हस्ताक्षर लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
हस्ताक्षर लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

सोमवार, 25 मार्च 2024

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था 'हस्ताक्षर' की ओर से 23 मार्च 2024 शनिवार को योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' के दोहा-संग्रह 'उगें हरे संवाद' का लोकार्पण एवं काव्य गोष्ठी आयोजित

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था 'हस्ताक्षर' की ओर से नवगीतकार माहेश्वर तिवारी के गौर ग्रीशियस स्थित आवास 'हरसिंगार' में शनिवार 23 मार्च 2024 को आयोजित गोष्ठी में साहित्यकार योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' के दोहा-संग्रह 'उगें हरे संवाद' का लोकार्पण किया गया। कवयित्री हेमा तिवारी भट्ट द्वारा प्रस्तुत माॅं शारदे की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम में डॉ.अजय 'अनुपम'  द्वारा लोकार्पित कृति पर समीक्षा प्रस्तुत की गई तथा लोकप्रिय शायर ज़िया ज़मीर द्वारा लिखित समीक्षा आलेख का वाचन राजीव प्रखर ने किया। 

      लोकार्पण के पश्चात् एक काव्य-गोष्ठी का भी आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता करते हुए  माहेश्वर तिवारी ने अपने भावों को शब्द दिये- 

गीतों भरी सुबह लगती है, रंगों डूबी शाम।

याद बहुत आते हैं कल के रिश्ते और प्रणाम। 

मुख्य अतिथि डॉ.अजय अनुपम ने कहा- 

जिस पल से होने लगा, नेता का धन दून। 

लगे तभी से सूखने, छप्पर पर कानून।। 

जैसे बच्चे खेलते, कुर्ता पकड़े रेल।‌ 

कुनबेदारी ले गई, नेताजी को जेल।।  

विशिष्ट अतिथि विशाखा तिवारी ने होली का सुंदर चित्रण करते हुए कहा -

पैंया पड़ूं कर जोरी, 

श्याम मो से न खेलो होरी। 

संचालन करते हुए योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने कहा- 

मनके सारे त्याग कर, कष्ट और अवसाद। 

पिचकारी करने लगी, रंगो से संवाद।। 

गुझिया से कचरी लड़े, होगी किसकी जीत। 

एक कह रही है ग़ज़ल, एक लिख रही गीत।। 

  कवयित्री डॉ.पूनम बंसल के होली गीत ने सभी को वाह करने पर विवश कर दिया- 

फागुन का है मस्त महीना पिचकारी की धार लिए। 

रूठों को हम चलो मनाएं,रंगों का उपहार लिए।। 

जीवन में मस्ती की सरगम लेकर आई है होली। 

रंगों में यूं भीगा तन मन सजनी साजन की हो ली।। 

  डॉ.कृष्ण कुमार नाज़ के अशआर सभी को झूमने पर विवश कर गये - 

बादलों की सुरमई छतरी यहाँ तानी गई, 

तब कहीं तपते हुए सूरज की मनमानी गई। 

शुक्रिया तेरा, मेरी ख़ानाबदोशी शुक्रिया, 

तू मिली तो गर्दिशों की ज़ात पहचानी गई। 

डॉ. मनोज रस्तोगी का कहना था - 

घर-घर में करना आह्वान है।

मत का करना सही दान है।।

परिवार सहित चलें बूथ पर।

बाद में करना जलपान है।।

राजीव प्रखर ने अपने दोहों के रंग इस प्रकार छोड़े - 

बदल गई संवेदना, बदल गए सब ढंग। 

पहले जैसे अब कहाॅं, होली के हुड़दंग।। 

गुमसुम पड़े गुलाल से, कहने लगा अबीर। 

चल गालों पर खींच दें, प्यार भरी तस्वीर।। 

कवयित्री हेमा तिवारी भट्ट का कहना था - 

टेसू शाखों पर खिले, घुली प्रेम की भंग। 

साजन ने जब आ सखी,मुझ को डाला रंग ।। 

हंसी ठिठौली नेह की,भरती सारे घाव। 

हास और परिहास का, बना रहें सद्भाव।। 

मीनाक्षी ठाकुर ने वर्तमान परिस्थितियों पर तीखा व्यंग्य किया - 

पुते चुनावी रंगों में फिर गिरगिटिया अय्यार।  

उल्लू और गधे आपस में, जमकर हिस्सेदार बने। 

दीन धर्म के ही सौदे को, जगह- जगह बाज़ार तने। 

लेकर लच्छे वाले भाषण  दल -बदलू तैयार।। 

मनोज मनु भी अपने गीत से सभी के हृदय को जीतते हुए चहके - 

होली पर हुरियारों देखो, कसर न दमभर रखना, 

रंगों का त्योहार है सबके तन संग मन भी रंगना। 

ठिठुरन भुला बसंत घोलता मन मादकता हल्की,

करती है किस तरह प्रकृति, रचना हर एक पल की, 

फिर मन भावन फागुन खूब खिलाता टेसू अंगना। 

      इस अवसर पर विशेष रूप से दयानंद आर्य कन्या महाविद्यालय के प्रबंधक उमाकांत गुप्त, संतोष रानी गुप्त, अक्षरा तिवारी, आशा तिवारी उपस्थित रहे। समीर तिवारी द्वारा आभार अभिव्यक्ति के साथ कार्यक्रम समापन पर पहुॅंचा।





































:::::प्रस्तुति:::::::

राजीव प्रखर

सह संयोजक- हस्ताक्षर, मुरादाबाद। 

मोबाइल- 9368011960


मंगलवार, 27 फ़रवरी 2024

उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान, लखनऊ एवं मुरादाबाद की संस्था 'हस्ताक्षर' द्वारा सोमवार 26 फरवरी 2024 को विचार-गोष्ठी, परिचर्चा एवं संवाद कार्यक्रम का आयोजन

 उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान, लखनऊ एवं मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था 'हस्ताक्षर' के संयुक्त तत्वावधान में सोमवार 26 फरवरी 2024 को  'साहित्य के सामाजिक सरोकार' शीर्षक से विचार गोष्ठी, संवाद एवं परिचर्चा का आयोजन मुरादाबाद स्थित स्वतंत्रता सेनानी भवन में किया गया। 

   माॅं सरस्वती के समक्ष दीप-प्रज्ज्वलन एवं माल्यार्पण के पश्चात् शुभम कश्यप द्वारा प्रस्तुत माॅं शारदे की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की  अध्यक्षता करते हुए डॉ. अजय अनुपम का कहना था - "साहित्य का अर्थ है समाज को मंगलकारी मार्ग दिखाना। साहित्य वह है, जिसे परिवार में सबके साथ बैठकर पढ़ा जा सके, अर्थात्  मर्यादा की स्थापना की जा सके। अपने समय का साक्षी होना उत्कृष्ट साहित्य की पहचान है।"  

  मुख्य अतिथि  श्लेष गौतम ने कहा -  "साहित्य में चिंतन एवं वैचारिकी होती ही है। सामाजिक सरोकारों को अभिव्यक्त करने के लिए सृष्टि, समाज, ब्रह्मांड और उससे परे भी जाकर साहित्य हमको प्रभावित करता है, राह दिखाता है तथा प्रश्न एवं हल दोनों से जोड़ता है। वर्तमान को जीते हुए भी इतिहास बोध और भविष्य दृष्टा है साहित्यिक चिंतन।"  

मुख्य अतिथि शायर अनुराग मिश्रा 'ग़ैर' का कहना था - "साहित्य हमेशा ही समाज का प्रतिबिंब रहा है। जिस साहित्य में अपने समय की धड़कन नहीं रहती, वह कालजई नहीं हो सकता। हमेशा अपनी समय की नब्ज़ को पहचान कर रचा जाने वाला साहित्य ही जीवंत रहता है।" 

विशिष्ट अतिथि नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा व्योम ने कहा - "साहित्य में जब तक सामाजिक सरोकार नहीं होते, तब तक साहित्य आम जनमानस से जुड़ नहीं पाता। साहित्य ही है जो समाज में व्याप्त विसंगतियों और विद्रूपताओं को अपनी अभिव्यक्ति देता है और उनका समाधान भी। नागार्जुन, दुष्यंत कुमार, अदम गोंडवी, कैलाश गौतम आदि ने अपनी रचनाओं में सामाजिक सरोकारों को ही जिया है।" 

विशिष्ट अतिथि प्रो. चन्द्रभान सिंह यादव का कहना था - "साहित्य समाज का दर्पण होता है। समाज की गतिविधियों को साहित्य में देखा जा सकता है। समाज का मार्गदर्शन करना साहित्य का उद्देश्य है तथा साहित्यकार लोगों की सुप्त चेतना का जागरण करता है। दलित साहित्य, स्त्रीवादी साहित्य और आदिवासी साहित्य में समाज का यथार्थ चित्रण किया गया है।" 

विशिष्ट अतिथि शायर डॉ. कृष्ण कुमार नाज़ की अभिव्यक्ति थी - "साहित्य जीवन की व्याख्या है और जीवन का निर्माण समाज से होता है ऐसी स्थिति में यह स्पष्ट हो जाता है कि साहित्य समाज का प्रतिरूप है और मानवीय व्यवहार को अभिव्यक्ति देने का एक सशक्त माध्यम है।" 

संचालन करते हुए राहुल शर्मा ने कहा - "अदब की क़ीमत कभी भी कम नहीं हो सकती। अदब एक ऐसा ज़रिया है जो समाज की हक़ीक़त से रू-ब-रू कराता है। अदब के बिना हम समाज की कल्पना नहीं कर सकते।" 

        इसके अतिरिक्त धवल दीक्षित,  रघुराज सिंह निश्चल,  दुष्यंत बाबा, ओंकार सिंह ओंकार, मयंक शर्मा ने भी  विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम में अशोक विश्नोई, ज़िया ज़मीर,  राजीव प्रखर, मनोज मनु, राशिद हुसैन, प्रवीन राही, डॉ. मनोज रस्तोगी, कुलदीप सिंह, खगेन्द्र सिंह आदि उपस्थित रहे।