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मंगलवार, 4 मई 2021

मुरादाबाद मंडल के जनपद सम्भल (वर्तमान में नोएडा निवासी) साहित्यकार अटल मुरादाबादी का गीत ---- मिट जाये कोरोना दानव,उस पर ऐसा वार करो। दुनिया में जो दीन दुखी हैं, उनका बेड़ा पार करो।।

  


बेच रहे जो माल ब्लैक में,उनका मां संहार करो।

दुनिया में जो दीन दुखी हैं,उनका बेड़ा पार करो।।


जीवन रक्षा दवा नहीं है,जीने को अब हवा नहीं।

लाइन में सब लोग खड़े हैं, लेकिन राहत नहीं कहीं।

राह दिखाकर कोई उत्तम,हे मां तुम उपचार करो।

दुनिया में जो दीन दुखी हैं,उनका बेड़ा पार करो।।


प्राणवायु की है अब किल्लत, तड़फ रहे हैं लोग यहां।

शासन भी अंधा बहरा है,जायें भी तो लोग कहां।।

शासन की आंखें बन जाओ,कुछ तो अब उपकार करो।

दुनिया में जो दीन दुखी हैं, उनका बेड़ा पार करो।।


भरे पड़े हैं अस्पताल सब,दुनिया ही अब रोगी है ‌।

भय से ही सब आतंकित हैं,चाहें संत या योगी है।।

मिट जाये कोरोना दानव,उस पर ऐसा वार करो।

दुनिया में जो दीन दुखी हैं, उनका बेड़ा पार करो।।


✍️ अटल मुरादाबादी

बी -142 सेक्टर-52

नोएडा उ ०प्र०

मोबाइल 9650291108,

8368370723

Email: atalmoradabadi@gmail.com

& atalmbdi@gmail.com


शुक्रवार, 1 जनवरी 2021

मुरादाबाद मंडल के जनपद सम्भल (वर्तमान में नोएडा निवासी) साहित्यकार अटल मुरादाबादी का नवगीत ----और समय की आकांक्षा ले, देखो नूतन साल आ रहा।


कुछ खट्टी कुछ मीठी यादें

देकर बीता साल जा रहा।

और समय की आकांक्षा ले,

देखो नूतन साल आ रहा।

*******************

मन की डाली पर अब नित ही

कोमल कोंपल फूट रही है।

बीती बातों की यह श्रृंखला

खुद ही हमसे छूट रही है।

कोरोना का काला साया

दुनिया में बेचाल छा रहा।

कुछ खट्टी कुछ मीठी यादें

देकर बीता साल जा रहा।।

*******************

आओ लिख लें गीत नया अब।

सबकी खबर रखेगा बस रब।।

अनुपम फूलों की खुशबू से

महक रहा है घर-उपवन भी।

कोना कोना हुआ उल्लसित,

हर्षित है अब मही-गगन भी।

नये वर्ष का करें स्वागतम,

मौसम भी नवगीत गा रहा।

कुछ खट्टी कुछ मीठी यादें

देकर बीता साल जा रहा।।

✍️ अटल मुरादाबादी, नौएडा

रविवार, 4 अक्तूबर 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद सम्भल (वर्तमान में नोएडा निवासी) के साहित्यकार अटल मुरादाबादी की रचना ----सलवटें जब पड़ीं भाल पर, आइना देख डरने लगे


वक्त गुजरा संवरने लगे।
बात से बात करने लगे।

काल के भाल पर सलवटें,
देखकर वो सिहरने लगे।

याद उनको वही बात है,
याद करके विचरने लगे।

सलवटें जब पड़ीं भाल पर,
आइना देख डरने लगे।

गमजदा हैं बहुत वो मगर,
चैन की सांस भरने लगे।

कर न पाया सहन ये 'अटल',
जख्म उसके उभरने लगे।

✍️अटल मुरादाबादी
बी -142 सेक्टर-52
नोएडा उ ०प्र०
मोबाइल 9650291108,
8368370723
Email: atalmoradabadi@gmail.com
& atalmbdi@gmail.com







गुरुवार, 24 सितंबर 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद सम्भल (वर्तमान में नोएडा )निवासी साहित्यकार अटल मुरादाबादी की लघुकथा ----मेहनत



नितिन और नीरज दो जुड़वां भाई थे।नीरज बहुत ही कुशाग्र बुद्धि का था जबकि नितिन पढ़ने में उससे उन्नीस था। लेकिन सामान्य शब्दों में कहें तो वह भी पढ़ने में ठीक ही था। कुशाग्र बुद्धि का होने के कारण नीरज को अपने ऊपर जरुरत से अधिक विश्वास था। इसलिए वह खूब मौज-मस्ती करता रहता था और अधिकतर समय खेलने में गुजार देता था जबकि नितिन अपना अधिक समय पढ़ने में लगाता था। लेकिन कक्षा आठ तक नीरज हमेशा अधिक अंक लाकर उससे बाजी मार लेता था। नितिन ने  कभी हिम्मत नहीं हारी और संकल्प के साथ मेहनत से लगातार पढता रहा।इस तरह दोनों ने नौंवी की परीक्षा उत्तीर्ण कर दसवीं में, एहल्कान पब्लिक स्कूल दिल्ली में प्रवेश ले लिया। दोनों अपनी अपनी पढ़ाई,पूर्व की तरह ही करते रहे।एक दिन आया सुबह-सुबह दसवीं का परीक्षा फल घोषित किया जाना था। नितिन सुबह से ही परीक्षा फल का इंतजार कर रहा था और नीरज पार्क में खेलने चला गया।लगभग दस बजे परीक्षा फल घोषित हुआ। नितिन दौड़ कर नीरज को बुलाने गया।नीरज ने अपने पुराने अंदाज में कहा- "क्यों अफरा-तफरी कर रहा है,तेरे अंक तो मेरे से कम ही होंगे"। लेकिन घर आकर जब देखा तो नितिन अधिक अंक लाकर बाजी मार चुका था।

उसके मुंह से अनायास निकला "ओह"

✍️ अटल मुरादाबादी

९६५०२९११०८

गुरुवार, 17 सितंबर 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद सम्भल (वर्तमान में नोयडा )निवासी साहित्यकार अटल मुरादाबादी की लघुकथा ----महक


राजू बहुत खुश था आज।खुश हो भी क्यों न,आज उसे अपने बड़े भाई की ससुराल जो जाना था। उसने बाल बगैरह कटवाए, बालों को अच्छी तरह शैंपू किया,और बन संवर कर निकल लिया घर से।रास्ते में,बहुत सारी मीठी यादें, चलचित्र की भांति उसकी आंखों के सामने से गुजरने लगीं।
बात उन दिनों की है जब वह अपने पिता के साथ अपने बड़े भाई की शादी के बाद पहली तीजों पर भाभी के लिए  श्रृंगार का सिंधारा लेकर बड़े भाई की ससुराल गया था। वहां उसकी मुलाकात उसकी भाभी की छोटी बहन महक से हुई थी।पहली ही मुलाकात में वह उसे दिल दे बैठा था। देता भी क्यों न,वह खुद भी सुंदर और गठीले बदन का था,कोई भी नवयौवना उसे देखकर आकर्षित हो जाती।
 महक तो अपने नाम के अनुरूप ही थी।गदराया बदन,यौवन तो उसके अंग अंग से फूट रहा था। बदन किसी गुलाब के फूल की भांति महक रहा था।कोई भी नवयुवक उसके सम्पर्क में आने पर आकर्षित हुए बगैर नहीं रह सकता था।
 पहली ही नजर में दोनों इतना नजदीक आ गये मानों वर्षों से एक दूसरे को जानते हों।राजू दो दिन वहां रुका और उन दो दिनों में ही दोनों की नजदीकियां  कब प्यार में बदल गयीं पता ही न चला।
अगले दिन जब राजू अपने पिता के साथ घर वापिस जाने लगा तो महक की आंखों में प्यार, किसी गगरी में ऊपर तक भरे पानी की तरह छलक रहा था। लेकिन राजू महक को उसी स्थिति में छोड़ कर अपने घर वापिस चला गया।
 राजू घर पहुंचा ही  था कि महक का फोन आ गया था। फिर क्या था दोनों  ने खूब बातें की और धीरे धीरे उनका प्यार प्रगाढ होता चला गया। दोनों एक दूसरे के साथ जीने मरने की बातें करने लगे। इस बीच उन्होंने प्यार का इजहार करने के लिए ,एक दूसरे को , न जाने  कितने ही भावना भरे पत्र भी लिख डाले।यह सब चल ही रहा था कि महक का प्रशासनिक सेवा में चुने जाने का परिणाम आ गया। अब क्या था वह आसमान में उड़ने लगी और इसके सामने उसे राजू का प्यार बौना नजर आने लगा।
 भविष्य की चमक में,  उसने अपने प्यार को छोड़ने का निश्चय कर लिया और "कुछ सूचना" देनी है कहकर , उसने राजू को फ़ोन करके बुला लिया।यह सूचना पाकर राजू का मुंह खुला का खुला रह गया और एक शव्द ही निकल पाया--महक
तुमने क्या किया!!

 ✍️अटल मुरादाबादी
नोएडा,मो ०-९६५०२९११०८

शनिवार, 12 सितंबर 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद संभल (वर्तमान में नोएडा) निवासी साहित्यकार अटल मुरादाबादी की रचना ---ऋषियों मुनियों की यह वाणी, देवनागरी कहलायी है


वर्ण-वर्ण इसका अद्भुत है
सबके मन को भायी है।
ऋषियों, मुनियों की यह वाणी
देवनागरी कहलायी है।

वावन स्वर व्यंजन की माला,
देश काल की अनुपम शाला।
ज्ञान पुष्प की गंध छिपी है।
सबसे ही प्राचीन लिपि है।
नित ही अमृत बरसायी है।
ऋषियों मुनियों की यह वाणी,
देवनागरी कहलायी है।।

व्यवहारिक भी वैज्ञानिक भी,
स्वर संकेतों की पालक भी।
पग पग चलकर संवर्द्धन से,
अब मंजिल अपनी पायी है।
ऋषियों मुनियों की यह वाणी,
देवनागरी कहलायी है।।

ब्राह्मी से इसका उद्गम है।
सुगढ सौम्यता आकर्षण है।।
सजी मधुरतम स्वर लहरी से,
महिमा सबने ही गायी है।
ऋषियों मुनियों की यह वाणी,
देवनागरी कहलायी है।

सुरभित साहित्य, गणित, विज्ञान।
अनुपम, अद्भुत इसका विधान।।
लिखने में सहज सरल इतनी,
ध्वनि लहरों की अनुयायी है।
ऋषियों मुनियों की वाणी,
देवनागरी कहलायी है।

राष्ट्र धर्म का पाठ  पढाती,
मन के भावों को दर्शाती।
ज्ञ से सबको ज्ञान सिखाती।
नित दिव्य ज्ञान बरसायी है।
ऋषियों मुनियों की यह वाणी
 देवनागरी कहलायी है।

आओ सीखें और सिखाएं,
दुनिया को भी पाठ पढ़ाएं।
सकल विश्व में श्रेष्ठ लिपी है,
शंख नाद कर यह बतलाएं।।
नाना -नानी, काका -काकी,
सबने  यह बात बतायी है।
ऋषियों मुनियों की यह वाणी
देवनागरी कहलायी है।

✍️अटल मुरादाबादी
बी -142 सेक्टर-52
नोएडा उ ०प्र०
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बुधवार, 19 अगस्त 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद सम्भल ( वर्तमान में नोएडा निवासी) के साहित्यकार अटल मुरादाबादी की दो रचनाएं ------


सिर पर टोपी है रखी, मन में बहुत सवाल ।
इधर उधर अब झांकते,नहीं गल रही दाल।

मोदी जी पर नित नये,लगा रहे आरोप,
झूठे अब प्रपंच रच,करते बहुत बवाल।।

 सीट गयी इज्जत गयी,छूटा है अब ताज,
बनते थे इक शेर से, है गीदड़ की खाल।

 समझाए यह कौन अब,देश काल की बात,
अब मूरख जन हैं नहीं,फॅसें किसी ना हाल।।

मुॅह में हड्डी है फॅसी,अंदर-बाहर होय,
राजनीति भी दिख रही,अब जी का जंजाल।।

कुछ तो अच्छा कीजिए,अटल कहै है आज,
वरना डूबे नाव अब,हो गति बस बेहाल।।
(2)
भावना तो कहीं मर गयी देखिये ।
चंद आँसू नयन भर गयी देखिये।

कारवाँ तो जुडा पर हवा  हो गया,
भूख उसको हज़म कर गई देखिये।

नोक पर तीर की भाग्य की रेख है,
भाग्य की रेख तो मर गयी देखिये।

फूल तो  हैं खिलें खिल के मुरझा गये ,
गंध आँगन चमन झर गयी देखिये।

वक़्त तो कट गया फ़ासला छँट गया,
बेबसी प्यार को हर गयी देखिये।

✍️ अटल मुरादाबादी
बी -142 सेक्टर-52
नोएडा उ ०प्र०
मोबाइल फोन नम्बर 09650291108
8368370723न
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