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गुरुवार, 24 अगस्त 2023

मुरादाबाद के साहित्यकार मनोज वर्मा मनु का गीत ....जय जय जय हिंदुस्तान करो

 


स्मरण योग्य है ये हर क्षण,

 सब गौरव गान महान करो ,

 भारत माता  की  जय  बोलो,

 जय जय जय हिंदुस्तान करो,,


है आज रचा इतिहास अलग,

भू छोड़  गगन में चाँद तलक,,

जा  पहुंचा   अपना   चंद्रयान ,

दक्षिण ध्रुव परअभियान तलक,,

रवि तक न पहुँच पाया हो जहां

इस पर क्यों न अभिमान करो,,

भारत माता की जय बोलो,,,


कितने  साधन  संपन्न  देश ,

जिनकी अलबेली  माया  है,

यह कीर्तिमान दुनिया में पर, 

भारत  के  हिस्से  आया  है,

अध्यात्म यहाँ, विज्ञान यहाँ ,

पूरण हर काज विवान करो,,

भारत माता की जय बोलो..


किस तरह सफलता  पाई  है,

जन जन ने भी अब मान लिया, 

अनुभव  ही  सच्चा  साथी  है,

संघर्षों  से  यह   जान  लिया,, 

रचने पग  पग  अध्याय  नए, 

चेतना  नवल  संधान  करो,,

भारतमाता  की  जय  बोलो,

जय जय जय हिंदुस्तान करो,,

✍️मनोज वर्मा 'मनु’

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत


 

रविवार, 4 दिसंबर 2022

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिंदी साहित्य संगम की ओर से कवि मनोज मनु को राजेन्द्र मोहन शर्मा श्रृंग स्मृति साहित्य सम्मान से किया गया सम्मानित

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की ओर से रविवार 4 दिसंबर 2022 को मुरादाबाद के साहित्यकार मनोज मनु को "राजेन्द्र मोहन शर्मा श्रृंग की स्मृति साहित्य सम्मान" से सम्मानित किया गया। सम्मान समारोह मिलन विहार स्थित आकांक्षा विद्यापीठ इंटर कालेज के सभागार में हुआ। 

     हिंदी साहित्य संगम, मुरादाबाद के संस्थापक कीर्तिशेष राजेन्द्र मोहन शर्मा श्रृंग जी की स्मृति में आयोजित इस कार्यक्रम में सम्मानित रचनाकार मनोज 'मनु' को सम्मान स्वरूप अंग-वस्त्र, मान-पत्र स्मृति चिह्न एवं श्रीफल अर्पित किए गए। संस्था की सक्रियता एवं इसके संस्थापक कीर्तिशेष श्रृंग जी के रचनाकर्म  पर वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मनोज रस्तोगी ने विस्तार से प्रकाश डाला। 

      सुप्रसिद्ध नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा व्योम ने सम्मानित रचनाकार मनोज मनु के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के संबंध में अपने विचार रखते हुए कहा कि मनोज मनु मूलतः शायर हैं और गूढ़ शायर हैं जिनकी ग़ज़लें परंपरागत शायरी की मिठास लिए हुए होती हैं लेकिन जब वह हिन्दी कविता के नगर में चहलक़दमी करते हैं तो उस समय वह कविता का विविधरंगी इंद्रधनुष गढ़ते हुए नज़र आते हैं। 

इस अवसर पर सम्मानित मनोज मनु ने काव्य पाठ करते हुए अपने गीत प्रस्तुत किए- 

मैं समय हूँ चल रहा हूँ क्या करूँ

भूत को रचना था जो सो रच गया 

और भविष्य कल्पना में बस गया

मैं कहाँ ठहरूँ मेरा आधार क्या

हिम सदृश बस गल रहा हूँ क्या करूँ

इसके बाद उन्होंने एक ग़ज़ल भी सुनाई- 

ज़िन्दगी की पहेली सहल हो गई

आपसे जब मुखातिब ग़ज़ल हो गई

इसमें जबसे तुम्हारा ठिकाना हुआ

दिल की कुटिया में मेरी महल हो गई

     कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार डॉ मक्खन मुरादाबादी का कहना था कि कीर्तिशेष राजेन्द्र मोहन शर्मा श्रृंग की स्मृति में मनोज मनु को सम्मानित किया जाना उनकी रचनाओं का सम्मान है। मनोज मनु एक प्रतिभाशाली रचनाकार हैं, उन्हें बहुत बहुत बधाई।          मुख्य अभ्यागत राजीव सक्सेना ने कहा कि संस्था के संस्थापक राजेन्द्र मोहन शर्मा श्रृंग हिंदी को समर्पित एक जुनूनी रचनाकार थे जिन्होंने गीत मुक्तक दोहे तो प्रचुर मात्रा में लिखे ही हाइकु भी लिखे। उनका खंडकाव्य- शकुन्तला हिंदी साहित्य की अमूल्य धरोहर है। 

   विशिष्ट अभ्यागत अंबरीश गर्ग ने कहा कि मनोज मनु उर्दू के साथ साथ हिंदी के भी महत्वपूर्ण रचनाकार हैं जिनमें अपार संभावनाएं तो हैं ही उनकी रचनाएं भी उल्लेखनीय हैं।

     विशिष्ट अभ्यागत सुप्रसिद्ध शायर अनवर कैफ़ी ने कहा कि मनोज मनु मुरादाबाद के बेहतरीन शायर हैं, उन्होंने अपनी शायरी से साहित्य को समृद्ध किया है।

अनंत मनु ने मनोज मनु का गीत प्रस्तुत किया ।

        इसके अतिरिक्त डॉ अजय अनुपम, विवेक निर्मल, रामसिंह निशंक, ओंकार सिंह ओंकार, के पी सरल, इंदु रानी, डॉ कृष्ण कुमार नाज़, अन्जना वर्मा, कादंबिनी वर्मा, अनंत मनु, संस्कृति मनु, योगेन्द्र पाल विश्नोई, रामेश्वर वशिष्ठ, अमर सक्सेना, राघव गुप्ता आदि साहित्य साधकों ने भी इस अवसर पर उपस्थित होकर कीर्तिशेष श्रृंग जी को नमन करते हुए, सम्मानित रचनाकार मनोज मनु को अपनी शुभकामनाएं प्रेषित कीं। संस्था के अध्यक्ष रामदत्त द्विवेदी आभार-अभिव्यक्त किया।






















:::::::::::::प्रस्तुति:::::::

राजीव 'प्रखर'

कार्यकारी महासचिव

हिंदी साहित्य संगम मुरादाबाद

मोबाइल -9368011960

मुरादाबाद के साहित्यकार मनोज मनु के कृतित्व पर केंद्रित योगेंद्र वर्मा व्योम का आलेख - मैं समय हूँ चल रहा हूँ क्या करूँ..

 


मुरादाबाद पीतल की नगरी के रूप में भले ही विश्वविख्यात हो लेकिन यहाँ की धरती कला की बेहद उर्वरा धरती है जहाँ अनेक स्वनामधन्य हस्ताक्षर उगे और उन्होंने कला के लगभग प्रत्येक क्षेत्र में अपने कृतित्व से अपने नाम की प्रतिष्ठा के सँग-सँग मुरादाबाद की प्रतिष्ठा को भी समृद्ध किया। रंगकर्म के क्षेत्र में मास्टर फिदा हुसैन नरसी और संगीत में व्यास परिवार व गोस्वामी परिवार के साथ-साथ उर्दू शायरी में जिगर मुरादाबादी, कमर मुरादाबादी और हिन्दी कविता में दुर्गादत्त त्रिपाठी, सुरेन्द्र मोहन मिश्र, हुल्लड़ मुरादाबादी जैसे अनेक नाम हैं जिनका अवदान आज भी एक मानक स्तम्भ के रूप में स्थापित है। वर्तमान में भी कला के विविध क्षेत्रों में अनेक लोग अपने-अपने कृतित्व से मुरादाबाद की कला-परंपरा को आगे ले जा रहे हैं जिनमें मनोज मनु का नाम विशेष रूप से एक उल्लेखनीय नाम है।

   टांडा बादली जिला-रामपुर के प्रतिष्ठित स्वर्णकार परिवार में 2 सितम्बर, 1974 को जन्मे मनोज मनु ने उर्दू शायरी व हिन्दी कविता के क्षेत्र में समान रूप से स्वस्थ- सृजन किया है। हालांकि मनोज मनु मूलतः शायर हैं और गूढ़ शायर हैं जिनकी गज़लें परंपरागत शायरी की मिठास लिए हुए होती हैं लेकिन जब वह हिन्दी कविता के नगर में चहलकदमी करते हैं तो उस समय वह कविता का विविध रंगी इंद्रधनुष गढ़ते हुए नज़र आते हैं। मातृभूमि के प्रति श्रद्धा से नत मस्तक हो वह अपनी राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत रचना में अपने भाव व्यक्त करते हैं

स्वर्ग से महान स्वर्ण-सी प्रभा लिए हुए

वो भावना प्रशस्त कर रही है स्वर पगे हुए 

कि तृप्त सप्तस्वर हों इस वसुंधरा पे शास्वत 

धरा तुझे नमन सतत् धरा तुझे नमन सतत

        लखनऊ की सुप्रसिद्ध कवयित्री संध्या सिंह ने कविता को बिल्कुल अनूठे ढंग से व्याख्यायित करते हुए कहा है कि 'कविता/ अपनी नर्म उँगलियों से सहला कर / आहिस्ता आहिस्ता / करती है मालिश / बेतरतीब विचारों की/कविता/करती है बड़े प्यार से कंघी /सुलझाते हुए एक-एक गुच्छा / झड़ने देती है कमजोर शब्दों को/ और बना देती है/पंक्तियों को लपेट कर एक गुंथा हुआ जूड़ा / अनुभूतियों के कंधे पर/कविता/लगाती है/ संवेदना के चारों तरफ शब्दों का महकता गजरा/और खोंस देती हैं/शिल्प की नुकीली पिनें भी / उसे टिकाऊ और सुडौल बनाने के लिए / यद्यपि / शब्दों की अशर्फियों से भरा है। कविता का बटुआ / मगर खरचती है/ एक-एक गिन्नी तोलमोल कर/ कंजूस नहीं है मगर किफायती है कविता।' 

        मनोज मनु की हिन्दी कविताओं से गुजरते हुए भी उनकी अनुभूतियों के वैविध्य और संवेदनाओं के कोमल व्याख्यानों के दर्शन होते हैं, चाहे गीत हों, दोहे हों, मुक्तक हों या मुक्तछंद की कविताएं हों। समय को केन्द्र में रखकर रचा गया उनका यह गीत अपनी प्रभावशाली अभिव्यक्ति के साथ-साथ बहुत कुछ अनकहा भी छोड़ जाता है पाठक को मंथन के लिए-

मैं समय हूँ चल रहा हूँ क्या करूँ 

भूत को रचना था जो सो रच गया 

और भविष्य कल्पना में बस गया 

मैं कहाँ ठहरूँ मेरा आधार क्या 

हिम सदृश बस गल रहा हूँ क्या करूँ

        मनोज मनु वैसे तो स्वान्तः सुखाय रचनाकर्म करने वाले रचनाकार हैं किन्तु उनका सृजन- लोक समसामयिक संदर्भों से विरत नहीं रहा है। गजलों की ही भाँति उनके गीतों में, दोहों में अपने समय की विसंगतियों, कुंठाओं, चिन्ताओं, उपेक्षाओं, विवशताओं और आशंकाओं सभी की उपस्थिति को महसूस किया जा सकता है। आज के विद्रूपताओं भरे अंधकूप समय में मानवीय मूल्यों के साथ-साथ सांस्कृतिक मूल्य भी कहीं खो से गए हैं, रिश्तों से अपनत्व की भावना और संवेदनाएं कहीं अंतर्ध्यान होती जा रही हैं और संयुक्त परिवार की परंपरा लगभग टूट चुकी है लिहाजा आँगन की सौंधी सुगंध अब कहीं महसूस नहीं होती। ऐसे असहज समय में एक सच्चा रचनाकार मौन नहीं रह सकता, मनोज मनु भी अपनी रचनात्मक जिम्मेदारी को बखूबी निभाते हुए बड़ी बेबाकी के साथ आज की कड़वी सच्चाई को बयान करते हैं-

जंगल जैसा राज यहाँ 

आपस में सन्नाटा

घर के अन्दर कमरों के

दरवाज़ों पर परदा 

कफ़न पहन कर खड़ा 

आपसी रिश्तों का मुरदा 

कुछ बातों ने तन के भीतर 

मन को भी बाँटा

प्रेम यानी कि एक शब्द ! एक अनुभूति एक राग ! एक त्याग! एक जिज्ञासा! एक मिलन! एक जीवन ! एक धुन ! एक विरह! एक सुबह ! एक यात्रा ! एक लोक!... कितना क्षितिजहीन विस्तार है प्रेम की अनगिन अनुभूतियों का। इसी तरह एक आयुविशेष में भीतर पुष्पित पल्लवित होने वाले और पानी के किसी बुलबुले की पर्त की तरह सुकोमल प्रेम की नितांत पवित्रानुभूति कराता है मनु जी का यह प्रेमगीत-

कसमसाती कल्पना में 

वास्तविक आधार भर दो 

यह मेरा प्रणय निवेदित 

स्वप्न अब साकार कर दो 

भावना विह्वल हृदय की 

जान भी जाओ प्रिय तुम 

है वही सावन सहज 

मल्हार फिर गाओ प्रिय तुम 

प्रणय कम्पित चेतना के 

तार में झंकार भर दो

     जीवन के लगभग हर पहलू पर अपनी सशक्त रचनात्मक अभिव्यक्ति करने वाले मनोज मनु एक प्रतिभा सम्पन्न बहुआयामी रचनाकार हैं जिनकी लेखनी से जहाँ एक ओर देवनदी गंगा की स्तुति में

 'त्रिभुवन तारिणी तरल तरंगे 

हर हर गंगे... हर हर गंगे...

पाप विनाशिनी शुभ्र विहंगे...

हर हर गंगे... हर हर गंगे...' 

जैसा कालजयी गीत सृजित हुआ, वहीं दूसरी ओर जगजननी माँ दुर्गा की स्तुति पुस्तक 'दुर्गा सप्तशती' का काव्यानुवाद का भी महत्वपूर्ण सृजन हुआ है। नारी सशक्तीकरण पर केन्द्रित लघु फिल्म 'आई एम नॉट ए मैटीरियल' के लिए गीत लिखने वाले और अनेकानेक सम्मानों से सम्मानित मनोज मनु की रचना - यात्रा इसी तरह उत्तरोत्तर समृद्धि और प्रतिष्ठा पाती रहे, यही कामना है।



✍️ योगेन्द्र वर्मा 'व्योम'

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

सोमवार, 15 अगस्त 2022

मुरादाबाद के साहित्यकार मनोज मनु के अठारह दोहे .......

 


कैसे आजादी मिली, कैसे हिन्दुस्तान

 कितने वीरों ने दिये, इस पर तन मन प्राण ।।1।।


सोचें तो मन हूंकता, जब जब करें विचार 

वीरों ने कैसे सहे, तन पर सतत् प्रहार ।।2।।


खुद अपने ही खून से, कैसे सींचा बाग़ 

 कैसे अपनी मृत्यु को, बना लिया सौभाग ।।3।।


गोली, फाँसी, सिसकियां, जेलें, कोडे़, मात 

क्या क्या मुश्किल की वरण, कितनी झेलीं घात ।।4।।


तोपें,चाबुक, हथकड़ी, तन मसला बारूद

डिगा सका ना लक्ष्य से, थामे रखा वजूद ।।5।।


तनिक नहीं परवाह की, गये स्वयं को भूल

इस स्वतन्त्रता के लिये, सब कुछ किया कबूल ।।6।।


भीषण संघर्षो सहित, जब पाया यह मान 

इक चिंगारी फिर उठी, झुलसा हिन्दुस्तान ।।7।।


बोए बीज बबूल के सिखा गया तकरार

 ज़ालिम एक परिवार मे, उठा गया दीवार ।।8।।


बस मज़हब के नाम पर, फिर झेला संग्राम 

वो भाई खुद भिड़ गये, हुआ बुरा परिणाम ।।9।।


जिस आज़ादी के लिये, सहे घोर संघर्ष 

अपनी लाशों संग मिली, कैसे होता हर्ष ।।10।।


भाई को हिस्सा दिया, और दिया तिरपाल 

रीते मन से दी दुआ, रहे सदा खुशहाल ।।11।।


और फिर सत्ता मिल गयी, खूब संभाला राज 

आज़ादी के मोल का, इतना किया लिहाज ।।12।।


एक बरस में दे दिये, इस खातिर दिन चार 

हम ..और बड़बोले बन गये, बदल लिया व्यवहार ।।13।।


आज़ादी के मायने बदल गये फिर आप

 जब चाहे दिल ..खींच लो, टाँग किसी की आप ।।14 ।।


मुंह में जो आता रहे, पहले दीने बोल 

आज़ादी है भाईयों, करनी कैसी तोल ।।15।।


राजनीति में फिर चला, ऐसा नंगा नाच 

आज़ादी लज्जित हुई, कौन सके ये बाँच।।16।।


उन बलिदानी आस को, होने दें साकार

 क्यों हम लज्जित हो रहे, करिये गहन विचार ।।17।।


नहीं न ऐसा कीजिये, गढ़िये नव प्रतिमान 

विश्व गुरू फिर से बने, मेरा देश महान ।।18 ।।


✍️ मनोज मनु 

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत


मंगलवार, 25 जनवरी 2022

मुरादाबाद के साहित्यकार मनोज वर्मा मनु का गीत ---चलो सभी मतदान करो,

 


प्रजातन्त्र के महापर्व में ,

 सब अपना अवदान करो, 

 चलो सभी मतदान करो, 

आओ सभी मतदान करो,,


अल्प काल में ढह ना पाए,

अचल  व्यवस्था  चुननी  है, 

ऊपर उठकर जात-पात से ,

सबल  व्यवस्था  चुननी  है,

छोटी छोटी सोच में फँसकर,

 मत  अपना  नुकसान  करो, 

 चलो सभी मतदान करो ।।..


प्रजातंत्र का मतलब जनमत, 

 इससे  हटकर  मत  चूको ,

बहुत क़ीमती होता है 'मत' 

 ऐसा  अवसर   मत  चूको,,

 सूझ-बूझ से सोच समझ कर, 

 स्वयं  राष्ट्र  निर्माण  करो,,

 चलो सभी मतदान करो।।...


मान-मनौवल या लालच में,

 पढ़कर धोखा मत खाना,

 चिकने-चुपड़े बहलावों में, 

  कभी भूलकर मत आना,

 नायक या खलनायक चेहरा,

 इसकी भी पहचान करो,,

  चलो सभी मतदान करो।।...


देश को जिस ने किया खोखला

 उन्हें पनपने मत देना,

समझ रहे जो इसे बपौती 

 इसे हड़पने मत देना,

अब 'मत' का अधिकार है तुमपे

 सच्चे का संधान करो,,

 चलो सभी मतदान करो।।..


✍️ मनोज वर्मा 'मनु' 

   मुरादाबाद (उ. प्र. )भारत

मोबाइल फोन नम्बर 6397 093 523

सोमवार, 10 जनवरी 2022

मुरादाबाद के साहित्यकार मनोज मनु की रचना ---लाएं निज व्यवहार में , हिंदी का उपयोग, संप्रेषण जिसका खरा, समझ सके सब लोग,,


हिंदी यदि पाती रहे,

                 जन मन में आकार,

 निज भाषा उत्थान के,

                   हों सपने साकार ,,


लाएं निज व्यवहार में ,

                        हिंदी का उपयोग,

 संप्रेषण जिसका खरा,

                      समझ सके सब लोग,,


 माँ जिस बोली में गढ़े ,

                        लोरी- प्यार -दुलार,

 भाषा वही स्वदेश की,

                          इसमें  कैसी  रार ,,


 विश्व पटल पर हम सभी,

                          हैं बस  हिंदी  ज़ात,

 इसीलिए सब कीजिए,

                          बस हिंदी की बात,,


 सीखी हर भाषा तभी ,

                       जब हिंदी थी ज्ञात,

 भूले से मत भूलना ,

                     हिंदी  की   सौगात,,


 नहीं जोड़ने  गांठने,

                   अंदाजे  के  बोल ,

हिंदी के  संदर्भ  में ,

                  यही कथन अनमोल,

✍️  मनोज 'मनु '

मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत

शुक्रवार, 23 जुलाई 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार मनोज वर्मा मनु का क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद के जन्मदिवस 23 जुलाई पर गीत---

 


जगरानी के,और मेरी 

 भारत माता के पूत, 

 ..तुम्हें शत बार नमन है....,


    है पंडित! आज़ाद,

    क्रांति के दूत,

..तुम्हे शत बार नमन है,,...


बिस्मिल,वीर भगत संग मिलकर

काकोरी से नींव हिला दी,

किस अदम्य साहस से  तुमने

अंग्रेजों को  धूल चटा दी,


जब तक जिए..

क्रांति प्रण धारा-

 डिगे न भर एक सूत, 

 .तुम्हें शत बार नमन है,,...


   है पंडित! आज़ाद,

   क्रांति के दूत 

   तुम्हें शत बार नमन है....,,


उम्र  पच्चीस बामनी सीना,

परमोजस्सवी, परम प्रवीना,

अंत समय तक जिए निकंटक

मुश्किल किया ब्रिटिश का जीना,


चंद्र नाम.. पर,

तेज़ अपरिमित-

पौरुष भरा अकूत,

..तुम्हें शत बार नमन है...,


  है पंडित! आज़ाद,

  क्रांति के दूत,

  तुम्हें शत बार नमन है...,

✍️ मनोज वर्मा 'मनु ', मुरादाबाद

रविवार, 20 जून 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार मनोज मनु का गीत ----पिता परिस्थिति की बिसात पर, चलना हमें सिखाए

 


सिर पर छाँव पिता की

कच्ची दीवारों पर छप्पर ...

आंधी बारिश खुद पर झेले,
हवा थपेड़े रोके
जर्जर तन भी ढाल बने,
कितने मौके-बेमौके
रहते समय समझ ना पाते
जाने क्यों हम अक्सर ....

सारी दुनियादारी जो भी
नजर समझ पाती है,
वही दृष्टि अनमोल,पिता के
साए संग आती है ..,
जिससे दुष्कर जीवन पथ पर
नहीं बठते थक कर,...

माँ का आंचल संस्कार भर,
प्यार दुलार लुटाए,
पिता परिस्थिति की बिसात पर,
चलना हमें सिखाए
करते सतत प्रयास कि बच्चे
होवें उनसे बढ़कर .....

-मनोज 'मनु'
मोबाइल- 063970 93523

रविवार, 6 जून 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार मनोज वर्मा मनु के दोहे -----देव तुल्य हो वृक्ष तुम, तुमको सतत् प्रणाम


जीवन की इक हम कड़ी, वृक्ष दूसरा छोर। 

इन दोनों पर ही टिकी, इस जीवन की डोर।।


सुनो वृक्ष भी चाहते, प्यार भरा अहसास।

ये भी जीवन से भरे,  ये  भी लेते स्वास।।


वृक्ष बड़े अनमोल हैं, देते  जीवन  वायु।

इनका संरक्षण करें, इनसे मिलती आयु।।


दूषित पर्यावरण में, है जीवन का हास।

नस्लें तक पहलाएंगी, कर लेना विश्वास।।


वृक्षों की रक्षा करें, नैतिकता यह आज।

हरे भरे हों वृक्ष तो, फूले  फले  समाज।।


इनमें भी जीवन बसा, हैं केवल गतिहीन।

हरे वृक्ष के नाश से, मानव  होता  क्षीण।।


जीते मरते हर समय, आते  सबके  काम।

देव तुल्य हो वृक्ष तुम, तुमको सतत् प्रणाम।।

✍️ मनोज वर्मा मनु, मुरादाबाद

मंगलवार, 25 मई 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार मनोज मनु का गीत ----भाई ! केवल भाई नहीं तुम रीढ़ सकल परिवार की,


भाई ! केवल भाई नहीं तुम

रीढ़ सकल परिवार की,

वरद हस्त अग्रज का सिर धर

हो निश्चिंत  विचरते,

क्या पहाड़ सी मुश्किल सम्मुख

 तनिक न चिंता करते,

हर कठिनाई भाई के संग

नतमस्तक संसार की,,

     भाई ! केवल भाई नहीं तुम..

अनुज भ्रात बाहुबल अपना

हर पौरुष की परिणति,

सदा चहकता आंगन तुमसे

सुख वैभव धन सम्मति,

तुम भविष्य के कीर्तिमान

तुम भव्य ध्वजा विस्तार की,,

    भाई ! केवल भाई नहीं तुम..,

एक सूत्र में पिरो पिता ने 

जब तक हमें संवारा,

सभी अंगुलियां बन मुष्टिक सम

जीत लिया जग सारा,

वंश वृद्धि को शिला तदंतर 

रखी नवल घरद्वार की ,,..

       भाई ! केवल भाई नहीं तुम

       रीढ़ सकल परिवार की...

 ✍️ मनोज मनु,  मुरादाबाद