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सोमवार, 19 फ़रवरी 2024

यादगार आयोजन : वाट्स ऍप पर संचालित साहित्यिक मुरादाबाद समूह में 19 फरवरी 2017 को आयोजित 33 वें वाट्स ऍप कविसम्मेलन एवं मुशायरे में शामिल रचनाकारों की रचनाएं उन्हीं की हस्तलिपि में

 वाट्स ऍप पर संचालित  साहित्यिक मुरादाबाद समूह में रविवार 19 फरवरी 2017 को 33 वां वाट्स ऍप कविसम्मेलन और मुशायरा  राजीव प्रखर के कुशल संचालन में आयोजित हुआ । इस आयोजन में 27 रचनाकार सर्वश्री सूर्यकांत द्विवेदी,  विवेक प्रजापति, डॉ मुजाहिद फराज , डॉ ममता सिंह, डॉ मृड़ीक व्रतेश, डॉ माधव शर्मा, ओंकार सिंह विवेक, कंचन खन्ना, मंगला रस्तोगी, योगेंद्र वर्मा व्योम, डॉ एस पी सागर, अनवर कैफ़ी, डॉ अर्चना गुप्ता,  राकिम मुरादाबादी,  अमितोष शर्मा,  मंगलेश लता यादव,   डॉ रीता सिंह, डॉ देव शर्मा,  हेमा तिवारी भट्ट,  डॉ मीना नकवी, राजीव प्रखर, राम किशोर वर्मा, जितेंद्र कमल आनंद,  मोनिका शर्मा मासूम, अनुराग रुहेला,श्री कृष्ण शुक्ल  और मैं डॉ मनोज रस्तोगी शामिल हुए ।अध्यक्षता मैंने डॉ मनोज रस्तोगी ने की । प्रस्तुत हैं शामिल रचनाकारों की रचनाएं उन्हीं की हस्तलिपि में  ..…....

























::::::प्रस्तुति :::;;;;

डॉ मनोज रस्तोगी

8, जीलाल स्ट्रीट

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल फ़ोन नंबर 9456687822



मंगलवार, 26 सितंबर 2023

वाट्स एप पर संचालित समूह साहित्यिक मुरादाबाद में सात साल पहले 25 सितंबर 2016 को आयोजित 12 वां हस्तलिपि कवि सम्मेलन और मुशायरा

वाट्स एप पर संचालित समूह साहित्यिक मुरादाबाद में वर्ष 2016 से प्रत्येक रविवार को हस्त लिपि वाट्स एप कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन निरंतर चल रहा है। इस आयोजन में रचनाकार कागज पर अपनी हस्तलिपि  में रचना लिखते हैं, अपने हस्ताक्षर करते हैं, नाम , पता और मोबाइल फोन नंबर  लिखकर एक कोने में अपना चित्र चिपकाकर उसका चित्र समूह में साझा करते हैं । रविवार 25 सितम्बर 2016 को हमने 12 वां आयोजन किया था ।  इस आयोजन में 19 साहित्यकारों   सर्वश्री राजीव प्रखर जी, योगेन्द्र वर्मा व्योम जी,  डॉ मीना नकवी जी, जिया जमीर जी, डॉ रीता सिंह जी , मनीषा चड्डा जी, मनोज मनु जी, अनवर कैफ़ी जी, मंगलेश लता यादव जी, डॉ एस पी सागर जी वीरेंद्र सिंह बृजवासी जी, डॉ ममता सिंह जी, प्रदीप शर्मा जी,  डॉ अर्चना गुप्ता जी,हेमा तिवारी भट्ट जी, संयम वत्स जी, डॉ वंदना पाण्डेय जी, मृडीक व्रतेश जी और मैंने डॉ मनोज रस्तोगी ने अपनी हस्तलिपि में रचनाएं साझा की थीं ।प्रस्तुत हैं साझा की गईं रचनाएं उन्हीं की हस्तलिपि में ..... । 





















:::::प्रस्तुति:::::::

डॉ मनोज रस्तोगी

8, जीलाल स्ट्रीट

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल फोन नंबर 9456687822 


बुधवार, 22 जुलाई 2020

यादगार आयोजन :मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था ‘अक्षरा’ के तत्वावधान में शनिवार 22 जुलाई 2017 को नवगीतकार माहेश्वर तिवारी की सृजन-यात्रा के साठ वर्ष पूर्ण होने के परिप्रेक्ष्य में ‘सम्मान समारोह एवं पावस-राग’ का आयोजन

 मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था ‘अक्षरा’ के तत्वावधान में शनिवार 22 जुलाई 2017 को नवीन नगर स्थित ‘हरसिंगार’ भवन में नवगीतकार माहेश्वर तिवारी की सृजन-यात्रा के साठ वर्ष पूर्ण होने के परिप्रेक्ष्य में ‘सम्मान समारोह एवं पावस-राग’ के रूप में मनाया गया जिसमें देहरादून से पधारे सुविख्यात साहित्यकार एवं चर्चित साहित्यिक पत्रिका ‘कविकुम्भ’ के यशस्वी संपादक श्री जयप्रकाश त्रिपाठी एवं कवयित्री श्रीमति रंजीता सिंह के मुख्य आतिथ्य में लखनऊ से पधारे वरिष्ठ नवगीतकार मधुकर अष्ठाना को प्रतीक चिन्ह, मानपत्र, अंगवस्त्र, सम्मान राशि व श्रीफल नारियल भेंटकर ‘‘माहेश्वर तिवारी नवगीत सृजन-सम्मान’’ से सम्मानित किया गया।

     कार्यक्रम का शुभारंभ सुप्रसिद्ध संगीतज्ञा बालसुन्दरी तिवारी द्वारा लिखित एवं संगीतवद्ध सरस्वती वंदना- ‘शारदे माँ शारदे माँ, ज्ञान का वरदान दे माँ/ज्योति की सरिता बहा दे, नवसृजन का दान दे माँ’ की सुमधुर संगीतमय प्रस्तुति से हुआ। तत्पश्चात कार्यक्रम में उपस्थित स्थानीय एवं अतिथि साहित्यकारों ने माहेश्वर तिवारी के रचनाकर्म की 6 दशक लम्बी स्वर्णिम यात्रा पूर्ण होने पर उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर भिन्न-भिन्न दृष्टिकोणों से चर्चा करते हुए बधाई दी। साहित्यिक संस्था ‘अक्षरा’ के संयोजक  योगेन्द्र वर्मा ‘व्योम’ ने कार्यक्रम के संदर्भ में अपने वक्तव्य में कहा कि-‘मुरादाबाद के साहित्यिक पर्याय श्रद्धेय दादा तिवारी जी की सृजन-यात्रा के साठ वर्ष पूर्ण होना एक बड़ी उपलब्धि है, इसी परिप्रेक्ष्य में गतवर्ष भी वरिष्ठ रचनाकार डॉ0 राजेन्द्र गौतम(नई दिल्ली), श्री यश मालवीय (इलाहाबाद), जयकृष्ण राय तुषार(इलाहाबाद), हरिपाल त्यागी(नई दिल्ली) एवं  ब्रजभूषण सिंह गौतम ‘अनुराग’(मुरादाबाद) को सम्मानित किया गया था। इस वर्ष लखनऊ निवासी नवगीत के बड़े हस्ताक्षर मधुकर अष्ठाना को उनके दीर्घ एवं उल्लेखनीय सृजन के लिए सम्मानित किया जा रहा है।’

इसके पश्चात कार्यक्रम में उपस्थित अतिथि साहित्यकारों एवं स्थानीय साहित्यकारों द्वारा चर्चित साहित्यिक पत्रिका ‘कविकुंभ’ के जुलाई, 2017 अंक का भव्य लोकार्पण किया गया। पत्रिका की संपादक रंजीता सिंह ने इस अवसर पर पत्रिका के संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि ‘कविकुंभ पत्रिका अपनी तरह की अलग साहित्यिक पत्रिका है जिसमें समसामयिक साहित्यिक संदर्भों पर प्रतिष्ठित साहित्यकारों से गंभीर विमर्श भी है और स्थापित व नवोदित रचनाकारों की महत्वपूर्ण कविताएं भी हैं। कविकुंभ पत्रिका आज के समय में एक आवश्यक साहित्यिक पत्रिका है।’

कार्यक्रम के द्वितीय सत्र-‘पावस-राग’ में सुप्रसिद्ध संगीतज्ञा बालसुन्दरी तिवारी द्वारा अपनी संगीत की छात्राओं-  संस्कृति, कशिश, साक्षी, उर्वशी, प्रीति, राशि, यश, लकी एवं तबला वादक श्री राधेश्याम की संगत में कीर्तिशेष शास्त्रीय गायिका किशोरी अमोनकर के वर्षागीत ‘ओ ! बदरा’ की प्रभावशाली प्रस्तुति के साथ-साथ माहेश्वर तिवारी जी के नवगीतों को भी संगीतवद्ध कर प्रस्तुत किया गया-

‘डबडबाई है नदी की आँख

बादल आ गए

मन हुआ जाता अँधेरा पाँख

बादल आ गए’

..........

‘बादल मेरे साथ चले हैं

परछाई जैसे

सारा का सारा जग लगता

अँगनाई जैसे’

इसके पश्चात कार्यक्रम के तृतीय सत्र में वर्षा ऋतु पर केन्द्रित काव्य-पाठ का आयोजन किया गया जिसमें उपस्थित कवियों ने समसामयिक संदर्भों के साथ-साथ वर्षा ऋतु के विभिन्न पहलुओं के चित्र भी अपनी-अपनी कविताओं में उकेरे। इस अवसर पर काव्य-पाठ करते हुए अतिथि रचनाकार लखनऊ से पधारे नवगीतकार श्री मधुकर अष्ठाना ने मुक्तक प्रस्तुत किया-

‘जल रहे हम यहाँ वर्तिका की तरह

चाहतें हो गईं द्वारिका की तरह

धार में आँसुओं की बही बाँसुरी

हम तड़पते रहे राधिका की तरह’

देहरादून (उत्तराखण्ड) से पधारे  जयप्रकाश त्रिपाठी ने काव्यपाठ प्रस्तुत किया-

‘आज सारे लोग जाने क्यों पराए लग रहे हैं

एक चेहरे पर कई चेहरे लगाए लग रहे हैं

बेबसी में क्या किसी से रोशनी की भीख माँगें

सब यहाँ बदनाम रात के साए लग रहे हैं’

देहरादून (उत्तराखण्ड) से ही पधारीं कवयित्री रंजीता सिंह ने अपनी ग़ज़ल प्रस्तुत की-

‘ज़िन्दगानी की कड़ी धूप में चलकर देखो

हाँ, ग़ज़ल और निखर जाएगी जलकर देखो

सख़्त हालात में तप जाओगे कुंदन की तरह

वक़्त की आँच पे कुछ और पिघलकर देखो’

काशीपुर (उत्तराखंड) से पधारी कवयित्री डॉ. ऋचा पाठक ने काव्यपाठ प्रस्तुत करते हुए कहा-

‘ईश्वर मुझसे हार गया

मैंने अपनी ज़िम्मेदारी

इतनी उम्र निभायी सारी

अब जब उसकी बारी आई

फौरन पलटी मार गया’

सुप्रसिद्ध नवगीतकार माहेश्वर तिवारी ने नवगीत प्रस्तुत किया-

‘खिड़की, शायद तुमने

रात खुली रहने दी

चुपके से सिरहाने तक

बादल आ गए’

सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ मक्खन मुरादाबादी ने काव्यपाठ प्रस्तुत किया-

‘सूरज पहले खुद तपता है

फिर धरती खूब तपाता है

तब जाकर के कोई बादल

ठंडक-सी लेकर आता है’

वरिष्ठ शायर डॉ. कृष्ण कुमार ‘नाज़’ ने ग़ज़ल पेश करते हुए कहा-

‘न मैं तुमको समझ पाया, न तुम मुझको समझ पाए

अधूरे ख़्वाब लेकर हम बहुत आगे निकल आए

जिसे सीने पे रखकर लोग सबकुछ भूल जाते हैं

वो पत्थर कौन-सा है, कोई हमको भी ये बतलाए


वरिष्ठ कवयित्री श्रीमति विशाखा तिवारी ने काव्यपाठ प्रस्तुत किया-


‘मेघ पल


सावनी बौछारों के साथ


जब मैं मिली पहली बार


भींग गई भीतर तक’


वरिष्ठ साहित्यकार श्री राजीव सक्सेना ने काव्यपाठ प्रस्तुत किया-


‘टूटी हैं पतवारें


दूर हैं किनारे’


अब किस पर भरोसा करें


नदी पर या नाव पर


ज़िन्दगी है दाँव पर’


नवगीतकार श्री योगेन्द्र वर्मा ‘व्योम’ ने गीत प्रस्तुत किया-


‘बारिश के परदे पर पल-पल


दृश्य बदलते हैं


कभी फिसलना, कभी संभलना


और कभी गिरना


पर कुछ को अच्छा लगता है


बन जाना हिरना


बूँदें छूने को बच्चे भी


खूब मचलते हैं’


वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अजय ‘अनुपम’ ने मुक्तक प्रस्तुत किया-


‘जो सुखद है वह सदा सुखकर नहीं होता


कर्म हरपल भाग्य का सहचर नहीं होता


प्रश्न सबका है, नहीं उत्तर किसी पर भी


चाहते हैं जो वही अक्सर नहीं होता’


वरिष्ठ शायर डॉ. स्वदेश भटनागर ने ग़ज़ल पेश की-


‘ख़ुद से ख़ुद पूछ तू पता अपना,


दूर तक ख़ुद में लापता हो जा


हो गया जिस्म तर्जुमा गुल का,


ख़ुशबुओं का तू तर्जुमा हो जा’

कवयित्री डॉ. पूनम बंसल ने काव्यपाठ प्रस्तुत किया-

‘न जिसमें प्यार हो माँ का उसे आँचल नहीं कहते

नहीं जो याद में बहता उसे काजल नहीं कहते

गरजते हैं बिना बरसे मगर जो लौट जाते हैं

जिया की प्यास भड़काए उसे बादल नहीं कहते’

वरिष्ठ साहित्यकार श्री वीरेन्द्र सिंह ‘ब्रजवासी’ ने काव्यपाठ प्रस्तुत किया-

‘गैया को मैया कहने से

कुछ सम्मान नहीं होगा

जब तक उसके खान-पान पर

सबका ध्यान नहीं होगा’

वरिष्ठ साहित्यकार श्री अशोक विश्नोई ने काव्यपाठ प्रस्तुत किया-

‘भारतवासी की अपनी इक पहचान है

अपनी सेना पर हमें अभिमान है

मत छेड़ो उड़ जाओगे

हर धड़कन तूफान है’

साहित्यकार डॉ. मनोज रस्तोगी ने काव्यपाठ प्रस्तुत किया-

‘फिर कहीं गोली चली, फिर कहीं लगी आग

सैकड़ों घरों के आज बुझने लगे चिराग

शासन से जवाब माँगती पीड़ित जनता

खोलो अपनी बंद आँखें, मत गाओ राग’

वरिष्ठ गीतकार आनंद कुमार ‘गौरव ने काव्यपाठ प्रस्तुत किया-

‘काश ऐसी कोई पहल कर दे

गीत कर दे मुझे ग़ज़ल कर दे

ज़िन्दगी से लगाव कुछ तो बने

नफ़रतें प्यार में बदल कर दे’

इसके साथ ही सर्वश्री धीरेन्द्र प्रताप सिंह, समीर तिवारी, डॉ. मीना कौल, माधुरी सिंह आदि भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अजय ‘अनुपम’ ने की तथा संचालन संस्था के संयोजक योगेन्द्र वर्मा ‘व्योम’ ने किया। आभार अभिव्यक्ति आशा तिवारी ने प्रस्तुत की।



यादगार आयोजन : मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था अक्षरा की ओर से साहित्यकार माहेश्वर तिवारी जी के जन्मदिवस 22 जुलाई 2016 को सम्मान समारोह और काव्य गोष्ठी

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था अक्षरा की ओर से साहित्यकार माहेश्वर तिवारी जी के जन्मदिवस को विशेष आयोजन के रूप में शुक्रवार 22 जुलाई 2016 को उनके निवास पर मनाया गया।  रचनाकारों की षष्ठिपूर्ति को उत्सव के रूप में मनाए जाने की परंपरा तो रही है लेकिन रचनाकर्म की षष्ठिपूर्ति को उत्सव के रूप में मनाए जाने का संभवतः यह प्रथम प्रयास था। इस अवसर पर दिल्ली से पधारे वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. राजेन्द्र गौतम व श्री हरिपाल त्यागी, इलाहाबाद से पधारे श्री यश मालवीय व श्री जयकृष्ण राय तुषार तथा मुरादाबाद से वरिष्ठ गीतकार श्री ब्रजभूषण सिंह गौतम 'अनुराग' को "माहेश्वर तिवारी नवगीत सृजन सम्मान" से सम्मानित किया जाना अभूतपूर्व रहा। इस अवसर पर युवा शायर भाई ज़िया ज़मीर ने विशेष रूप से दादा के व्यक्तित्व और कृतित्व पर केन्द्रित एक नज़्म पेश की तथा दादा को प्रेम कराकर भेंट की। इस अवसर पर सुप्रसिद्ध संगीतज्ञा श्रीमती बालसुंदरी तिवारी द्वारा दादा के चार गीत संगीतवद्ध कर प्रस्तुत किये गए। सम्मान व वक्तव्य सत्र, संगीत सत्र, पावस राग काव्य गोष्ठी सत्र के रूप में तीन सत्रों में लगभग चार घंटे तक चले आयोजन की अध्यक्षता श्री डी.पी.सिंह ने की तथा संचालन योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' व डॉ. कृष्ण कुमार 'नाज़' ने किया।

सोमवार, 1 जून 2020

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था ‘कैफ़ मैमोरियल सोसाइटी’ के तत्वावधान में नौ फरवरी 2014 को साहित्यकार डॉ मीना नकवी के छठे ग़ज़ल-संग्रह ‘जागती आँखें’ का लोकार्पण

 मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था ‘कैफ़ मैमोरियल सोसाइटी’ के तत्वावधान में नगर निगम के सभागार में  नौ फरवरी 2014 को लोकार्पण-समारोह का आयोजन हुआ जिसमें सुप्रसिद्ध शायरा डा.मीना नक़वी के छठे ग़ज़ल-संग्रह ‘जागती आँखें’ का लोकार्पण मुरादाबाद के पूर्व मेयर डा. एस.टी.हसन, मुख्य अतिथि साहित्य अकादमी म.प्र. की उप निदेशक श्रीमती नुसरत मेंहदी, डा. हसन अहमद निज़ामी, शायरा श्रीमती अलीना इतरत रिज़वी और संस्था के अध्यक्ष श्री अनवर कैफ़ी द्वारा किया गया। 

     नात-ए-पाक से आरंभ हुए लोकार्पण-समारोह में हिंदी और उर्दू के महानगर मुरादाबाद और बाहर से आए अनेक साहित्यकार- सर्वश्री गगन भारती, नासिर मंसूरी, योगेन्द्र वर्मा ‘व्योम’, अशोक विश्नोई, विवेक निर्मल, जाहिद टांडवी, डा. कृष्णकुमार ‘नाज़’, योगेन्द्रपाल सिंह विश्नोई, शबाब मैनाठेरी, उदय ‘अस्त’, विकास मुरादाबादी, राजीव सक्सेना, डा. जेबा नाज़, डा. जगदीप कुमार, शहाब मुरादाबादी आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन मशहूर शायर डा. मुज़ाहिद फराज़ ने किया।