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गुरुवार, 2 फ़रवरी 2023

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार शिव कुमार चंदन की काव्य कृति शारदे-स्तवन की रवि प्रकाश द्वारा की गई समीक्षा .... सरल हृदय से लिखी गई सरस्वती-वंदनाऍं

सहस्त्रों वर्षों से सरस्वती-वंदना साहित्य के विद्यार्थियों के लिए आस्था का विषय रहा है । भारतीय सनातन परंपरा में देवी सरस्वती को ज्ञान का भंडार माना गया है । वह विद्या की देवी हैं । सब प्रकार की कला, संगीत और लेखन की आधारशिला हैं।  उनके हाथों में सुशोभित वीणा जहॉं एक ओर सृष्टि में संगीत की विद्यमानता के महत्व को उन के माध्यम से दर्शाती है, वहीं एक हाथ में पुस्तक मानो इस बात का उद्घोष कर रही है कि संपूर्ण विश्व को शिक्षित बनाना ही दैवी शक्तियों का उद्देश्य है । केवल इतना ही नहीं, एक हाथ में पूजन के लिए प्रयुक्त होने वाली माला भी है जो व्यक्ति को देवत्व की ओर अग्रसर करने के लिए एक प्रेरणादायक प्रस्थान बिंदु कहा जा सकता है । 

       हजारों वर्षों से सरस्वती पूजा के इसी क्रम में रामपुर निवासी कवि शिवकुमार चंदन ने एक-एक करके 92 सरस्वती-वंदना लिख डालीं और उनका संग्रह 2022 ईस्वी को शारदा-स्तवन नाम से जो प्रकाशित होकर पाठकों के हाथों में आया तो यह अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि कही जा सकती है । सामान्यतः कवियों ने एक-दो सरस्वती वंदना लिखी होती हैं, लेकिन 92 सरस्वती वंदनाऍं लिख देना इस बात का प्रमाण है कि कवि के हृदय में मॉं सरस्वती की वंदना का भाव न केवल प्रबल हो चुका है, अपितु जीवन में भक्ति का प्रादुर्भाव शीर्ष पर पहुॅंचने के लिए आकुल हो उठा है । इन वंदनाओं में एक अबोध और निश्छल बालक का हृदय प्रतिबिंबित हो रहा है । कवि ने अपने हृदय की पुकार पर यह वंदनाऍं लिखी हैं और एक भक्त की भॉंति इन्हें मॉं के श्री चरणों में समर्पित कर दिया है।

   प्रायः यह वंदनाऍं गीत-शैली में लिखी गई हैं । कुछ वंदना घनाक्षरी छंद में भी हैं, जो कम आकर्षक नहीं है । एक घनाक्षरी वंदना इस प्रकार है :-

शारदे मॉं चरणों में चंदन प्रणाम करे 

अंतस में ज्ञान की मॉं ज्योति को जगाइए

रचना विधान काव्य शिल्प छंद जानूॅं नहीं 

चंदन को छंद के विधान को सिखाइए

विवश अबोध मातु आयके उबारो आज 

जगत की सभी नीति रीति को निभाइए 

प्रकृति की प्रीति रीत पावस बसंत शीत

चंदन के गीत छंद स्वर में गुॅंजाइए (पृष्ठ 127)

एक गीत में कवि जन्म-जन्मों तक भटकने के बाद मॉं की शरण में आता है और जीवन के सर्वोच्च लक्ष्य "ध्यान" की उपलब्धता को प्राप्त हो जाता है । गीत के प्रारंभिक अंश इस प्रकार हैं :-

जन्म-जन्मों का चंदन पथिक हो गया

मोह अज्ञान तम में कहॉं खो गया

थाम ले बॉंह को टेर सुन आज मॉं 

कर कृपा शारदे,पूर्ण कर काज मॉं

छोड़कर पंथ चंदन शरण आ गया 

मॉं तुम्हारा सहज ध्यान गहरा गया (पृष्ठ 25) 

     जीवन में वैराग्य भाव की प्रधानता अनेक गीतों में प्रस्फुटित होती हुई दिखाई पड़ रही है । यह सहज ही उचित है कि कवि अनेक जन्मों की अपनी दुर्भाग्य भरी कहानी को अब मंजिल की ओर ले जाना चाहता है । ऐसे में वह मॉं सरस्वती से मार्गदर्शन भी चाहता है । एक गीत कुछ ऐसा ही भाव लिए हुए है । देखिए :-

जब इस जग में आए हैं मॉं

निश्चित इक दिन जाना है

अनगिन जन्म लिए हैं हमने

अपना कहॉं ठिकाना है 

यह सॉंसें अनमोल मिली हैं 

ज्यों निर्झर का झरना है 

करूॅं नित्य ही सुमिरन हे मॉं 

मुझे बता क्या करना है ?(पृष्ठ 104) 

        वंदना में मुख्य बात लोक-जीवन में प्रेम की उपलब्धता हो जाना मानी गई है । सरस्वती-वंदना में कवि ने इस बात को ही शब्दों में आकार देने में सफलता प्राप्त की है । एक वंदना गीत में कवि ने लिखा है :-

ज्ञान की ज्योति दे दो हमें शारदे 

नेह मनुहार से मॉं हमें तार दे

अर्चना में हमारी यही आस हो 

मन में भक्ति जगे श्रद्धा विश्वास हो

भाव के सिंधु में प्रीति पतवार दे 

ज्ञान की ज्योति दे दो हमें शारदे (पृष्ठ 34)

         अति सुंदर शुद्ध हिंदी के शब्दों से अलंकृत यह सरस्वती-वंदनाऍं सदैव एक नतमस्तक भक्त के मनोभावों को अभिव्यक्त करती रहेंगी । सामान्य पाठक इनमें अपने हृदयोद्गारों को प्रकट होता हुआ देखेंगे तथा भीतर से परिष्कार की दिशा में प्रवृत्त हो सकेंगे।

     पुस्तक की भूमिका में डॉक्टर शिवशंकर यजुर्वेदी (बरेली), हिमांशु श्रोत्रिय निष्पक्ष (बरेली) तथा डॉक्टर अरुण कुमार (रामपुर) की भूमिकाऍं वंदना-संग्रह की गुणवत्ता को प्रमाणित कर रही हैं । डॉ शिव शंकर यजुर्वेदी ने ठीक ही लिखा है कि इस वंदना-संग्रह का जनमानस में स्वागत होगा तथा यह पूजा-घरों की शोभा बढ़ाएगी, मेरा विश्वास है । ऐसा ही इस समीक्षक का भी विश्वास है। कृतिकार को ढेरों बधाई।





कृति : शारदे-स्तवन ( मां सरस्वती वंदना-संग्रह)

कवि : शिव कुमार चंदन, सीआरपीएफ बाउंड्री वॉल, निकट पानी की बड़ी टंकी, ज्वालानगर, रामपुर (उत्तर प्रदेश) मोबाइल 6397 33 8850 

प्रकाशक : काव्य संध्या प्रकाशन, बरेली 

मूल्य : ₹200 

प्रथम संस्करण : 2022

समीक्षक : रवि प्रकाश,

बाजार सर्राफा

रामपुर 

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल 99976 15451

शुक्रवार, 19 नवंबर 2021

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार शिव कुमार चंदन का गीत ----गिरि शिखर से अवतरित गंगे , तू कल ‌- कल बह रही है


हरण   कर    त्रय   ताप,  माँ ,

पावन जगत  को कर रही  है  ।

गिरि शिखर से अवतरित गंगे

तू   कल  - कल  बह  रही  है

माँ  !  विमल जलधार  से  तू  ,

तृप्त  करती  ,तृषित जन को  ।

रूपसी   तू   प्रकृति   निर्मल  ,

मौन  रह  कुछ  कह  रही  है ।

हरण  कर  त्रय ताप  जग के ,

तू  जगत पावन  कर रही है ।।


तेरी   निर्मल   धार  अविरल  ,

बह रही  शिव शीश  रह कर  ।

तेरे    तट    उपजीं   ऋचाएँ  ,

गहन    आरण्यक   निरन्तर  ।।

तोड़  गिरि - मरू  श्र॔खलाएँ ,

चंचला   सी   बह   रही   है  ।

हरण  कर  त्रय ताप जग के  ,

पावन जगत को कर रही है ।।


समर्पित   घृत , पुष्प  चंदन  ,

नैवेद्य  अक्षत,अगरू ,रोली  ।

पूर्ण    कर   मन   कामनाएँ  ,

माँ भरो जन जन की झोली ।।

बाँट कर जग  को विमलता ,

नित  कलुषता  सह  रही है  ।

हरण   कर  त्रय  ताप   ,माँ  ,

तू जगत पावन  कर रही है ।।


✍️  शिव कुमार चंदन

सीआरपीएफ बाउण्ड्री , निकट- पानी की बड़ी टंकी  ज्वालानगर,   रामपुर ( उत्तर प्रदेश ) मोबाइल फोन नम्बर 6397338850 


शुक्रवार, 30 अप्रैल 2021

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार शिव कुमार चंदन का गीत ---बन्द निज आवास में, व्यवधान ऐसा छा रहा


सुखद  हों परिवेश जग के , गीत  चंदन  गा  रहा 

बन्द  निज  आवास  में, व्यवधान ऐसा  छा  रहा


कौन जाने समय की गति स्थायी कुछ है ही नहीं

परिस्थितियाँ  युगों  से,  संताप  सहती   ही  रहीं 

प्रारब्ध जागे कर्म के,जीवन में है सुख ,दुख सहा

सुखद हों परिवेश  जग  के, गीत  चंदन गा  रहा 


गति -प्रगति अवरूद्ध होती, है कहीं थमती कहाँ 

नित्य परिवर्तन है पल-पल,सम्वेदना जगती यहाँ

भक्ति साधन,साध्य-साधक का सदा ही कर गहा

सुखद  हों  परिवेश जग  के  गीत  चंदन गा रहा 


सृष्टि  के  प्राणी  यहाँ  अनभिज्ञ  हो कर मौन  हैं

प्राण  संरक्षक प्रकृति के ,सर्वज्ञ हे प्रभु  कौन  हैं

लाकडाऊन  में फंसा  हर व्यक्ति  है  घबरा  रहा

सुखद  हों  परिवेश जग में ,गीत  चंदन गा  रहा 


व्यवस्था  पारम्परिक  सब  उत्सवों  पर  रोक  है 

शान्त  हैं  सब  राज पथ  सर्वत्र  प्रभु आलोक है 

मधुर कलरव पंछियों का ,आनंद से  सहला रहा 

सुखद  हों  परिवेश  जग में,  गीत चंदन गा रहा 

✍️ शिव कुमार चंदन

सीआरपीएफ बाउण्ड्री , निकट- पानी की बड़ी टंकी  ज्वालानगर,   रामपुर ( उत्तर प्रदेश ) मोबाइल फोन नम्बर 6397338850