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रविवार, 19 फ़रवरी 2023

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार राम किशोर वर्मा की पांच मुकरियां


कहते हैं उनको सब भोले

प्रेम करे जो उस सँग होले

चुभने न दे कभी भी कंकर

क्या सखि साजन! ना सखि शंकर ।। 1।।


रात चाँदनी उसे न भाती

घोर अँधेरा रात सुहाती

घर लौटे नहीं होवे भोर

क्या सखि साजन! ना सखी चोर ।। 2।।


घंटी मैंने जभी बजाई

हैं लाइन पर व्यस्त बताई

बदले थे तभी मेरे टोन

क्या सखि साजन! ना सखी फोन ।। 3।।


फूल खिले कलियाँ मुस्कायीं

ऋतु वसंत जब से है आयी  

रोज़ कर रहा वह भी दौरा

क्या सखि प्रेमी! ना सखी भौंरा ।। 4।।


खेले है वह आँख-मिचौली

गरज-गरज कर बोले बोली 

लगते हैं वह नैनन काजल

क्या सखि साजन! ना सखि बादल ।। 5।।

 ✍️ राम किशोर वर्मा 

रामपुर 

उत्तर प्रदेश, भारत


गुरुवार, 22 दिसंबर 2022

मुरादाबाद मंडल के साहित्यकारों जितेंद्र कमल आनंद रामपुर, राम किशोर वर्मा रामपुर, अनमोल रागिनी चुनमुन रामपुर,प्रीति चौधरी अमरोहा, डॉ रीता सिंह मुरादाबाद, रवि प्रकाश रामपुर, कृष्ण कुमार पाठक बिजनौर, राजवीर सिंह राज रामपुर, सुरेश अधीर रामपुर, इंदु रानी अमरोहा और राजीव प्रखर मुरादाबाद के दोहे । ये प्रकाशित हुए हैं रामपुर से जितेंद्र कमल आनंद के संपादन में प्रकाशित मासिक ई पत्रिका अखिल भारतीय काव्य धारा के नवम्बर दिसम्बर 2022 के संयुक्त अंक में ....















शुक्रवार, 11 नवंबर 2022

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार राम किशोर वर्मा की लघुकथा.....ईमानदार


 "आज पाँच तारीख हो गई शर्मा जी । अभी तक आपके स्टेटमेंट नहीं आये? तीन तक आ जाने चाहिए थे!" -- बड़े बाबू बाबू जी पर बिगड़ रहे थे --"हमें सात को हाई कोर्ट भेजने हैं। हम कब तैयार करेंगे ? आपसे एक अपनी कोर्ट के नक्शे नहीं बन पा रहे?"

   शर्मा जी बोले -- "मैं तीन दिन से छुट्टी पर था । कल ही ऑफिस आया हूँ । मेरे पीछे काम बहुत फैल गया था । उसे समेटा है । रात को घर पर स्टेटमेंट की तैयारी भी कर ली है। कल सुबह ही स्टेटमेंट आपकी टेबिल पर होंगे ।"

   "काम का तो बहाना है । आपको इधर-उधर जुगाड़ भिड़ाने से फुर्सत मिले न!" -- कहते हुए बड़े बाबू कुर्सी से उठे --"मेरी नमाज़ का टाइम हो गया है। मैं मस्जिद में जा रहा हूँ । आज शाम तक हर हाल में स्टेटमेंट मेरे पास आ जाने चाहिए।"

   शर्मा जी ने बड़े बाबू को याद दिलाया --"आप भी बाबू रह चुके हो । अभी तो आपने इधर-उधर झांकना बंद कर दिया है। नौ सौ चूहे खाये बिल्ली हज़ को चली । आज आप ईमानदारी का ढोंग रच रहे हैं तो आपकी नज़र में सब बेईमान हो गये ।"

   बड़े बाबू सब सुनते हुए नमाज पढ़ने के लिए कमरे से तेज कदमों से  बाहर  निकल गये ।

   ✍️ राम किशोर वर्मा 

रामपुर 

उत्तर प्रदेश, भारत


बुधवार, 5 अक्तूबर 2022

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार राम किशोर वर्मा के इक्कीस दोहे ....

 


राह सत्य की है कठिन, मगर चले श्रीराम ।

हुआ नहीं दूजा कभी, यों जग करे प्रणाम ।। 1।।


गुण-ही-गुण दिखते हमें, सीता जी हों राम ।

गाँठ बाँध लें एक गुण, जीवन तब अभिराम ।।2।।

  

जैसे को तैसा करें, तब होगा कल्याण ।

रावण या फिर कंस पर, बरसे यों ही बाण ।।3।।

 

दो अक्टूबर को मिले, हमको दो ही लाल ।

लाल बहादुर एक था, दूजा मोहन लाल ।।4।।

 

देवी के सम्मुख सभी, नतमस्तक हैं आज ।

कर्म सदा ऐसे करें, माता को हो नाज ।।5।।


देवी का संदेश यह, करिए मत उपहास ।

काम-क्रोध मद-लोभ का, भी रखिए उपवास ।।6।।


बल-शक्ति का हो गया, जिसको भी अभिमान।

धूल-धूसरित हो गया, निश्चित इक दिन मान ।।7।।


देवी जी आदर्श हैं, भारत माँ की मात ।

नारी का सम्मान यों, जग में अनुपम बात ।।8।।


कन्या-पूजन भी यहाँ, देता यह संदेश ।

देवी के हर रूप का, करें मान जो वेश ।।9।।

  

बड़़भागी दर्शन हुए, श्री राधे घनश्याम ।

चरण शरण में लीजिए, द्वार तुम्हारे 'राम' ।। 10।।

  

नवदेवी -आराधना, मात-शक्ति का मान ।

दया दृष्टि रखती सदा, करते जन गुणगान ।।11।।


दुष्ट दलों के नाश का, देती माँ संदेश ।

भक्त शक्ति पूजन करें, जितने उनके वेश ।। 12।।

 

देवी की आराधना, तभी सफल है जान ।

नारी का सम्मान हो, माता को दें मान ।।13।।

  

घर-बाहर या देश में, चहुंदिशि हा-हाकार ।

'शांति दिवस' संदेश है, स्वार्थ रहित व्यवहार ।।14।।


विश्व चकित हैरान है, भारत-गतिविधि देख ।

नित्य खींचता यह नयी, सबसे लम्बी रेख ।।15।।

 

राम-नाम जीवन-मरण, यह जीवन-आधार ।

मुक्त होय संसार से, मिलता हरि का द्वार ।।16।।


बाल रूप में कृष्ण को, माता रहीं दुलार ।

इससे वह अनभिज्ञ हैं, यह जग- तारणहार ।।17।।


एक हाथ तलवार हो, दूजे में यदि ढाल ।

आँख उठा सकता नहीं, हो कोई भी लाल ।।18।।

  

तिरंगा न झुकने दिया, दे दी अपनी जान ।

ओढ़ तिरंगे का कफन, और बढ़ा दी शान ।।19।।


रूप बदल ले चीज जो, गुण रसायनिक जान ।

चीनी पानी में विलय, ऐसे ही सब मान ।।20।।


बदल सके नहिँ रूप को, गुण भौतिक यह जान ।।

दही बने जब दूध से, दही यही गुण मान ।। 21।।

  

✍️ राम किशोर वर्मा

रामपुर 

उत्तर प्रदेश, भारत

गुरुवार, 23 जून 2022

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार रामकिशोर वर्मा की लघु कथा ---- मेरे पापा

     


राम सागर बहुत देर से दरवाजा खटखटा रहा था मगर उसकी पत्नी रम्मो जानबूझकर दरवाजा नहीं खोल रही थी । उसे पता था कि आज फिर राम सागर देर से काम से लौटा है तो पीकर ही आया होगा और फिर घर में बेटी रुचि के सामने उल्टा-सीधा बोलेगा और उल्टियां करके बेसुध सो जायेगा ।

   मगर जब रुचि के पापा को दरवाजा खटखटाते बहुत देर हो गई तो रुचि से नहीं रहा गया और वह भागकर दरवाजा खोलते हुए देखती है कि उसके पापा के हाथ में दो गुब्बारे और बिस्कुट -टॉफियां हैं। 

   राम सागर रुचि को देखते ही मुस्कराकर उसे गोद में उठा लेता है ।

   रुचि के मुंँह से एकदम निकल जाता है -"मेरे पापा!" और एकदम सवाल दागती है -" आज आपके मुँह से अजीब सी बदवू नहीं आ रही?"

   रम्मो यह सब देखकर अवाक रह जाती है ।

 ✍️ राम किशोर वर्मा

रामपुर ,उत्तर प्रदेश, भारत

दिनांक:- २२-०६-२०२२ बुधवार

गुरुवार, 26 अगस्त 2021

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार राम किशोर वर्मा के चालीस दोहे ------


 (1)

जीवन भी इक 'खेल' है, कभी हार या जीत ।

कुदरत भी खेले कभी, सिखलाने को प्रीत ।।

(2)

'खेल'-खेल में सीखते, बच्चे पाते ज्ञान ।

खेलों में भी नाम है, और बनें विद्वान ।।

(3)

संँग कभी नहीं खेलना, जीवन में वह 'खेल' ।

सबकी अँगुली भी उठें, हो जाये फिर जेल ।।

(4)

'खेल' गेंद का खेल कर, नाथ दिया था नाग ।

चौपड़ का भी 'खेल' था, लगा दिया था दाग ।।

(5)

घर -बैठे ही खेलिए, अब हैं ऐसे 'खेल' ।

भाग-दौड़ अब कम हुई, नहीं जरूरी मेल ।।

 (6)

सरकारी सेवा मिली, जाने कुछ अधिकार ।

'त्याग' पिया का घर कहे, मैं सशक्त हूँ नार ।।

(7)

'त्याग' भावना प्रेम से, चलता है घरवार ।

अहंकार अधिकार से, होता बंटाधार ।।

(8)

दुर्गुण चहुँदिशि फैलते, रहता मन अंजान ।

इनको जो भी 'त्याग' दे, पाता है सम्मान ।।

(9)

'त्याग' तपस्या कर सके, जिस मन कसी लगाम ।

जिसका मन चंचल हुआ, उसका नहिँ है काम ।।

(10)

कौन करेगा 'त्याग' जब, दिया 'त्याग' को 'त्याग' ।

पुस्तक तक सीमित हुआ, नहीं रहा अनुराग ।।

 (11)

 सब कान्हा के बाबरे , राधा से कम प्रीति ।

 कान्हा राधा बाबरे, अजब लगी यह रीति ।।

  (12)

भोले रखिए देश के, भोलों का भी ध्यान ।

पढ़े-लिखे विद्वान जो, करें न उनका मान ।।

   (13)

'आजादी' में देखिए, जनता सब खुशहाल ।

जिसके मन जो भा रहा, दिखला रहा कमाल ।।

  (14)

'आज़ादी' का हो रहा, आज बहु दुरुपयोग ।

भारत के टुकड़े करें, विपक्षी दलिय लोग ।। 

(15)

'आज़ादी' इस देश में, नहिँ कोई प्रतिबंध ।

पढ़े-लिखें आगे बढ़ें, मधुर रखें संबंध ।। 

 (16)

 सच देखो तो अब हुआ , भारत देश महान ।

  डंका पूरे विश्व में, सब करते सम्मान ।।

  (17)

मीठी वाणी बोलकर,रखा हुआ जो खोट ।

मिठबोला सब ही कहें,छवि पर लगती चोट ।।

(18)

किस के मन क्या चल रहा, मुश्किल है पहचान।

ओढ़ चदरिया राम की,घूम रहा हैवान।।

(19)

 राधारानी संग में,नटखट नंदकिशोर।

शीश नवाता प्रेम से,वर्मा राम किशोर ।।

(20)

सेना के उपकार से, सोते पैर पसार । 

जीवन के हर रंग का, पाते सुख-संसार ।।

(21)

जनानियां अफ़ग़ान की, खरीद रहीं हिजाब ।

शिक्षा 'तालिबान' की, दिखती सभी जनाब ।।  

(22)

अफ़ग़ान की जनानियां, 'तालिबान' का प्यार ।

मर्द उन्हें ऐसे लगें, हों ज्यों हिस्सेदार ।। 

(23)

'तालिबान' अफ़ग़ान की, है भैयों की बात ।

कल फिर होंगे साथ में, सही न अब जज्बात ।। 

(24)

दधि-माखन असली मिले, जिस घर पलती गाय ।

दुग्ध कमी अब भी नहीं, निर्मित बहु मिल जाय ।।

(25)

घर-घर पलती गाय थी, अब कुत्तों का दौर ।

यों थी नदियांँ दूध की, मिले कहाँ वह ठौर ।।

(27)

कहे नहीं श्रीकृष्ण-जय, 'राम-राम' बिसराय ।

अच्छा वह लगता कहाँ, हाय कहें या बाय ।।

(28)

दूध कहाँ अच्छा लगे, पय अब विविध प्रकार ।

बचपन तक सीमित हुआ, रुचिकर नहिँ गौ-धार ।।

(29)

कोरोना से डर नहीं, जब टीका लग जाय ।

इसका मतलब यह नहीं, नियम ताक रख आय ।।

(30)

उसके दिल से पूछिए, जिसके लगती चोट ।

 पाने को इंसाफ फिर, चहिए समय व नोट ।।

(31)

समय बहुत बरवाद हो, एक न्याय में खोट ।।

 मिलता तो पर न्याय है, एक यही है ओट ।।

(32)

कुछ हैं ऐसे मामले, लें विवेक से काम ।

बोझ अदालत पर नहीं, मिले सुखद परिणाम ।।

(33)

परिवारिक, गृह भूमि के , या मोटर के वाद ।

 लोक अदालत जाइए, लघु जो वाद-विवाद ।।

(34)

 लोक अदालत से मिला, जिसको जब भी न्याय ।

 जीवन भी सुखमय बना, द्वार  अपील न जाय ।।

  (35)   

 न्याय शुल्क भी कब लगे, लगे अगर;  मिल जाय ।

 लोक अदालत ने सदा, मन के मैल मिटाय ।।

(36)

 न्याय व्यवस्था आज भी, है गौरव की बात ।

 मानव हित ही फैसला, नहीं धर्म या जात ।।

  (37)    

'अटल' विचारों को सभी , देते हैं सम्मान ।

 अटल हमारी एकता, अटल राष्ट्र अभिमान ।।

 (38)

 'अटल' सभी को साधते, करते सबसे प्यार ।

 उनके स्वप्नों को करें, मिलकर सब साकार ।।

(39)

  भारत रत्नम् 'अटल' जी,राजधर्म के साथ ।

  सत्य, वचन, जनभावना, खेले उनके हाथ ‌।।

(40)

 अटल रखा विश्वास है, अटल रखी है बात ।

  अटल राष्ट्र के हित रहे, अटल रखी थी मात ।।

  

✍️ राम किशोर वर्मा, रामपुर ,उ०प्र०, भारत


शनिवार, 31 जुलाई 2021

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार रामकिशोर वर्मा के मुंशी प्रेमचंद जयंती पर दोहे-----



उर्दू को लेकर चले, हिंदी मन को भाय ।

दीन-दुखी का दर्द लिख, मुंशी सब पर छाय ।। 1 ।।


कहानी-उपन्यास में, प्रेमचंद का नाम ।

उनके लेखन को सदा, शत-शत करूँ प्रणाम ।। 2 ।।


"गोदान" ज़रा देखिए, "गुल्ली डंडा" खेल ।

"नमक-दरोगा" क्या लिखा, "ईदगाह" बे-मेल ।। 3 ।।


"पूस-रात" की बात हो, कहें "गबन" का दर्द । 

 या "दो बैलों की कथा", मुंशीजी हमदर्द ।। 4 ।।


साहित्यिक इतिहास में, लेखन है बेजोड़ ।

प्रेमचंद मुंशी हुए, नहिँ है जिनका तोड़ ।। 5 ।।

✍️ राम किशोर वर्मा, रामपुर (उ०प्र०), भारत


शुक्रवार, 16 जुलाई 2021

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार रामकिशोर वर्मा की लघुकथा ---- शोषण

     


"निजी क्षेत्रों के स्कूल-कॉलेज, लघु उद्योग, कारखाने, बैंक, मॉल, नैट वर्किंग, मनोरंजन के अनेक क्षेत्र, भवन निर्माण आदि  या कृषि से जुड़े सभी मालिकान  के कारण ही लोगों को रोज़गार मिला हुआ है । इससे ही लोगों का जीवनयापन हो रहा है अन्यथा सरकार किस-किस का प्रबंध कर सकती है?" -- प्रश्नभरे अंदाज़ में अनुपम ने श्रेयांश को बताया ।

  तभी श्रेयांस ने भी प्रश्नवाचक चिन्ह लगा ही दिया--"जिन सरकारी क्षेत्रों में लोग अपना जीवनयापन कर रहे हैं; वे सभी सुखी हैं । काम के घंटे नियत हैं ।समय पर वेतन मिलता है । अच्छा काम करने वाला उन्नति पाता है और मक्कार को अवनति मिलती है । यह चिंता भी नहीं रहती कि कब रोजी-रोटी हाथ से चला जाये? और निजी क्षेत्रों वाले मालिकान रोजगार देने के नाम पर केवल शोषण करते हैं । कर्मचारी के काम पर आने का समय नियत है पर काम समाप्त करके कब घर जायेगा; कुछ पता नहीं । वेतन के नाम पर पूरा पारिश्रमिक नहीं देते । मनमानी रकम पर काम पर रखते हैं क्योंकि वह जानते हैं कि बेरोजगारी अधिक है । उतने पैसे नहीं देते जितना खून चूस लेते हैं । वे उसका अनुचित लाभ उठाते हैं । अवकाश नहीं देते ।"                             ‌    अपनी बात को जारी रखते हुए श्रेयांश ने कहा-- "यही सत्यता है अनुपम जी । रोजगार सरकार का ही अच्छा है । निजी क्षेत्र के लोगों ने ही सरकारी सेवकों को बुरा बना रखा है ‌। यही लोग इन्हें बिगाड़ते हैं । अपना काम जल्दी करवाने के चक्कर में तरह-तरह के लालच देते हैं और फिर बुरा कहते हैं । हाँ, सरकार को हर क्षेत्र में सरकारीकरण पर बल देना चाहिए । नहीं तो नियम ऐसे बनाये जायें जिसे निजी क्षेत्र के मालिकान सरकार की तरह अपने कर्मचारियों को सभी सुविधाएं उपलब्ध करायें ।"

अब अनुपम चुप रह कर श्रेयांश की बातों को गंभीरता से ले रहा था ।

 ✍️ राम किशोर वर्मा,रामपुर (उ०प्र०)


बुधवार, 20 जनवरी 2021

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार रामकिशोर वर्मा की लघुकथा ----लेखन -एक नशा

       


         " तुम्हें तो चौबीस घंटे लेखन का नशा चढ़ा रहता है । आज कविता लिखनी है तो कल लघुकथा ।" -- पत्नी ने कुणाल से कहा-- "घर के कई काम पड़े हैं । आज नहीं, कल करूंगा । रटा-रटाया वाक्य दोहराते रहते हो । कब आयेगा वह कल? इससे नहीं कटेगी जिंदगी। दिनभर कमरे में पड़े रहते हो । न कहीं आना न जाना । समाज से कट गये हो । भरते रहो मोबाइल पर लिख-लिखकर । कुछ मिल रहा है इससे? कान पर जूंँ नहीं रेंगती कहने पर ।"

    एक जोर के झटके से कमरे का किबाड़ बन्द कर के पत्नी आंँगन में तेज कदमों से चली गई ।

✍️राम किशोर वर्मा, रामपुर

       

गुरुवार, 5 नवंबर 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार रामकिशोर वर्मा की लघुकथा ----- चरित्र

 


"आज का युवा वर्ग वालीबुड के नायक/नायिकाओं को अपना आदर्श मानता है ।" -- मीता ने रीता से कहा --"अपनी मूवी के द्वारा लिखे हुए संवाद बोलकर अभिनय के द्वारा जनता पर छा जाते हैं और युवा वर्ग उन पर गर्व करने लगता है ।"

   तभी रीता बीच में ही उसकी बात काटकर बोली --"मगर उनका वास्तविक चरित्र देखा है । पर्दे पर कुछ और है तथा वास्तविक जीवन में कुछ और ही हैं । पैसे और शौहरत के कारण बुरे व्यसन भी इनमें मिलेंगे ।  पर सभी एक से नहीं है । पता भी है ?"

    "हांँ, यह बात तो रीता तेरी सही है ।"--कहते हुए मीता ने अपना कथन जारी रखा --"हमारे वास्तविक नायक/नायिकायें तो हमारे देश के रक्षक हैं, वैज्ञानिक हैं । उनका चरित्र देखिए।"

   रीता ने कहा -- "सही बात है मीता । युवा वर्ग के वास्तविक आदर्श अपने उत्तम चरित्र के कारण हमारे देश के रक्षक और वैज्ञानिक-डॉक्टर हैं ।" 

✍️राम किशोर वर्मा, रामपुर

        

बुधवार, 21 अक्तूबर 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार रामकिशोर वर्मा की लघुकथा ------ वेदना से रंजना


श्रीमती कुंती ने अपनी सहेली श्रीमती वंदना से मोबाइल पर पूंँछा - "मुझे आज एक कहानी दिये गये शीर्षक "वेदना से रंजना" पर लिखनी है। कुछ बता न !"

    श्रीमती वंदना ने कहा -- "नारी का जीवन ही 'वेदना से रंजना' है। लड़की का विवाह के समय मां-बाप से बिछुड़ना 'वेदना' है पर ससुराल का पाना 'रंजना' है । हर स्त्री को बच्चे की चाहत 'रंजना' है और उसे जन्म देना 'वेदना' । खेल और अभिनय में स्वयं को स्थापित करने हेतु अनेक 'वेदनाओं' से गुजरना पड़ता है पर उसके बाद वही 'वेदनायें' 'रंजना' में बदल जाती हैं। बस! ऐसे ही बहुत से विषय हैं स्त्रियों के । उनपर कलम चला।"

   "नहीं-नहीं" --श्रीमती कुंती ने कहा -- "कुछ अलग सा नया विषय दें। यह सब पुराने हो गये।"

     श्रीमती वंदना बोली --"कोरोना पर लिख न ! कोरोना ने जहां जीना दूभर कर दिया है वहीं जीने के लिए पर्यावरण व जल -वायु शुद्ध कर दिया है । पृथ्वी का कंपन कम हो गया है। भौतिकवाद से हटकर आदमी अध्यात्म की ओर लौटा है । बाजारवाद से हटकर घर-घर महिलाओं ने नये-नये व्यंजन बनाना सीख लिया है। जिंदगी की भाग-दौड़ में अब लोगों को परिवार के साथ रहने का अवसर मिला है। कुछ समय के लिए जीवन में शकून लौटा है । चोरी-डकैती बंद हो गयी हैं ‌।लोगों की बीमारी जैसे गायब हो गई है।"

  श्रीमती कुंती ने बीच में ही कहा --"बस वंदना ! कोरोना का विषय ही सही है । मैं इसी पर लिखती हूं।"

    "थैंक्स ए लॉट" -- कहकर श्रीमती कुंती ने मोबाइल कट कर दिया ।

✍️राम किशोर वर्मा, रामपुर

         

बुधवार, 14 अक्तूबर 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार राम किशोर वर्मा की लघुकथा-----मी टू


     "चंदू यह 'मी टू' क्या है?"- -लल्लू ने भोलेपन में मालूम किया ।

     "आजकल टी वी वाले बहुत दिखा रहे हैं ।" -- कहते हुए चंदू ने बताया --"ऐसा कानून जिसमें महिला ने अपने हित के लिए किसी पुरूष से अनैतिक शारीरिक संबंध बना लिये हों और तब अपना मुंँह बंद रखा हो । जिसकी शिकायत पुलिस में कई वर्ष बाद भी की जा सकती हो ।"

   लल्लू ने आश्चर्य से कहा -- "महिला ने तब शिकायत क्यों नहीं की ? जबकि महिलाओं के हित में अनेक कानून हैं। फिर कानून में हर शिकायत की समय सीमा भी तय की हुई है । यह कैसा 'मी टू' ?"

     चंदू हंस दिया -- "यह कानून बड़े लोगों के लिए है ।"

✍️राम किशोर वर्मा, रामपुर

        




गुरुवार, 17 सितंबर 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार राम किशोर वर्मा की लघुकथा-------शुद्ध दूध



     "दूध में आजकल बहुत अजीब सा स्वाद आ रहा है ।" - दूधवाले से दूध लेते हुए बशीर ने कहा - "कैमिकल का बना हुआ ला रहे हो क्या ?"
    "नहीं साहब " - कहते हुए दूधवाला बोला - "गर्मी बहुत है। भैंस दूध कम दे रही है।"
     बशीर के पड़ौसी समीर यह वार्ता सुन रहे थे । वह बोले - "इसीलिए बशीर भाई मैं तो डेयरी से सामने का दूहा हुआ भैंस का ताजा शुद्ध दूध लाता हूं । पर वह भी भैंस के इंजेक्शन लगाकर दूध दुहता है ।"
   बशीर ने समीर से कहा - " फिर वह भी शुद्ध कहांँ रहा? इंजेक्शन का धीमा ज़हर तो मिल ही गया ।दूधियों की भी मजबूरी है । वह कहाँ से मांँग पूरी करें ? आदमियों की जनसंख्या बढ़ रही है और आदमी ही भैंसों की संख्या कम करने पर तुला है।"
     
राम किशोर वर्मा
रामपुर

शुक्रवार, 11 सितंबर 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार रामकिशोर वर्मा की रचना


अक्षर जिसके वैज्ञानिक हैं, शब्द उच्चारण भी शुद्ध ‌।
जो लिखते हैं,वही पढ़ें हैं; पढ़े़ं वही, लिखा जो शुद्ध ।।
ऐसी हिन्दी सबकी प्यारी, हर घर की  यह फुलवारी ‌।
सब जाने हैं; सब समझे हैं; इसीलिए सबसे न्यारी ।।
हिन्दी गीत सभी को भाते, पिक्चर-टी वी से नाते ।
मोबाइल या लैपटॉप हो, नैट तलक  हिन्दी पाते ।।
शब्दकोष है इतना विस्तृत, यहां सब शब्द मिल जाते ।
यांत्रिकी कानून कोई हो, हिन्दी में सब पढ़ पाते ।।
मुल्क दूसरों को भी देखो, निज भाषा  बढ़ते जाते ।
अपनी भाषा के प्रयोग से,समझ लेत अरु समझाते ।।
राज्य की भाषा बहु दिनों से, निज भाषा राष्ट्र बताते ।
इच्छाशक्ति की है जरूरत, हिन्दी ध्वज जग लहराते ।।

✍️ राम किशोर वर्मा
     रामपुर