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सोमवार, 2 जून 2025

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम द्वारा एक जून 2025 को किया गया काव्य गोष्ठी का आयोजन

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम के तत्वावधान में मिलन विहार मुरादाबाद स्थित मिलन धर्मशाला में रविवार एक जून 2025 को काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ ज्ञान की देवी माॅं शारदे के चित्र पर माल्यार्पण करके किया गया। अशोक विद्रोही ने माॅं शारदे की वन्दना प्रस्तुत की। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए रामदत्त द्विवेदी ने कहा ...

ख्वाब देखा है मैंने रात खुदा खैर करे, 

देश के शुभ नहीं हालात खुदा खैर करे।

 मुख्य अतिथि के रूप में डाॅ. महेश दिवाकर ने कहा- 

मुझसे मेरा जीवन ले लो, 

पर मेरा सम्मान न छीनों। 

वरना मेरे स्वाभिमान की, 

अग्नि तुम्हें ही झुलसा देगी।

 विशिष्ट अतिथि के रूप में रघुराज सिंह निश्चल ने सुनाया- 

वापिस मिलना है नहीं, पी ओ के आसान। 

राज़ी से देगा नहीं, यह तो पाकिस्तान।। 

विशिष्ट अतिथि डॉ. मनोज रस्तोगी ने सुनाया- 

बीत गए कितने ही वर्ष, 

हाथों में लिए डिग्रियां

कितनी ही बार जलीं 

आशाओं की अर्थियां

आवेदन पत्र अब लगते 

तेज कटारों से

कार्यक्रम का संचालन करते हुए संस्था के संगठन मंत्री डॉ. प्रशांत मिश्र ने सुनाया-

जिन्दगी एक शाम बन जाती है, 

जो सवेरा होने के, 

इन्तजार में ढलती जाती है 

अशोक विद्रोही ने कहा- 

जैसे जली स्वर्ण की लंका, 

रावण का अभिमान जला।

तहस नहस आतंकी अड्डे

धूधू  पाकिस्तान जला

योगेन्द्र वर्मा व्योम ने सुनाया- 

सुख-दुख कैसे बँट पायें, 

जब बातचीत तक मौन। 

मोबाइल में बन्द हुए सब 

साँकल खोले कौन।। 

दिखता नई सदी में 

घर-घर कैसा दृश्य अजीब। 

घर की फ़ाइल में 

रिश्तों के पन्ने बेतरतीब। 

 जितेन्द्र कुमार जौली ने कहा-

तम्बाकू का सेवन करके, 

बहुत लोग मर जाते हैं। 

तम्बाकू से दूर रहेंगे, 

चलो कसम ये खाते हैं।। 

अमर सक्सेना ने सुनाया-

सत्ता के लोभ में गुमान हों जाता है अक्सर, 

याद रहे सत्ता बिना जनता के आती नहीं है। 

मंगू सिंह ने सुनाया- 

जाति अपनी रहो बनाके, 

पर सबका सम्मान तो हो। 

मानव से मानव का 

कल्याण तो हो।  

 पदम सिंह बेचैन ने सुनाया- 

मैं खो जाता हूॅं, 

इस कस्बे के प्यार में इतना, 

मुझसे मत पूछो 

मेरा काॅंठ कैसे लगता है 

संस्था के महासचिव जितेन्द्र कुमार जौली द्वारा आभार व्यक्त किया गया।


































::::::प्रस्तुति:::;:;

जितेन्द्र कुमार जौली

महासचिव

हिन्दी साहित्य संगम, मुरादाबाद

सम्पर्क सूत्र : 9358854322

मंगलवार, 6 मई 2025

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की ओर से चार मई 2025 को आयोजित काव्य-गोष्ठी

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की ओर से रविवार चार मई 2025 को काव्य-गोष्ठी का आयोजन मिलन विहार स्थित मिलन धर्मशाला में हुआ। 

       ओंकार सिंह ओंकार द्वारा प्रस्तुत माॅं शारदे की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए रघुराज सिंह निश्चल ने आतंकवाद पर विचार रखते हुए कहा - 

जय पाना आतंकवाद पर, लगता कठिन प्रतीत रे। 

घर में ही जब साॅंप पल रहे, कैसे होवे जीत रे।।

    मुख्य अतिथि डॉ. मनोज रस्तोगी ने कहा - 

गोलों के बीच, 

तोपों के बीच , 

दब गई आवाज 

चीखों के बीच, 

घुटता है दम अब 

बारूदी झोंको के बीच 

       विशिष्ट अतिथि के रूप में समीर तिवारी ने व्यंग्य के पैने तीर इस प्रकार छोड़े - 

पैर पसारे सो रहे, अफसर लेकर घूस। 

आग ओढ़कर जी रही, झोपड़ियों की फूस।।

  कार्यक्रम का संचालन करते हुए जितेंद्र जौली ने कहा ....

दो वक्त की रोटियाॅं, उसको नहीं नसीब। 

गर्मी में फुटपाथ पर, सोता मिला गरीब।।

    रामदत्त द्विवेदी की व्यथा थी - 

स्थिति उसकी हुई है मीन जैसी। 

या तड़फती जल बिना कोई मीन जैसी।

   ओंकार सिंह ओंकार ने अपने भावों को शब्द देते हुए कहा - 

जाति-धर्म के नाम पर, फैलाते आतंक। 

पूरी धरती के लिए, वे हैं बड़े कलंक।।

 ऐसे दुष्टों से करो, नहीं नर्म व्यवहार। 

अब इनको दण्डित करो, होकर सभी निशंक।।

     पदम बेचैन के अनुसार - 

शिक्षक आपस में नाराज,

खुशहाली कहाॅं से आए। 

      योगेन्द्र वर्मा व्योम के उद्गार थे - 

निर्दोषों के खून से, हुई धरा भी लाल। 

भारत मां इस हाल पर, करती बहुत मलाल।। 

पहलगाम से देश को, मिला यही संदेश। 

अबकी जड़ से ख़त्म हो, आतंकवादी क्लेश।। 

       मनोज वर्मा मनु का कहना था - 

उम्मीद थी कि उनसे मिलेंगे ज़रूर हम, 

होगी कभी किस्मत भी मेहरबान एक दिन।

     राजीव प्रखर ने देश के लिए बलिदान करने वालों को नमन करते हुए कहा - 

मातृभूमि पर बलि होने के, अनगिन सपने पलते हैं।कोमल कण कोमलता तज कर, अंगारों में ढलते हैंतब नैनों का नीर सूख कर, रच देता है नवगाथा, जब भारत के वीर बाॅंकुरे, लिए तिरंगा चलते हैं।

      रवि चतुर्वेदी ने दुश्मन देश को चेतावनी देते हुए कहा - 

भारत का हर बच्चा-बच्चा, 

घातक एटम बम होगा।

मीनाक्षी ठाकुर की अभिव्यक्ति थी - 

उग रहा सूरज नया 

हर एक पथ पर, 

सो गया दानव, 

मनुज में देव जागा। 

देख अपनी ओर 

आता रोशनी को, 

मुँह छुपा अंँधकार 

उल्टे पांँव भागा।

 धूप आकर अंजुरी में 

भर गयी है। 

रात ने देखी सुबह तो 

 डर गयी है। 

रामदत्त द्विवेदी ने आभार अभिव्यक्त किया। 




























बुधवार, 9 अप्रैल 2025

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की ओर से छह अप्रैल 2025 को आयोजित काव्य गोष्ठी

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की ओर से रविवार छह अप्रैल 2025 को मिलन धर्मशाला मिलन विहार में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। 

      राजीव प्रखर द्वारा प्रस्तुत माॅं सरस्वती की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए रामदत्त द्विवेदी ने कहा...

आज अवध में राम जी आए। 

सबके मन लगते हर्षाये। 

 मुख्य अतिथि रघुराज सिंह निश्चल के उद्गार थे - 

निमंत्रण राम का दुत्कारते हो। 

जो दानव हैं, उन्हें पुचकारते हो।

  विशिष्ट अतिथि के रूप में राजीव प्रखर ने कहा - 

मेरी दीपक पर्व पर, इतनी ही अरदास। 

पाऊं अंतिम श्वास तक, सियाराम को पास।। 

झिलमिल दीपक दे रहे, चहुॅंदिशि यह संदेश। 

तू-तू-मैं-मैं छोड़िए, सबके हैं अवधेश।। 

 राम सिंह निशंक का कहना था - 

श्री राम का गुणगान गा ले। 

चरणों में तू शीष झुका ले।

 पदम बेचैन के अनुसार - 

कहां खो गए रास्तों में भटक कर।‌ 

क्यों न हो सके हमसफर साथ चल कर। 

साहित्यिक मुरादाबाद शोधालय के संस्थापक डॉ. मनोज रस्तोगी ने कहा ...

वर्षों की प्रतीक्षा के बाद शुभ घड़ी है आई, 

अयोध्या में राम मंदिर का स्वप्न हुआ साकार, 

चार दशक पूर्व लिया संकल्प हुआ आज पूरा 

हर ओर हो रही श्री राम की जय जयकार। 

योगेंद्र वर्मा व्योम ने कहा - 

राम तुम्हारे नाम का, बस इतना-सा सार। 

जीवन का उद्देश्य हो, परहित पर-उपकार।। 

नष्ट हुए पल में सभी, लोभ क्रोध मद काम।

बनी अयोध्या देह जब, और हुआ मन राम।। 

कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रशांत मिश्रा ने कहा ....

स्वस्थ मनुष्य की कोमल काया पर 

देश में मचा बवाल है। 

फूली तोंद प्रशासन की कर्मठता पर

बड़ा सवाल है। 

रामदत्त द्विवेदी ने आभार अभिव्यक्त किया।