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चीखना एक ऐसा हुनर बन चुका है, जो हर क्षेत्र में ना केवल कमाल दिखा रहा है अपितु कमाई का एक सर्वोत्तम साधन बन चुका है टीवी पर समाचारों के स्थान पर चीखने के टॉक शो चलते हैं जो जितना अधिक चीख चीख कर प्रभावी ढंग से अपनी बात रख जाता है वही शेर बन जाता है मध्यम स्वर तो कहां दब के रह जाता है सुनाई नहीं देता ।कुछ तो टीवी शो चीखने की क्षमता पर ही चल रहे हैं। राजनीति में भी चीखना अच्छी कला मानी जाने लगी है जो जितना अधिक चीख सकता है समझो उतना प्रभावशाली है ।चीखना सोशल मीडिया का एक ऐसा हथियार बन गया है कि आम नागरिक इस चीख-पुकार को सुनकर कई बार सदमे में आ जाता है जी हां.... गौर से देखिए, यह वही जगह है ,खूनी जगह,लोगो को मार देने वाली जगह जहां एक्सीडेंट हुआ था .............
समाज में भी यदि कोई चीख पुकार करने वाला व्यक्ति होता है तो वह केंद्र बिंदु में रहता है।
इसी प्रकार जानवरों में भी यह खासियत देखी गई है कुछ टीवी टॉक शो की तरह कुत्तों में भी चीखने की जैसे प्रतियोगिता सी चलती है कोई हार मानने को तैयार ही नहीं होता बशर्ते भोंक भोंक के हलक बाहर आने को तैयार हो....
कुछ लोगों के लिए चीखना बहुत आसान काम होता है क्योंकि वह साधारण बात भी चीख–चीख कर ही कहते हैं, परेशानी तो विनम्र स्वभाव वाले की है मरता क्या न करता चीखने की कोशिश करता है परंतु आवाज हलक से बाहर ही नहीं आती अब कोई मोर को कहे सियार जैसे आवाज निकालो या कुत्ता जैसे भोंको तो यह उसकी प्रवृत्ति तो नहीं...
चीखना सीखने के लिए अपनी प्रवृत्ति छोड़ना पड़ती है जो कि असंभव सा है परंतु चीखने के युग में जी रहे हैं तो थोड़ा चीखना भी अवश्यंभावी ही है अतः चीखने की सकारात्मकता, अन्याय पर न्याय की विजय के लिए चीखना भी आवश्यक है।
✍️ मीनाक्षी वर्मा
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
अगले दिन सुबह सरला देवी की आवाज आती है, बहु जल्दी करो कन्या जिमानी है। आज दुर्गा अष्टमी और कन्या पूजन का काम खत्म करके फिर तुम्हें डॉक्टर के यहां भी जाना है ।
राशि पूजा का सभी सामान इकट्ठा करती है और पूजन इत्यादि की तैयारी करके कहती है "माँ जी, आप कन्याओं को बुला लाइए पूजन की सभी तैयारी हो चुकी है।" सरलादेवी आधा घंटा घूम कर आ जाती हैं लेकिन उन्हें मात्र दो कन्याए ही मिल पाती हैं। वह कहती हैं राशि बहू इन दो कन्याओं का ही पूजन कर दो कॉलोनी में तो कन्याएं ही नहीं है अब मैं और कहां से कन्याएं लाऊं़़़़़़़
✍️ मीनाक्षी वर्मा, मुरादाबाद
जीवन को नई रोशनी से जगमगाए
आओ एक नया दीप जलाएं
दीप जो मन के तम को हर ले
दीप जो कठोर मन कोमल कर दे
दीप जो घ्रणा को प्रेम में बदल दे
दीप जो कलुषता को पवित्र कर दे
आओ एक नया दीप जलाएं
जीवन को नई रोशनी से जगमगाए
दीप जो सौहार्द और भाईचारे को बढ़ा दे
दीप जो हर मन में एका बढ़ा दे
दीप जो हर घर में शांति लाए
दीप जो हर क्षण मंगलमय बना दे
आओ एक नया दीप जलाए
जीवन को नई रोशनी से जगमगाए
दीप जलाए कुछ नए अपने भी अंतर्मन में
तम से कलुषित है हृदय
करो प्रकाश कुछ जीवन में
प्रेम,सौहार्द, शांति प्रकाश के
दीप जले अब हर मन में
आओ एक नया दीप जलाएं
जीवन को नई रोशनी से जगमगाए
✍️ मीनाक्षी वर्मा, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश
कौन है श्रेष्ठ बात दबंग हो गई
नर ने अपनी बात रखी सारी
नारी है कमजोर अबला बेचारी
तूने ना जिंदगी नर के बिना गुजारी
हर पल लेना पड़ा तुझे नर का ही सहारा
हरदम है मिला तुझे नर का ही साया
तेरी कहानी तुझ पर ही खत्म हो चली
नारी फिर कैसे नर से श्रेष्ठ हो गई
पूरा काल से अब तक
ना तू अपने दम पर खड़ी हो सकी
फिर क्यों कहती है तू नर से भी बड़ी हो चली
मांग में सिंदूर जो हमारे नाम का सजा
तभी तेरा अस्तित्व है कायम हुआ
मां बनने का एहसास भी तुझे नर से ही मिला
तभी तेरा जीवन है खुशियों से खिला
अरे समाज में हर पहचान तुझे नर से है मिली
नाम ही काफी है नर का फिर कैसे तू बड़ी हो चली
नारी ने उत्तर दिया जनाब का
वेद पुराण गवाह है हर बात का
नारी के हर दुख हर एहसास का
जगत जननी मां दुर्गा के स्वरूप का
आगे जिसके हाथ जोड़ देवता आए थे सभी
कर दो देवी रक्षा द्वार तेरे देव खड़े सभी
मां दुर्गा ने काली रूप में संहार मचाया था
देवताओं को भी पापी दैत्यों से बचाया था
सभी देवों की शक्ति का रूप है नारी
नहीं कोई कमजोर अबला बेचारी
नर की कुंठित मानसिकता का शिकार है नारी
नर है सर्वोपरि ऐसी अहंकारी प्रवृत्ति की मारी
आज नर इस तरह गिर चुका है
नारी को पल-पल कुचल रहा है
अपना अस्तित्व बचाने को जैसे
नारी से हर पल लड़ रहा है
इसीलिए हर गली मोहल्ले में
नारी की इज्जत का जैसे जनाजा निकल रहा है
नर क्या रक्षा करेगा नारी की अस्मिता की
जिसको फिक्र है तो सिर्फ अपने अस्तित्व की
नर होने पर गौरवान्वित हो जाता है
फिर क्यों नारी की अस्मिता का तमाशा बनाता है
अपने अहम की आग में स्वयं ही जल रहा है नर
मैं हूं बड़ा कह कह कर नारी को डस रहा है नर
नारी तो शब्द भी नर से बड़ा है
पर इस पर भी नारी को गुमान कहां है
कोख में नौ महीने रखती है बालक नारी
नर को हो जाए जरा तकलीफ तो हिला दे दुनिया सारी
नारी ना होती तो मां का आंचल पाते ही कैसे
नारी ना होती तो गिर कर संभल पाते ही कैसे
नारी ना होती तो जिंदगी को समझ पाते ही कैसे
नारी ना होती तो नर कहलाते ही कैसे
फिर कहती हूं है नर
नारी नहीं कमजोर अबला बेचारी
वह तो दया प्रेम ममता की मूरत है प्यारी
दुनिया का बोझ उठाए पृथ्वी है नारी
दुनिया को सुकून दे जाए वह हवा है प्यारी
पर नर ना समझ पाएगा इसे
वह स्वयं अपने अहम की आग में जले
ऊंचा उठेगा उस दिन नर जरूर
टूटेगा जिस दिन नर होने का गुरुर
सीख लेगा जिस दिन नारी का करना सम्मान
हे नर तू हो जाएगा उस ईश्वर से भी महान।
✍️ मीनाक्षी वर्मा, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश ।
"हां ठीक है" श्रीमती जी ने हामी भरी और कहा "आप जल्दी से यह सामान ला कर दो और देख लेना लिस्ट ठीक से चेक कर लेना कोई सामान रह ना जाए तुम तो हमेशा कुछ ना कुछ भूल ही जाते हो" कहते हुए श्रीमती जी ने सामान की लिस्ट शर्मा जी के हाथ में पकड़ा दी।
चाय पीने की इच्छा तो काफूर हो गई बेचारे सामान की लिस्ट लेकर बाहर निकल गए। सारा सामान लेकर शर्मा जी डेढ़ घंटे बाद पुनः घर में प्रवेश करते हैं। चीख-पुकार की आवाज आती है श्रीमती जी की "पूरे दिन बच्चे मेरा दिमाग खा जाते हैं। मैं तो थक जाती हूं परेशान हो जाती हूं और एक काम वाली है उसको भी बार बार बताना पड़ता है कि काम ठीक तरीके से किया कर लेकिन नहीं साहब यहॉं सभी लाट साहब बने हुए हैं। मैं हीं घर में पिसती हूं पूरा दिन बच्चे देखूं, काम देखूं, कपड़े देखूं, खाना देखूं और एक ये है कि इन्हें ऑफिस से आते ही चाय सूझने लगती है।" यह सब बोलते हुए श्रीमती जी बच्चों के ऊपर अच्छा खासा गुस्सा निकाल रही थी। पर पता नहीं गुस्सा किस बात का था। यह तो उनका प्रतिदिन का नियम सा था कि सब के ऊपर चीख चीखकर अपनी थकान जैसे मिटा रही हो।
शर्मा जी चुपचाप सारा सामान किचन में रखकर अतिथि कक्ष में चुपचाप शांति की अपेक्षा में बैठ जाते हैं । आंखें बंद करके अपने ही घर में एक ऐसा कोना ढूंढते हैं जहां उन्हें कुछ क्षण शांति के मिल सके पर अफसोस पुन: श्रीमती जी की आवाज आती है कहां गए अभी इसे रोहन को संभालो तो मैं खाना बना दूं जल्दी से़़़़़़़़़़़।
✍️मीनाक्षी वर्मा, मुरादाबाद , उत्तर प्रदेश।
अंदर नीतू अपना बैग लगा रही थी। उसे स्कूल जाना था। वह गांव के ही एक प्राइमरी विद्यालय में कक्षा 5 में पढ़ती थी। आवाज सुनते ही उसने उदास होते हुए अपना बैग एक तरफ उठाकर रख दिया और मां से बोली "मां, आज टीचर जी नया पाठ पढ़ाएंगी, अगर मैं स्कूल नहीं जाऊंगी तो मुझे कुछ भी समझ में ना आएगा। उसकी बात बीच में काटते हुए उसकी मां बोली हां तू पढ़कर कोई कलेक्टर ना बन जाएगी बर्तन निपटा जल्दी से। नीतू जल्दी से बासन मांजने लगी सारा काम करते हुए 10:00 बज चुका था। बैग लेकर स्कूल जाने लगी बोली "मां मैं स्कूल जा रही हूं।" मां बोली "स्कूल में कौन सा पढ़ाई होत है जो कपड़े पड़े हैं वह धो ले। मैं भैंस को चारा डाल दूं। नीतू स्कूल नहीं जा पाई घर के कामों में ही लगी रही।
अगले दिन सुबह जल्दी तैयार होकर स्कूल जाने लगी अम्मा ने उसे प्रतिदिन की तरह फिर से घर के कामों में लगा दिया। वह पढ़ना चाहती थी लेकिन मां बापू के काम ही खत्म नहीं होते थे। नीतू कभी घर के काम को देखती थी। कभी अपनी किताबों को देखती थी और कभी अपने सपनों को मन ही मन निहारती थी ।
विद्यालय में बच्चों के नामांकन को देखकर सभी शिक्षिकाएं एवं प्रधानाचार्य भी चिंतित थे। ग्रामवासी पढ़ाई से ज्यादा अपने घरेलू कार्यों को महत्व देते थे। नीतू ने एक दिन मां से कहा "मां, विद्यालय जाने पर ही राशन मिलेगा और हमारी टीचर कह रही थी कि अगर तुम प्रतिदिन विद्यालय विद्यालय नहीं आओगी सरकार की तरफ से मिलने वाला राशन कम हो जाएगा अब हमारी उपस्थिति जाया करेगी राशन कार्ड के साथ साथ। हमें हमारी उपस्थिति भी दिखानी पड़ेगी तभी जाकर हमें पूरा राशन मिलेगा।" नीतू की मां घबरा गई। भागी भागी प्रधानाचार्य के पास गई और बोली मास्टरजी कौन से नियम कानून पढ़ा रहे हैं आप, राशन नहीं मिलेगा यह कौन सी बात हुई? प्रधानाचार्य जी बोले महोदया सरकार ने नया नियम पारित किया है कि बच्चे की उपस्थिति के अनुसार ही राशन ग्राम वासियों को बांटा जाएगा। यदि आपका बच्चा आता है तो आपको पूरा राशन मिलेगा अन्यथा नहीं और नीतू मन ही मन खुश होने लगी क्योंकि अब स्कूल प्रतिदिन जाने को मिलेगा। अगली सुबह नीतू अपना बैग लगा रही थी। तभी मॉं की आवाज आई। अरे, "नीतू जल्दी जा स्कूल कहीं तेरी छुट्टी ना लग जाए।"
✍️ मीनाक्षी वर्मा, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश
✍️ मीनाक्षी वर्मा, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश