मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम के तत्वावधान में मिलन विहार मुरादाबाद स्थित मिलन धर्मशाला में रविवार एक जून 2025 को काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ ज्ञान की देवी माॅं शारदे के चित्र पर माल्यार्पण करके किया गया। अशोक विद्रोही ने माॅं शारदे की वन्दना प्रस्तुत की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए रामदत्त द्विवेदी ने कहा ...
ख्वाब देखा है मैंने रात खुदा खैर करे,
देश के शुभ नहीं हालात खुदा खैर करे।
मुख्य अतिथि के रूप में डाॅ. महेश दिवाकर ने कहा-
मुझसे मेरा जीवन ले लो,
पर मेरा सम्मान न छीनों।
वरना मेरे स्वाभिमान की,
अग्नि तुम्हें ही झुलसा देगी।
विशिष्ट अतिथि के रूप में रघुराज सिंह निश्चल ने सुनाया-
वापिस मिलना है नहीं, पी ओ के आसान।
राज़ी से देगा नहीं, यह तो पाकिस्तान।।
विशिष्ट अतिथि डॉ. मनोज रस्तोगी ने सुनाया-
बीत गए कितने ही वर्ष,
हाथों में लिए डिग्रियां
कितनी ही बार जलीं
आशाओं की अर्थियां
आवेदन पत्र अब लगते
तेज कटारों से
कार्यक्रम का संचालन करते हुए संस्था के संगठन मंत्री डॉ. प्रशांत मिश्र ने सुनाया-
जिन्दगी एक शाम बन जाती है,
जो सवेरा होने के,
इन्तजार में ढलती जाती है
अशोक विद्रोही ने कहा-
जैसे जली स्वर्ण की लंका,
रावण का अभिमान जला।
तहस नहस आतंकी अड्डे
धूधू पाकिस्तान जला
योगेन्द्र वर्मा व्योम ने सुनाया-
सुख-दुख कैसे बँट पायें,
जब बातचीत तक मौन।
मोबाइल में बन्द हुए सब
साँकल खोले कौन।।
दिखता नई सदी में
घर-घर कैसा दृश्य अजीब।
घर की फ़ाइल में
रिश्तों के पन्ने बेतरतीब।
जितेन्द्र कुमार जौली ने कहा-
तम्बाकू का सेवन करके,
बहुत लोग मर जाते हैं।
तम्बाकू से दूर रहेंगे,
चलो कसम ये खाते हैं।।
अमर सक्सेना ने सुनाया-
सत्ता के लोभ में गुमान हों जाता है अक्सर,
याद रहे सत्ता बिना जनता के आती नहीं है।
मंगू सिंह ने सुनाया-
जाति अपनी रहो बनाके,
पर सबका सम्मान तो हो।
मानव से मानव का
कल्याण तो हो।
पदम सिंह बेचैन ने सुनाया-
मैं खो जाता हूॅं,
इस कस्बे के प्यार में इतना,
मुझसे मत पूछो
मेरा काॅंठ कैसे लगता है
संस्था के महासचिव जितेन्द्र कुमार जौली द्वारा आभार व्यक्त किया गया।
::::::प्रस्तुति:::;:;
जितेन्द्र कुमार जौली
महासचिव
हिन्दी साहित्य संगम, मुरादाबाद
सम्पर्क सूत्र : 9358854322