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शनिवार, 9 सितंबर 2023

मुरादाबाद मंडल के जनपद बिजनौर (वर्तमान में गाजियाबाद निवासी ) की साहित्यकार रूपा राजपूत की ग़ज़ल ....रोएंगे किरदार कहानी में सारे ऐसा अभी इक मोड़ तो आना बाक़ी है


उनसे थोड़ा मिलना मिलाना बाक़ी है 

इश्क़ हुआ है, सिर्फ जताना बाक़ी है


रोएंगे किरदार कहानी में सारे 

ऐसा अभी इक मोड़ तो आना बाक़ी है


चाँद सितारों से तो बातें कर ली हैं 

अब सूरज से आँख मिलाना बाक़ी है


नींद की देवी तो पलकों तक आ ही चुकी 

अब आँखों में ख्वाब सजाना बाक़ी है


बाद में दुनिया देखेंगे तुझको, पहले 

रूठे हैं वो उनको मनाना बाक़ी है


तुम छाए हो विकीपीडिया पर लेकिन 

हमको अपना  नाम बनाना बाकी है


इश्क़ मुकम्मल हो जायेगा ऐ रुपा 

बस पानी में आग लगाना बाक़ी है

✍️ रुपा राजपूत

गाजियाबाद

उत्तर प्रदेश, भारत

बुधवार, 28 जून 2023

मुरादाबाद मंडल के जनपद बिजनौर (वर्तमान में गाजियाबाद निवासी ) की साहित्यकार रूपा राजपूत की ग़ज़ल ...जाकर वापस आने में यार! ज़माना लगता है


 ख़ुद को ढूँढ़ के लाने में यार! ज़माना लगता है

यूँ पागल हो जाने में यार ! ज़माना लगता है


मेरी हँसती आँखों में आँसू ठहरे पाओगे

रोके अश्क बहाने में यार ! ज़माना लगता है


हमको उनसे इश्क़ हुआ जाने कब कह पाएँगे

दिल की बात बताने में यार! ज़माना लगता है


कितनी रातों की नींदें  लूटीं उला-सानी ने

 मिसरों को बैठाने में यार! जमाना लगता है


'रूपा' आख़िर कब तक तू उनका रस्ता देखेगी 

जाकर वापस आने में यार! ज़माना लगता है


✍️ रूपा राजपूत 

गाजियाबाद

उत्तर प्रदेश, भारत