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बुधवार, 16 अगस्त 2023

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था 'संकेत' एवं धामपुर की संस्था 'अनिल अभिव्यक्ति' द्वारा रविवार 13 अगस्त 2023 को साहित्यिक सम्मान-समारोह का आयोजन

साहित्यिक संस्थाओं 'संकेत' (मुरादाबाद) एवं 'अनिल अभिव्यक्ति' (धामपुर) की ओर से  कीर्तिशेष आशा विश्नोई की स्मृति में रविवार 13 अगस्त 2023 को साहित्यिक सम्मान-समारोह, दयानंद डिग्री कॉलेज मुरादाबाद में आयोजित किया गया जिसमें महानगर एवं अन्य क्षेत्रों के विभिन्न प्रतिभाशाली रचनाकारों को उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया। मयंक शर्मा द्वारा प्रस्तुत माॅं सरस्वती की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता दयानंद आर्य कन्या महाविद्यालय के प्रबंधक उमाकांत गुप्ता ने की। मुख्य अतिथि सरिता लाल एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. अर्चना गुप्ता एवं प्रमोद शर्मा प्रेम मंचासीन हुए। कार्यक्रम का संयुक्त संचालन राजीव प्रखर, अशोक विश्नोई एवं दुष्यंत बाबा द्वारा किया गया। संयोजन अशोक विद्रोही का रहा। 

     तीन चरणों में संपन्न हुए इस कार्यक्रम के प्रथम चरण में 'संकेत' की ओर से कीर्तिशेष आशा विश्नोई जी की स्मृति में डॉ. प्रमोद कुमार प्रेम, मीनाक्षी ठाकुर, प्रो. ममता सिंह एवं मयंक शर्मा को अंग-वस्त्र एवं मानपत्र से अलंकृत किया गया।         द्वितीय चरण में 'संकेत' की ओर से 'गीत रत्न सम्मान -2023'  के प्रतिभागियों को अंग-वस्त्र एवं मान-पत्र अर्पित किए गए। इस वर्ग के सम्मानित रचनाकारों में डॉ. पूनम चौहान, नृपेन्द्र शर्मा सागर, हेमा तिवारी भट्ट, मीनाक्षी ठाकुर, इंदु रानी, चेतन विश्नोई, डॉ. प्रीति हुंकार, कंचन खन्ना, डॉ. अनिल शर्मा अनिल, डॉ. अर्चना गुप्ता, प्रीति सौरभ अग्रवाल, इंजी. राशिद हुसैन, डॉ. रीता सिंह, दुष्यंत बाबा एवं सत्येंद्र शर्मा तरंग को सम्मानित किया गया। तत्पश्चात् 'लघुकथा रत्न सम्मान 2023' वर्ग  में मीनाक्षी ठाकुर, हेमा तिवारी भट्ट, डॉ. पुनीत रस्तोगी एवं 'लघुकथा शिल्पी सम्मान-2023' वर्ग से धनसिंह धनेन्द्र, सरिता लाल अशोक विद्रोही, नृपेन्द्र शर्मा सागर, प्रियंका गहलौत, इन्दु रानी, रश्मि अग्रवाल एवं डॉ. अर्चना गुप्ता को सम्मानित किया गया। 

     साहित्यिक संस्था 'संकेत' की यात्रा पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए वरिष्ठ रचनाकार  अशोक विश्नोई ने कहा कि संस्था का लक्ष्य सदैव ही उभरती हुई प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करना रहा है। भविष्य में भी इस प्रकार के आयोजन समय-समय पर किये जाते रहेंगे। 

   कार्यक्रम के तृतीय चरण में एक संक्षिप्त  काव्य संध्या का भी आयोजन किया गया जिसमें मीनाक्षी ठाकुर, प्रो. ममता सिंह, मयंक शर्मा, डॉ. प्रमोद कुमार प्रेम, डॉ. अनिल शर्मा अनिल, सत्येंद्र शर्मा तरंग, डॉ प्रेमवती उपाध्याय, पूजा राणा, चेतन विश्नोई ,चक्षिमा भारद्वाज, सरिता लाल, डॉ अर्चना गुप्ता ने रचना पाठ किया। कार्यक्रम में योगेन्द्र वर्मा व्योम, डॉ मनोज रस्तोगी, श्रीकृष्ण शुक्ल, संजय सक्सेना, आवरण अग्रवाल, फक्कड़ मुरादाबादी, नकुल त्यागी, राम दत्त द्विवेदी, काले सिंह साल्टा आदि  साहित्यकारों सहित बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे। अशोक विद्रोही द्वारा आभार-अभिव्यक्ति के साथ कार्यक्रम समापन पर पहुॅंचा।

















































गुरुवार, 23 मार्च 2023

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था संकेत की ओर से शहीद दिवस 23 मार्च 2023 को 'शहीदों को नमन' शीर्षक से वाट्स एप काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता अशोक विश्नोई ने की । मुख्य अतिथि वीरेन्द्र 'ब्रजवासी' तथा विशिष्ट अतिथि डॉ अनिल शर्मा 'अनिल' एवं प्रो ममता सिंह रहीं। संचालन राजीव प्रखर ने किया। प्रस्तुत हैं गोष्ठी में शामिल साहित्यकारों की रचनाएं ....


शत - शत  नमन उन शहीदों को

भारत  के  सच्चे  वीर सपूतों को
देश हित जो  कुर्बान हो  गये
इंकलाब  जिंदाबाद  कह गये।।
      
जग बदलूँ संकल्प धरा है
वीरों  ने वलिदान  वरा  है
इस माटी की गन्ध बताती
सच सोने की तरह खरा है।

✍️ अशोक विश्नोई
मो 9458149223

..................................
    मत व्यर्थ बहाओ तुम आँसू,
     बेटा    मेरा   बलिदानी    है,
     मज़हब से क्या लेना उसको,
     वह  सच्चा   हिंदुस्तानी   है।
          **************
     साँसों   में   बारूदी    शोले,
     आँखों   में  भी  अंगार  बसे,
     बोली   हुंकार   बमों   जैसी,
     हैं अस्त्र- शस्त्र  संगीन  कसे,
     जीवन  के   पन्नों  पन्नों   पर,
     लिखता नित नई कहानी है।
     मत व्यर्थ बहाओ-------------

      प्राणों  का मोह  नहीं उसको,
      है स्वार्थसिद्धि की चाह नहीं,
     दुश्मन के रणकौशल की भी,
     किंचित उसको परवाह  नहीं,
     नित  घोर संकटों  से लड़कर,
     पाता  वह   नई   जवानी   है,
      मत व्यर्थ बहाओ----------

     शव  आया  है  आ  जाने दो,
     मैं   बढ़कर    माथा   चूमूँगी,
     बेटे   की   गौरव   गाथा  को,
     लेकर    दुनियाँ    में   घूमूंगी,
     नत मस्तक जिसे  तिरंगा  हो,
     वह   मौत   नहीं  कुर्बानी  है ।
     मत व्यर्थ बहाओ-------------

    दुश्मन के चिथड़े- चिथड़े कर,
    उसने   यह  नाम  कमाया   है,
    फहराकर   स्वयं   तिरंगे   को,
    भारत  का   मान  बढ़ाया    है,
    वह   ऐसा   वैसा    वीर   नहीं,
    माता   की  अमर  निशानी  है।
    मत व्यर्थ बहाओ--------------
           
  ✍️ वीरेंद्र सिंह ब्रजवासी
   मुरादाबाद 244001
   उत्तर प्रदेश, भारत
   मोबाइल फोन नंबर 9719275453

   .........................................
आज भी उनको नमन कर रही,
जनता हिंदुस्तान की।
युगों युगों तक कथा रहेगी,
वीरों के बलिदान की ।।
वीर शिवा राणा का भारत,
भारत झांसी रानी का।
बलिदानी वीरों का भारत,
यह हर हिंदुस्तानी का।।
जन जन के मन में बहती है,
देश प्रेम की रस धारा।
सबकी रहती सदा भावना,
हर जन के कल्याण की।
युगों युगों.....
नमन हमारा भगत सिंह को,
संसद में बम फोड़ दिया।
गोरों का सत्ता सिंहासन,
बहुत जोर झकझोर दिया।।
संसद में बम की घटना,
गोरे भीतर तक दहल गए।
देश के हित बाजी थी लगा दी,
भगत ने अपनी जान की।
युगों युगों......
राजगुरु सुखदेव निभाते रहे,
भगत का साथ सदा ।
इनको निज प्राणों से प्यारी,
भारत मॉं की धरा मृदा ।।
नमन उन्हें भारत हित,
प्राणों को न्यौछावर कर डाला।
भारत भूमि ऋणी सदा ही,
उस पावन बलिदान की ।
युगों युगों......
राजगुरु सुखदेव भगत को,
फांसी पर था चढ़ा दिया।
इनके बलिदानों ने क्रांति के,
रथ को आगे बढ़ा दिया।।
जिनके कारण भारत ने,
पाई है पावन आजादी ।
अपने लहू से कथा लिख गए,
भारत नव निर्माण की।
युगों.........

✍️ डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर
उत्तर प्रदेश, भारत

.............................
हम भारत के वो सच्चे परवाने हैं।
दुश्मन भी तो  जिनका लोहा  माने हैं।।

उलझे हैं वर्षों से जो मसले अब तक,
आपस में मिलकर हमको सुलझाने हैं।।

चुप रहने को जो समझे थे कमज़ोरी,
ताक़त भारत की अब वो पहचाने हैं।।

आ जाए सीमा पर गर दुश्मन कोई,
देने उसको लाशों के नज़राने हैं।।

भूले हैं भारत की जो गौरव गाथा,
वीरों के किस्से उनको बतलाने हैं।।

छुपकर पीछे से करते हैं जो हमले,
शोले अब उनके घर पे बरसाने हैं।।

झंडे में लिपटे जो वापिस घर आये,
ऐसे वीरों के *ममता* शुक्राने हैं।।

✍️ प्रो.ममता सिंह
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत

........................................
मैं देश की हवाओं में
भूला हुआ इक राग हूं
मैं भारत की माटी का
विस्मृत सा अनुराग हूं
शहीद होकर भी मैं ही
यादों का गौरव गान हूं ।

रातों में जब सोते थे सब
तब मैं रातों में जगा यहां
देशहित का बना मैं प्रहरी
सीमाओं पर बस डटा रहा।

सभी ने मनाई जब दीवाली
मैं बच्चों व घर से दूर रहा
सबने जब खेली थी होली
मैं खुशियों के ख्वाबों में रहा।

माटी के कण कण को पूजा
उसकी श्वासो में जीता रहा
अनूठा सा आत्मबल था मेरा
मां के खातिर बस चलता रहा।
           लेकिन
देशहित में देखे‌ जो जो सपने
गद्दारों ने सब चकनाचूर किये
वन्दे मातरम् की हर परिभाषा
हो गई रक्त रंजित  तूफान लिये ।

तिरंगे में लिपट लिपट देश का
हर‌ शहीद दुनिया से विदा हुआ
फिर लौटूंगा इसी धरा  पर
प्रभु से यही‌ संकल्प हुआ
मेरा खून बहा तो भी क्या
मां का सिन्दूर तो अमर‌‌ हुआ ।

✍️ सरिता लाल
मधुबनी
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत

........................................
कैसे आजादी मिली, कैसे हिन्दुस्तान
कितने वीरों ने दिये, इस पर तन मन प्राण,,

सोचें तो मन हूंकता, जब जब करें विचार
वीरों ने कैसे सहे, तन पर सतत् प्रहार,

खुद अपने ही खून से, कैसे सींचा बाग़
कैसे अपनी मृत्यु को, बना लिया सौभाग

गोली, फाँसी, सिसकियां, जेलें, कोडे, मात
क्या क्या मुश्किल की वरण, कितनी झेलीं घात,,

तोपें,चाबुक, हथकड़ी, तन मसला बारूद
डिगा सका ना लक्ष्य से, थामे रखा वजूद,

तनिक नहीं परवाह की, गये स्वयं को भूल
इस स्वतन्त्रता के लिये, सब कुछ किया कबूल,

✍️ मनोज मनु
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत

....................................
लिए गीत कुछ चल पड़े, बाॅंके वीर जवान।
गाते-गाते कर गये, प्राणों का बलिदान।।

प्राणों पर भी खेल कर, आई सबके काम।
वर्दी तेरे शौर्य को, बारम्बार प्रणाम।।

माटी मेरे देश की, कब से रही पुकार।
खड़ी न होने दीजिए, नफ़रत की दीवार।।

फहराकर रणभूमि में, पुनः तिरंगा आज।
रख लेना हे वीर जी, तुम राखी की लाज।।
---------
दुनिया के हर सुख से बढ़कर, मुझको प्यारे तुम पापा।
मेरे असली चंदा-सूरज और सितारे तुम पापा।
सोये आज तिरंगा ओढ़े, बहुत गर्व से कहता हूॅं,
मिटे वतन पर सीना ताने, कभी न हारे तुम पापा।

✍️ राजीव 'प्रखर'
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत

.................…........
आओ आज हम सभी,
शहीदों को नमन करें!
देश के लिए जिए जो,
देश के लिए मरे!
   थाम के मुख में लगाम,
   बांध शिशु को पीठ में,
   बिजलियों सी चमकती थीं,      
   तेग रण के बीच में!
रक्त में नहाई लक्ष्मीबाई ,
काली रूप ले!
देश के लिए जिए जो,
देश के लिए मरे!
क्या उबाल खून में था,
मृत्यु से डरे नहीं,
कट गए समर में किंतु,
आज तक मरे नहीं !
ऐसे राणा वीर शिवा,
कितना हम बयां करें !
देश के लिए जिए जो,
देश के लिए मरे!
धर्म के विरुद्ध युद्ध ,
क्रांति की दिशा बना!
मन में था उबाल,
भाल देश प्रेम में ढला!
राजगुरु, सुखदेव, भगत,
हंस के सूली पर चढ़े!
देश के लिए जिए जो,
देश के लिए मरे!!
लें शपथ ये सरहदों पे,
शत्रु दन दनाये गर!
चीर देंगे वक्ष मातृभू पे
आंच आए गर !
शीश निज चढ़ाके ,
भारती की अर्चना करें!!
देश के लिए जिएंगे,
देश के लिए मरे!!

✍️ अशोक विद्रोही विश्नोई
412 प्रकाश नगर
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत

.....................................…
बदन ये खाक हो जाये,वतन की राह में मरकर,
कटा दूँ सर खुशी से मैं,तिरंगा ओढ़ लूँ हँसकर,
हिफा़ज़त में तेरी माँ भारती कुछ ऐसा कर जाऊँ
शहीदों की किताबों में मेरा भी ज़िक्र हो अक्सर।

✍️ मीनाक्षी ठाकुर
मिलन विहार
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत

............................................
मुझे अनुराग इससे है यही अभिमान मेरा हैं ।
उजाला ज्ञान का जिसने सदा जग में बिखेरा है
हुआ है धन्य यह जीवन यहां पर जन्म लेने से
यही तो स्वर्ग है मेरा जहां खुशियों का डेरा है ।

✍️ डॉ प्रीति हुंकार
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत

.....................................
स्वतंत्रता की यज्ञवेदी में अपना रक्त चढ़ाया था।
उन वीरों की हुंकारों से हर ब्रिटिश घबराया था।
लाठी गोली कोड़े फाँसी सब हथकण्डे अपनाए।
आज़ादी के मतवालों को कुछ भी डरा ना पाया था।।

मातृभूमि की सेवा का प्रण मानों लेकर जन्मे थे।
कोई सुख दुःख कोई नाता इन्हें रोक नहीं पाया था।
स्वतंत्रता का ध्वज लेकर निकले थे माँ की सेवा में।
आज़ादी अधिकार हमारा सबको यही सिखाया था।

फाँसी के फंदों को चूमा और सूली पर झूल गए।
उन वीरों के बलिदानों पर सबने शीश झुकाया था।
मिली आज़ादी मुक्त हुए हम उनके ही प्रयासों से।
अगस्त पन्द्रह को स्वतंत्रता का हमने पर्व मनाया था।

आओ याद करें हम फिरसे उन सबके बलिदानों को।
जिन वीरों ने मातृभूमि पर अपना शीश चढ़ाया था।
जय हिन्द जय मातृ-भारती महामंत्र बस उनका था।
मौत गुलामी से अच्छी है ये सन्देश सुनाया था।

  ✍️ नृपेंद्र शर्मा "सागर"
ठाकुरद्वारा, मुरादाबाद

................….....................
बहुत सब्र अब हो चुका,
अब तो सिंह दहाड़ो तुम,
भारत माँ का भाल है सुना,
अब तो मुकुट सँवारो तुम,

बहुत सियासत हो चुकी
न कोई अब शहादत हो
भारत मां के जयकारों में
न झूठी अब कोई इबादद हो
अहिल्या उद्धारक की नगरी का
अब तो  उद्धार भी हो चुका,
अब काश्मीर को सँवारो तुम

जिसके होते माँ के टुकड़े हो गए
ऐसे बापू को कैसे राष्ट्रपिता का हकदार कहूँ,
जिन्होंने लूट मचाई, खून बहाया घाटी में
ऐसे गद्दारों को कैसे सच्चा पहरेदार कहूँ
अफगानिस्तान, पाकिस्तान, तिब्बत,
बांग्ला, भूटान वर्मा
फिर से एक सूत्र में जोड़ो तुम
बहुत सब्र अब हो चुका
अब तो सिंह दहाड़ो तुम

✍️ प्रशान्त मिश्र
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत

..............................


शनिवार, 11 फ़रवरी 2023

मुरादाबाद की संस्था "संकेत" की ओर से शनिवार 11 फरवरी 2023 को वाट्स एप मुक्तक गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता - डॉ. प्रेमवती उपाध्याय ने की। मुख्य अतिथि - डॉ. पूनम बंसल और विशिष्ट अतिथि - डॉ अनिल शर्मा अनिल और सूर्यकांत द्विवेदी । संचालन राजीव प्रखर ने किया । प्रस्तुत हैं गोष्ठी में शामिल साहित्यकारों द्वारा प्रस्तुत मुक्तक ....

 


1

आप मेरी वंदना हैं ,आप मेरी अर्चना।

आप ही आराध्य मेरे ,आप ही आराधना।।

सो चुका था प्राण मेरा ,आकर जगाया आपने।

आप से हस्ती है मेरी आप जीवन साधना।।

 2 

सत्य की अवधारणा में जी रहे हैं।

है गरल अमृत समझ कर पी रहे हैं।।

छल कपट षड्यंत्र के वातावरण में

साधना के शस्त्रबल पर चलरहे हैं।।

 3

कुत्सित इच्छाओं में फँस कर, 

पास था वह भी  गंवाया।

हाथ मलते रह गए हैं आज तक 

वापिस न आया।।

चार के चालीस करने की सयानी समझ आई 

साठ की आयु में उनको, कचहरी 

का पथ दिखाया।।


✍️ डॉ प्रेमवती उपाध्याय

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

............................................


1

गा रही भोर है प्रीत की रागनी।

फिर चमकने लगी आस की दामिनी।

हर तरफ देखिए आज खिलने लगी

प्रेम के पर्व पर रूप की कामिनी।।

2

निगाहों में थिरकता है,हमेशा आस का उत्सव।

विरह की इस तपन में है,अधूरी प्यास का उत्सव।

संवर कर पतझरों से ये,मधुर मधुमास आया है

धरा ने फिर मनाया नव सृजन उल्लास का उत्सव।।

3

धूप है छांव है भोर है ज़िंदगी

कल्पना से बंधी डोर है ज़िंदगी

आस की ये किरन शूल की है चुभन

हार का जीत का शोर है ज़िन्दगी।।


✍️डॉ पूनम बंसल 

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल फोन नंबर 9412143525

...........................


1.

देशहित काम आया हूं,नमन मेरा भारत माता।

बचा सरहद मैं पाया हूं,नमन मेरा भारत माता।

कोई दुश्मन नहीं घुसने दिया है सीमा के अंदर,

सभी को मार आया हूं,नमन मेरा भारत माता।

2.

तिरंगे में लिपटकर जाऊं,ये ही थी मेरी चाहत।

इसे साकार कर देगी, यहां मेरी यह शहादत।

जुटेगी भीड़ भारी और चलेंगे,सब मेरे पीछे,

हमेशा आगे, आगे आगे रहने की मेरी आदत।।

3.

करेंगे याद सब मुझको, मेरे बलिदान की खातिर।

सलामी देंगे सब शव को, मेरे सम्मान की खातिर।

मैं चाहता हूं कि जन्मूं फिर यहीं,सरहद की रक्षाहित,

हर एक श्वास हो मेरी,बस हिंदुस्तान की खातिर।।


✍️ डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'

धामपुर, जिला बिजनौर

उत्तर प्रदेश, भारत

...............................................


1

क्यों सोचें कुछ चाह नहीं है

क्यों सोचें कुछ राह नहीं है

छोड़ निराशा, आगे बढ़ लो

मन की कोई थाह नहीं है।।

2

भूल कर अब ग़म सभी, मुस्कुराना सीखिये।

और पंछी की तरह, फड़फड़ाना सीखिये।

क्या पता ठोकर लगे, रास्ते में साथियों,

दौर है बदला हुआ, लड़खड़ाना सीखिये।।

3

लहर बिना सागर नहीं, जीवन की पहचान।

खारा-खारा जल कहे, ऐसा क्यों भगवान।।

मिलना-मिटना सृष्टि में, सुनो पते की बात।

संगम अविचल प्रेम का, निशदिन यह तूफ़ान।।


✍️सूर्यकांत द्विवेदी

मेरठ

उत्तर प्रदेश, भारत

........................................ 


 

( 1 )

रिश्तों में अब प्यार का एहसास होना चाहिये

हर जुबां मीठी रहे विश्वास होना चाहिये

हो उदासी अलबिदा, जिंदगी में अब तो बस

हास होना चाहिये परिहास होना चाहिये।

( 2 )

करे मोहित अदाओं से, अदाकारी इसी में है

जताये मित्रता हर दम, बफादारी इसी में है

जहाँ जो कर रहा है, लोकतांत्रिक हक़ मिला उसको

बनाये मूर्ख संसद को, कलाकारी इसी में है।

(  3 )

कुछ भी करें देश में अपनी आजादी है

कौन कह रहा घोटालों से बर्बादी है

जिनका मन गन्दा है, वे कुछ भी कहते हों

अपनी रंगी देह को, ढके हुए खादी है।


 ✍️अशोक विश्नोई 

 मुरादाबाद

 .................................


 1

रहते बहुत अमीर से, लेकर कर्ज़-उधार ।

घर तक गिरवी रख दिया, करते यह इकरार ।

शौक बहुत से हैं मगर, कम कब होता एक-

दादालाही बेचकर, शेखी रहे बघार ।।

2

घर में तो दाने नहीं, अम्मा चली भुनाय ।

आटा गीला हो गया, यही गरीब बताय ।

क़र्ज़ खुदा के नाम पर, किया बहुत बरवाद-

एटमबम बिक्री करें, जनहित में बतलाय ।। 

3

युद्ध शस्त्र जो बन रहे, माँग करेगा कौन ।

बीज युद्ध का बोय कर, साथ खड़े हो मौन ।

एक पक्ष के साथ में, मदद करें भरपूर-

शस्त्र बिकें अहसान हो, चाहे वह हो जौन ।। 

  

✍️ राम किशोर वर्मा

रामपुर

उत्तर प्रदेश, भारत

.............................................


( 1 ) 

कोई सच छुप सकता कैसे झूठ की झीनी चादर से

 बार-बार छलकेगा पानी मित्रों अधजल गागर से

इतना तो है सभी जानते ज्ञानी भी अज्ञानी भी

कैसे तुलना कर सकती है कोई नदिया  सागर से

 ( 2 ) 

 बुझे हुए शोलों को मैं अंगार बनाने निकला हूँ 

 कुंद पड़ी कलमों की अब नई धार बनाने निकला हूँ

मानवता की रक्षा हेतु मैं अपना फ़र्ज़ निभाने को

 जो काट दे हर बंधन को वो तलवार बनाने निकला हूँ 

 ( 3 ) 

जीने का अब नया बहाना सीख लिया

बीच गमों के भी मुस्काना सीख लिया

रोते रोते कैसे हँसना है हमको 

 हमने भी जज्बात दबाना सीख लिया

   

✍️ शिशुपाल 'मधुकर' 

C-101, हनुमान नगर 

लाइन पार मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत 

.................................................


मंजिलें कहां करीब घूमती हैं,

मेहनत से ही कदम चूमती हैं I 

अगर किस्मत में खुशियां हो,

झोपड़ी में भी हंसी गूंजती हैं I 


2-

आदमी आदमी की दवा है,

दुख बांटने से ही  घटा है I 

कोई देता है दर्द कोई सुकून,

दुनियादारी की यही अदा है I 


3-

मिल जाए नैनो से नैना, 

हो जाता है प्यार I 

टकराए सैनो से सेना, 

बढ़ जाती तकरार I 

ऋतुए बदली मौसम बदले, 

बदला ना एहसास I 

जीत जाएं हमसे जब अपने,

 अच्छी लगती हार I 


✍️ नकुल त्यागी 

बुद्धि विहार मुरादाबाद

.........................................


(1)

जैसे तैसे बीत गए पांच साल रे भैया 

 फिर लगा बिछने वादों का जाल रे भैया

आवाज में भरी मिठास, चेहरे पर मासूमियत

भेड़ियों ने पहनी गाय की खाल रे भैया


(2)

मौतों   का  सिलसिला  जारी है 

व्यवस्था की कैसी ये लाचारी है

आप  शोक संदेश  पढ़ते  रहिये

आपकी इतनी ही जिम्मेदारी है


✍️ डॉ मनोज रस्तोगी

8, जीलाल स्ट्रीट

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश ,भारत 

मोबाइल नंबर 9456687 822

.......................................


अगर अपने  ग़म  हम सुनाने लगेंगे

तो पत्थर   भी आँसू   बहाने  लगेंगे 

मिली जो हमें ये मुखौटों की दुनिया 

समझने  में   इसको   ज़माने लगेंगे


✍️ डॉ अर्चना गुप्ता 

संस्थापक साहित्यपीडिया

मुरादाबाद

उत्तर प्रदेश, भारत

......................................


(1) 

बेटियों ने जोश से जब भी भरी कोई उड़ान

छू लिया है हौंसलों से इक नया-सा आसमान

राह में बाधा कभी कितनी ही क्यों ना हों खड़ी

इक नया इतिहास लिक्खा जीतकर हर इम्तिहान


(2) 

हों नयी उत्पन्न अब संभावनाएँ

नित जगें साहित्य के प्रति भावनाएँ

हम लिखें जो हो भला उससे सभी का

दिग्भ्रमित ना हों कभी नव कल्पनाएँ


(3) 

द्वंद हर साँस का साँस के संग है

हो रही हर समय स्वयँ से जंग है

भूख - बेरोज़गारी चुभे दंश - सी

ज़िन्दगी का ये कैसा नया रंग है


✍️ योगेन्द्र वर्मा ‘व्योम’

मुरादाबाद  244001

उत्तर प्रदेश, भारत

.............................................


(१)

मातृभूमि पर बलि होने के, सुंदर सपने पलते हैं।

कोमल कण कोमलता तज कर, अंगारों में ढलते हैं।

तब नैनो का नीर सूख कर, रच देता है नव-गाथा,

जब भारत के वीर-बाॅंकुरे, लिए तिरंगा चलते हैं।


(२)

कलियों के लोचन खुलते हैं, भौंरे भी भजन सुनाते हैं।

फिर सुमन सुगन्धित बन माला, गिरधर का कंठ सजाते हैं।

कल-कल करती जब बहती है, अंतस में भावों की सरिता,

आंचल से इसके तृषित सभी, कुछ काव्य-सलिल ले आते हैं।

✍️ राजीव 'प्रखर'

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

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1-

"सजा हुआ है स्वर्णिम कणों से  गगन।

सुसुरभित अनुराग का,खिला है सुमन।

शुभकामनाओं भरा,यह मन मेरा

चाहता है सज्जनों से आशीर्वचन।"

2-

चाह दिल की है ये,तुम फूलों फलो।

हाल कोई भी हो,नित जल से ढलो।

राह दुष्कर होवे,सच से मत टलो।

सर्वदा श्रेष्ठ बन कर पथिक तुम चलो।

3-

"कंटक चाहे पथ में अनगिन चल हम देते हैं।

जीवन के कड़वे प्रश्नों का हल हम देते हैं।      

रंगों से है नाता अपना हम रंगीले हैं,

बीती ताहि बिसारो स्वर्णिम कल हम देते हैं।"

4-

स्वप्न आँखों में बुझे हैं,ले दिया जला दे कोई।

स्वार्थ के कटु आँकड़ें हैं,आगणक मिटा दे कोई।

थी कभी जो डाल धानी,सूखकर हुई है भूरी,

बादलों में रंग गाढ़ा,आज फिर,चढ़ा दे कोई।

5-

जल रहा है ढल रहा है और फिर उग आएगा।

हौसला सूरज है मेरा दिन नये गढ़ जाएगा।।

ये निशा भी बस पलों की मेहमां समझोगे जो,

दिन खुशी के दृश्य में ढलता हर पल जाएगा।


✍️ हेमा तिवारी भट्ट

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

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1

बहुत से चेहरे अनदेखे से, देखे हमने अपनों के

ये पट्टी झूठ की उतरी ,खुले तब द्वार पलकों के

वफा क्या वक्त ने छोड़ी , दगा देने लगे सारे

फकत हमने बदलते रंग देखे अच्छे-अच्छों के

2

काम आसां न तुम बता देना

खुद अपने आप को मिटा देना

फूल का डालियों से टूटना और

घर किसी गैर का सजा देना

3

पंचर है तो पैबंद इक पक्का लगाइए

चमकाइए बोनट नया चक्का लगाइए

जीवन की गाड़ी को न होने दीजिए यूं जाम

थोड़ा सा खींचिए , जरा धक्का लगाइए

4

नजर के इक इशारे पर ..

मुहब्बत के शिकारे पर...

गुजरकर झील से दिल की

ग़ज़ल आई किनारे पर ...


✍️ मोनिका मासूम

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1

छुपा कर दर्द सीने में,हसाने का जमाना है।

तू सी ले दर्द अपने खुद क्या दूजे को दिखाना है।

के रो कर पूछ लेते बाद में हस कर  उड़ा देते,

गमों को झेल लेना पर न दूजे को बताना है।।

2

सुने हम आपको थोड़ा ,सुनाए कुछ यही मन है।

तुम्हे पाना, कसम जानो मेरे जीवन का ईंधन है।

मिलो महफ़िल में खुल कर बात हो फिर निज ह्रदय की सब,

तुम्हारी मित्रता हम को लगे जैसे कोई धन है।।


✍️ इन्दु

अमरोहा,

उत्तर प्रदेश

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ये मेरे देश की मिट्टी, इसका कण-कण इक कहानी है

 इसी में पर्वत का राजा है, तो इसमें नदियों की रानी है

 इसी में चर्च  की घण्टी, तो इसी में गुरुओं की बानी है

 यही है आव-ए-जम-जम, तो  यही  गंगा  का पानी है

 

✍️ दुष्यंत बाबा

 बिजनोर

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1

परेशानियों  में अपनी ज़्यादा आँसू ना बहाया कर


दुःख  हो अगर तुझे कोई तो, भगवान्  को मनाया कर


सुन लेता है वो दिल की हर बात, मुँह  पे आने से पहले..!


मिलना हैं अगर भगवान् से तो, उसके मंदिर में सिर झुकाया कर।।

2

गूंगे भी हैं बहरे लोग, पत्थर माफ़िक ठहरे लोग 


लगते हैं ऊपर से साफ, लेकिन होते गहरे लोग !


कैसी-कैसी चलते चाल, झूठे बने सुनहरे लोग!


कब तक "हम " रक्खे याद,रोज बदलते चेहरे लोग!

3

बातों से बात का पता लगाया जा सकता है!


देख कर दर्द का अंदाज लाया जा सकता है!


ज़रूरी नहीं है कि हर बार आँसू  ही बहाया जाए,


कुछ जख्मों को मुस्कुरा कर भी मिटाया जा सकता है !! 


✍️ पूजा राणा

 मुरादाबाद 244001

 उत्तर प्रदेश,भारत