आज पड़ोसन नीलम के पति की कोरोना बीमारी से चले जाने की खबर सुनकर .... अंजना के पैरो तले ,...जैसे जमीन खिसक गई।
वह जल्दी किचन से निकलकर
हाथ में मास्क ....लेकर नीलम के घर जाने के लिए निकली।
तभी ट्रिन.... ट्रिन..... ट्रिन .... फिर ... घंटी सुनते ही बेटी ने फोन उठाते हुए कहा-
मम्मी ...! दिल्ली से अनीता मौसी.. का ...फोन है ।
(बचपन की सहेली अनीता का फोन सुनने के लिए .... रूक जाती है।)
हे भगवान... क्या कह रही होगी?
(मन ही मन सोचती है,ये कैसा अनर्थ ...।)
हां ! !!!!बोल ...अनीता
कैसी है?
क्या बोलूं ....अंजना..
भाभी हॉस्पिटल में है। (रोते हुए बोली) सांस लेने में काफी दिक्कत हो रही थी , और अब डॉ....ने...
अरे!!!... कैसे... हो गया .? कैसे... हो आप सब ?
क्या भाभी कोरोना पॉजिटिव है?
हां ....अंजना ।
उनको ...कैसे हो गया ?
वह ...तो...कभी कही आती ....जाती... ही नहीं .?
(उधर से सहेली अनीता ने जो बताया )
क्या बताऊं ? बहन अंजना !...
भाभी.... पड़ोस में ही कोरोना पेशेंट की मृत्यु होने पर उनके घर संवेदना व्यक्त करने और उन्हें सभालने चली गई थी ।
बस .......भाभी जब से ही..
कोरोना पॉजिटिव हो गई।.
अंजना को अनीता का फोन.. सुनते -सुनते ...लगा... शरीर में जैसे जान ही न हो।
अंजना के हाथ से मास्क और मोबाइल गिर ही गया ।
और..पड़ोस में ,.बाहर नीलम के घर से जोर - जोर से ... रोने की आवाज तेज होती जा रही थी।
फोन सुनते- सुनते अंजना सोच में पर पड़ गई।
बाहर .... नीलम के घर.जाऊं ..
या नहीं जाऊं ..
सहेली अनीता की भाभी की तरह संक्रमित होकर अस्पताल में एडमिट होने के खौफ ने दरवाजे से बाहर नहीं जाने दिया।
✍️ रंजना हरित, बिजनौर, उत्तर प्रदेश