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शुक्रवार, 25 अगस्त 2023

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार की रचना ..अब चांद हमारा अपना है


ना ख्याल ना कोई सपना है

अब  चांद  हमारा  अपना है

गौरवान्वित भारत देश हुआ

उत्साहित पूरा परिवेश हुआ

विज्ञान की जय जयकार करें

वैज्ञानिकों  का  सत्कार  करें


✍️डॉ पुनीत कुमार

मुरादाबाद 244001

M 9837189600

रविवार, 2 जुलाई 2023

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार की व्यंग कविता..... समाधान


हमने

एक ख्याति प्राप्त 

डॉक्टर से कहा

महोदय

आपके होते हुए भी

पूरा देश बीमार है

अजीब अजीब बीमारियों ने

मचाया हा हा कार है

आपसी रिश्ते

आखिरी रिश्तों में

बदल रहे हैं

स्वार्थ के वेंटीलेटर से

जैसे तैसे चल रहे हैं

ईमानदारी

लकवा ग्रस्त है

मानवता

पोलियो से त्रस्त है

धार्मिक कट्टरता ने

हमारे दिलो दिमाग को

सुन्न कर दिया है

जातिवाद के कीटाणु ने

सबका विवेक हर लिया है

पूरे समाज में

कैंसर की तरह

फैल रहा  भ्रष्टाचार है

क्या आपके पास

इसका कोई उपचार है


डॉक्टर बोले

यह सब 

सामाजिक बीमारियां हैं

इनसे आप ही नही

हम भी परेशान हैं

समाज के अंदर ही

इनके समाधान हैं

आप अभी से

उनको खोजने में

जुट जाइए

और सफल हो जाएं

तो हमको भी बताइए


हमने

इस गंभीर समस्या पर

अपना चित्त डाला

अपने साठ साला

अनुभव का निचोड़ निकाला

अगर इन बीमारियों से

छुटकारा पाना है

नियमित रूप से

अच्छे चरित्र और

अच्छे संस्कार का

इंजेक्शन लगवाना है


✍️डॉ पुनीत कुमार

T 2/505 आकाश रेजीडेंसी

मुरादाबाद 244001

M 9837189600

रविवार, 21 मई 2023

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार की व्यंग्य कविता सफलता का राज


हमारे एक मित्र ने

छोटा मोटा अवसर भी

बेकार नहीं गंवाया

धड़ल्ले से नौकरी की

खूब पैसा कमाया

आउट ऑफ वे जाकर

प्रमोशन पाए

सबकी वाह वाही लूटी

अनेक पुरस्कार जुटाए

रिटायरमेंट के बाद

हमने उनसे पूछा

सफलता का राज


उन्होंने बताया

सब कुछ बहुत

आसान है भाया

केवल

आम आदमी को

हर बात पे हड़काना है

सारा कानून

सारा संविधान समझाना है

खास लोगों के हाथ

चुपचाप बिकना है

ईमानदार बनना नहीं

सिर्फ दिखना है

बिना सुविधा शुल्क के

नहीं करना है कोई काम

उच्च अधिकारियों को

रोज ठोकना है सलाम

इसके साथ चापलूसी 

और मक्खन बाजी की माला

अगर आप 

सुबह शाम जपेंगे

तो आप भी मेरी तरह

शान से नौकरी करेंगे।


✍️डॉ पुनीत कुमार

T 2/505 आकाश रेजीडेंसी

मुरादाबाद 244001

M 9837189600

रविवार, 7 मई 2023

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार की व्यंग्य कविता..पढ़ा लिखा गधा.


जी हां,

मैं एक पढ़ा लिखा गधा हूं

जाति धर्म और जान पहचान का

पूरा सम्मान करता हूं

उम्मीदवार कितना भी बुरा हो,

उसी को मतदान करता हूं

संकीर्ण मानसिकता के

खूंटे से बंधा हूं

जी हां, 

मैं एक पढ़ा लिखा गधा हूं


स्वच्छता अभियान को

ईमानदारी से चलाता हूं

अपने घर का कचरा

पड़ोसी के घर तक पहुंचाता हूं

उसको अपने जैसा

बनाने पर तुला हूं

जी हां

मैं एक पढ़ा लिखा गधा हूं


हर दिन हर पल

विज्ञान के गुण गाता हूं

प्रतिकूल परिस्थितियों में

अंधविश्वासी बन जाता हूं

आधुनिकता के झूठे

लबादों से लदा हूं

जी हां

मैं एक पढ़ा लिखा गधा हूं


✍️डॉ पुनीत कुमार

T 2/505 आकाश रेजीडेंसी

मुरादाबाद 244001

M 9837189600

रविवार, 30 अप्रैल 2023

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार की व्यंग्य कविता .......झूठ की दुकान


आप सबकी

कृपा से श्रीमान

हमने खोल रखी है

झूठ की दुकान

हमारे पास 

एक झूठ का पुलंदा है

उसमे

तरह तरह के झूठ हैं

उनको जरूरतमंदों को

बेचना ही अपना धंधा है


सरकारी कर्मचारियों को

सच बोलने पर

छुट्टी नही मिल पाती है

किस समय

कौन सा झूठ बोला जाए

ये बात उनकी

समझ नही आती है

हम उनको

विशिष्ट झूठ 

ना केवल सप्लाई करते है

उसका पूरा रिकॉर्ड भी रखते है

घर के किस सदस्य की

मृत्यु कब और कैसे होनी है

हम सब जानते हैं

बड़े बड़े ज्योतिषी भी

हमारा लोहा मानते हैं

हम

सभी सरकारी संस्थानों से

मान्यता पाते हैं

हमारे द्वारा सत्यापित झूठ

आंख बंद कर स्वीकारे जाते हैं


ये आप सबका प्रारब्ध है

हमारे पास

पारिवारिक जीवन को

सूखी बनाने वाला

झूठ पैकेज भी उपलब्ध है

प्रेमी प्रेमिका से

चोरी छिपे मिलने जाना है

उसके लिए घर पर

कौन सा बहाना बनाना है

अपना वेतन

कैसे कम बताया जाए

कैसे यार दोस्तों के साथ

समय बिताया जाए

ये सब कुछ

विस्तार से समझाया जाता है

और शादीशुदा लोगों से

हमदर्दी जताते हुए

पचास प्रतिशत 

डिस्काउंट दिया जाता है

हमारे द्वारा बताए

झूठ की मजबूत बुनियाद पर

लाखों रिश्ते फल फूल रहे है

उनकी दुआओं से हम

सफलता के झूले में झूल रहे हैं


लेकिन 

पिछले कुछ समय से

हमारा आत्मविश्वास हिल रहा है

हमको

राजनैतिक नेताओं से

तगड़ा कंपटीशन मिल रहा है


✍️ डॉ पुनीत कुमार

T 2/505 आकाश रेजीडेंसी

मुरादाबाद 244001

M 9837189600

शनिवार, 8 अप्रैल 2023

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार का गीत ....काल चक्र की कलई खोलते /जाने अजाने खत


यादों की गठरी से निकले

फटे पुराने खत

काल चक्र की कलई खोलते

जाने अजाने खत 


दादी बाबा को हर दिन

पिसते ही देखा

पिता जी के बलिदानों का

छुट पुट सा लेखा

दर्द छुपाने की कैसी है

मां को जाने लत 


मर्यादा के मकड़जाल में

बहिना का यौवन

दफ्तर दफ्तर ऐड़ी घिसता

भैया का जीवन

बरसातों में अक्सर रोती

बिना बहाने छत


यादों की गठरी से निकले

फटे पुराने खत

काल चक्र की कलई खोलते

जाने अजाने खत


✍️  डॉ पुनीत कुमार

T 2/505 आकाश रेजीडेंसी

मुरादाबाद 244001

M 9837189600

गुरुवार, 6 अप्रैल 2023

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार की लघुकथा.....सफाई


 गंगा  के स्वच्छता अभियान के सफलतापूर्वक पूर्ण होने के उपलक्ष्य में एक भव्य आयोजन चल रहा था।

"सबसे पहले सफाई अभियान की पूरी टीम को बहुत बहुत बधाई। अब ये हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम गंगा को स्वच्छ बनाए रखें।"नेताजी ने इन शब्दों के साथ अपना भाषण समाप्त किया और गंगा में स्नान करने की इच्छा जताई। 

 उनकी इस इच्छा को जानकर,सफाई टीम में खुसर फुसर शुरू हो गई । "बड़ी मुश्किल से तो गंगा साफ हुई है ......."


✍️डॉ पुनीत कुमार

T 2/505 आकाश रेजीडेंसी

आदर्श कॉलोनी रोड

मुरादाबाद 244001

M 9837189600

रविवार, 26 मार्च 2023

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार की व्यंग्य कविता .....अभिव्यक्ति की आजादी


हम जंगली जानवर हैं

हमारे जंगल में भी

अभिव्यक्ति की है आजादी 

लेकिन कोई किसी पर

अकारण नहीं चिल्लाता है

ना किसी का अपमान करता है

ना किसी की भावनाओं का

मजाक उड़ाता है

ये हमारे

जंगल की संस्कृति है

सारे जानवरों में

इसे स्वेच्छा से

अपनाने की प्रवृति है


जब कोई इंसान 

अभिव्यक्ति की आजादी

के नाम पर

दूसरे के चरित्र पर

कीचड़ मलता है

हमको हमारा

जंगली जानवर होना

बहुत अच्छा लगता है।


✍️ डॉ पुनीत कुमार

T 2/505 आकाश रेजीडेंसी

मुरादाबाद 244001

M 9837189600

रविवार, 5 मार्च 2023

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉक्टर पुनीत कुमार की व्यंग्य कविता.... मौलिकता

 


मैं विचारों को

रूई की तरह 

धुनता था

अपने ज्ञान के

शब्दकोश से

मोती कुछ चुनता था

भावनाओं के धागे से

गीत नया बुनता था

लेकिन फिर भी

रहता था

उपेक्षित सा

खुद ही उसको

पढ़ता था

खुद ही उसको

सुनता था


धीरे धीरे

जब पड़ी समय की मार

मैं हो गया समझदार

कहीं से ईट

कहीं से रोड़ा उठाने लगा

लीपा पोती करके

कविताओं के 

महल बनाने लगा

चर्चित पत्र पत्रिकाओं में 

अब धडल्ले से छपता हूं

बुक स्टालों पर बिकता हूं

कवि सम्मेलनों में जमता हूं

अगली पिछली

दोनों पीढ़ियां

आराम से पल रही हैं

और मेरी मौलिक रचनाएं

मुझ तक को खल रही हैं


✍️ डॉ पुनीत कुमार

T 2/505 आकाश रेजीडेंसी

मुरादाबाद 244001

M 9837189600

बुधवार, 1 मार्च 2023

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार का व्यंग्य.....आर्ट ऑफ लीविंग


हमारे परम मित्र कविकंकर जी बहुत परेशान थे। हाथी जैसी महंगाई में, चूहे जैसी आमदनी से घर नहीं चल पा रहा था। एक दिन उनको किसी पागल कवि ने काट लिया।उनका मानसिक संतुलन ऐसा बिगड़ा कि सब कुछ छोड़ कर आध्यात्मिक गुरु बन गए।अब आर्ट ऑफ लीविंग संस्था चलाते हैं। फाइव स्टार होटलों में गुलछर्रे उड़ाते हैं।महंगे से महंगा खाना मंगाते हैं। आधा छोड़ते हैं,आधा खाते हैं।

    ‌‌उनका आध्यात्मिक चिंतन, छोड़ने पर ही टिका है। उनको खुद को भी,जो कुछ मिला है,कविता छोड़ कर मिला है। सफलता का सूत्र है..छोड़ना, छोड़ कर ही आप कुछ पा सकते हैं।विजय माल्या, नीरव मोदी आदि अगर आज खुशनुमा जीवन बिता रहे हैं,तो इसके पीछे उनका बहुत बड़ा त्याग है। उन्होंने अपने देश तक को छोड़ दिया है।

    अगर हम इतिहास पर नजर डालें,स्वतंत्रता संग्राम के मूल में भी छोड़ने की प्रवृति दिखाई देती है। महात्मा गांधी के आवाहन पर किसी ने पढ़ाई छोड़ी, किसी ने वकालत,किसी ने अपना घर और आंदोलन में कूद पड़े।इसकी परिणीति उन्नीस सौ बयालिस में भारत छोड़ो आंदोलन के रूप में हुई।

     पिछले चुनाव में,एक पार्टी के वफादार नेता,अपनी पार्टी छोड़ कर दूसरी पार्टी में चले गए।उनके सारे पाप धुल गए और तरक्की के सारे रास्ते खुल गए। आज सरकार में एक महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाल रहे हैं।उन्होंने सही समय पर सही कदम उठाया। उसूलों को छोड़ा,पार्टी को छोड़ा और बहुत कुछ पाया।

      मेरा आप सब से, हाथ छोड़ कर निवेदन है,आप इस समय जो कुछ भी कर रहे हों,चाहे आवश्यक दैनिक कार्य ही क्यों ना हों,सब छोड़ कर इस लेख को पढ़िए और छोड़ने की इस मुहिम को,यानी कि आर्ट ऑफ लीविंग को आगे बढ़ाइए। वरना आपके दोस्त ,आपको छोड़ कर आगे बढ़ जायेंगे और आप हाथ मलते रह जायेंगे।


✍️ डॉ पुनीत कुमार

T 2/505 आकाश रेजीडेंसी

मुरादाबाद 244001

M 9837189600

शनिवार, 4 फ़रवरी 2023

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार की व्यंग्य कविता ....मैं केवल देखता हूं



कोई क्रिया,प्रतिक्रिया नही

केवल देखता हूं

जी हां, मैं केवल देखता हूं


घोटालों के पहाड़ को

भ्रष्टाचार के ताल को

प्रदूषण के दानव को

मिलावट के जाल को

केवल देखता हूं

जी हां, मैं केवल देखता हूं


चढ़ती हुई महंगाई को

भुखमरी को, बेकारी को

शिक्षा के अभाव को

बढ़ती बेरोजगारी को

केवल देखता हूं

जी हां, मैं केवल देखता हूं


हिंसा को,अराजकता को

धार्मिक उन्माद को

चरित्र के पतन को

आतंक को,उग्रवाद को

केवल देखता हूं

जी हां, मैं केवल देखता हूं


गीता का ज्ञान

मेरे भीतर समाया है

भगवान श्रीकृष्ण ने

अर्जुन को समझाया है

कोई भी घटना हो

साक्षी भाव में रहना है

भावुकता में

बिल्कुल नही बहना है

मैं इसी सिद्धांत को

अपना माथा टेकता हूं

और हर घटना को

केवल देखता हूं

जी हां, मैं केवल देखता हूं


✍️डॉ पुनीत कुमार

T 2/505 आकाश रेजीडेंसी

मुरादाबाद 244001

M 9837189600

गुरुवार, 2 फ़रवरी 2023

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉक्टर पुनीत कुमार का व्यंग्य....विकास मिल गया है


काफी खोजबीन करने के बाद विकास का पता मिला। ये खोजबीन हमारी अपनी थी। इसमें गूगल बाबा का कोई रोल नहीं था। गूगल ने विकास के एक लाख से अधिक परिणाम दिखाकर, हमको भ्रमित ही कर दिया था।अपनी सफलता पर हम फूले नहीं समा रहे थे। हमारा सीना तीस इंच से बत्तीस इंच हो गया था और हमको तसल्ली दे रहा था कि बहुत जल्द ये छप्पन इंच के जादुई स्तर को छू लेगा। हमारी स्थिति उस पॉकेटमार की तरह थी,जिसे प्लास्टिक मनी के युग में, नोटों से भरी पॉकेट मिल गई हो।हमने बिना समय गवांए,अपना कैमरा उठाया और विकास से मिलने चल दिए लेकिन हमको निराशा हाथ लगी। घर के बाहर ताला लटका था। 

       पड़ोसियों ने बताया - विकास काफी समय से बीमार था। डॉक्टर की सलाह पर, आजकल स्विट्जरलैंड में स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रहा है। "हमारे पास लौट के बुद्धू घर को आए के अलावा कोई ऑप्शन नही था।हमने पड़ोसियों से कहा,"जब विकास वापस आ जाए,सूचित कर देना। उससे मिलने की तीव्र इच्छा है।अभी तक उसका, बस नाम सुना है, देखा नहीं है।हम मरने से पहले, ये इच्छा पूरी करना चाहते हैं।"

      पांच महीने बाद, एक पड़ोसी ने हमें फोन पर बताया ," विकास आ गया है लेकिन अब इस जगह को छोड़, नेताओं की बस्ती में रहने लगा है। "हम फौरन उससे मिलने जा पहुंचे। एक बूढ़े व्यक्ति,जिसको चलने में परेशानी हो रही थी, ने दरवाजा खोला। पता चला वही विकास है। हमने उसको अपनी छड़ी पकड़ाई। उसने हमें घूर कर देखा,"पहले मेरे पास भी ऐसी ही एक ईमानदारी की छड़ी थी‌ लेकिन वह बहुत कमजोर निकली। मैं कई बार चलते चलते गिरा। कहीं से बेईमानी की छड़ी मिल जाए तो लाना, सुना है वो बहुत मजबूत होती है।"

       हमने कहा,"पूरे देश को तुम्हारी जरूरत है,और तुम यहां छुपे बैठे हो।" विकास हंसा," मैं भी सबसे मिलना चाहता हूं ।मैने कुछ समय पहले पदयात्रा शुरू की थी लेकिन चलने की आदत ना होने के कारण, थक जाता था।एक दिन में केवल आठ दस घरों तक पहुंच पाता था। मैं इतने में भी खुश था। धीरे धीरे ही सही,एक दिन हर घर में मेरी पहुंच होगी लेकिन मेरी किस्मत खराब थी, जो नेताओं की नजर मुझ पर पड़ गई।उन्होंने सोचा, सबके घर अगर आसानी से विकास पहुंच गया, तो हमें कौन पूछेगा। हम किसके नाम पर वोट मांगेंगे। उन्होंने मुझे पकड़कर बंधक बना लिया। बस तभी से मैं इस बस्ती में,सख्त पहरे के बीच रह रहा हूं।क्या तुम मेरी कुछ सहायता कर सकते हो।"

      हमारे पास कोई जवाब नहीं था।हमें लगा, अब तो सारी जनता मिलकर ही विकास को, नेताओं के चंगुल से छुड़ा सकती है लेकिन पता नहीं,वो दिन कब आएगा।


✍️डॉ पुनीत कुमार

T 2/505 आकाश रेजीडेंसी

मुरादाबाद 244001

M 9837189600

शनिवार, 21 जनवरी 2023

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार की व्यंग्य कविता ...विकास क्या है ....,,?


विकास 

कैसा दिखता है?

कल्पना है

या वास्तविकता है

नाटा है या लंबा

गोरा है या काला

अनजान है

या फिर देखा भाला


विकास क्या है?

इसकी

क्या परिभाषा है?

कोई

खाने की चीज है

या फिर

खेल तमाशा है


शायद विकास

एक स्वादिष्ट गोली है

जिसको नेता

चुनाव से पहले

पब्लिक को खिलाते हैं

और आसानी से

चुनाव जीत जाते हैं


विकास

टी वी चैनलों पर

धड़ल्ले से बिकता है

कोई इस पर कविता

कोई बड़े बड़े

लेख लिखता है


विकास

हर किसी को

दिखता नहीं है

किसी छोटे या

बड़े स्टोर पर

मिलता नहीं है

इसकी

ऑनलाइन डिलीवरी

नहीं हो रही है

किसी मशीन में

मैन्युफैक्चरिंग

नहीं हो रही है


कुछ खास लोग ही

विकास को

महसूस कर पाते हैं

और चमचे

आंख बंद कर

उनकी हां में हां

मिलाते हैं


विकास को लेकर

सबका अलग विचार है

फुटपाथ पर

रहने वाले के लिए

विकास

सूखी रोटी के साथ 

अचार है

जिनके पास

हर तरह की

सुख सुविधा है

उनके मन में

बड़ी दुविधा है

उनको विकास का

आभास तभी होता है

जब कोई मजबूर

उनके आगे

गिड़गिड़ाता या रोता है


जैसे जैसे

समय आगे बढ़ा है

विकास का भी

विकास हो गया है

उसकी कहानी को

मिल गया है

नया कथानक

बदल चुके हैं

सभी मानक

मंदिर,मस्जिद,

चर्च, गुरुद्वारा

अब विकास

आंका जाने लगा है

इनके द्वारा 


✍️ डॉ पुनीत कुमार

T 2/505 आकाश रेजीडेंसी

मुरादाबाद 244001

M 9837189600

शनिवार, 7 जनवरी 2023

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार की व्यंग्य कविता .... विकास लापता है


विकास लापता है

सरकार और जनता

दोनों को

इस बात का पता है


विकास

कैसा दिखता है

किस जगह मिलता है

अधिकांश जनता

इस बात से अनजान है

क्योंकि उसने

आज तक विकास को

ना कभी देखा है

ना उसकी किसी के 

माध्यम से

कोई जान पहचान है


विकास आखिरी बार

कहां पर मिला था

क्या किसी को

उसके हिंदू या मुस्लिम

होने का पता चला था


किसी के पास

अगर विकास का कोई फोटो हो

तो हमको अवश्य दिखाएं

ताकि हम

पूरी ईमानदारी से

विकास को ढूंढने में जुट जाएं


सरकार की नियत पर

हमें पूरा विश्वास है

हम जानते हैं

विकास यहीं कहीं,

हमारे ही आस पास है


✍️ डॉ पुनीत कुमार

T 2/505 आकाश रेजीडेंसी

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

M 9837189600

शनिवार, 24 दिसंबर 2022

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार की कविता ....आयत


एक आयत है

दूसरा वर्ग है

दोनों में

सूक्ष्म सा फर्क है

आयत

कोई भेदभाव

नहीं करता है

छोटे और बड़ों को

आपस में मिला कर

रखता है

वर्ग में एकरूपता है

वह

एक जैसे व्यक्तित्वों का

प्रतिनिधित्व करता है

काश, हमारा देश 

एक आयत बन जाए

जिसमे छोटा बड़ा

हर तरह का वर्ग हो

आपस में ऐसा

सद्भाव और भाईचारा हो

जिस पर

सब को गर्व हो


✍️ डॉ पुनीत कुमार

T 2/505 आकाश रेजीडेंसी

मुरादाबाद 244001 

उत्तर प्रदेश, भारत

M 9837189600

शनिवार, 17 दिसंबर 2022

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार की रचना..जिन्होनें बच्चों को दिलाए, जूते महंगे, ब्रांडेड/ उन सभी माता पिता के,पांव में छाला मिला


जब भी देखा गौर से, इक नया घोटाला मिला

कहीं पर काली दाल,कहीं दाल में काला मिला


शासकों के जुर्म को, चुपचाप सब सहते रहे

गूंगे थे कुछ,और कुछ की, जुबान पर ताला मिला


जिन्होनें बच्चों को दिलाए, जूते महंगे, ब्रांडेड

उन सभी माता पिता के,पांव में छाला मिला


अंधियारे से झोपड़ी,चुपचाप ही लड़ती रही

बंधुआ मजदूर सा किसी,महल में उजाला मिला


अपनी कृपा बरसाने को,वह हर समय तैयार था

मांगने वाला ही अक्सर,हमको ढीला ढाला मिला


✍️ डॉ पुनीत कुमार

T 2/505 आकाश रेजीडेंसी

मुरादाबाद 244001

M 9837189600

शुक्रवार, 11 नवंबर 2022

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार की लघुकथा.....टारगेट



 "कल जिले में कितने नए पौधे लगाए गए थे"

" दो हजार"

" पौधे लगाते हुए फोटो खींच लिए थे"

" जी हां"

"अब ऐसा करो, उन सबको उखाड़ लो और किसी नई जगह लगाकर फोटो खींच लो"

"लेकिन ऐसे तो बहुत से पौधे खराब हो जायेंगे"

" हो जाने दो। हमें प्रदेश का टारगेट पूरा करना हैं।"


✍️ डॉ पुनीत कुमार

T 2/505 आकाश रेजीडेंसी

आदर्श कॉलोनी रोड

मुरादाबाद 244001

M 9837189600

गुरुवार, 6 अक्तूबर 2022

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार की व्यंग्य कविता..... डिजिटल काव्यपाठ


कोरोना काल में

हमारे ठाठ ही ठाठ थे

किसी न किसी

आभासी पटल पर

आएदिन हो रहे

काव्य पाठ थे

याद नही उनको

कितने लोग सुनते थे

लेकिन हर 

काव्य पाठ के बाद

हमको डिजिटल

सर्टिफिकेट मिलते थे

हम उनको

अपने पैसों से प्रिंट करा

महंगे से महंगे

फ्रेम में जड़वाते थे

फिर उनको

अपने घर में सजाते थे

लेकिन

अधिक नही चल पाया

आत्म प्रशंसा का जुनून

इसने कर डाला

हमारी सारी बचत का खून

इतना ही नहीं

इसने हमारे हर कमरे को

हर दीवार को,हर कौने को

भर दिया

और हमको

हमारे ही घर से

बेघर कर दिया


✍️ डॉ पुनीत कुमार

T 2/505 आकाश रेजीडेंसी

आदर्श कॉलोनी रोड

मुरादाबाद 244001

M 9837189600

बुधवार, 5 अक्तूबर 2022

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार की लघुकथा ....संवेदनशीलता


सुबह के आठ बजे थे।कबूतरों ने आना शुरू कर दिया था।लेकिन आज छत पर दाना पानी नहीं था।कबूतरों ने उत्सुकतावश इधर उधर देखा।

नीचे आंगन में ,कपड़े में लिपटा हुआ,किसी का मृत शरीर रखा था।कबूतरों ने उसे फौरन पहचान लिया।अरे !यह तो वही इंसान है,जो उनको रोज दाना खिलाता था। उनमें आपस में कुछ खुसर पुसर हुई और धीरे धीरे छत पर कबूतरों की भारी भीड़ इकट्ठा हो गई।सब शांत बैठे थे और उनकी आंखों में आसूं स्पष्ट देखे जा सकते थे।

आंगन में भी दो चार लोग आ चुके थे, लेकिन शोर शराबा बढ़ता जा रहा था।

✍️ डॉ पुनीत कुमार

T 2/505 आकाश रेजीडेंसी

आदर्श कॉलोनी रोड

मुरादाबाद 244001

M 9837189600