गुरुवार, 28 मार्च 2024

मुरादाबाद के साहित्यकार मनोज वर्मा मनु का गीत ..चलो सभी मतदान करो ...उन्हीं के सुपुत्र अनंत मनु के स्वर में


 

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार रवि प्रकाश की कुंडलिया .....अपना डालें वोट सब, करिए तनिक न चूक ....


 

मुरादाबाद के साहित्यकार माहेश्वर तिवारी का गीत .... मतदान जरूरी है


सोमवार, 25 मार्च 2024

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था 'हस्ताक्षर' की ओर से 23 मार्च 2024 शनिवार को योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' के दोहा-संग्रह 'उगें हरे संवाद' का लोकार्पण एवं काव्य गोष्ठी आयोजित

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था 'हस्ताक्षर' की ओर से नवगीतकार माहेश्वर तिवारी के गौर ग्रीशियस स्थित आवास 'हरसिंगार' में शनिवार 23 मार्च 2024 को आयोजित गोष्ठी में साहित्यकार योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' के दोहा-संग्रह 'उगें हरे संवाद' का लोकार्पण किया गया। कवयित्री हेमा तिवारी भट्ट द्वारा प्रस्तुत माॅं शारदे की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम में डॉ.अजय 'अनुपम'  द्वारा लोकार्पित कृति पर समीक्षा प्रस्तुत की गई तथा लोकप्रिय शायर ज़िया ज़मीर द्वारा लिखित समीक्षा आलेख का वाचन राजीव प्रखर ने किया। 

      लोकार्पण के पश्चात् एक काव्य-गोष्ठी का भी आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता करते हुए  माहेश्वर तिवारी ने अपने भावों को शब्द दिये- 

गीतों भरी सुबह लगती है, रंगों डूबी शाम।

याद बहुत आते हैं कल के रिश्ते और प्रणाम। 

मुख्य अतिथि डॉ.अजय अनुपम ने कहा- 

जिस पल से होने लगा, नेता का धन दून। 

लगे तभी से सूखने, छप्पर पर कानून।। 

जैसे बच्चे खेलते, कुर्ता पकड़े रेल।‌ 

कुनबेदारी ले गई, नेताजी को जेल।।  

विशिष्ट अतिथि विशाखा तिवारी ने होली का सुंदर चित्रण करते हुए कहा -

पैंया पड़ूं कर जोरी, 

श्याम मो से न खेलो होरी। 

संचालन करते हुए योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने कहा- 

मनके सारे त्याग कर, कष्ट और अवसाद। 

पिचकारी करने लगी, रंगो से संवाद।। 

गुझिया से कचरी लड़े, होगी किसकी जीत। 

एक कह रही है ग़ज़ल, एक लिख रही गीत।। 

  कवयित्री डॉ.पूनम बंसल के होली गीत ने सभी को वाह करने पर विवश कर दिया- 

फागुन का है मस्त महीना पिचकारी की धार लिए। 

रूठों को हम चलो मनाएं,रंगों का उपहार लिए।। 

जीवन में मस्ती की सरगम लेकर आई है होली। 

रंगों में यूं भीगा तन मन सजनी साजन की हो ली।। 

  डॉ.कृष्ण कुमार नाज़ के अशआर सभी को झूमने पर विवश कर गये - 

बादलों की सुरमई छतरी यहाँ तानी गई, 

तब कहीं तपते हुए सूरज की मनमानी गई। 

शुक्रिया तेरा, मेरी ख़ानाबदोशी शुक्रिया, 

तू मिली तो गर्दिशों की ज़ात पहचानी गई। 

डॉ. मनोज रस्तोगी का कहना था - 

घर-घर में करना आह्वान है।

मत का करना सही दान है।।

परिवार सहित चलें बूथ पर।

बाद में करना जलपान है।।

राजीव प्रखर ने अपने दोहों के रंग इस प्रकार छोड़े - 

बदल गई संवेदना, बदल गए सब ढंग। 

पहले जैसे अब कहाॅं, होली के हुड़दंग।। 

गुमसुम पड़े गुलाल से, कहने लगा अबीर। 

चल गालों पर खींच दें, प्यार भरी तस्वीर।। 

कवयित्री हेमा तिवारी भट्ट का कहना था - 

टेसू शाखों पर खिले, घुली प्रेम की भंग। 

साजन ने जब आ सखी,मुझ को डाला रंग ।। 

हंसी ठिठौली नेह की,भरती सारे घाव। 

हास और परिहास का, बना रहें सद्भाव।। 

मीनाक्षी ठाकुर ने वर्तमान परिस्थितियों पर तीखा व्यंग्य किया - 

पुते चुनावी रंगों में फिर गिरगिटिया अय्यार।  

उल्लू और गधे आपस में, जमकर हिस्सेदार बने। 

दीन धर्म के ही सौदे को, जगह- जगह बाज़ार तने। 

लेकर लच्छे वाले भाषण  दल -बदलू तैयार।। 

मनोज मनु भी अपने गीत से सभी के हृदय को जीतते हुए चहके - 

होली पर हुरियारों देखो, कसर न दमभर रखना, 

रंगों का त्योहार है सबके तन संग मन भी रंगना। 

ठिठुरन भुला बसंत घोलता मन मादकता हल्की,

करती है किस तरह प्रकृति, रचना हर एक पल की, 

फिर मन भावन फागुन खूब खिलाता टेसू अंगना। 

      इस अवसर पर विशेष रूप से दयानंद आर्य कन्या महाविद्यालय के प्रबंधक उमाकांत गुप्त, संतोष रानी गुप्त, अक्षरा तिवारी, आशा तिवारी उपस्थित रहे। समीर तिवारी द्वारा आभार अभिव्यक्ति के साथ कार्यक्रम समापन पर पहुॅंचा।





































:::::प्रस्तुति:::::::

राजीव प्रखर

सह संयोजक- हस्ताक्षर, मुरादाबाद। 

मोबाइल- 9368011960


मुरादाबाद के साहित्यकार मनोज मनु का गीत .....रंगों का त्योहार है सबके तन संग मन भी रंगना



होली पर हुरियारों देखो, कसर न दमभर रखना, 

रंगों का त्योहार है  सबके  तन संग मन भी रंगना,.

 

ठिठुरन भुला बसंत घोलता मन मादकता हल्की,

करती है किसतरह प्रकृति, रचना हर एकपल की, 

फिर मन भावन फागुन खूब खिलाता टेसूअंगना. .

होली पर  हुरियारों देखो.....


गेहूं-बाली  पकी  खेत ने ओढ़ी  चुनर  धानी 

कोल्हु से उड़ती सुगंन्ध भीनी जानी पहचानी, 

चहकेँ चिड़िया झुण्ड बनाए,संग गोरी के कंगना,,  

 होली पर  हुरियारों......


देवर-भाभी जीजा साली की वो हँसी ठिठोली,

 निगल रहा एकाकी पन रिश्तों से भरी रंगोली,, 

चुल्ह भरी मनुहार उल्हानों का रीते वो ढंग ना,,....

होली पर हुरियारों,....


गुझिया,पापड़,कचरी,खजले की घर घर सौगातें,

ठन्डाई के कुल्हड़,.. मधु से कहीं चहकती रातें,

 बैर भावना भुला  प्रेम रस में चाहें सब पंगना,...

होली पर हुरियारों....


अपनों के संग बढ़ी दूरियाँ.. गैरों के संग यारी ,

आभासी दुनिया ने बदली सारी मिल्लत दारी, 

हमजोली का मोबाइल ने आज भी छोड़ा संग ना, 

होली पर हुरियारों


मनोज 'मनु'

6397093523

मुरादाबाद की साहित्यकार विशाखा तिवारी की रचना ....श्याम मोसे खेलो ना होरी


 

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ पूनम बंसल का गीत ...फागुन का है मस्त महीना ,पिचकारी की धार लिए ...


 

मुरादाबाद की साहित्यकार हेमा तिवारी भट्ट के दोहे ....नारी घूमे परकटी, नर सजते ज्यों नार