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बुधवार, 9 अप्रैल 2025

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की ओर से छह अप्रैल 2025 को आयोजित काव्य गोष्ठी

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की ओर से रविवार छह अप्रैल 2025 को मिलन धर्मशाला मिलन विहार में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। 

      राजीव प्रखर द्वारा प्रस्तुत माॅं सरस्वती की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए रामदत्त द्विवेदी ने कहा...

आज अवध में राम जी आए। 

सबके मन लगते हर्षाये। 

 मुख्य अतिथि रघुराज सिंह निश्चल के उद्गार थे - 

निमंत्रण राम का दुत्कारते हो। 

जो दानव हैं, उन्हें पुचकारते हो।

  विशिष्ट अतिथि के रूप में राजीव प्रखर ने कहा - 

मेरी दीपक पर्व पर, इतनी ही अरदास। 

पाऊं अंतिम श्वास तक, सियाराम को पास।। 

झिलमिल दीपक दे रहे, चहुॅंदिशि यह संदेश। 

तू-तू-मैं-मैं छोड़िए, सबके हैं अवधेश।। 

 राम सिंह निशंक का कहना था - 

श्री राम का गुणगान गा ले। 

चरणों में तू शीष झुका ले।

 पदम बेचैन के अनुसार - 

कहां खो गए रास्तों में भटक कर।‌ 

क्यों न हो सके हमसफर साथ चल कर। 

साहित्यिक मुरादाबाद शोधालय के संस्थापक डॉ. मनोज रस्तोगी ने कहा ...

वर्षों की प्रतीक्षा के बाद शुभ घड़ी है आई, 

अयोध्या में राम मंदिर का स्वप्न हुआ साकार, 

चार दशक पूर्व लिया संकल्प हुआ आज पूरा 

हर ओर हो रही श्री राम की जय जयकार। 

योगेंद्र वर्मा व्योम ने कहा - 

राम तुम्हारे नाम का, बस इतना-सा सार। 

जीवन का उद्देश्य हो, परहित पर-उपकार।। 

नष्ट हुए पल में सभी, लोभ क्रोध मद काम।

बनी अयोध्या देह जब, और हुआ मन राम।। 

कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रशांत मिश्रा ने कहा ....

स्वस्थ मनुष्य की कोमल काया पर 

देश में मचा बवाल है। 

फूली तोंद प्रशासन की कर्मठता पर

बड़ा सवाल है। 

रामदत्त द्विवेदी ने आभार अभिव्यक्त किया। 





















बुधवार, 25 दिसंबर 2024

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की ओर से संस्था के संस्थापक कीर्तिशेष साहित्यकार राजेंद्र मोहन शर्मा श्रृंग की 11वीं पुण्यतिथि के अवसर पर रविवार 15 दिसंबर 2024 को उनकी स्मृति में महानगर के वरिष्ठ साहित्यकार विवेक निर्मल को 'राजेंद्र मोहन शर्मा श्रृंग स्मृति सम्मान' से सम्मानित किया गया

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम के तत्वावधान में, संस्था के संस्थापक कीर्तिशेष साहित्यकार राजेंद्र मोहन शर्मा श्रृंग की 11वीं पुण्यतिथि के अवसर पर उनकी पावन स्मृति में महानगर के वरिष्ठ साहित्यकार विवेक निर्मल को 'राजेंद्र मोहन शर्मा श्रृंग स्मृति सम्मान' से सम्मानित किया गया। सम्मान स्वरूप उन्हें मानपत्र, श्रीफल, अंगवस्त्र एवं प्रतीक चिह्न भेंट किए गए। कार्यक्रम की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ.महेश दिवाकर ने की। मुख्य अतिथि बाल साहित्यकार राजीव सक्सेना एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में दयानंद महाविद्यालय के प्रबंधक उमाकांत गुप्ता एवं गजलकार ओंकार सिंह ओंकार रहे। मां शारदे की वंदना कवि रामसिंह नि:शंक ने प्रस्तुत की तथा कार्यक्रम का संचालन राजीव प्रखर ने किया।
 इस अवसर पर सम्मानित कवि विवेक निर्मल ने काव्य पाठ करते हुए सुनाया- 
"जिंदगी यदि प्रश्न है तो फिर, आओ इसमें हल तलाशें हम, जिंदगी में प्रश्न तो उलझे बहुत है, किंतु इसमें प्रश्न अनसुलझे बहुत है, जिनका हल करने में आते द्वंद भी, जिंदगी में हम स्वयं उलझे बहुत हैं, जिंदगी यदि आज है तो फिर, आओ इसमें कल तलाश में हम...।"
      सम्मानित साहित्यकार विवेक निर्मल के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर राजीव 'प्रखर' द्वारा  प्रकाश डाला गया। सुप्रसिद्ध नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा व्योम ने साहित्यिक सांस्कृतिक एवं सामाजिक क्षेत्र में विवेक निर्मल द्वारा किए गए योगदान को सराहते हुए उन्हें साहित्य जगत का सशक्त रचनाकार बताया। डॉ.महेश दिवाकर ने कहा कि संस्था के संस्थापक स्व० राजेन्द्र मोहन शर्मा श्रृंग जी के हिन्दी के लिए किये गए योगदान को भुलाया नहीं जा सकता, उन्होंने अनेक रचनाकारों को प्रकाश में लाने का कार्य किया है।
      इसके पश्चात कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर जितेन्द्र कुमार जौली, योगेन्द्र वर्मा व्योम, वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी, रामदत्त द्विवेदी, डॉ. मनोज रस्तोगी, नकुल त्यागी, राजीव प्रखर, अशोक विद्रोही, पदम सिंह बेचैन, उमाकांत गुप्ता, राम सिंह नि:शंक, उदय सक्सेना अस्त, रवि चतुर्वेदी आदि ने काव्य पाठ किया। संस्था के महासचिव जितेन्द्र कुमार जौली ने आभार अभिव्यक्ति प्रस्तुत की।