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रविवार, 16 मार्च 2025

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ आर सी शुक्ल की काव्य कृति ....एक छोटा आदमी बड़ा हो ही नहीं सकता की राजीव सक्सेना द्वारा की गई समीक्षा ....कविताओं के जरिए बिखरे सामाजिक यथार्थ की पड़ताल

 पुरुष कितना भी बड़ा हो जाये

  स्त्री से छोटा ही रहेगा

  स्त्री उसकी माँ है .....

  इन कालजयी पंक्तियों के रचनाकार हैं मुरादाबाद  के वरिष्ठ कवि -   डॉ राजेश चन्द्र शुक्ल। हिंदी -अंग्रेजी में अनक़रीब बीस कविता संग्रहों के  रचनाकार  शुक्ल जी केवल पीतल नगरी के ही नहीं बल्कि देश के उन चुनिंदा कवियों में से हैं जो अपने विशद रचनाकर्म के जरिये एक बड़े कैनवास पर 'यथार्थ की रचना  और पुनर्रचना ' करते हैं। इसका जीवंत प्रमाण है उनका सद्य प्रकाशित कविता संकलन --'एक छोटा आदमी कभी बड़ा हो ही नहीं सकता'

  संकलन की कविताओं में शुक्ल जी एक 'जेनुइन' अथवा खाँटी कवि के तौर पर हमारे आसपास के यानी समाज के बिखरे हुए और प्रायः अनचीन्हे यथार्थ की व्यापकता और गहनता से  ही नहीं बल्कि क्वांटम स्तर पड़ताल करते हैं। दरअसल,कविता केवल यथार्थ की पड़ताल ही नहीं हैं बल्कि उसकी रचना और पुनर्रचना भी है।प्रस्तुत संकलन  में  सर्वत्र यही प्रयत्न कवि शुक्ल जी ने पूरी ईमानदारी से किया है। तभी उन्होंने  अपनी अधिकांश कविताओं के विम्ब अपने आसपास के परिवेश और सामान्य जनजीवन से उठाए हैं।प्रस्तुत संकलन की कविताओं के विम्ब और विषय किसी वायवी या रहस्यलोक की सृष्टि नहीं है बल्कि हमारे सामने के यथार्थलोक की सृष्टि ही अधिक हैं। संकलन की भूमिका में कवि शुक्ल जी स्वयं कहते हैं --"कवि के रूप में मैंने चील की तरह ऊँचे आकाश में उड़ने का प्रयास कभी नहीं किया है..."

  कवि शुक्ल कविता संकलन की एक कविता में समाज की विसंगतियों , विद्रूपों  और मनुष्य की नियति पर निर्ममतापूर्वक प्रहार करते हुए कहते हैं --

 कथावाचक खूब सुनाते हैं ऐसी कहानियां

 कि पूजा --पाठ करने से

बदल सकती है आदमी की हैसियत

किन्तु यह सच नहीं है

अंधविश्वासों की मदिरा 

पिलाई जा रही है गरीबों को सदियों से....

  संकलन की संभवतया सबसे तीखी कविता--'रिक्शावाला ' में शुक्ल जी एक विचलित कर देने वाले यथार्थ को उद्घाटित करते हुए कहते हैं--

  तुम हर वक्त

  जूझते रहते हो ऐसे प्रश्नों से

  जिनका कोई हल

  नहीं है तुम्हारे पास

  रिक्शावाला प्रश्न नहीं करता

  किसी मुसीबत के आने पर .....

  अगर कवि शुक्ल जी ने निरंतर क्षरणशील समाज और उसके छिन्न -भिन्न  हो रहे ताने -बाने को अपनी कविताओं का विषय बनाया है तो  अपनी स्त्री विषयक कविताओं में'पछाड़ खाती स्त्री ' को  एक नए आलोक और जीवन संदर्भों के परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत कर स्त्री विमर्श और उसकी मूल संवेदना की अनदेखी भी नहीं की है।स्त्री को लेकर कवि शुक्ल जी ने सचमुच अनूठे विम्ब रचे हैं।

  कभी कथाकार राजेन्द्र यादव ने 'कविता के अंत ' की घोषणा की थी किन्तु प्रभात प्रकाशन प्रकाशन बरेली से प्रकाशित कवि राजेश चन्द्र शुक्ल का यह कविता संकलन न केवल कविता की जययात्रा में सृजनात्मकता के नए प्रस्थान बिंदु उपस्थित करता है अपितु कविता में एक आम पाठक की रुचि और उसके विश्वास को भी  बहाल करता है।कुछ नया पढ़ने और  कुछ क्षण ठहरकर सोचने की दृष्टि से यह काव्य संकलन  पाठकों को निराश नहीं करेगा।



कृति :  एक छोटा आदमी बड़ा हो ही नहीं सकता (काव्य संग्रह)

कवि : आर सी शुक्ल

प्रकाशन वर्ष : 2024

मूल्य : 550₹ 

प्रकाशक : प्रकाश बुक डिपो, बड़ा बाजार, बरेली 243003 

समीक्षक: राजीव सक्सेना, डिप्टी गंज, मुरादाबाद 244001,उत्तर प्रदेश,भारत। मोबाइल फोन नंबर 94126 77565 ई - मेल -rajjeevsaxenaa @ gmail.com

मंगलवार, 16 अप्रैल 2024

मुरादाबाद मंडल के साहित्य के प्रसार एवं संरक्षण को पूर्ण रूप से समर्पित संस्था साहित्यिक मुरादाबाद की ओर से 14 अप्रैल 2024 को आयोजित समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. आर. सी. शुक्ल की काव्य कृतियों व समीक्षात्मक ग्रंथ का लोकार्पण तथा साहित्यकारों डॉ ओम निश्चल, डॉ राहुल और केशव मोहन पाण्डेय को किया गया सम्मानित

  मुरादाबाद मंडल के साहित्य के प्रसार एवं संरक्षण को पूर्ण रूप से समर्पित संस्था साहित्यिक मुरादाबाद की ओर से रविवार 14 अप्रैल 2024 को आयोजित समारोह में अंग्रेजी एवं हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. आर. सी. शुक्ल की दो काव्य कृतियों न तुम पुण्य थे न मैं पाप था और ...लेकिन तुम अमृता नहीं बन पाईं  तथा डॉ. राहुल की कृति ’समकालीन हिन्दी कविता और राजेश चन्द्र शुक्ल' का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर  नई दिल्ली के प्रख्यात साहित्यकारों डॉ. ओम निश्चल, डॉ. राहुल और केशव मोहन पाण्डेय को श्रेष्ठ साहित्य साधक सम्मान 2024 से सम्मानित भी किया गया। संस्था की ओर से उन्हें मान पत्र और अंग वस्त्र प्रदान किया गया। संयोजक डॉ. मनोज रस्तोगी ने संस्था की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला । इस अवसर पर सर्व भाषा ट्रस्ट प्रकाशन की ओर से पुस्तक प्रदर्शनी भी लगाई गई।

  रामगंगा विहार स्थित एमआईटी के सभागार में हुए इस समारोह का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन एवं  डॉ. पूनम बंसल द्वारा प्रस्तुत माॅं सरस्वती की वंदना से हुआ। कार्यक्रम के प्रथम सत्र की अध्यक्षता करते हुए एमआईटी के चेयरमैन सुधीर गुप्ता एडवोकेट ने कहा - डॉ. शुक्ल की रचनाओं के केन्द्र में आध्यात्म और दर्शन का समावेश देखने को मिलता है। कार्यक्रम के दूसरे सत्र  की अध्यक्षता करते हुए दयानंद आर्य कन्या महा विद्यालय के प्रबंधक उमा कांत गुप्ता ने कहा कि शुक्ल जी के साहित्य में संवेदनाओं का दर्शन स्पष्ट रूप से होता है। 

    मुख्य अभ्यागत प्रख्यात साहित्यकार डॉ ओम निश्चल का कहना था - आर.सी. शुक्ल की कविता मितभाषी नहीं है, वह विस्तारवादी है, भाग्यवादी है। वह सांसारिकता के गान में निमग्न लगती है। उसके भीतर कथोपकथन हैं, संवाद हैं, एकालाप है, जीवन, समाज, संसार, स्वार्थ, प्रेम और विरक्ति सब कुछ का अवगाहन है। 

   विशिष्ट अभ्यागत के रूप में मनस्वी साहित्यकार डॉ राहुल ने कहा कि डॉ. शुक्ल की कविताओं में कलावादी रुझान है तो सामाजिक चेतना भी है। बौद्धिकता है तो नव-स्वच्छन्दवाद भी है। इन प्रवृत्तियों के बीच जीवन का संघर्ष है, जद्दोजहद है, उठा-पटक है और इन सबसे परे एक आत्मिक दृष्टि और संवेदना है-प्रेम और सौन्दर्य की अनुभूति का स्वरूप लिए।

विशिष्ट अभ्यागत अंतर्राष्ट्रीय साहित्य कला मंच के अध्यक्ष डॉ. महेश दिवाकर ने कहा - वे न केवल हिन्दी बल्कि अंग्रेजी के भी एक समर्थ कवि हैं। उनकी रचनाओं में स्त्री का मनोवैज्ञानिक यथार्थ परिलक्षित होता है। 

   विशिष्ट अभ्यागत सर्वभाषा ट्रस्ट प्रकाशन के निदेशक केशव मोहन पाण्डेय का कहना था कि डॉ. शुक्ल समकालीन कविता के एक सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनकी रचनाओं को किसी वाद की सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता वे जीवन की सहज अनुभूतियां हैं। 

साहित्यकार राजीव सक्सेना ने कहा कि डॉ. शुक्ल ने अपनी कविताओं में अपने समय और समाज का यथार्थ चित्रण किया है। वे कविता में यथार्थ की खोज करते हैं।इसके बरक्स वे प्रेम की व्यापकता के भी कवि हैं।  

स्वदेश भटनागर ने कहा कि उनकी कविताएँ यथार्थ का सिर्फ सामाजिक ,राजनीतिक और आर्थिक पहलू ही नहीं देखती, बल्कि इनके बीच एक आत्मिक आध्यात्मिक यथार्थ की जगह को परिभाषित भी करती हैं। उनकी कविता जीवन, जीवनमूल्यों, और कविता की उपस्थिति की ताकत में गहरा भरोसा करती हैं। 

   डॉ. सुधीर अरोरा ने कहा - उनकी कविताएं यथार्थ चित्रण प्रस्तुत करती हुई जीवन के विभिन्न आयामों से परिचय कराकर भाव और विचारों का संगम के साथ अनुभूति - अभिव्यक्ति की लय से पाठकों के हृदय में अपना निश्चित स्थान सरलता से बना लेती हैं। 

   युवा साहित्यकार राजीव प्रखर ने कहा - डॉ. शुक्ल एक ऐसे अद्भुत रचनाकार हैं जिन्हें हम जितना पढ़ते व आत्मसात् करते जाएंगे, उतना ही जीवन की वास्तविकताओं से हमारा साक्षात्कार होता जाएगा। 

  डॉ. आर. सी. शुक्ल ने अपनी कई कविताएं प्रस्तुत की। मयंक शर्मा ने उनका गीत प्रस्तुत किया। योगेंद्र कुमार, विवेक निर्मल, फक्कड़ मुरादाबादी और राम दत्त द्विवेदी ने उनकी साहित्य सृजन यात्रा पर प्रकाश डाला। 

    संयोजक डॉ. मनोज रस्तोगी के  संचालन में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य रूप से मीनाक्षी ठाकुर, शिखा रस्तोगी, अभिव्यक्ति सिन्हा, श्रीकृष्ण शुक्ल,वीरेंद्र सिंह बृजवासी,काले सिंह साल्टा, मनोज मनु, अशोक विद्रोही, अशोक विश्नोई, राशिद हुसैन, हेमा तिवारी भट्ट, धवल दीक्षित, मौ. हनीफ, डॉ. राकेश चक्र, उदय प्रकाश उदय, ज़हीर राही, डॉ. कृष्ण कुमार नाज़, राम सिंह निशंक, रघुराज सिंह निश्चल, पूजा राणा, विपिन विश्नोई,अशोक बाबा आदि साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे। आभार-अभिव्यक्ति योगेंद्र कुमार द्वारा की गयी।