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सोमवार, 1 जुलाई 2024

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ. अर्चना गुप्ता की काव्य-कृतियों 'अक्कड़ बक्कड़' तथा 'हुई हैं चाॅंद से बातें हमारी' का 30 जून 2024 को आयोजित समारोह में लोकार्पण

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था साहित्यपीडिया की ओर से रविवार 30 जून 2024 को आयोजित समारोह में मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ. अर्चना गुप्ता की दो काव्य कृतियों 'अक्कड़ बक्कड़' (बाल कविता-संग्रह) तथा 'हुई हैं चांद से बातें हमारी' (ग़ज़ल संग्रह) का भव्य लोकार्पण किया गया।  

एम.आई.टी. सभागार में मयंक शर्मा द्वारा प्रस्तुत माॅं सरस्वती की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए  मंसूर उस्मानी ने कहा -  "कृतियों के प्रकाशन के साथ रचनाकार का दायित्व और भी बढ़ जाता है। कुछ नवीन प्रयोगों के साथ प्रकाशित डॉ. अर्चना गुप्ता की ये कृतियां उन्हें साहित्य जगत में और अधिक ऊॅंचाई पर प्रतिष्ठित करेंगी, ऐसा विश्वास किया जा सकता है।" मुख्य अतिथि एम. एल. सी. गोपाल अंजान ने कहा - आज आवश्यकता इस बात की है कि हमारा साहित्य समाज के प्रत्येक वर्ग तक पहुॅंचे।" 

विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. काव्य सौरभ जैमिनी ने कहा डॉ अर्चना गुप्ता ने अपनी कृति अक्कड़ बक्कड़ के माध्यम से बाल मन को सरल सहज भाषा में छोटी  छोटी कविताओं के माध्यम से अभिव्यक्त किया है। विशिष्ट अतिथि अभिनीत मित्तल ने साहित्यपीडिया प्रकाशन के संदर्भ में जानकारी दी।

   डॉ. कृष्ण कुमार नाज़ का कहना था - "डॉ. अर्चना गुप्ता की ग़ज़लों में संवेदनाओं का आत्मिक स्वरूप अत्यंत सुंदरता से उभर कर सामने आता है।"

 ज़िया ज़मीर ने अपने समीक्षात्मक आलेख में कहा - "डॉ. अर्चना गुप्ता की ग़ज़लें न केवल मुहब्बत और उसके दर्द को सुंदरता से उभारती हैं बल्कि उनकी लेखनी ज़िन्दगी के दूसरे पहलुओं पर भी बखूबी चली है।"

  राजीव प्रखर ने कहा - "डॉ. अर्चना गुप्ता का बाल कविता-संग्रह 'अक्कड़ बक्कड़' इस बात को स्पष्ट कर रहा है कि कवयित्री ने एक अबोध परन्तु  जिज्ञासु बालक को स्वयं के भीतर जी कर देखा है, जो अपनी बात मुखर होकर समाज के सम्मुख रख सका है।" 

दुष्यंत बाबा का कहना था - " डॉ० अर्चना की कृति 'अक्कड़-बक्कड़' शिशु मन का सम्पूर्ण पोषण है।"  इस अवसर पर डॉ. अर्चना गुप्ता ने अपनी कुछ चुनिंदा रचनाओं का पाठ भी किया।

 मीनाक्षी ठाकुर और प्रो. ममता सिंह द्वारा कवयित्री डॉ. अर्चना गुप्ता के सम्मान में रचनाओं का सस्वर पाठ किया गया।

 इस अवसर पर डॉ पुनीत कुमार, डॉ. पूनम बंसल, डॉ. संगीता महेश, बाबा संजीव आकांक्षी, डॉ. मनोज रस्तोगी, योगेन्द्र वर्मा व्योम, दुष्यंत बाबा, हेमा तिवारी, डॉ. महेश दिवाकर, राशिद हुसैन, ओंकार सिंह ओंकार, मनोज मनु, विवेक निर्मल, श्रीकृष्ण शुक्ल, अभिनव चौहान, रघुराज सिंह निश्चल, पल्लवी शर्मा, रवि प्रकाश, डॉ. अतुल गुप्ता, अनुराग मेहता आदि उपस्थित रहे। संचालन डॉ. पंकज दर्पण अग्रवाल ने किया।डॉ. अर्चना गुप्ता ने आभार अभिव्यक्त किया । 





















































सोमवार, 24 फ़रवरी 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ अर्चना गुप्ता की दो काव्य-कृतियों 'अर्चना की कुंडलियाँ' भाग-1' एवं 'अर्चना की कुंडलियाँ भाग-2' का रविवार 23 फरवरी 2020 को भव्य विमोचन

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ अर्चना गुप्ता द्वारा रचित कुंडलियाँ संग्रह - 'अर्चना की कुंडलियाँ' (भाग-१ एवं भाग-२) का भव्य विमोचन-समारोह, साहित्यपीडिया के तत्वावधान में, आज स्वतंत्रता सेनानी भवन मुरादाबाद में आयोजित किया गया। डॉ० पंकज 'दर्पण' के संचालन में आयोजित इस समारोह का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। मां सरस्वती की वंदना मयंक शर्मा ने प्रस्तुत की।
 समारोह की अध्यक्षता करते हुए सुप्रसिद्ध नवगीतकार यश भारती माहेश्वर तिवारी ने कहा -
"कुंडलियाँ काव्य का वह रूप है जो सदियों से लोगों के हृदय को लुभाता रहा है। वर्तमान समय में कुंडलियाँ छंद में रचना कर्म बहुत कम हो रहा है। ऐसे समय में डॉ अर्चना गुप्ता की कुंडलियों के दो संग्रह आना साहित्यिक रूप से तो महत्वपूर्ण हैं ही, कथ्य एवं विषयों के संदर्भ में भी बहुत  महत्वपूर्ण है।"
 मुख्य अतिथि, दर्जा राज्यमंत्री साध्वी गीता प्रधान का कहना था-"अर्चना जी की कुंडलियाँ समाज में जागृति पैदा करने की क्षमता से ओतप्रोत हैं। उनकी कृतियाँ साहित्य जगत में ऊँचाइयों को प्राप्त करेंगी।"
 विशिष्ट अतिथि डॉ० मक्खन 'मुरादाबादी' का कहना था - "सामाजिक विषमताओं पर सशक्त प्रहार करना दोनों ही कुंडलियाँ संग्रहों की विशेषता है। कृतियों में दी गई कुंडलियाँ, विषमताओं को सामने लाते हुए  उनका हल भी प्रस्तुत करती हैं।
 विशिष्ट अतिथि श्री सुरेंद्र राजेश्वरी ने अपने संबोधन में कहा -"डॉ० अर्चना गुप्ता जी की कुंडलियाँ लोगों के अंतस को गहराई से स्पर्श करने में सक्षम हैं।"
 वरिष्ठ साहित्यकार डॉ० अजय 'अनुपम' ने अपनी अभिव्यक्ति में कहा - "डॉ० अर्चना गुप्ता की कुंडलियाँ समाज को एक नई दिशा देंगी, ऐसी आशा की जा सकती है। कहीं-कहीं शब्दों की डगमगाहट के बावजूद उनकी कुंडलियों के भाव सजगता के साथ उभर कर आए हैं।"
 वरिष्ठ रचनाकार  अशोक विश्नोई का कहना था -
"डॉ० अर्चना गुप्ता जी की कुंडलियाँ समाज में प्रत्येक वर्ग को साथ लेकर चलते हुए सामाजिक विसंगतियों पर प्रहार करती हैं।"
वरिष्ठ कवयित्री डॉ प्रेमवती उपाध्याय ने कहा कि कुंडलियों के माध्यम से डॉ अर्चना ने सामाजिक विसंगतियों को उजागर करने के साथ साथ देश प्रेम की अलख भी जगाई है ।
 वरिष्ठ साहित्यकार डॉ कृष्ण कुमार 'नाज़' ने  कहा - "डॉ० अर्चना गुप्ता की कुंडलियों के दोनों संग्रह हिन्दी साहित्य की अनमोल धरोहर हैं। कहीं-कहीं शिथिलता के बावजूद वे आम जनमानस तक पहुँचने की सामर्थ्य रखती हैं।"
 युवा रचनाकार राजीव 'प्रखर' ने अपने आलेख में कहा - "रचनाओं की सार्थकता बनाए रखते हुए एक भाव से दूसरे भाव में पहुँचना एवं उनकी सटीक शाब्दिक अभिव्यक्ति करना, किसी भी रचनाकार के लिये एक चुनौती होती है परन्तु डॉ० अर्चना गुप्ता जी की सुयोग्य एवं प्रवाहमयी लेखनी इस चुनौती को न केवल स्वीकार करती है अपितु, भावपूर्ण तथा सटीक कुंडलियों के माध्यम से सोये हुए समाज को जागृत करने के सफल प्रयास में भी रत दिखाई देती है।"
   इस अवसर पर कवयित्री डॉ० अर्चना गुप्ता ने अपनी कुछ कुण्डलियों का पाठ करते हुए कहा -

"तिनसौ सत्तर को बदल, रचा नया इतिहास
मोदी जी ने कर दिया, काम बड़ा ये खास
काम बड़ा ये खास, शाह से हाथ मिलाकर
दिया हमें कश्मीर, तिरंगे को फहराकर
लगे 'अर्चना' आज, हुआ कुछ जादू मंतर
पुलकित है कश्मीर, हटी अब तिनसौ सत्तर।"

"राजमहल के द्वार पर, खड़े सुदामा दीन
उनकी हालत देखकर, श्याम हुए गमगीन
श्याम हुए गमगीन,प्यार से उन्हें बिठाया
धोरे उनके पाँव, नैन से नीर बहाया
लिए 'अर्चना' फाँक, चार दाने चावल के
दूर किए सब कष्ट, दिए सुख राजमहल के"

"मुखड़ा बिल्कुल चाँद सा, केश लगे ज्यों रैन
गोरी के प्यारे लगें, झुके-झुके से नैन
झुके-झुके से नैन, कनक सी उसकी काया
मगर पड़ गया आज, विरह का काला साया
रही 'अर्चना' सोच, सुनाए किसको दुखड़ा
दिखता बड़ा उदास, फूल सा उसका मुखड़ा"

कार्यक्रम में मधु सक्सेना, योगेंद्र वर्मा व्योम, डॉ महेश दिवाकर, डॉ मनोज रस्तोगी, डॉ० संगीता महेश, संजीव आकांक्षी, ओंकार सिंह ओंकार, डॉ० अतुल गुप्ता,  एमके पूर्वी,  सुशील शर्मा, मदन पाल सिंह, विवेक निर्मल, डॉ० सरिता लाल, डॉ० संगीता महेश, राशिद मुरादाबादी, कशिश वारसी, अहमद मुरादाबादी, उमाकांत गुप्ता, संतोष गुप्ता, डॉ आर०सी० शुक्ल, श्रीकृष्ण शुक्ल, मोनिका मासूम, हेमा तिवारी भट्ट, डॉ० ममता सिंह, मीनाक्षी ठाकुर, रघुराज सिंह निश्चल, फक्कड़ मुरादाबादी, मोनिका अग्रवाल, शायर मुरादाबादी, मनोज मनु, अखिलेश वर्मा, शुभम अग्रवाल, रवि चतुर्वेदी,धवल धीक्षित, अभिनीत मित्तल, सरफराज पीपलसानवी, शिशुपाल मधुकर, इला मित्तल, इशांत शर्मा, आवरण अग्रवाल सहित अनेक साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।
::::::::प्रस्तुति::::::::
राजीव प्रखर
डिप्टी गंज
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत