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शनिवार, 18 जुलाई 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार निवेदिता सक्सेना की कहानी-------- सीख


         नीरजा रसोई के काम में व्यस्त थी , मां मौसी का फोन है ,,बेटे ने आवाज दी,,
 फोन लेते ही जल्दबाजी में नीरा बोली " हां बता क्या हाल है,,, उधर से भर्राई  हुई आवाज में वसुधा थी , ,"हाल ठीक नहीं है,, कल से दिमाग खराब है .!
        अरे क्या हुआ नीरजा ने आश्चर्यचकित होकर पूछा!
 कुछ नहीं गौरव कल  रात जब से आए हैं तब से कमरे में बंद है उन्हें करोना होने का शक है और मैं भी अलग । फिर भी मुझे बहुत घबराहट हो रही है, शायद हम दोनों को करोना हुआ लग रहा है। मुझे तो बहुत घबराहट हो हो रही है कहते कहते  वसुधा सबुकने लगी ।
ओह माय गॉड ,!!!घबराते हुए नीरजा ने कहा  ,,गौरव कैसे हैं! बस ठीक ही है गले में काफी तकलीफ है।
           गौरव वसुधा के पति एक प्रतिष्ठित डॉक्टर और बहुत ही सज्जन और अच्छे इंसान ।
   वसु छोटी बहन जरूर है पर नीरजा से कम ही बनती है स्वभाव से  नकचडी और सनकी,,,, पर बड़े होने के नाते नीरा थोड़ा-थोड़ा बरदाश्त कर लेती है ।
वसुधा के इसी स्वभाव के कारण सास के साथ उसकी पटरी नहीं बैठी, और तीन-चार साल के बाद गौरव को लेकर अलग घर में रहने लगी। नीरा ने समझाया कि यह ठीक नहीं है गौरव अपने माता-पिता के अकेले बेटे हैं , तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए ।अगर थोड़ा बर्दाश्त करो दोनों लोग तो स्थिति संभल सकती है ,,,,पर नहीं सास में कुछ ज्यादा ही तेजी थी।           तो अलग रहना ही वसुधा ने  ज्यादा उचित समझा ।
इस वजह से पापा भी 2 महीने से उससे नाराज थे  और बात नहीं कर रहे थे वसु से ।
जय कहां है ,,,,नीरा ने पूछा ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,उसे तो रात ही गौरव के पापा आ कर ले गए थे ।
चलो यह अच्छा रहा ,,पता किया ठीक वो,
वो तो  ठीक है, पर मुझे रात भर नींद नहीं आई  तो मैं सोच सोच के पागल हुई जा रही हूं ,,कि कुछ खा पी रहा होगा या नहीं ,,,
कहते कहते वसु सिसकी भर रोने लगी ।
      जब से कल से वह गया है तब से मुझे नींद नहीं आई है। समझ नहीं आ रहा कैसे रहूं मै उसके विना और ये भी नहीं पता कि कितने दिन लगेंगे हमे ठीक होने में ?
          अरे इतना परेशान क्यों हो रही हो  ,अपने दादी  दादा जी के पास है वो तो तुझसे भी ज्यादा अच्छे से रखेंगे उसे ।सब कुछ ठीक हो जाएगा ।चिंता न कर  पागल चुप जा ऐसे ही न मर जाएगी तू ।नीरा ने उसे हसाने की कोशश की ।
        चेकअप करवा लिया  , बिना उसके सोच रही हो सिर्फ सर्दी जुकाम और बुखार से करोना थोड़ी ना हो जाता है। इत्मीनान रखो सब कुछ ठीक निकलेगा । नीरा समझा रही थी ।
    वह तो सब ठीक है पर मुझे बहुत चिंता हो रही है मैंने दो-तीन बार वीडियो कॉल कि मुझसे बात ही नहीं कर रहा है खेल में लगा हुआ है वह तो वहां पर बहुत खुश है । मुझसे बात भी नहीं कर रहा अपनी दादी के साथ कितना खुश है।
वसु की बात से नीरा का मन दुखी बहुत हो रहा था पर एकदम जाने क्यों गुस्सा भी आया। और उसने अपना गुस्सा  बहन पर  निकाल ही दिया ,,
       एक रात में अपने बेटे को उसके दादा दादी के पास छोड़कर तुम्हें रात भर नींद नहीं आई ,वो वहां खुश है तो भी तुम्हे दुख है की वो कहीं उन्हीं का ना हो जाए, हैं ना,,।
 क्या तुमने कभी गौरव  मम्मी पापा के लिए सोचा वह अपने बेटे के बगैर कैसे रह रहे होंगे, एक बार सोच कर देखो जैसे तुम्हारा बेटा अकेला है। उनका भी एक बेटा गौरव ही हैं  ।
कितना प्यार करती हो अपने 2 साल के बच्चे को उसके एक दिन दूर होने पर पागल हुई का रही हो अपने  30 साल के बेटे को  पाल पोस कर जिसने बड़ा किया वो आज उनसे दूर है ।
    नीरा विना रुके बोले जा रही थी । हर रिश्ते को अपने आप से जोड़ कर देखो तब उस रिश्ते का महत्व पता चलेगा अगर तुमने एक बार भी सोचा  कि  उनके मां बाप अपने बेटे के बगैर कैसे रहते होंगे । तो तुमने अलग रहने की यह बात अपने मन में लाई ही नहीं होती,, कि मैं अलग रहूं। बदलना तो तुम्हें था क्योंकि तुम उनके परिवार में आई हो वह तीन लोग तुम्हारे वजह से थोड़ी ना बदलेंगे तुम उन 3 लोगों की वजह से अपने आप को बदलो अपना बेटा सबको प्यारा होता है सोच कर देखो ,,,
बच्चे के प्यार का उम्र से कोई नाता नहीं होता। मां बाप अपने बच्चे को हर उम्र में इतना ही प्यार करते हैं। मेरी बात पर विचार करना । कह कर नीरा ने फोन काट दिया।

निवेदिता सक्सेना
मुरादाबाद

बुधवार, 27 मई 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार निवेदिता सक्सेना की लघु कथा -------- हे भगवान



नोनू और मनु मीरा के दो बेटे, दोनों ही छोटे थे।
,शैतान,नटखट ,चुलबुले दोनों दुनिया से अनजान सिर्फ अपनी दुनिया में मगन,।बचपन का आनंद लेकर जी रहे थे।
मीरा जब भी उन्हें  सुलाती तब अक्सर कहानिया सुनाया करती थी ,और कहानी के अंत  में अपने बच्चों से कहती कि बेटा छोटे बच्चों की पुकार भगवान बहुत जल्दी सुनते हैं ,इसलिए हमेशा भगवान से अपने घर परिवार की सलामती की प्रार्थना किया ।
करो दोनों बच्चे हाथ जोड़कर भगवान का धन्यवाद करते । दोनोंआपस में साथ साथ खेलते भी बहुत है और लड़ाई भी बहुत करते थे ना कभी कभी मीरा बहुत परेशान हो जाती थी जोर से चिल्लाने लगती,,,,,,,,' हे भगवान; मुझे उठा ले,  और कभी-कभी तो उन पर हाथ भी उठा देती , पर वह दोनों अपनी मस्ती में मस्त रहते थे नोनू छोटा था ,और मनु बड़ा ।
नादान नोनू अपनी मां की झुंझलाहट को देखता और बार बार दोबारा गलती ना करने के लिए कहता पर अबोधबालक फिर अपने भाई से लड़ाई लड़ता मां झुंझलाहट में अक्सर बड़बड डाती रहती ।;हे भगवान ;मुझे उठा ले, !
आज घर पर मेहमान आने वाले थे बहुत सारा काम था और उस पर  रविवार का दिन  बच्चे भी घर पर थे छोटे-छोटे बच्चों को संभालना मेहमानों के खातिर करना मीरा एक बार फिर झुंझला रही थी ,रात भर कमर दर्द से परेशान रही थी ।
सुबह सुबह कुछ लोगो के आने की खबर ,
मीरा महमान नवाजी में बहुत आगे थी तबियत कैसी भी हो पर किसी के आने की खबर उसमे ऊर्जा भर देती थी,।
 बच्चे बीच बीच में लड़ाई भी कर रहे थे ,बहुत देर से समझाने की कोशिश कर रही थी , बच्चे तो बच्चे  माने कैसे  एक बार फिर सर पकड़ कर बैठ गई मीरा।
: हे भगवान मुझे उठा ले;
 नादान नोनू बार-बार इस तरह से अपनी मां को करते देख एक दिन कह उठा हे भगवान आप बच्चो की बात जल्दी सुनते हो , मेरी बात सुन लो ,मेरी मां जो बार बार कहती है ,मुझे उठा लो ,
मुझे उठा लो ,
उनकी प्रार्थना सुन लो,, हे भगवान,,।

 ✍️ निवेदिता सक्सेना
मुरादाबाद 244001