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सोमवार, 20 अक्टूबर 2025

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा की साहित्यकार शशि त्यागी के दस दोहे ...


दीपक  राह  निहारते,  है   अँधियारी  रात।

सबसे पहले सुमर लें,गणपति जी की बात।।1।।


अंतर्मन गणपति बसा, जीमे  छप्पन  भोग।

मोदक  सोहे  हाथ  में, कैसा  शुभ  संयोग।।2।।


राम चरित मानस भला,सु रचित तुलसी संत।

जन -मन की पीड़ा हरे, करें  कष्ट  का  अंत।।3।।


इस  अंधेरी  रात  में,  दीप  दिखाता  राह।

सुमिरन हो श्री राम का, कष्टों का  हो  दाह।।4।।


श्वास -श्वास में  राम  हैं, तन में  मन में  राम।

हर पल मन यह गा रहा,राम नाम अविराम।।5।।


राम नाम  विश्वास  है, सुमिरन  का  आधार।

राम नाम  की  नाव से, भव सागर  हो पार।।6।।


दीप कहो दीपक कहो, या कहो शुभ चिराग।

उर  सदा  उल्लसित  रहे, गूंँजे  जीवन  राग।।7।।


सूनि   देहरी   साजते, जलते   बाती   तेल।

जलते दीपक कह रहे,बिछड़ों का हो मेल।।8।।


पिता तुल्य इह लोक में, अन्य नहीं इनसान।

हर बालक के मन बसा, यथा होत भगवान।।9।।


सारी  धरती  गेह   है, अंबर  तक  फैलाव।

मानवता  अपनाइए, तब ही  होत  लगाव।।10।।

✍️शशि त्यागी 

अमरोहा

उत्तर प्रदेश, भारत

शुक्रवार, 25 अगस्त 2023

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा की साहित्यकार शशि त्यागी के दस दोहे ....


सकल जगत में मच रही,भारत की है धूम।

चंदामामा    आपके,      घर आएँगे   घूम।।1।।


ध्वज चंदा पर गाड़ कर ,भारत बना विशेष।

अंतरिक्ष की   दौड़ में,   बना   अग्रणी देश।।2।।


नित-नित भारत गढ़ रहा,नए -नए प्रतिमान।

मुग्ध-मग्न हो भज रहा,  नित्य राम ही राम।।3।।


एक ओर   आदित्य हैं,    दूजी ओर प्रज्ञान।

तुला  सरीखे   तोल लो,   ज्ञान और विज्ञान।।4।।


आज विश्व है  देखता,नित भारत की ओर ।

प्रज्ञा  भारत  में भरी,  जिसका ओर न छोर।।5।।


वर्षों रही   निहारती,  धरा   चाँद को  ओर।

मिलना कैसे  हो भला,  रहते हो   उस छोर।।6।।


चंदा मामा ने   दिया,   बहना    को  संदेश।

तेरे  आने  पर   बनूँ,    मैं  भी   यहाँ  विशेष।।7।।


राखी ले बहना चली,लिए मिलन की आस।

अँखियों में आशा भरी,  और  हृदय विश्वास।।8।।


बाँह पसारे था खड़ा,  पथ को रहा   निहार।

रोली-राखी  हो सजी,  भगिनी  मिले  दुलार।।9।।


राखी बाँधी  हाथ में,  आशिष दिया  विशेष।

अग्रिम है  शुभकामना, मंगल  मिले  अशेष।।10।।

✍️शशि त्यागी

अमरोहा

उत्तर प्रदेश, भारत

सोमवार, 2 मई 2022

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा की साहित्यकार शशि त्यागी की रचना ---- धरा पे सब कुछ धरा रहेगा हंस तेरा उड़ जाएगा


 बस इतना तू जान ले प्राणी 

संग न कुछ भी जाएगा

धरा पे सब कुछ धरा रहेगा 

हंस तेरा उड़ जाएगा ।

नाव पुरानी जरजर काया 

कब तक तू बह पाएगा 

बाहर भीतर बहे है लावा

कब तक तू सह पाएगा

इस दुनिया के छोड़ के धंधे

राम नाम गुन गाए जा

धरा पे सब कुछ धरा रहेगा

हंस  तेरा उड़ जाएगा

उगता सूरज बहती नदिया

उपवन रोज सजाएगा

मगन फकीर श्वास हठीला

निशिदिन झांझ बजाएगा

मोह माया को छोड़ दे बंदे

राम नाम गुन गाए जा

धरा पे सब कुछ धरा रहेगा

हंस तेरा उड़ जाएगा

✍️ शशि त्यागी

अमरोहा