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शनिवार, 11 अप्रैल 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार श्याम सुंदर भाटिया की लघुकथा ----नि:शब्द



हिंदी के प्रो. राम नारायण त्रिपाठी को उनके सहपाठी और चेले पीठ पीछे प्रो.बक - बक त्रिपाठी कहते ... प्रो.त्रिपाठी के समृद्ध शब्दों के भंडार का कोई सानी नहीं था...लेकिन सवालों का पिटारा शब्द भंडार से भी संपन्न... कोरोना के चलते लाकडाउन तो बहाना था...बतियाने को किसी न किसी की रोज दरकार रहती... श्रीमती के इशारे पर तपाक से प्रो. त्रिपाठी मास्क लगाकर सब्जी खरीदने पहुंच गए...सोशल   डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए व्हाइट सर्किल में अनुशासित मुद्रा में खड़े होकर अपनी बारी का इंतज़ार करने लगे...नंबर आते ही बाबू ने सवाल दागा...क्या - क्या दे दें प्रोफेसर साहिब... सवाल पूर्ण होने से पहले ही धारा प्रवाह  बोलना शुरु कर दिया... गोभी क्या रेट है...खराब तो नहीं...नहीं साहिब...बाबू ने रिस्पॉन्ड  किया... प्रो. त्रिपाठी बोले,क्या गारंटी है...बताओ... टमाटर, आलू,प्याज, लौकी से लेकर बैंगन,धनिया, पुदीना होते हुए खरबूजे और तरबूज तक पहुंच गए... प्रो. आदतन दो ही सवाल करते ...क्या रेट...और क्या  गारंटी...20 मिनट हो गए और व्हाइट सर्किल में कतार और लंबी हो गई तो प्रो. त्रिपाठी से बाबू ने थोड़ा रफ लहजे में कहा...आपसे भी साहिब हम एक सवाल पूछ लेता हूं...आप तो बड़ी क्लास के टीचर...पूरी दुनिया और उसके कायदे जानते हो ... हां ... हां ... बोलो ना... प्रो.साहब ने सोचा...ससुर क्या पूछेगा...   कोरोना महामारी से कब मुक्ति मिलेगी...या...यूनिवर्सिटी कब खुलेगी...वगैरह...वगैरह...आप हर सब्जी और फल की गारंटी तो पूछ रहे हो... प्रो.साहिब इंसान की भी आज कोई गारंटी है क्या...यह सुनते ही प्रोफेसर त्रिपाठी  नि:शब्द हो गए... आनन - फानन में एक झ्टके में थैला उठाया और घर की ओर तेज - तेज कदमों से कूच कर गए...                                     
                                                
✍️  श्याम सुंदर भाटिया 
 विभागाध्यक्ष
पत्रकारिता कॉलेज, तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर 7500200085

गुरुवार, 9 अप्रैल 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार श्याम सुंदर भाटिया की लघुकथा ---- लॉक डाउन

       

ममा के सांझ से पहले ही बैंक ड्यूटी से घर आने पर गोलू बेइंतहा खुश था... गोलू की ब्रीड को सब फैमिली लविंग के तौर पर जानते हैं...गोलू की बेपनाह खुशी को या तो उसके बाबा या परिजन या माई ...सहजता से समझ सकते हैं या डॉगी लविंग...बार - बार पूछ हिलाना फ्रेंडशिप या हैप्पीनेस का प्रतीक होता है... ये सभी लेब्रा की बॉडी लैंग्वेज को खूब पहचानते हैं... यूनिवर्सिटी क्यों बंद है...दीदी दिल्ली क्यों नहीं गई... मम ही ऑफिस क्यों जाती हैं...ये सारे सवाल उसके लिए बेमानी थे...कोरोना वायरस... जनता कर्फ्यू... लॉक डाउन... नाकेबंदी ... कर्फ्यू...सरीखे कानूनी शब्द अब तक उसकी डिक्शनरी में नहीं थे...बाबा और दीदी 72 घंटे से घर में हैं...मानो साईं राम ने उसके अकेलेपन के दंश को छूमंतर कर दिया है ....राष्ट्र के नाम संदेश सुनकर सभी ने बिना तर्क - वितर्क के संकल्प ले लिया... मानो इस लोकतांत्रिक देश में फिलहाल रुलिंग और अपोजिशन पार्टियों का एक ही एजेंडा है... विजयी भव...  रात के 12 बजे का इंतजार क्यों ...लक्ष्मण रेखा जान गए थे...सो सभी घर के अंदर ही खाना खाने के बाद टहलने लगे... सारे परिजन खामोश थे... लेकिन मम के गोलू...बाबा के कालू...दीदी के गोली की खुशी का ठिकाना न था... ज़ोर... ज़ोर से पूछ हिलाना...कभी किसी के पीछे तो कभी किसी के पीछे चिपकना...तीन साल में उसने पहली बार संग - संग...और लक्ष्मण रेखा लांघते हुए नहीं देखा...                                                                
✍️  श्याम सुंदर भाटिया 
 विभागाध्यक्ष
पत्रकारिता कॉलेज, तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी   मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर 7500200085