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गुरुवार, 4 मार्च 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार स्वदेश सिंह की लघुकथा --जैसी करनी वैसी भरनी

    


  गृह प्रवेश के समय अपनी सास   व ननद से नौकरों जैसा व्यवहार करने वाली दीपाली के आँसू आज रोकने से भी नहीं रुक रहे थे।... रो-रो कर दीपाली तथा उसके पति का बुरा हाल था।.... वह समझ नहीं पा रहे थे।.... कि अब कहां जाएं?....  क्योंकि जिस बैंक से नीरज ने लोन लेकर घर बनाया था... इंक्वायरी होने पर वह फर्जी निकला ।सच सामने आनें पर उसके घर की नीलामी हो रही थी और नौकरी भी चली गई।.... अब नीरज व दीपाली दर-दर की ठोकरों को मोहताज व बेघर हो गये  । 

✍️ स्वदेश सिंह, सिविल लाइन्स, मुरादाबाद

गुरुवार, 19 नवंबर 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार स्वदेश सिंह की लघुकथा ----नयी शुरुआत

 


शादी के कुछ दिनों बाद रागिनी अपने पति के साथ अपनी नौकरी वाले शहर पहुंच गई। रागिनी को यह शादी बिल्कुल भी पसंद नहीं थी ....परंतु मम्मी- पापा की वजह से मजबूरी बस करनी पड़ी।.... क्योंकि रागिनी एक डॉक्टर थी और  वह चाहती थी कि उसका पति भी डॉक्टर ही हो.. परंतु.....  उसके पापा ने उसकी शादी  इंजीनियर से कर दी।...  रागिनी  बहुत उदास थी उसे सुनील पसंद नहीं था। कमरे पर पहुंचने के बाद उसने बेमन से रात का खाना तैयार किया  ...... जब रात को रागिनी और उसका पति सुनील खाने के  लिए बैठे... तो रागिनी की माँ का फोन  आ जाने के कारण  वह बात करने लगी ।  तब तक  सुनील  अपना खाना  खत्म कर चुका था। फोन रखने के बाद रागिनी ने जैसे ही  पहला कोर मुहँ में रखा.... वह  थूकने के लिए भागी ।यह देख कर सुनील ने कहा क्या हुआ .....क्या दाल में कुछ कंकड़ आ गई।..... रागिनी ने कुछ नहीं कहा और  आश्चर्य के साथ सुनील को देखते हुए बोली.... आपको दाल में नमक ज्यादा नहीं लगा !....दाल में इतना ज्यादा नमक  आपने कुछ भी नहीं कहा....... और आपने सारा खाना खा लिया।...सुनील ने मुस्कुराते हुए कहा..... अभी हमारे  जीवन की  नई शुरुआत है। .. और इसे  हम दोनो को ही प्यार से शुरू करना है .....  यह सुनकर  रागिनी को अपनी सोच पर बहुत ग्लानि हुई ।...और उसकी आंखों में आंसू टप टप गिरने लगे । यह देख कर  सुनील ने रागिनी के आँसू पोछतें हुए अपने सीने से लगा लिया।

✍️ स्वदेश सिंह, सिविल लाइन्स, मुरादाबाद

गुरुवार, 29 अक्तूबर 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार स्वदेश सिंह की कहानी -- जिम्मेदारी


निशा बिना बाप की बेटी थी तथा बहुत गरीब थी।निशा पढ़ने में  होशियार  व देखने में बहुत सुंदर थी ।  एक अच्छे परिवार से  उसके लिए  एक रिश्ता आया । लड़का अमीर परिवार से था परन्तु शराबी व आवारा था।  उसकी माँ ने मजबूरी बस उसकी शादी राहुल  से कर दी। निशा को गरीबी के कारण अपने भाग्य से समझौता करना पड़ा।  शादी के बाद भी राहुल दिन -रात  शराब में डूबा रहता।जिससे उसके फेफड़े खराब हो गये। निशा की सास  को  वंश चलाने के लिए  एक पोते की  चाहत थी।  क्योंकि वह चाहती थी कि बेटा गलत संगत में पड़कर अपने आप को बर्बाद कर रहा है । निशा के द्वारा उसे वंश चलाने के लिए एक वारिस मिल जाएगा। निशा  ने भी अपने पति को समझाने की बहुत कोशिश की परंतु वह अपनी आदत से मजबूर था। वह आवारागर्दी, शराबखोरी में ही अपना पूरा दिन व्यतीत करता था। कुछ समय बाद ईश्वर की कृपा से निशा गर्भवती हो गई । निशा की सास उसका  हर वक्त  ख्याल रखती।  नौ महीने बाद  निशा ने एक सुंदर सी  कन्या को जन्म दिया ।... जिसे देख निशा के सास को अच्छा नहीं लगा ।...क्योंकि वह वंश चलाने के लिए  पोते को चाहती थी । अत्यधिक शराब  पीने के कारण  राहुल के फेफड़े खराब हो गये।... डॉक्टर ने ऑपरेशन के लिए कहा  ......  जब राहुल  हॉस्पिटल एडमिट होने जा रहा था उसकी छोटी सी बेटी ने  (जो छ: महीने की हो चुकी थी ) उसकी उंगली पकड़ ली।  निशा ने राहुल से कहा... यदि तुम शराब नहीं पीते तो आज यह दिन नहीं देखना पड़ता ...और यदि तुम्हें कुछ हो जाता है तो सोचो तुम्हारी बेटी का भविष्य क्या होगा ??....उसे भी मेरी तरह ही किसी शराबी ,आवारा लडके  से शादी करनी पड़ेगी  ..यह सुनकर राहुल को बहुत दुख हुआ... उसे लगा बेटी की जिंदगी बर्बाद कर रहा है ।...उसने मन ही मन निर्णय किया कि अब भविष्य में कभी भी शराब को हाथ नहीं लगायेगा । ऑपरेशन सफल हुआ ।  धीरे-धीरे राहुल ने  अपने बिजनेस पर ध्यान देना शुरू कर दिया । और अपने काम में बहुत व्यस्त रहने लगा। अपने लिए निर्णय के कारण उसने शराब पीना छोड़ दिया।... राहुल की  माँ को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उसका बेटा बदल चुका है ।और उसने उस छोटी सी गुड़िया को सीने  से लगा लिया।.... जिसके कारण उसका बेटा उसे वापस मिला।

✍️ स्वदेश सिंह, सिविल लाइन्स, मुरादाबाद

बुधवार, 16 सितंबर 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार स्वदेश सिंह की लघुकथा -----चूरन वाले काका


मॉल से निकलने के बाद शालिनी जैसे ही गाड़ी में बैठकर चलने को तैयार हुई। .....तभी एक भिखारी उसकी गाड़ी के दरवाजे पर आकर खटखटाने लगा। उसने दरवाजा खोल कर देखा तो देखते ही खुशी से चीखते हुए बोली...... अरे!.. चूरन वाले काका...... और तुरंत ही मायूस होते हुए बोली..... आप... आप भीख माँग रहे हो ।काका क्या हुआ?... आप इस तरह से भीख क्यों माँग रहे हो?....  चूरन वाले काका यह सुनकर ..... कुछ ना बोल कर कुछ देर शांत रहे ।फिर बोले बेटी तुम मुझे जानती हो ।हाँ...काका... आप मेरे स्कूल के बाहर चूरन बेचते थे ।और आप का बनाया हुआ चूर्ण मुझे आज तक याद है ..... मैने  आपके जैसा बनाया हुआ चूर्ण  आज तक नहीं खाया ,पर काका पहले यह बताइए?... आप इस तरह से भीख  क्यों माँग रहे हो .....और आपका चूरन वाला ठेला कहाँ गया?.... शालिनी ने तो जैसे प्रश्नों की झड़ी  ही लगा दी। .... चूरन  वाले काका ने बड़े दुखी होते हुए  बोले ..... बेटा ..तुम शालिनी हो.... जो मेरे चूर्ण के पीछे दीवानी थी और हर वक्त चूर्ण खाने के लिए उतावली रहती थी.... हाँ.. हाँ.. काका मैं शालिनी हूँ ।और आपसे उधार माँगकर चूरन खाती थी।....  बेटा क्या बताऊँ ?...  कहते हुए  काका की आंखों से आँसू  टप-टप गिरने लगें। और दुखी होते हुए बोले कि बेटा...  मैंने अपने  दोनो लड़कों की शादी कर दी और शादी के बाद उनकी बहूओं ने मुझे घर से निकाल दिया। और मेरा ठेला भी बेच दिया ।अब मैं अपना पेट भीख माँग कर भरता हूँ... और यही किसी दुकान के आगे रात को सो जाता हूँ ।यह सुनकर शालिनी वह बहुत दुखी हुई। गाड़ी से उतरी और बोली काका आप यही रूको... आप कहीं जाना मत जाना, मैं अभी आती हूँ ..और अपने पति के साथ दोबारा मॉल में गई। चूरन वाले काका के लिए  नए कपड़े खरीदे। और उन्हें गाड़ी में बैठा कर अपने घर ले गई .....घर ले जाकर उसने वह कपड़े चूरन वाले काका को दे दिये और बोली काका...... और आज से आप मेरे साथ मेरे घर  में मेरे काका बनकर रहेगें। ....और शालिनी जल्दी से एक पेन और कॉपी लेकर काका के पास आई.....और बोली प्लीज ....काका जल्दी से चूरन के लिए किस-किस सामान की जरूरत पड़ती है, मुझे लिखवा दीजिए .... मुझे फिर वही चूर्ण बना कर दीजिए और सिर्फ मेरे लिए काका ..... शालिनी का इस तरह प्यार देखकर काका की आँखों से आँसू टप टप गिरने लगे । शालिनी आज बहुत खुश थी।.... क्योंकि चूरन वाले काका का जो कर्ज था उसे उतारने का उसे मौका मिला है।

 ✍️स्वदेश सिंह
सिविल लाइन्स
मुरादाबाद

मंगलवार, 8 सितंबर 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार स्वदेश सिंह की लघुकथा ---पश्चाताप


     जब मंच से स्वाति का नाम पुकारा गया तो पूरा  हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से भर गया। यह सब देख कर रश्मि की आँखों से आँसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे।.... आज उसके जीवन की तपस्या पूरी हुई । आज उसकी बेटी ने   उत्तर प्रदेश  हाईस्कूल बोर्ड  परीक्षा की मेरिट में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। जिसके कारण आज उसे जिलाधिकारी द्वारा सम्मानित किया जा रहा है।....उसने अपने विद्यालय के साथ- साथ अपने जिले का नाम भी रोशन किया है ।... जिलाधिकारी ने स्वाति  को गोल्ड मेडल पहनाया और शील्ड दी। जिसे देखते - देखते रश्मि अपने अतीत में खो गई।....... रश्मि अपने समय की प्रतिभाशाली छात्रा रही थी।.... वह हर कक्षा में प्रथम आती थी और उसे भी अनेकों बार गोल्ड मेडल और शील्ड प्राप्त हुई थी ।...परंतु अपनी एक गलती के कारण उसने अपना सभी मान- सम्मान खो दिया ।उसने एक  लड़के के साथ  प्रेम विवाह घर से भाग  कर किया था । .... जो कि उसके माता पिता को बर्दाश्त नहीं हुआ और उन्होंने उससे  संबंध तोड़ लिए थे।
 स्पीकर ने मंच से जब स्वाति की माँ का नाम पुकारा तो... अपना नाम सुनकर रश्मि की तंद्रा  भंग हुई वह मंच पर गई और मंच पर जाकर माइक से बोलते हुए कहा कि हमेशा अपने माता-पिता का कहना मानना चाहिए।.. क्योंकि माता- पिता ही आपको सही रास्ते पर चलना सिखाते हैं ।...और उनके बताए रास्ते पर चलने से ही जीवन की सभी खुशियाँ प्राप्त होती हैं।  यह कहकर फूट-फूट कर रोने लगी क्योंकि 25 साल से मन में दबा हुआ गुबार निकाला और पश्चाताप की आग जो कि उसके सीने में जल रही थी ,आज  शांत हुई । रश्मि के माता -पिता भी समारोह में शामिल थे  जब उन्होने  अपनी बेटी को इस तरह रोते बिलखते देखा तो उनका 25 साल पुराना गुस्सा भी उनके आंसुओं में बह गया और उन्होंने मंच पर आकर अपनी बेटी को गले लगा लिया ।

✍️  स्वदेश सिंह
सिविल लाइन्स
 मुरादाबाद

शनिवार, 15 अगस्त 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार स्वदेश सिंह की लघुकथा....दूसरा विवाह


सुबह-सुबह ही फोन की घंटी बजी.... फोन नेहा की माँ ने उठाया हैलो  ....... मैं नेहा की ससुराल से बोल रही हूँ ....एक घबराहट भरी भरी आवाज सुनाई दी..... भैया का एक्सीडेंट हो गया है। आप जल्दी से आ जाइए ....यह सुनकर नेहा की मम्मी के होश उड़ गए....वह मन ही मन दामाद की सलामती की दुआ माँगने लगी। जल्दी-जल्दी आपने  बेटे को लेकर नेहा की ससुराल  पहुँच गयी। .....वहां पहुंचने पर देखा कि घर पर बहुत भीड़ लगी है... सभी लोग बहुत तेज- तेज रो रहे हैं।....रोना सुनकर उसकी दिल बैठा जा रहा था ...कि कही कोई अनहोनी ना हो गयी हो।पर जो ईश्वर को मंजूर वही होता है।...उसका दामाद अब इस दुनिया में नही रहा ।.. एक्सीडेंट बहुत  भयानक हुआ था।.....जिससे  नेहा के पति सुशील  के सिर में  चोट लग गई थी । और डॉक्टर उसे बचा नहीं पाए थे ।....
 जिससे कि नेहा के पति सुशील की मृत्यु हो गई ।यह सुनकर नेहा की माँ जैसे पत्थर बन गई ...उसके मुँह से कोई बोल नहीं निकल  रहा था ।कि वह अपनी बेटी को कैसे ढाढ़स बधायें।...और अपनी बेटी से लिपट- लिपट कर रोने लगी और रोते-रोते सोचने लगी कि मेरी बेटी के सामने पहाड़ सी जिंदगी पड़ी है ...कैसे  काटेगी ?...और दो बच्चे भी हैं ।...यह सोच -सोच कर उसका दिमाग खराब हो रहा था... और अब तो नेहा के पापा भी नहीं है जो वह अपने घर में रह ले। इस दर्दनाक घटना को देखकर नेहा और उसकी माँ एक दूसरे से गले मिलकर कई घंटों तक रोती रही।...  कुछ दिनों के बाद  नेहा अपने मायके आ गयी और दिन-रात चिंता में डूबी रहती है... कि किस तरह से उसके बच्चें और उसका जीवन कटेगा।  अपनी बेटी की हालत देखकर नेहा की माँ बहुत दुखी होती ....उसने अपनी बेटी के जीवन में खुशी लाने का फैसला किया ।बहुत  सोचने -विचारने के बाद उसकी माँ ने  एक निश्चित किया ।...कि वह अपनी बेटी का  पुनःविवाह करेंगी। अतः उसने लिए अपने बेटे व अन्य रिश्तेदारों से अपनी बेटी के लिए घर- वर  ढूंढने के लिए कहा...जिसके लिए उसे सभी का विरोध सहन किया और इसके लिए बेटी तैयार नहीं थी। लेकिन माँ के बार -बार मनाने पर बेटी मान गई। लगभग एक साल बाद एक परिवार मिला जो उसके बच्चों सहित उसे अपनाने को तैयार था। बहुत  ही साधारण तरीके से उसका विवाह  कर दिया गया।कुछ ही दिनों में वह तथा बच्चें  नये परिवार  मे घुलमिल  गयें।  नेहा का नया पति बच्चों  व नेहा के साथ बहुत खुश था । आखिरकार उनकी वजह से ही उसका परिवार पूरा हुआ।  नेहा की माँ द्वारा लिया गया निर्णय सफल हुआ । नेहा अपने पुराने दुख भरे  दिनों को भूलकर  अपने नए परिवार में खुशी -खुशी रहने लगी।

✍️ स्वदेश सिंह
सिविल लाइन्स
 मुरादाबाद

बुधवार, 5 अगस्त 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार स्वदेश सिंह की लघुकथा -------पुरस्कार


बहुत बड़े एनजीओ की अध्यक्षा  अपनी वृद्धा सासू माँ से बोली... माताजी मैंने आपका सामान पैक कर लिया है.... मैं आपको वृद्ध आश्रम में छोड़ देती हूँ। .....मैं पूरे दिन समाज सेवा में लगी रहती हूँ...और आप यहां मेरे जाने के बाद अकेली रहती है ।... वृद्धा आश्रम मेंआपको आपके जैसी बहुत सारी औरतें मिल जाएंगी। जो आपसे बोलती भी रहेगी ।और आपका समय आराम से कट जाएगा और आपको अकेलापन भी नही लगेगा।....  ऐसा कह कर वह अपनी सासू माँ को गाड़ी में बैठा वृद्धाश्रम में  छोड़ कर अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस  पर पुरूस्कार  प्राप्त करने के लिए दिल्ली के लिए रवाना हो गयी।

स्वदेश सिंह
सिविल लाइन्स
मुरादाबाद

बुधवार, 22 जुलाई 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार स्वदेश सिंह की लघुकथा ---- झूठा प्यार


आखिर पांच साल के लंबे प्रेम  के बाद  आज राहुल शादी कल्पना से हो गई ।कल्पना स्टेज पर खुश नजर नहीं आ रही थी.... क्योंकि उसका प्यार केवल एक दिखावा था । वह राहुल से प्यार नहीं करती थी बल्कि टाइम पास करती थी। परंतु अपने पिता के दबाव में आकर शादी के लिए हां करनी पड़ी । राहुल कल्पना से सच्चा प्यार करता था ...और उसे हर कीमत पर पाना चाहता है । बहुत  ही मुश्किल से  कल्पना राहुल से शादी करने के लिए तैयार हुई  । कल्पना किसी बंधन में बंधकर अपनी जिंदगी को नहीं बिताना चाहती थी। शादी के बाद दोनों कुछ ही दिन खुश रहे होंगे ....कि दोनों में झगड़े होना शुरू हो गए ....कल्पना एक बहुत ही महत्वाकांक्षी लड़की थी ...उसे जीवन में भरपूर ऐशो-आराम  व ठाठ -बाट चाहिए  था। राहुल यह सब करने में असमर्थ था... जिसके कारण दोनों में तनाव रहने लगा। धीरे- धीरे  तनाव  इतना बढ़ गया कि राहुल के लिए असहनीय हो गया । उसने अपने जीवन को खत्म करने की सोची..... परंतु अपने  बूढे माँ -बाप के बारे में सोच कर वह ऐसा  नहीं  कर पाता था।  कल्पना  का आतंक दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा था ,जब पानी सर से ऊपर गुजर गया तब राहुल ने कल्पना को स्वतंत्र करने की सोची और कमरे में फांसी का फंद बनाकर लटक गया ।.... क्योंकि वह उसे इतना प्यार करता था ....कि उसके बिना वह रह नहीं सकता था और कल्पना उसके साथ रहने को तैयार नहीं थी ।

स्वदेश सिंह
सिविल लाइन्स
मुरादाबाद

बुधवार, 1 जुलाई 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार स्वदेश सिंह की लघुकथा --- माहौल


             बड़ी धूमधाम से शादी के बाद मोहिनी ने अपनी ससुराल में आयी... आशा के विपरीत सुसराल का माहौल देखकर उसका माथा चकरा गया।.... उसके जेठ जो कि रेलवे में टेक्नीशियन के पद पर कार्यरत हैं.. पैर की हड्डी टूटने व अत्यधिक शराब पीने के कारण  कई महीनों से बिस्तर पर पड़े हैं।.... और परिवार का प्रत्येक सदस्य  उन्हें बहुत खरी -खोटी सुनाता रहता है ।यहाँ तक कि उसकी जेठानी भी अपने पति से दिन-रात लड़ती रहती है ।यह देखकर मोहिनी  को बहुत दुख हुआ। उसने मन ही मन घर के माहौल को बदलने का प्रण लिया..... उसने घर के सभी सदस्यों के साथ- साथ जेठ सुरेश को भी मान सम्मान देना शुरू कर दिया। यह देखकर सभी लोग अचंभित हो गए  ।...सभी का व्यवहार सुरेश के प्रति  बदलने लगा... उसकी सेवा से सुरेश धीरे-धीरे ठीक   होने  लगा।  और आज नौकरी पर जाते समय  को मोहिनी  को धन्यवाद देने उसके कमरे में गया और बोला..... मोहिनी.. यदि तुम इस घर में ना आती ....तो मैं कब का खत्म हो चुका होता.... तुम्हारी वजह से ही मुझे नया जीवन मिला है। जन्म देने वाली ही माँ नहीं होती ...बल्कि  जीवन को संवारने  वाली भी माँ के समान ही होती है..... मैं.. तुम्हें शत-शत प्रणाम करता हूँ.... यह सुनकर मोहिनी अपने आँसुओं को रोक नहीं पायी। और जेठ के पैर छूने के लिए नीचे झुक गयी।

 ✍️  स्वदेश सिंह
सिविल लाइन्स
 मुरादाबाद
9456222230

बुधवार, 24 जून 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार स्वदेश सिंह की लघुकथा---------- मजदूर


रमेश ने घर में घुसते हुए  कहा जानकी....जल्दी से जरूरी चीजें एक थैले में रख लो  ....कल सुबह  को हमें  अपने गाँव  के लिए निकलना है। पड़ोस वाले सभी लोग जा रहे हैं ।
 जानकी ने बड़े अचरज में कहा.......... अरे.. हम कैसे जा सकते हैं.... हमारा तो बेटा बीमार है.... उसे बहुत तेज बुखार है.... और वह तो खड़ा भी नहीं हो पा रहा और आप चलने की बात कर रहे हो...... रमेश ने कहा कोई बात नहीं मैं बेटे को गोद में लेकर चलूंगा। लेकिन  अगर हम नहीं गए तो हम यहीं रह जाएंगे ।जल्दी-जल्दी सामान थैले में रख लो.....जानकी ने जल्दी-जल्दी जरूरी सामान एक थैले में भरा और अपने झोपड़ीनुमा कमरे का ताला  दिया। रमेश  ने बीमार बेटे को चादर मे लपेटकर  गोद  में उठाकर गावँ जाने के लिए निकल पड़े। रास्ते में कोई सवारी ना मिलने के कारण उन्हें भरी दुपहरी में पैदल ही चलना पड़ा । चलते-  चलते दो दिन हो गए थक- हारकर हो एक पेड़ के नीचे बैठ गये। रमेश ने देखा की बेटे की साँस बहुत रुक- रुक कर आ रही है... उसे चिंता होने लगी परंतु उसने अपनी चिंता को जाहिर नहीं होने दिया। और बेटे को गोद में दोबारा लेकर चल पड़े ।अभी कुछ दूर ही चले होंगे ....कि कुछ समाजसेवी लोगों ने खाना देने के लिए उन्हें रोक लिया। खाना लेकर खाने ही बैठे तभी रमेश को लगा कि उसका बेटा  अब इस दुनिया में नहीं है ....उससे  रोटी का एक  भी टुकडा भी नही खाया गया। जानकी ने रमेश से कहा कि बेटे को भी कुछ खिला देते हैं... जानकी ने बेटे को कुछ खिलाने के लिए जैसे ही मुँह से कपड़ा हटाया और रोटी का टुकड़ा खिलानें लगी...बेटा का मुहँ नही खुल रहा था...और उसकी गर्दन एक तरफ लुढ़क गई... ...यह देख कर जोर-जोर से चीखनें लगी ......और बेटे को सीने से लगाकर लिपट -लिपट कर रोनें लगी .....हाय मेरा बच्चा अब इस दुनिया में नहीं रहा ....अब मैं कैसे जिन्दा रहूँगी....... उसकी चीखों ने  बहुत दूर-दूर तक मानवता को दहला दिया।

✍️ स्वदेश सिंह
 मुरादाबाद
उत्तर प्रदेश

गुरुवार, 4 जून 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार स्वदेश सिंह की लघुकथा.... दहशत


सुनों..... गोलू की मम्मी.... मैं  अपना अपनी खांसी का टेस्ट कराने हॉस्पिटल जा रहा हूँ । गोलू की मम्मी ने चौकतें हुए कहा .... क्या  ????  कह रहे हो ..तुम्हें तो यह खांसी का धशका  लगभग 20 साल से है और तुमने अभी तक कोई टेस्ट नहीं कराया और अचानक आज कैसें..... गोलू के पापा ने हिचकते हुए कहा.. कि वह आजकल कोरोना चल रहा है... इसलिए मुझे चिंता हो रही है.. एक बार करोना टेस्ट करा लूं  तो उसके बाद निश्चिंत हो जाऊँगा.... गोलू की मम्मी ने कहा ठीक है... अपने मन का वहम भी खत्म करो जाओं..... तेजा अपना कोरोना टेस्ट कराने के लिए हॉस्पिटल चला गया और हॉस्पिटल से आनें के बाद गुमसुम सा रहने लगा  गोलू की मम्मी के बार-बार पूछने पर भी वह चुपचाप ही रहता था कुछ नहीं कहता था ...अभी टेस्ट कराए हुए एक दिन ही बीता होगा कि अचानक उसको सीने में दर्द होने लगा..... तेजा ने यह बात परिवार के किसी भी सदस्य को नहीं बताई और खुद ही दर्द झेलता रहा.... और घेर में सोने के लिए चला गया।  ...सुबह उठकर जब  तेजा की पत्नी घेर में गई तब उसने देखा कि उसका पति अभी तक सो रहा है ।....वह उसे हिलाकर जगाने लगी... बार-बार हिलाने पर भी जब उसने देखा की वह नहीं जगा तो उसने चिंता होने लगी ....वह घबरा कर तेज तेज हिलाने  लगी  पर यह क्या???  उसका शरीर बेजान  हो  चुका था। ....उसकी पत्नी की चीख निकल गई  जोर-जोर से दहाड़े मारकर रोने लगी .... तेजा  अब इस दुनिया को छोड़ कर जा चुका था ।....3 दिन बाद करोना की  रिपोर्ट आई . जो कि निगेटिव थी.....परंतु उससे पहले ही तेजा अपनी जिंदगी को अलविदा कह चुका था।... और एक हँसता- खेलता परिवार कोरोना की भेंट चढ़  गया।

✍️ स्वदेश सिंह
सिविल लाइन्स
मुरादाबाद
099456222230

मंगलवार, 26 मई 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार स्वदेश सिंह की लघुकथा -------- ऑपरेशन


 संगीता की ससुराल में आज सभी बहुत खुश नजर आ रहे थे..... संगीता की शादी के 10 साल बाद उनके घर में खुशी आनें वाली हैं ....इसलिए परिवार के सभी लोग खुशी से नाच रहे थे और एक दूसरे को मिठाई खिला रही थे । संगीता भी बहुत खुश कि उसकी जिंदगी में  एक नया बदलाव आने वाला था ।संगीता को डॉक्टर ने बेड रेस्ट  के लिए बोला है..... परिवार के सभी सदस्य  दिन-रात संगीता की सेवा में लगे रहते लगे रहते थे। ...साथ ही उसके पति महेश ने उसकी देखभाल के लिए तथा घर के काम के लिए दो  नौकरानियों की व्यवस्था भी कर दी थी।
 ....संगीता अब बिस्तर पर लेटे- लेटे मोबाइल चलाती रहती है और अपने पसंदीदा कार्यक्रम टीवी पर देखती रहती है।.... डॉक्टर ने  विशेष आराम करनें की विशेष हिदायत दे रखी थी कि बच्चा केवल ऑपरेशन से ही पैदा हो सकता है ....नॉर्मल डिलीवरी के कोई चांस नहीं है ...परंतु आज देश में लॉकडाउन की स्थिति होने के कारण संगीता और उसका परिवार बेहद परेशान था। कोरोना महामारी के डर से कामबालियों को भी मना करना पड़ा।......घर का सारा काम संगीता को ही अकेले करना पड़ रहा  था  ...वह पूरे दिन धीरे-धीरे घर के सभी कामों को निपटाती रहती थी। ......आज अचानक संगीता को पेट में दर्द होने लगा ....महेश संगीता को लेकर डॉक्टर के पास गया .... डॉक्टर ने उसे एडमिट कर लिया। परंतु डॉक्टर को कोरोना महामारी में ऑपरेशन करने की अनुमति नहीं थी .....दुखी होकर डॉक्टर ने ऑपरेशन करने से मना कर दिया। सभी बहुत परेशान और चिंतित हो गए कि अब क्या होगा .....सभी लोग बाहर डॉक्टर के क्लीनिक में बात कर रहे थे .....कि तभी नर्स ने आकर डॉक्टर से कहा .....डॉक्टर साहब देखों ....जल्दी चलों डिलीवरी होने वाली है डॉक्टर तुरंत  अंदर लेबर रूम में गई और..... संगीता ने नॉर्मल डिलीवरी से एक सुंदर व स्वस्थ  पुत्र को जन्म दिया ।....जिसे सुनकर सभी अचंभित रह गए और सभी डॉक्टर की तरफ  देखने लगे ...डॉक्टर बिना कुछ कहें..अपने काम में लग गई.......

✍️ स्वदेश सिंह
 सिविल लाइन्स
 मुरादाबाद 24401
मोबाइल -9456222230

गुरुवार, 7 मई 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार स्वदेश सिंह की लघुकथा ------ सीख


सुनो बेटा ......आपकी मम्मी आप को घर पर बुला  रही हैं ...जल्दी से मेरे मिनी मेट्रो में बैठ जाओ .... ट्यूशन से पढ़कर आती हुई साक्षी को रोककर ऑटो वाले ने कहा.... साक्षी ने ऑटो वाले की आवाज को अनसुना करते हुए तेज कदमों के साथ वह अपने घर की तरफ बढ़ती रही ....... साक्षी कक्षा चार में पढ़ने वाली छात्रा थी जो कि घर के ही पास ट्यूशन पढ़ने के लिए शाम को 4:00 बजे जाती थी और 6:00 बजे घर लौटती थी ...परन्तु आज रास्ता में आतें समय उसे कुछ अंधेरा हो गया. .. जिसके कारण वह तेज -तेज कदमों से घर की तरफ जा रही थी ..... अचानक ऑटो वाले की आवाज  को सुनकर साक्षी को अपनी मम्मी के कहें शब्द याद आनें लगे....उसकी मम्मी प्रतिदिन स्कूल जानें से पहले एक सबक सिखाती थी जिसमें लड़कियाँ स्वयं अपनी रक्षा  कर सकें  और किसी भी  घटना का शिकार होने से  बच सकें। उन्होने सुबह ही अखबार में आई किसी घटना को पढ़ते हुए कहा कि बेटा कभी भी किसी अनजान पर विश्वास मत करना और यदि कोई आपसे कहे कि आपके मम्मी -पापा आपको बुला रहे हैं तो कभी भी उनके साथ बैठकर कहीं मत जाना .....क्योंकि यदि हमें तुम्हें बुलाना होगा तो हम खुद तुम्हें लेने आ जाएंगे ।  किसी अन्य को लेने के लिए नहीं भेजेंगे...   अपनी मम्मी के कहें शब्द साक्षी के दिमाग मे घूमने लगे  और वह तेज -तेज  कदमों से घर की तरफ बढ़ती रही.... और हांफते हुए  घर पहुंची ।साक्षी को हांफते हुए  देख कर  उसकी मम्मी ने घबरा गयी और सिर पर हाथ फेरते हुए पूछा   बेटा ....क्या ...हुआ ... साक्षी ने   हांफते हुए  सारी बात अपनी मम्मी को बताई .....उसकी मम्मी सारी बात  सुनकर स्तब्ध रह गयी और ईश्वर को मन ही मन धन्यवाद दिया कि आज उसकी दी हुई  सीख के कारण उसकी बच्ची सुरक्षित उसके पास है।और साक्षी को अपने गले से लगा लिया।

 ✍️  स्वदेश सिंह
सिविल लाइन्स
मुरादाबाद 244001
Mobile-9456222230

गुरुवार, 30 अप्रैल 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार स्वदेश सिंह की लघुकथा ----- आईना


दरवाजे की घंटी बजाने पर विशाल पर मकान मालकिन चिल्लाते हुए बोली कि तुम हमारा मकान खाली कर दो .......तुम कहीं भी रहो  ...बस मैं तुम्हें अपने यहां नहीं रख सकती ....अगर हमें यह बीमारी लग गई तो हम क्या करेंगे?...  हमारी देखभाल करने के लिए तो कोई भी नहीं है .... तुम जाओ यहां से, मैं तुम्हें घर में नहीं आने दूंगी।
यह सुनकर  विशाल का दिल बैठ गया और मिन्नतें करने लगा ....परंतु मकान मालकिन ने जैसे दरवाजा न खोलने की कसम खा रखी हो..और  बड़बड़ाती हुई अंदर चली गई ।
विशाल मेडिकल का स्टूडेंट है। इस समय देश में कोरोना महामारी फैलने के कारण उसकी ड्यूटी कोरोना मरीजों की देखभाल के लिए लगा दी गयी है जिसके कारण मकान मालकिन बेहद डर गयी है , उसे लग रहा है कि विशाल के द्वारा बीमारी उसके घर में प्रवेश कर जाएगी और वह भी संक्रमित हो जाएगी ।
थका -हारा ,भूखा -प्यासा  विशाल दरवाजे पर ही बैठ गया और उसकी आँखो से आंसू टपकने लगे  ... रोते -रोते उसे कब नींद आ गई पता ही ना चला ।...सुबह के 4:00 बजे जब दरवाजे की घंटी बजी तब उसकी आंख खुली तो देखा दरवाजे पर एक लड़का घंटी  बजा रहा है ...घंटी की आवाज सुनकर मकान मालकिन बड़बड़ाती हुई  दरवाजा खोलने आई और दरवाजा खोलते ही चिल्लाते हुए बोली ... तू गया नहीं अभी तक ... जा यहां से....उधर से आवाज आई मम्मी मैं हूं आपका बेटा रोहित...  आवाज सुनते ही उसकी आंखें  खुली की खुली रह गई उसने आश्चर्यचकित होकर पूछा बेटा रोहित ....तू यहां कैसे तू ...तो   लखनऊ के मेडिकल कॉलेज में .......पढ़ाई कर रहा था  ...दुखी होते हुए रोहित ने कहा - माँ , वहां  मैने डॉक्टरों के साथ मिलकर कोरोना वायरस से संक्रमित बीमारों की सेवा करनी शुरू कर दी थी। संक्रमण फैलने के डर से मकान मालिक ने मुझे अपने घर से निकाल दिया और मुझे घर आना पड़ा ।यह सुनकर उसके होश उड़ गए और वह  सोचने लगी कि मैं भी तो यही करने जा रही थी।

✍️ स्वदेश सिंह
 सिविल लाइन्स
 मुरादाबाद

गुरुवार, 9 अप्रैल 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार स्वदेश सिंह की लघुकथा --- वक्त


















  नाजिम रोते -रोते स्कूल की प्रधानाचार्य के पास पहुंचा और कहने लगा मैडम यदि मैंने आपकी बात मान ली होती तो आज मैं भी हाई स्कूल पास होता ।परंतु आपकी बात ना मान कर मुझे बहुत दुख हो रहा है ।.....नाजिम कक्षा 10 का विधार्थी था पढ़ने में बेहद कमजोर था ,परंतु विद्यालय की प्रधानाचार्या ऐसे बच्चों पर विशेष ध्यान देकर उन्हें अलग से तैयारी करा कर परीक्षा में सम्मिलित कराती थी जिससे कि वह परीक्षा में पास हो सके।परन्तु  नाजिम का मन पढ़ाई में नहीं लगता था। बार-बार कहने के बाद भी वो ना स्कूल आता था और ना ही पढ़ता था । थक -हार कर स्कूल से उसका नाम काटना पड़ा। परंतु जब आज  कोरोना महामारी के कारण  हाईस्कूल के परीक्षाफल में सभी को उत्तीर्ण कर दिया गया है।  स्कूल के सभी साथियों को पास देख कर वह अपने किये पर वह बहुत पछता रहा है........

✍️ स्वदेश सिंह
 सिविल लाइन्स
मुरादाबाद 244001
मोबाइल फोन नम्बर 9456222230

गुरुवार, 2 अप्रैल 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार स्वदेश सिंह की लघु कथा --आनन्द


अरे -अरे बेटा  मांझे को ढीला करो वरना  पतंग कट जाएगी...आवाज   सुनकर जब मैंने बाहर देखा तो पड़ोस में रहने वाला सुनील अपने बेटे को पतंग उड़ाने  की बारीकियां समझा रहा था। देखकर मन में अजीब सी खुशी महसूस हुई कि आज कितने दिन...साल बाद सुनील को अपनी इच्छा पूरी करने का मौका मिला है।
    एक समय था जब सुनील पतंग उड़ाने में नंबर-1 था... उसके पापा उसे बार-बार पढ़ाई के लिए कहते थे परंतु उसका मन पढ़ाई में न लगकर पतंग में ज्यादा लगता था । चोरी छिपे घर की छत पर पहुंचकर भरी दोपहर  में पतंग उड़ाना उसकी दिनचर्या  था.... जिसके लिए   रोज अपने पिताजी की डांट और मार दोनों खाता था परंतु आज 18- 20 साल बाद उसे इस तरह खुश देख कर मन को बड़ी शांति  मिल रही थी ,जबसे उसके पापा का स्वर्गवास हुआ है, वह सुबह 6:00 बजे से रात को 11:00 बजे तक घर में ही बनाई हुई दुकान पर बुझे मन से पूरे दिन बैठा रहता है और ग्राहकों को सामान देता रहता है।उसे मुस्कराते हुए  शायद ही कभी किसी ने देखा हो... परंतु आज कोरोना वायरस के कारण पूरे देश मे लॉकडाउन होने से उसका  पुराना शौक  पुनः  जीवित हो गया ।  वह अपने बेटे के साथ बहुत खुश नजर आ रहा है।

***स्वदेश सिंह
सिविल लाइन्स
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत