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शनिवार, 31 जुलाई 2021
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रविवार, 7 मार्च 2021
शुक्रवार, 12 जून 2020
मुरादाबाद की साहित्यकार विशाखा तिवारी की कविता------ हथेलियों में चाँदनी
तुमने जाना है मुझे
शायद
मुझसे भी अधिक
मेरे अपने को
पहचाना है उतना
जितना
नहीं पहचान पाया
कोई अपना
तुमने पढ़ा है मुझे
भीतर तक
परत-दर-परत
मेरे अभावों को
सम्पन्नताओं को
दुर्बलताओं को
लड़खड़ाहट को
पढ़ा है तुमने
हाँ केवल तुमने
तुम्ही तो हो
मेरे आत्मबल
मेरे स्वाभिमान के उत्प्रेरक
भर जाता है
एक नया उल्लास
धमनियों में
तुम्हारे स्पर्श मात्र से
नापने लगती हूँ
मन-प्राण की
अतल गहराईयां
एक नए उत्साह के साथ
तैयार पाती हूँ स्वयं को
एक नई यात्रा के लिए
तुम्हें गुनगुनाते हुए
भर जाती हूँ
नई ताज़गी से
खो जाती हूँ
सप्तस्वरों के विस्तार में
रच जाता है
एक संगीत
अक्षय जलधारा-सा
प्रवाहमान
बजने लगता है
धमनियों में मृदंग
गूँजने लगते हैं
बाँसुरी के स्वर
तब मैं
कसने लग जाती हूँ
सितार के तार-सी
तुम्हारे शब्द
बन जाते हैं झरने
जीवन की पहाड़ी से
झर-झर अविरल
झरने से
भींग जाता है तन-मन
उनकी फुहारों से
अँजुरी में भर लेती हूँ
उनका जल
और लगता है
जैसे
चाँदनी उतर आई है
हथेलियों में
✍️ विशाखा तिवारी
हरसिंगार, नवीन नगर
कांठ रोड, एमडीए
मुरादाबाद 244001
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