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बुधवार, 25 नवंबर 2020

मुरादाबाद के रंगमंच को सर्वाधिक कलाकार दिए स्मृतिशेष बलवीर पाठक ने


::::जयंती 25 नवंंबर पर विशेष ::::: 
              मुरादाबाद नगर की सांस्कृतिक एवं रंगमंच की परंपरा में सर्वाधिक योगदान यहां जन्मे  बलबीर पाठक का रहा ,जिन्होंने न केवल नाटकों एवं एकांकियों का निर्देशन किया बल्कि शताधिक एकांकियों की रचना कर एकांकी साहित्य को समृद्ध भी किया। दिल्ली के परेड ग्राउंड मैदान पर वर्ष 1966 से निरंतर रामलीला मंचन को परिष्कृत व परिमार्जित रूप देकर रामायण दर्शन में परिवर्तित कर मुरादाबाद शैली के नाम से विख्यात किया। यही नहीं मुरादाबाद के रंगमंच को सर्वाधिक कलाकार देने का श्रेय भी श्री बलवीर पाठक को जाता है । नगर की प्रतिभाओं को प्रोत्साहन देने के लिए आपने रंग शिविरों और आदर्श कला माध्यम से संगीत एवं नृत्य प्रतियोगिताओं के आयोजन भी किए थे।

 

श्री पाठक का जन्म नगर के ही मोहल्ला गंज में 25 नवंबर 1929 को एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। आपके पिता स्वर्गीय कुंवर जीत पाठक रेलवे विभाग में कार्यरत थे । उनकी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय पारकर इंटर कॉलेज में हुई जहां से उन्होंने वर्ष 1946 में हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की ।हिंदू इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा 1948 में उत्तीर्ण की  । 1949 में रेलवे विभाग में माल बाबू के पद पर नजीबाबाद के निकट  एक स्टेशन पर उनकी नियुक्ति  हो गई जिसके कारण उनके शिक्षा अध्ययन में कुछ वर्षों के लिए व्यवधान पड़ गया।           
इसी बीच वर्ष 1951 में उनका विवाह हो गया। पत्नी का नाम उर्मिला पाठक था। बाद में वर्ष 1969 में स्नातक की परीक्षा डीएसएम कॉलेज कांठ से उत्तीर्ण की।  स्थानीय केजीके महाविद्यालय से वर्ष 1971 में स्नातकोत्तर की परीक्षा समाजशास्त्र विषय से उत्तीर्ण की। 


उन्हें रंगमंच के क्षेत्र में उतारने का श्रेय श्री राम सिंह चित्रकार को जाता है जब श्री पाठक कक्षा 9 में पढ़ते थे उस समय उनके मोहल्ले में एक विजयलक्ष्मी ड्रामेटिक क्लब था जिसके तत्वावधान में कुछ शौकिया कलाकार मुकटा प्रसाद की धर्मशाला में नाटक खेला करते थे उन्हें देखते देखते उनके मन में भी संगीत व नाटक के प्रति अभिरुचि जागृत हो गई वहीं श्री राम सिंह चित्रकार से उनकी भेंट हुई जिन के निर्देशन में मंचित नाटक सती वैश्या में उन्होंने सन् 1945 में पहली बार एक वेश्या का अभिनय कर अपने रंगमंचीय जीवन की शुरुआत की। इसी शुरुआत को निरंतर गति देने का श्रेय श्री कामेश्वर सिंह जी को जाता है। महिला कलाकारों को नगर के रंगमंच से जुड़ने का श्रेय श्री पाठक जी को जाता है प्रथम महिला कलाकार के रूप में उनकी धर्मपत्नी श्रीमती उर्मिला देवी ने इंटरव्यू नाटक में भाग लेकर मंच पर महिला कलाकारों के आने का मार्ग प्रशस्त किया था। 
श्री पाठक वर्ष 1949 में जब इंटरमीडिएट में अध्ययन कर रहे थे तब उन्हें पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों के निर्देशन का सौभाग्य प्राप्त हुआ इसके बाद प्रतिवर्ष होने वाले श्री कृष्ण जन्माष्टमी समारोह का निर्देशन वह करते रहे वर्ष 1956 में उत्तर रेलवे वाद्यव्रन्द मंडली में चुन लिया गया और उसमें लगभग 10 साल तक जलतरंग बजाकर श्रोताओं को  सम्मोहित करते रहे निर्देशक के रूप में उन्होंने भारत भवन भोपाल में आयोजित ग्रीष्मकालीन नाट्य समारोह में 13 जून 1990 को पारसी रंगमंच  शैली में वीर अभिमन्यु नाटक का मंचन किया। 17 मार्च 1975 को लखनऊ के रवींद्रालय प्रेक्षागृह में संगीत नाटक अकादमी की ओर से आयोजित नाटक प्रतियोगिता में आपके निर्देशन में जियो और जीने दो एकांकी का मंचन किया गया। यही नहीं वर्ष 1979 में परेड मैदान दिल्ली वर्ष 1987 में श्री राम कला केंद्र दिल्ली 26 फरवरी90 को राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के प्रेक्षागृह  में भी आपको विभिन्न नाटकों का मंचन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इसके अलावा हरिद्वार देहरादून रुड़की चन्दौसी अमरोहा बरेली रामनगर और शाहजहांपुर आदि अनेक नगरों में उन्होंने अनेक नाटकों व एकांकियों का मंचन किया। आपके द्वारा निर्देशित नाटक ख्वाबे शाहजहां लायंस क्लब मुरादाबाद द्वारा, सुनहरी किरण उत्तर रेलवे द्वारा, हिमालय की गुफा में लेडीज क्लब द्वारा तथा भारत महान श्री धार्मिक लीला कमेटी परेड ग्राउंड दिल्ली द्वारा पुरस्कृत किया जाना उल्लेखनीय है।

वर्ष 1948 के आसपास उन्होंने विद्यालयों के लिए एकांकियों व नाटकों का लेखन शुरू किया। आपका एक एकांकी संग्रह कर्फ्यू सख्त कर्फ्यू  भी वर्ष 1987 में प्रकाशित हो चुका है जिसमें राष्ट्रीय एकता एवं सद्भावना पर आधारित चार एकांकी संग्रहित हैं । आपके द्वारा लिखित एकांकी कर्फ्यू सख्त कर्फ्यू को आकाशवाणी रामपुर की नाट्य लेखन प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार प्राप्त हो चुका है  ।

 वर्ष 1965 में उन्हें दिल्ली के परेड ग्राउंड में रामलीला मंचन करने का अवसर मिला लेकिन भारत पाक युद्ध होने के कारण उस साल वह मंचित ना हो सकी बाद में वर्ष 1966 से निरंतर उन्हीं के निर्देशन में नगर के कलाकारों ने परेड मैदान में रामलीला का मंचन किया। नगर में छिपी हुई प्रतिभाओं को उजागर करने के उद्देश्य से वर्ष 1962 में उन्होंने आदर्श कला संगम की स्थापना की । श्री पाठक आकाशवाणी रामपुर की कार्यक्रम सलाहकार समिति के सदस्य  भी रहे । उनका निधन 11 जुलाई 2017 में हुआ था ।


✍️ डॉ मनोज रस्तोगी

8, जीलाल स्ट्रीट

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश,भारत

मोबाइल फोन नंबर 9456687822