनारायण मेहरोत्रा के सम्पादन में प्रकाशित 'प्रदेश पत्रिका' के रविवार 9 जून 1963 में प्रकाशित हुई थी ।

 



मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष डॉ ज्ञान प्रकाश सोती की रचना । वह 'ठुंठ' उपनाम से कविताएं लिखा करते थे । प्रस्तुत रचना मुरादाबाद से राजनारायण मेहरोत्रा के सम्पादन में प्रकाशित 'प्रदेश पत्रिका'के प्रवेशांक रविवार 21 अप्रैल 1963 में प्रकाशित हुई थी ।


 

रविवार, 2 अक्तूबर 2022

मुरादाबाद के रंगकर्मी,चित्रकार एवं साहित्यकार स्मृति शेष डॉ ज्ञान प्रकाश सोती ’ठुंठ’ की कविता .... गांधी जयंती । यह कविता हमने ली है वर्ष 1964 में हिंदी साहित्य निकेतन द्वारा प्रकाशित साझा काव्य संग्रह 'तीर और तरंग 'से। मुरादाबाद जनपद के 39 कवियों के इस काव्य संग्रह का संपादन किया था गिरिराज शरण अग्रवाल और नवल किशोर गुप्ता ने ।


अरे सुनो !

कल शाम सड़क पर, 

गली - गली कूचे - कूचे में

स्टेशन पर,

दोराहों पर,

चौराहों पर,

मटक मटक कर, 

फुदक फुदक कर,

खूब कड़क कर,

कहता था तस्वीरों वाला ।

सुनो, मुसाफिर जाने वालों !

कल को गाँधी दिवस मना लो ।

चार आने में गाँधी ले लो,

आठ आने में गांधी ले लो,

एक रुपये में गाँधी ले लो

पाँच रुपये में गाँधी ले लो

खड़े पोज़ में,

पड़े पोज़ में,

मरे पोज़ में,

हँसे पोज़ में,

नमक बनाते,

सूत कातते,

झन्डा लेकर गोरों को फटकार बताते;

राम नाम धुन गाते-गाते 

अन्त समय का;

जैसा चाहो मिल सकता है,

एक आने में भी मिलता है, 

दो पैसे में भी मिलता है । 

तभी अचानक सोचा मैंने 

जन्म दिवस है कल बापू का 

ले लो कुछ तस्वीरें तुम भी, 

दीवारें भी सज जायेंगी, 

कुछ बातें भी सध जायेंगी; 

यह अवसर है रोब जमा लू, 

और छिपा लूं अपनी काली करतूतों को ।

एक आड़ तो हो जायगी 

गांधी की इन तस्वीरों से;

बापू के आदर्श बता कर 

जो चाहूँगा कर सकता हूँ, 

अपनी कोठी भर सकता हूं। 

भोली जनता क्या समझेगी दूरन्देशी ? 

पर बापू

तुम तो जानोगे सारी बातें

सारी घातें, 

जो इनके पीछे होती हैं ।

भूल चुके हैं हम सारे आदर्श तुम्हारे 

जिनके द्वारा आज हमें 

अधिकार मिला है आज़ादी का

सच पूछो तो याद किया करते हम दो दिन

जन्म दिवस पर, 

मरण दिवस पर,

और टाँग देते हैं तुमको

कमज़ोरी पर आड़ लगाने ।

और मेरे बापू

तुम कितने उदार कितने अच्छे हो,

इस मँहगाई के युग में भी कितने सस्ते हो ?

बापू !

मन में मैल न लाना

क्षोभ न लाना ।

हम भारतवासी वर्षों से ही ऐसे हैं

मन से खोटे हैं ।

सच पूछो तो बेपेंदी के लोटे हैं |

जन्म दिवस पर आज तुम्हारे,

कोटि कोटि कन्ठों से तेरा अभिनन्दन है |

✍️ ज्ञान प्रकाश सोती ’ठुंठ’

::::::::प्रस्तुति::::;:

डॉ मनोज रस्तोगी

8, जीलाल स्ट्रीट

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल फ़ोन 9456687822