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रविवार, 30 अप्रैल 2023

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार संतोष कुमार शुक्ल संत की रचना .....बस हमें वोट दीजिए


सभी कुछ मुफ्त लीजिये।

बस हमें वोट दीजिए।।

कहीं साड़ी का लालच, कहीं चावल खैराती। 

मुफ्त लो बिजली- पानी, कहीं पैसे अनुपाती ।।

मुफ्त में है मोबाइल, लपक कर जल्द लीजिये। 

बस हमें वोट दीजिए ।। 


मिल रहा लैपटॉप भी, साइकिल भी बटती है। 

मिल रही केवल उसको, जहां जिसकी पटती है।। 

साथ में मुफ्ती राशन, बढ़ा कर हाथ लीजिये।। 

बस हमें वोट दीजिए ।।


कर्ज माफी का शोषा, किसानों को भी धोखा। 

लगे न हरड़ फिटकरी, है धंधा कितना चोखा ? 

बढ़ा कर फिर मंहगाई, चौगुना चूस लीजिये।। 

बस हमें वोट दीजिए ।।


सभी महिलाओं को भी, बसों में मुफ्त सफर है। 

मिलेगा मासिक भत्ता, यही बस बची कसर है।। 

संस्था सब सरकारी, इस तरह लूट लीजिये।। 

बस हमें वोट दीजिए ।।


धता हमको बतलादी, नया अध्याय जोड़ कर । 

मुनादी भी पिटवादी, कान उसके मरोड़कर  ।। 

यही तो राजनीति है, ठीक से समझ लीजिए।। 

बस हमें वोट दीजिए ।।


लूट हर ओर मची है, यह कैसी डैमोक्रेसी ? 

जहाँ जनता के द्वारा, स्वयं की ऐसी तैसी।। 

मियां का ही जूता है, मियां की चांद लीजिये।। 

बस हमें वोट दीजिए ।।


✍️ सन्तोष कुमार शुक्ल "सन्त"

ग्राम-झुनैया, तहसील - मिलक, 

जनपद - रामपुर 

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल : 9560697045

शनिवार, 8 अक्तूबर 2022

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार संतोष कुमार शुक्ल संत की रचना .....


अन्दर की बात है, यूं नहीं बतायेंगे।

अपने ही जाल में, शिकारी फस जायेंगे।।

सपने सयाने हुए, अपने बेगाने हुए। 

किसी पे भरोसा अब, हम न कर पायेंगे।।

उत्तराधिकारी तो, बेटा ही होता है।

अनर्गल प्रलापों से, हम क्या डर जायेंगे।।

अन्दर की बात है - - - -

चारा ही खाया था, नाम दिया घोटाला।

खाता यदि और कुछ तो, करते क्या तुम लाला ? 

जानवर तो कोई नहीं, गुजरा कचहरी से। 

आपके ही बाप का, गया क्या तिजोरी से ? 

भैंस जाये ट्रक से, अथवा दुपहिये से !! 

आपको तकलीफ क्या है, हमको समझायेंगे ? 

अन्दर की बात है - - - 

डाल डाल तुम सब तो, पात पात हम भी हैं। 

खाने की आदत में, बच्चे भी कम नहीं हैं।। 

चारा हमनें खाया, बच्चों ने मिट्टी है। 

जांच ब्यूरो की भी, गुम सिट्टी पिट्टी है।। 

पिताजी का नाम, बच्चे आगे बढ़ायेंगे। 

सम्मन पर लालू, सपरिवार लिखे जायेंगे।। 

अन्दर की बात है - - - 

रुपया घोटाले गया, दो रुपये इन्क्वायरी में। 

जेल भेजने को, चार खर्चे सरकारी में।। 

आगे कचहरी का, अभी और खर्चा है। 

आपकी तिजोरी का, यह भी एक पर्चा है।। 

भैंस है हमारी, क्योंकि! लाठी भी हमारी है। 

आँख भी तरेरेंगे, हाँक भी ले जायेंगे।। 

अन्दर की बात है - - - 

✍️ सन्तोष कुमार शुक्ल सन्त 

ग्राम-झुनैया, तहसील - मिलक, 

जनपद - रामपुर 

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल : 9560697045



रविवार, 8 मई 2022

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार सन्तोष कुमार शुक्ल सन्त की रचना ---मां


स्नेह और ममता से देती सबको खुशहाली।। 

मां वन्दन तेरा करता तू धन्य जगत की माली।।

चेहरे पर देख व्यथा को सब काम छोड़ आ जाना। 

ममता से गले लगाकर आंचल से फिर दुलराना।। 

प्रत्यक्ष स्वर्ग दिखता था तेरे सम्मुख होने पर। 

आंखों को पढ़ लेती थी मेरे भूखा होने पर।। 

है याद मुझे अब भी तो मेरे बचपन की ओ मां। 

तेरी ममता सी मूरत अब भी आंखों में है मां।। 

भटका जब भी जीवन में तो ऊंच नीच समझाया। 

मेरे उन्नति के पथ पर तू अब भी है हम साया।। 

जिसको देखो कहता है मां आज दिवस है तेरा। 

हर दिन ही मातृ दिवस मां मुख तेरा नित्य सवेरा।। 

मां तो बस केवल मां है मां की हर बात निराली। 

है निहित एक अक्षर में जीवन की हर खुशहाली।। 

मैं और लिखूं क्या तुझपर तूने तो मुझे लिखा है। 

तेरे चरणों में अपना मुझको तो स्वर्ग दिखा है।। 

घर के मंदिर में मित्रों तुम मां का चित्र लगाना। 

कोई पूछे यदि तुम से मां क्या है यह समझाना।। 

मां के ममत्व की बातें मैं कितनी और बताऊं।। 

मां के चरणों में अपने भावों के सुमन चढा़ऊं।। 

✍️ सन्तोष कुमार शुक्ल (सन्त)

ग्राम-झुनैया, तहसील - मिलक, 

जनपद - रामपुर (उ. प्र.) 

मोबाइल : 9560697045

सोमवार, 18 अक्तूबर 2021

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार संतोष कुमार शुक्ल संत की रचना ----हर चोला मक्कार हो गया, सच कहना दुश्वार हो गया।

 


अजब गजब बातें बतलाकर, 

अजब ढंग से करके हल्ला। 

सब्ज बाग  दिखलाकर कहते, 

सबसे अच्छा अपना गल्ला।। 

नाम अजब है, काम अजब है, 

अजब यहां व्यापार हो गया।। 

हर चोला मक्कार हो गया।। 

सच कहना दुश्वार हो गया।। 


धर्म ध्वजा का कर आरोहण । 

जनता में भर के सम्मोहन  ।।

बस्त्र गेरुए धारण करके । 

सन्त महन्त गिरि बन करके ।।

स्वयं स्वघोषित ब्रह्म कहाकर। 

पुन्य पाप का भय दिखलाकर ।।

प्रवचन लच्छे दार सुनाकर,

मंदिर मठ बाजार हो गया।। 

धर्म बड़ा व्यापार हो गया। 

हर चोला मक्कार हो गया।। 

सच कहना दुश्वार हो गया।। 


कर्जे माफ करेंगे सारे ।

हमको बस कुर्सी दिलवा रे ।।

ऊपर का हिस्सा दे जा रे। 

तू नीरव मोदी बन जा रे।।

बिजली पानी मुफ़्त मिलेगा । 

बिल का पैसा कौन भरेगा ? 

कर द्वारा अर्जित धन पर भी, 

नेता का अधिकार हो गया।। 

जनता का धन पार हो गया।। 

हर चोला मक्कार हो गया।। 

सच कहना दुश्वार हो गया।। 


अजब गजब ढपली के रागों ।

फटे हुए कपड़े के धागो ।।

तभी सवेरा जब तुम जागो। 

आंखें खोलो अरे अभागों ।।

लोकतंत्र में राजा तुम हो, 

सोच समझ कर वटन दबाओ।। 

जिसकी लाठी भैंस उसी की, 

यह तो अत्याचार हो गया।।

पैसा ही सरकार हो गया।। 

हर चोला मक्कार हो गया।। 

सच कहना दुश्वार हो गया।। 


✍️ सन्तोष कुमार शुक्ल सन्त

रामपुर, उत्तर प्रदेश, भारत



शनिवार, 17 अक्तूबर 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार संतोष कुमार शुक्ल संत की रचना ----- मैया के द्वार चलो मैया के द्वार चलो, करने श्रंगार चलो लेके फूल हार चलो


मैया के द्वार चलो मैया के द्वार चलो 

करने श्रंगार चलो लेके फूल हार चलो 

मैया के द्वार चलो ------------

ऊंचे पहाड़ों पे मैया का बासा है, 

दर्शन के मैया की मन को अभिलाषा है 

मैया बुलाती है जय कारा मार चलो 

मैया के द्वार चलो ------------

सिंह की सवारी है वर मुद्रा धारी है 

लाल लाल चूनर में माँ की छवि न्यारी है 

मैया की ऐसी छवि तुम भी निहार चलो 

मैया के द्वार चलो ------------

मैया निराली है अष्ट भुजा बाली है 

कभी मात चंडी है कभी मात काली है 

मैया के रूपों को करते नमस्कार चलो 

मैया के द्वार चलो ------------

मैया ही नैना है मैया ही ज्वाला है 

मैया का वैष्णव रूप निराला है 

माँ की सब पीठों का करने दीदार चलो 

मैया के द्वार चलो ------------

चंड मुंड संहारे मधु कैटभ भी मारे 

माँ उसके दुख तारे आता जो माँ द्वारे 

तुम भी अब कष्टों से होने उद्धार चलो 

मैया के द्वार चलो ------------

✍️ सन्तोष कुमार शुक्ल सन्त,रामपुर