ना ख्याल ना कोई सपना है
अब चांद हमारा अपना है
गौरवान्वित भारत देश हुआ
उत्साहित पूरा परिवेश हुआ
विज्ञान की जय जयकार करें
वैज्ञानिकों का सत्कार करें
✍️डॉ पुनीत कुमार
मुरादाबाद 244001
M 9837189600
अब चांद हमारा अपना है
गौरवान्वित भारत देश हुआ
उत्साहित पूरा परिवेश हुआ
विज्ञान की जय जयकार करें
वैज्ञानिकों का सत्कार करें
✍️डॉ पुनीत कुमार
मुरादाबाद 244001
M 9837189600
एक ख्याति प्राप्त
डॉक्टर से कहा
महोदय
आपके होते हुए भी
पूरा देश बीमार है
अजीब अजीब बीमारियों ने
मचाया हा हा कार है
आपसी रिश्ते
आखिरी रिश्तों में
बदल रहे हैं
स्वार्थ के वेंटीलेटर से
जैसे तैसे चल रहे हैं
ईमानदारी
लकवा ग्रस्त है
मानवता
पोलियो से त्रस्त है
धार्मिक कट्टरता ने
हमारे दिलो दिमाग को
सुन्न कर दिया है
जातिवाद के कीटाणु ने
सबका विवेक हर लिया है
पूरे समाज में
कैंसर की तरह
फैल रहा भ्रष्टाचार है
क्या आपके पास
इसका कोई उपचार है
डॉक्टर बोले
यह सब
सामाजिक बीमारियां हैं
इनसे आप ही नही
हम भी परेशान हैं
समाज के अंदर ही
इनके समाधान हैं
आप अभी से
उनको खोजने में
जुट जाइए
और सफल हो जाएं
तो हमको भी बताइए
हमने
इस गंभीर समस्या पर
अपना चित्त डाला
अपने साठ साला
अनुभव का निचोड़ निकाला
अगर इन बीमारियों से
छुटकारा पाना है
नियमित रूप से
अच्छे चरित्र और
अच्छे संस्कार का
इंजेक्शन लगवाना है
✍️डॉ पुनीत कुमार
T 2/505 आकाश रेजीडेंसी
मुरादाबाद 244001
M 9837189600
छोटा मोटा अवसर भी
बेकार नहीं गंवाया
धड़ल्ले से नौकरी की
खूब पैसा कमाया
आउट ऑफ वे जाकर
प्रमोशन पाए
सबकी वाह वाही लूटी
अनेक पुरस्कार जुटाए
रिटायरमेंट के बाद
हमने उनसे पूछा
सफलता का राज
उन्होंने बताया
सब कुछ बहुत
आसान है भाया
केवल
आम आदमी को
हर बात पे हड़काना है
सारा कानून
सारा संविधान समझाना है
खास लोगों के हाथ
चुपचाप बिकना है
ईमानदार बनना नहीं
सिर्फ दिखना है
बिना सुविधा शुल्क के
नहीं करना है कोई काम
उच्च अधिकारियों को
रोज ठोकना है सलाम
इसके साथ चापलूसी
और मक्खन बाजी की माला
अगर आप
सुबह शाम जपेंगे
तो आप भी मेरी तरह
शान से नौकरी करेंगे।
✍️डॉ पुनीत कुमार
T 2/505 आकाश रेजीडेंसी
मुरादाबाद 244001
M 9837189600
मैं एक पढ़ा लिखा गधा हूं
जाति धर्म और जान पहचान का
पूरा सम्मान करता हूं
उम्मीदवार कितना भी बुरा हो,
उसी को मतदान करता हूं
संकीर्ण मानसिकता के
खूंटे से बंधा हूं
जी हां,
मैं एक पढ़ा लिखा गधा हूं
स्वच्छता अभियान को
ईमानदारी से चलाता हूं
अपने घर का कचरा
पड़ोसी के घर तक पहुंचाता हूं
उसको अपने जैसा
बनाने पर तुला हूं
जी हां
मैं एक पढ़ा लिखा गधा हूं
हर दिन हर पल
विज्ञान के गुण गाता हूं
प्रतिकूल परिस्थितियों में
अंधविश्वासी बन जाता हूं
आधुनिकता के झूठे
लबादों से लदा हूं
जी हां
मैं एक पढ़ा लिखा गधा हूं
✍️डॉ पुनीत कुमार
T 2/505 आकाश रेजीडेंसी
मुरादाबाद 244001
M 9837189600
कृपा से श्रीमान
हमने खोल रखी है
झूठ की दुकान
हमारे पास
एक झूठ का पुलंदा है
उसमे
तरह तरह के झूठ हैं
उनको जरूरतमंदों को
बेचना ही अपना धंधा है
सरकारी कर्मचारियों को
सच बोलने पर
छुट्टी नही मिल पाती है
किस समय
कौन सा झूठ बोला जाए
ये बात उनकी
समझ नही आती है
हम उनको
विशिष्ट झूठ
ना केवल सप्लाई करते है
उसका पूरा रिकॉर्ड भी रखते है
घर के किस सदस्य की
मृत्यु कब और कैसे होनी है
हम सब जानते हैं
बड़े बड़े ज्योतिषी भी
हमारा लोहा मानते हैं
हम
सभी सरकारी संस्थानों से
मान्यता पाते हैं
हमारे द्वारा सत्यापित झूठ
आंख बंद कर स्वीकारे जाते हैं
ये आप सबका प्रारब्ध है
हमारे पास
पारिवारिक जीवन को
सूखी बनाने वाला
झूठ पैकेज भी उपलब्ध है
प्रेमी प्रेमिका से
चोरी छिपे मिलने जाना है
उसके लिए घर पर
कौन सा बहाना बनाना है
अपना वेतन
कैसे कम बताया जाए
कैसे यार दोस्तों के साथ
समय बिताया जाए
ये सब कुछ
विस्तार से समझाया जाता है
और शादीशुदा लोगों से
हमदर्दी जताते हुए
पचास प्रतिशत
डिस्काउंट दिया जाता है
हमारे द्वारा बताए
झूठ की मजबूत बुनियाद पर
लाखों रिश्ते फल फूल रहे है
उनकी दुआओं से हम
सफलता के झूले में झूल रहे हैं
लेकिन
पिछले कुछ समय से
हमारा आत्मविश्वास हिल रहा है
हमको
राजनैतिक नेताओं से
तगड़ा कंपटीशन मिल रहा है
✍️ डॉ पुनीत कुमार
T 2/505 आकाश रेजीडेंसी
मुरादाबाद 244001
M 9837189600
फटे पुराने खत
काल चक्र की कलई खोलते
जाने अजाने खत
दादी बाबा को हर दिन
पिसते ही देखा
पिता जी के बलिदानों का
छुट पुट सा लेखा
दर्द छुपाने की कैसी है
मां को जाने लत
मर्यादा के मकड़जाल में
बहिना का यौवन
दफ्तर दफ्तर ऐड़ी घिसता
भैया का जीवन
बरसातों में अक्सर रोती
बिना बहाने छत
यादों की गठरी से निकले
फटे पुराने खत
काल चक्र की कलई खोलते
जाने अजाने खत
✍️ डॉ पुनीत कुमार
T 2/505 आकाश रेजीडेंसी
मुरादाबाद 244001
M 9837189600
"सबसे पहले सफाई अभियान की पूरी टीम को बहुत बहुत बधाई। अब ये हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम गंगा को स्वच्छ बनाए रखें।"नेताजी ने इन शब्दों के साथ अपना भाषण समाप्त किया और गंगा में स्नान करने की इच्छा जताई।
उनकी इस इच्छा को जानकर,सफाई टीम में खुसर फुसर शुरू हो गई । "बड़ी मुश्किल से तो गंगा साफ हुई है ......."
✍️डॉ पुनीत कुमार
T 2/505 आकाश रेजीडेंसी
आदर्श कॉलोनी रोड
मुरादाबाद 244001
M 9837189600
हमारे जंगल में भी
अभिव्यक्ति की है आजादी
लेकिन कोई किसी पर
अकारण नहीं चिल्लाता है
ना किसी का अपमान करता है
ना किसी की भावनाओं का
मजाक उड़ाता है
ये हमारे
जंगल की संस्कृति है
सारे जानवरों में
इसे स्वेच्छा से
अपनाने की प्रवृति है
जब कोई इंसान
अभिव्यक्ति की आजादी
के नाम पर
दूसरे के चरित्र पर
कीचड़ मलता है
हमको हमारा
जंगली जानवर होना
बहुत अच्छा लगता है।
✍️ डॉ पुनीत कुमार
T 2/505 आकाश रेजीडेंसी
मुरादाबाद 244001
M 9837189600
रूई की तरह
धुनता था
अपने ज्ञान के
शब्दकोश से
मोती कुछ चुनता था
भावनाओं के धागे से
गीत नया बुनता था
लेकिन फिर भी
रहता था
उपेक्षित सा
खुद ही उसको
पढ़ता था
खुद ही उसको
सुनता था
धीरे धीरे
जब पड़ी समय की मार
मैं हो गया समझदार
कहीं से ईट
कहीं से रोड़ा उठाने लगा
लीपा पोती करके
कविताओं के
महल बनाने लगा
चर्चित पत्र पत्रिकाओं में
अब धडल्ले से छपता हूं
बुक स्टालों पर बिकता हूं
कवि सम्मेलनों में जमता हूं
अगली पिछली
दोनों पीढ़ियां
आराम से पल रही हैं
और मेरी मौलिक रचनाएं
मुझ तक को खल रही हैं
✍️ डॉ पुनीत कुमार
T 2/505 आकाश रेजीडेंसी
मुरादाबाद 244001
M 9837189600
उनका आध्यात्मिक चिंतन, छोड़ने पर ही टिका है। उनको खुद को भी,जो कुछ मिला है,कविता छोड़ कर मिला है। सफलता का सूत्र है..छोड़ना, छोड़ कर ही आप कुछ पा सकते हैं।विजय माल्या, नीरव मोदी आदि अगर आज खुशनुमा जीवन बिता रहे हैं,तो इसके पीछे उनका बहुत बड़ा त्याग है। उन्होंने अपने देश तक को छोड़ दिया है।
अगर हम इतिहास पर नजर डालें,स्वतंत्रता संग्राम के मूल में भी छोड़ने की प्रवृति दिखाई देती है। महात्मा गांधी के आवाहन पर किसी ने पढ़ाई छोड़ी, किसी ने वकालत,किसी ने अपना घर और आंदोलन में कूद पड़े।इसकी परिणीति उन्नीस सौ बयालिस में भारत छोड़ो आंदोलन के रूप में हुई।
पिछले चुनाव में,एक पार्टी के वफादार नेता,अपनी पार्टी छोड़ कर दूसरी पार्टी में चले गए।उनके सारे पाप धुल गए और तरक्की के सारे रास्ते खुल गए। आज सरकार में एक महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाल रहे हैं।उन्होंने सही समय पर सही कदम उठाया। उसूलों को छोड़ा,पार्टी को छोड़ा और बहुत कुछ पाया।
मेरा आप सब से, हाथ छोड़ कर निवेदन है,आप इस समय जो कुछ भी कर रहे हों,चाहे आवश्यक दैनिक कार्य ही क्यों ना हों,सब छोड़ कर इस लेख को पढ़िए और छोड़ने की इस मुहिम को,यानी कि आर्ट ऑफ लीविंग को आगे बढ़ाइए। वरना आपके दोस्त ,आपको छोड़ कर आगे बढ़ जायेंगे और आप हाथ मलते रह जायेंगे।
✍️ डॉ पुनीत कुमार
T 2/505 आकाश रेजीडेंसी
मुरादाबाद 244001
M 9837189600
कोई क्रिया,प्रतिक्रिया नही
केवल देखता हूं
जी हां, मैं केवल देखता हूं
घोटालों के पहाड़ को
भ्रष्टाचार के ताल को
प्रदूषण के दानव को
मिलावट के जाल को
केवल देखता हूं
जी हां, मैं केवल देखता हूं
चढ़ती हुई महंगाई को
भुखमरी को, बेकारी को
शिक्षा के अभाव को
बढ़ती बेरोजगारी को
केवल देखता हूं
जी हां, मैं केवल देखता हूं
हिंसा को,अराजकता को
धार्मिक उन्माद को
चरित्र के पतन को
आतंक को,उग्रवाद को
केवल देखता हूं
जी हां, मैं केवल देखता हूं
गीता का ज्ञान
मेरे भीतर समाया है
भगवान श्रीकृष्ण ने
अर्जुन को समझाया है
कोई भी घटना हो
साक्षी भाव में रहना है
भावुकता में
बिल्कुल नही बहना है
मैं इसी सिद्धांत को
अपना माथा टेकता हूं
और हर घटना को
केवल देखता हूं
जी हां, मैं केवल देखता हूं
✍️डॉ पुनीत कुमार
T 2/505 आकाश रेजीडेंसी
मुरादाबाद 244001
M 9837189600
पड़ोसियों ने बताया - विकास काफी समय से बीमार था। डॉक्टर की सलाह पर, आजकल स्विट्जरलैंड में स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रहा है। "हमारे पास लौट के बुद्धू घर को आए के अलावा कोई ऑप्शन नही था।हमने पड़ोसियों से कहा,"जब विकास वापस आ जाए,सूचित कर देना। उससे मिलने की तीव्र इच्छा है।अभी तक उसका, बस नाम सुना है, देखा नहीं है।हम मरने से पहले, ये इच्छा पूरी करना चाहते हैं।"
पांच महीने बाद, एक पड़ोसी ने हमें फोन पर बताया ," विकास आ गया है लेकिन अब इस जगह को छोड़, नेताओं की बस्ती में रहने लगा है। "हम फौरन उससे मिलने जा पहुंचे। एक बूढ़े व्यक्ति,जिसको चलने में परेशानी हो रही थी, ने दरवाजा खोला। पता चला वही विकास है। हमने उसको अपनी छड़ी पकड़ाई। उसने हमें घूर कर देखा,"पहले मेरे पास भी ऐसी ही एक ईमानदारी की छड़ी थी लेकिन वह बहुत कमजोर निकली। मैं कई बार चलते चलते गिरा। कहीं से बेईमानी की छड़ी मिल जाए तो लाना, सुना है वो बहुत मजबूत होती है।"
हमने कहा,"पूरे देश को तुम्हारी जरूरत है,और तुम यहां छुपे बैठे हो।" विकास हंसा," मैं भी सबसे मिलना चाहता हूं ।मैने कुछ समय पहले पदयात्रा शुरू की थी लेकिन चलने की आदत ना होने के कारण, थक जाता था।एक दिन में केवल आठ दस घरों तक पहुंच पाता था। मैं इतने में भी खुश था। धीरे धीरे ही सही,एक दिन हर घर में मेरी पहुंच होगी लेकिन मेरी किस्मत खराब थी, जो नेताओं की नजर मुझ पर पड़ गई।उन्होंने सोचा, सबके घर अगर आसानी से विकास पहुंच गया, तो हमें कौन पूछेगा। हम किसके नाम पर वोट मांगेंगे। उन्होंने मुझे पकड़कर बंधक बना लिया। बस तभी से मैं इस बस्ती में,सख्त पहरे के बीच रह रहा हूं।क्या तुम मेरी कुछ सहायता कर सकते हो।"
हमारे पास कोई जवाब नहीं था।हमें लगा, अब तो सारी जनता मिलकर ही विकास को, नेताओं के चंगुल से छुड़ा सकती है लेकिन पता नहीं,वो दिन कब आएगा।
✍️डॉ पुनीत कुमार
T 2/505 आकाश रेजीडेंसी
मुरादाबाद 244001
M 9837189600
कैसा दिखता है?
कल्पना है
या वास्तविकता है
नाटा है या लंबा
गोरा है या काला
अनजान है
या फिर देखा भाला
विकास क्या है?
इसकी
क्या परिभाषा है?
कोई
खाने की चीज है
या फिर
खेल तमाशा है
शायद विकास
एक स्वादिष्ट गोली है
जिसको नेता
चुनाव से पहले
पब्लिक को खिलाते हैं
और आसानी से
चुनाव जीत जाते हैं
विकास
टी वी चैनलों पर
धड़ल्ले से बिकता है
कोई इस पर कविता
कोई बड़े बड़े
लेख लिखता है
विकास
हर किसी को
दिखता नहीं है
किसी छोटे या
बड़े स्टोर पर
मिलता नहीं है
इसकी
ऑनलाइन डिलीवरी
नहीं हो रही है
किसी मशीन में
मैन्युफैक्चरिंग
नहीं हो रही है
कुछ खास लोग ही
विकास को
महसूस कर पाते हैं
और चमचे
आंख बंद कर
उनकी हां में हां
मिलाते हैं
विकास को लेकर
सबका अलग विचार है
फुटपाथ पर
रहने वाले के लिए
विकास
सूखी रोटी के साथ
अचार है
जिनके पास
हर तरह की
सुख सुविधा है
उनके मन में
बड़ी दुविधा है
उनको विकास का
आभास तभी होता है
जब कोई मजबूर
उनके आगे
गिड़गिड़ाता या रोता है
जैसे जैसे
समय आगे बढ़ा है
विकास का भी
विकास हो गया है
उसकी कहानी को
मिल गया है
नया कथानक
बदल चुके हैं
सभी मानक
मंदिर,मस्जिद,
चर्च, गुरुद्वारा
अब विकास
आंका जाने लगा है
इनके द्वारा
✍️ डॉ पुनीत कुमार
T 2/505 आकाश रेजीडेंसी
मुरादाबाद 244001
M 9837189600
सरकार और जनता
दोनों को
इस बात का पता है
विकास
कैसा दिखता है
किस जगह मिलता है
अधिकांश जनता
इस बात से अनजान है
क्योंकि उसने
आज तक विकास को
ना कभी देखा है
ना उसकी किसी के
माध्यम से
कोई जान पहचान है
विकास आखिरी बार
कहां पर मिला था
क्या किसी को
उसके हिंदू या मुस्लिम
होने का पता चला था
किसी के पास
अगर विकास का कोई फोटो हो
तो हमको अवश्य दिखाएं
ताकि हम
पूरी ईमानदारी से
विकास को ढूंढने में जुट जाएं
सरकार की नियत पर
हमें पूरा विश्वास है
हम जानते हैं
विकास यहीं कहीं,
हमारे ही आस पास है
✍️ डॉ पुनीत कुमार
T 2/505 आकाश रेजीडेंसी
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
M 9837189600
दूसरा वर्ग है
दोनों में
सूक्ष्म सा फर्क है
आयत
कोई भेदभाव
नहीं करता है
छोटे और बड़ों को
आपस में मिला कर
रखता है
वर्ग में एकरूपता है
वह
एक जैसे व्यक्तित्वों का
प्रतिनिधित्व करता है
काश, हमारा देश
एक आयत बन जाए
जिसमे छोटा बड़ा
हर तरह का वर्ग हो
आपस में ऐसा
सद्भाव और भाईचारा हो
जिस पर
सब को गर्व हो
✍️ डॉ पुनीत कुमार
T 2/505 आकाश रेजीडेंसी
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
M 9837189600
कहीं पर काली दाल,कहीं दाल में काला मिला
शासकों के जुर्म को, चुपचाप सब सहते रहे
गूंगे थे कुछ,और कुछ की, जुबान पर ताला मिला
जिन्होनें बच्चों को दिलाए, जूते महंगे, ब्रांडेड
उन सभी माता पिता के,पांव में छाला मिला
अंधियारे से झोपड़ी,चुपचाप ही लड़ती रही
बंधुआ मजदूर सा किसी,महल में उजाला मिला
अपनी कृपा बरसाने को,वह हर समय तैयार था
मांगने वाला ही अक्सर,हमको ढीला ढाला मिला
✍️ डॉ पुनीत कुमार
T 2/505 आकाश रेजीडेंसी
मुरादाबाद 244001
M 9837189600
"कल जिले में कितने नए पौधे लगाए गए थे"
" दो हजार"
" पौधे लगाते हुए फोटो खींच लिए थे"
" जी हां"
"अब ऐसा करो, उन सबको उखाड़ लो और किसी नई जगह लगाकर फोटो खींच लो"
"लेकिन ऐसे तो बहुत से पौधे खराब हो जायेंगे"
" हो जाने दो। हमें प्रदेश का टारगेट पूरा करना हैं।"
✍️ डॉ पुनीत कुमार
T 2/505 आकाश रेजीडेंसी
आदर्श कॉलोनी रोड
मुरादाबाद 244001
M 9837189600
हमारे ठाठ ही ठाठ थे
किसी न किसी
आभासी पटल पर
आएदिन हो रहे
काव्य पाठ थे
याद नही उनको
कितने लोग सुनते थे
लेकिन हर
काव्य पाठ के बाद
हमको डिजिटल
सर्टिफिकेट मिलते थे
हम उनको
अपने पैसों से प्रिंट करा
महंगे से महंगे
फ्रेम में जड़वाते थे
फिर उनको
अपने घर में सजाते थे
लेकिन
अधिक नही चल पाया
आत्म प्रशंसा का जुनून
इसने कर डाला
हमारी सारी बचत का खून
इतना ही नहीं
इसने हमारे हर कमरे को
हर दीवार को,हर कौने को
भर दिया
और हमको
हमारे ही घर से
बेघर कर दिया
✍️ डॉ पुनीत कुमार
T 2/505 आकाश रेजीडेंसी
आदर्श कॉलोनी रोड
मुरादाबाद 244001
M 9837189600
नीचे आंगन में ,कपड़े में लिपटा हुआ,किसी का मृत शरीर रखा था।कबूतरों ने उसे फौरन पहचान लिया।अरे !यह तो वही इंसान है,जो उनको रोज दाना खिलाता था। उनमें आपस में कुछ खुसर पुसर हुई और धीरे धीरे छत पर कबूतरों की भारी भीड़ इकट्ठा हो गई।सब शांत बैठे थे और उनकी आंखों में आसूं स्पष्ट देखे जा सकते थे।
आंगन में भी दो चार लोग आ चुके थे, लेकिन शोर शराबा बढ़ता जा रहा था।
✍️ डॉ पुनीत कुमार
T 2/505 आकाश रेजीडेंसी
आदर्श कॉलोनी रोड
मुरादाबाद 244001
M 9837189600