कहते हैं उनको सब भोले
प्रेम करे जो उस सँग होले
चुभने न दे कभी भी कंकर
क्या सखि साजन! ना सखि शंकर ।। 1।।
रात चाँदनी उसे न भाती
घोर अँधेरा रात सुहाती
घर लौटे नहीं होवे भोर
क्या सखि साजन! ना सखी चोर ।। 2।।
घंटी मैंने जभी बजाई
हैं लाइन पर व्यस्त बताई
बदले थे तभी मेरे टोन
क्या सखि साजन! ना सखी फोन ।। 3।।
फूल खिले कलियाँ मुस्कायीं
ऋतु वसंत जब से है आयी
रोज़ कर रहा वह भी दौरा
क्या सखि प्रेमी! ना सखी भौंरा ।। 4।।
खेले है वह आँख-मिचौली
गरज-गरज कर बोले बोली
लगते हैं वह नैनन काजल
क्या सखि साजन! ना सखि बादल ।। 5।।
✍️ राम किशोर वर्मा
रामपुर
उत्तर प्रदेश, भारत
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