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शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2025

मुरादाबाद की संस्था विजयश्री वेलफैयर सोसायटी के तत्वावधान में 23 फरवरी 2025 को वरिष्ठ बाल साहित्यकार डॉ राकेश चक्र की पुस्तकों दयानंद ऋषि अति प्यारे और भारत के गौरव स्वामी विवेकानंद का लोकार्पण और काव्य गोष्ठी का आयोजन

मुरादाबाद  की संस्था विजयश्री वेलफैयर  सोसायटी के तत्वावधान में रविवार 23 फरवरी 2025 को वरिष्ठ बाल साहित्यकार डॉ राकेश चक्र की पुस्तकों दयानंद ऋषि अति प्यारे और भारत के गौरव स्वामी विवेकानंद का लोकार्पण और काव्य गोष्ठी का आयोजन संस्था के मुख्यालय पर किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार अशोक विश्नोई ने की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ओंकार सिंह ओंकार व विशिष्ट अतिथि राजीव सक्सेना व राहुल शर्मा रहे। संचालन आवरण अग्रवाल श्रेष्ठ ने किया ।

    कवयित्री पूजा राणा द्वारा प्रस्तुत मां सरस्वती वंदना से आरंभ काव्य गोष्ठी में अशोक विश्नोई ने कहा... 

हृदय में प्यार के, जब बलबले फूटते हैं 

नदी सागर से मिलती है,  दरिया छूटते हैं

ये वादा है, ना मिलना कम करेंगे हम 

दिलों में दूरियां हों तो ,सिलसिले टूटते हैं ।

ओंकार सिंह ओंकार ने कहा....

खिल उठे हैं फूल कितने अब रिझाने के लिए ।

आ गया मौसम सुहाना गुनगुनाने के लिए ।।

राहुल शर्मा ने कहा....

हम तो अभिशापित ऋषि-मुनि है 

शाप काट घर जाएंगे 

डॉ राकेश चक्र ने कहा ...

अवनि के अमरत्व हो तुम,

कोटिशः तुमको नमन है।

हो गए बलिदान इस पर,

गूँजता सारा गगन है।

वीरेंद्र सिंह ब्रजवासी ने पढ़ा....

मां का दिल कितना होता है 

चिड़िया के जितना होता हैं  

योगेंद्र वर्मा व्योम ने पढ़ा....

धूप की मक्कारियाँ हैं और हम हैं

छाँव की लाचारियाँ हैं और हम हैं

पेड़ सांसों का डरा सहमा हुआ है

वक्त की कुछ आरियाँ हैं और हम हैं

विवेक निर्मल ने कहा ....

दर्पणों ने जब कहा सच ही कहा है 

लेकिन सच का आवरण किसने गहा है

कवयित्री पूजा राणा ने पढ़ा ...

हम नारी हैं निर्माता हैं, संसार हमारी मुट्ठी में 

है विजय हमारी मुट्ठी में, और हार हमारी मुट्ठी में

हम लक्ष्मी हैं, हम दुर्गा हैं, रणचंडी हैं हम काली हैं 

है कमल हमारे हाथों में, तलवार हमारी मुट्ठी में,

है विजय हमारी मुट्ठी में, और हार हमारी मुट्ठी में 

आवरण अग्रवाल श्रेष्ठ ने कहा...

समंदर है,लहरें हैं,कश्ती है,तूफ़ा है, किनारा नहीं है ।

मंजिल उसी को मिलती है जो हिम्मत हारा नहीं है ।।

शुभम कश्यप शुभम ने कहा...

दौलत है अपने पास न जागीर एक भी।

मां तो समझ रही है रतन तुमको इससे क्या ।।

 फक्कड़ मुरादाबादी, डॉ मनोज रस्तोगी,मनोज मनु, ईशान्त शर्मा ईशु ने भी रचनाएं प्रस्तुत की । इस अवसर पर अमित गुप्ता,राजेश्वरी सिंह, सविता निर्मल ,प्रखर गुप्ता आदि मौजूद रहे। 







































बुधवार, 11 मार्च 2020

'विजयश्री वैल्फेयर सोसाइटी' मुरादाबाद के तत्वावधान में 9 मार्च 2020 को 'काव्यरस-फुहार' का आयोजन





















 मुरादाबाद की प्रमुख संस्था विजयश्री वेलफेयर सोसाइटी की ओर से रामगंगा विहार मुरादाबाद स्थित शिव मंदिर परिसर में होली पर सोमवार 9 मार्च को 'काव्यरस-फुहार' का आयोजन हुआ जिसमें उपस्थित स्थानीय कवियों ने कविताओं के माध्यम से होली पर हास्य कविताओं से सभी को गुदगुदाया और देश व समाज में व्याप्त विद्रूपताओं पर कटाक्ष किए। कवि गोष्ठी की अध्यक्षता कवि रामवीर सिंह वीर ने की, मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार अशोक विश्नोई, विशिष्ट अतिथि डा. मनोज रस्तोगी रहे. तथा संचालन हास्य कवि फक्कड़ मुरादाबादी ने किया।

काव्यपाठ करते हुए मनोज मनु ने कहा-
भीतर से बाहर तलक, भरता गज़ब मिठास
होली का त्योहार तो, होता इतना खास

नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने कहा-
मनके सारे त्याग कर, कष्ट और अवसाद ।
पिचकारी करने लगी, रंगो से संवाद ।।

राजीव प्रखर ने काव्य-पाठ करते हुए कहा -
सिमट गयी संवेदना, बदल गये सब ढंग।
पहले जैसे अब कहाँ, होली के हुड़दंग।।

वरिष्ठ कवि विवेक निर्मल ने कविता प्रस्तुत की-
होली के हुड़दंग में, बदले सबके चित्र
दुश्मन भी लगने लगे, प्यारे प्यारे मित्र

प्रशांत मिश्र ने कुछ इस प्रकार कहा -
मैं क्यों खेलूं तुम संग होली,
सखियाँ मुझे चिढ़ाती हैं।

आवरण अग्रवाल 'श्रेष्ठ' का कहना था -
आओ मिलकर अबकी खेले ऐसी होली,
देश से मिट जाए बैर भाव और कटु बोली।।

अरविंद कुमार शर्मा आनंद ने कहा -
हुल्लड़ भी हुड़दंग भी शोर हम मचायेंगे।
अरे भैया फाल्गुन आयो होली हम मनाएंगे।

वरिष्ठ साहित्यकार अशोक विश्नोई ने रचना प्रस्तुत की-
धूप में सोता था अपने गाँव में
आज छाले पड़ गए हैं पांव में
चाहकर भी आपसे कैसे मिलूँ
रस्म की बेड़ी पड़ी है पांव में

वरिष्ठ साहित्यकार ‌ डॉ मनोज रस्तोगी ने कहा-
महकी आकाश में चांदनी की गंध
अधरों की देहरी लांघ आए छंद
गंगाजल से छलके नेह के पिटारे
उड़ रही रेत गंगा किनारे।

कवि रवि चतुर्वेदी ने कविता सुनाई-
देश के दीवानों की मैं भक्ति हूँ
और उनके आत्मबल की शक्ति हूँ

वरिष्ठ शायर डॉ० कृष्ण कुमार 'नाज़' ने कहा -
सोहबत बुरी मिली तो गलत काम भी हुए
वैसे कमी तो ना थी कोई खानदान में

रामवीर सिंह 'वीर' ने काव्य-पाठ करते हुए कहा -
कैसे बताएं हम आपन बीती।
जो कहना था कह नहीं पाए,
बदल गई जीवन की रीति।

इस अवसर पर  इंदु रानी, सविता निर्मल, महेंद्र शर्मा, देवेंद्र सिंह, महेंद्र सिंह, अनिल पाल सिंह क्षय, अजय सिंह आदि लोग उपस्थित रहे।

:::::::प्रस्तुति::::::

**विवेक निर्मल
सचिव
विजयश्री वैल्फेयर सोसाइटी
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश