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शुक्रवार, 14 जुलाई 2023

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति की ओर से 14 जुलाई 2023 को काव्य गोष्ठी का आयोजन

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति की ओर से 14 जुलाई 2023 को जंभेश्वर धर्मशाला मुरादाबाद में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ रमेशचन्द्र कृष्ण   ने राम भक्त हनुमान जी पर गहन उदबोधन दिया।

   मुख्य अतिथि रघुराज सिंह निश्चल ने कहा ....

   पहले होते सड़क में गडढे। 

   अब तो गडढों में  सड़क होती है ।

 विशिष्ट अतिथि ओंकार सिंह ओंकार का कहना था ....

 बारिश में सड़कें हुईं हैं गडढों से युक्त।

जाम लग रहे हर जगह, वाहन सरकें सुस्त।।

रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ ने कहा...

 अश्रु प्रेम का गंगा जल है, 

 पावन है यह अति निर्मल है  । 

 मानव मन तो बडा़ सरल है,

 राजनीति भर देती गरल है । 

   राम दत्त द्विवेदी ने कहा -

बादल छाये हैं अम्बर में भीगी हैं रातें। 

रातों में ढिंग बैठ तुमसे करनी  हैं बातें।

संचालन करते हुए अशोक विद्रोही ने रचना प्रस्तुत की - 

गाँव-गाॅव में बाढ़ है,

शहर शहर बेहाल। 

खाना -पानी के बिना, 

जीना हुआ मुहाल ।

लगी झड़ी बरसात की,

हुए प्रलय से पस्त।

हे प्रभु!अब बस भी करो! 

जन जीवन है त्रस्त।।

रामसिंह निशंक का गीत था.....

 आई ऋतु पावस की छाए हैं काले घन। 

बरखा की फुहार में प्रमुदित हैं सबके मन 

डाॅ मनोज रस्तोगी ने कहा -

खत्म हो गई है अब 

झूलों पर पेंग बढा़ने की रीत,

नहीं होता अब हास परिहास

 दिखता नहीं कहीं 

 सावन का उल्लास।

 राजीव प्रखर का कहना था .....

 अधरों पर महबूब के, आई जब मुस्कान।

दिल ने माना पड़ गई, फिर सावन में जान।।

 कृपाल सिंह धीमान का स्वर था ......

 राहें मेरा जीवन मेरी मंजिल दूर जहान है।

  गोष्ठी में  रमेशचन्द्र गुप्त, कुन्दनलाल सहगल आरके आर्य आदि  ने भी भाग लिया।  संस्था के अध्यक्ष रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ ने आभार व्यक्त किया। 











बुधवार, 15 फ़रवरी 2023

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति के तत्वावधान में 14 फरवरी 2023 को आयोजित काव्य गोष्ठी में योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई की काव्य कृति "संचेतना के फूल" का लोकार्पण

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति के तत्वावधान में  मंगलवार 14 फरवरी  2023 को आयोजित काव्य गोष्ठी में योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई की काव्य कृति "संचेतना के फूल" का लोकार्पण हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ रमेश चन्द्र कृष्ण और विशिष्ट अतिथि कामेन्द्र सिंह रहे।संचालन  राम सिंह निशंक एवं अशोक विद्रोही ने किया। 

      गुरु जंभेश्वर धर्मशाला में हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ महेश दिवाकर ने कहा .....

 बदल गया है देश हमारा

आया है अद्भुत परिवर्तन! 

सकल सृष्टि जयगान कर रही, 

धरा, गगन सब करते नर्तन!! 

      योगेंद्र पाल सिंह विश्नोई  ने कहा .....

सारी  दुनिया गोल है, 

गोल है इसका चलन! 

चल पडा़ तो  घूम करके 

फिर वहीं आ जाऊंगा! 

 मक्खन मुरादाबादी का कहना था .....

समर्थ पांव

रेल बस विमानों में

नहीं रहते! 

खुली छत के शौकीन

मकानों में नहीं रहते! 

ओंकार सिंह ओंकार ने कहा....... 

फूल खिलते हैं हसीं हम को रिझाने के लिए 

यह बहारों का है मौसम गुनगुनाने के लिए 

बाग में चंपा चमेली खेत में सरसों खिली

हर कली तैयार है अब मुस्कुराने के लिए

स्वदेश भटनागर ने कहा .....

कभी पांव में रात मत करना, 

आंखें जुगनू के साथ मत करना! 

बहते तिनकों से भूलकर भी तुम

तह के मोती की बात मत करना!! 

राजीव सक्सेना ने कहा .....

दूर हैं किनारे

टूटी हैं पतवारें 

अब किस पर भरोसा करें

नदी पर या नाव पर

जिंदगी है दांव पर

रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ ने कहा.....

तुम निराशा दो मुझे , 

विश्वास लेकर क्या करूंगा! 

दीप ही मेरा नहीं , 

प्रकाश लेकर क्या करूंगा!!

अशोक विद्रोही ने कहा--

गुनगुनाते भ्रमरों की गा रही टोली, 

मुस्कुराती हर कली अब आ रही होली, 

गीत गाओ प्यार के मनुहार के साथी, 

खोल दिल अब मिल भी जाओ ज्यों दिया-बाती

कृपाल सिंह धीमान ने कहा-

आ गया बसन्त का राज, आ गयी होली! 

गूंज उठी शहनाइयां मृदंग छा गई होली!! 

रघुराज सिंह निश्चल ने कहा--

शिशिर से यह कह दो, कहीं भाग जाये!

 कुहासे से कह दो नहीं दे दिखाई!! 

अब ऋतुराज का आगमन हो चुका है,

नहीं अब चलेगी, किसी की खुदाई!! 

के पी सिंह सरल ने कहा -

जाग री ललना फिर, बसंत आया, 

विगत निशा ठिठुर, प्राची दिनकर भाया! 

कामेंद्र सिंह ने कहा....

कब तक दोगे मुंह तोड़ जवाब, 

भारत माता मांग रही है अपने पुत्रों का हिसाब!! 

मनोज मनु का कहना था ....

कसमसाती कल्पना में वास्तविक आधार भर दो, 

ये मेरा प्रणय निवेदन स्वप्न अब साकार कर दो!! 

राम दत्त द्विवेदी ने कहा-

लाखों बेघर हों तो हम छत छपाये कैसे! 

भूखे वे हों तो हम एक कौर खायें कैसे !!

श्रीकृष्ण शुक्ल ने कहा -

वैलेंटाइन तुम जपो, अपना भला बसंत

अपने तो आदर्श हैं, शकुन्तला दुष्यन्त! 

डॉ राकेश चक्र का कहना था-

छू लें इस अम्बर के तारे, 

चित्र बनाते न्यारे न्यारे 

पौधे रोपें खिले फूल तब, 

खुशियाँ भरते नये नजारे

राजीव प्रखर ने कहा-

बहुत है दूर यह माना,

तुम्हारी प्रीत की नगरी।

तुम्हारे ध्यान में मोहन, 

सदा भायी यही डगरी।

उड़ेगा प्राण-पंछी जब, 

मुझे भव पार कर दोगे,

इसी विश्वास से मैंने, 

सजाई शीश पर गगरी।

शुभम कश्यप ने कहा ....

मादरे हिन्द तिरी शान बढाने निकले

हम सर ए- दार तेरी मांग सजाने निकले

उनकी अज्मत को सलाम उनकी शहादत को सलाम

वो जो पुलवामा मे सर अपना कटाने निकले

राम सिंह निशंक ने कहा -

सारे जग से न्यारी मां ,

लगती कितनी प्यारी मां 

कष्ट हरे सुख देती है

दुख सुख को सह लेती है

मनोज मनु ने कहा --

आ गये ऋतुराज लो मौसम सुहाना आ गया! 

फूल, तरु, पल्लव कली को मुस्कुराना आ गया!! 

   गोष्ठी में कृष्ण कुमार नाज,विवेक निर्मल, कृपाल सिंह धीमान, डॉ मनोज रस्तोगी आदि ने भी काव्य पाठ किया। सभी ने एक से बढ़कर एक सुंदर काव्य पाठ किया।











:::::प्रस्तुति:::::::

अशोक विद्रोही 

उपाध्यक्ष

राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति 

मुरादाबाद ,उत्तर प्रदेश, भारत

शनिवार, 14 जनवरी 2023

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति की ओर से शनिवार 14 जनवरी 2023 को काव्य गोष्ठी का आयोजन

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति की  मासिक काव्य गोष्ठी गुरु जंभेश्वर धर्मशाला, लाइनपार में शनिवार 14 जनवरी 2023 को संपन्न हुई ।

 राम सिंह निशंक द्वारा प्रस्तुत मां सरस्वती वंदना से आरंभ इस गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए योगेंद्र पाल विश्नोई ने कहा ....

  प्यार का पथ उससे बहुत दूर है

 जब तलक कोई पागल न हो प्यार में

मुख्य अतिथि डॉ राकेश चक्र ने कहा .....

देश के लिए जो जीयें देश के लिए जो मरे

ऐसे देशवासियों को मेरा तो प्रणाम है 

आपस में लड़ने की वृत्ति है बुराई बड़ी

देश हित लड़ना ही सच्चा संग्राम है

विशिष्ट अतिथि रघुराज सिंह निश्चल का कहना था....

 मोदी जी की अक्ल का नहीं एक भी तोड़ 

 बरसों में हीरा मिला भारत को अनमोल 

गोष्ठी का संचालन करते हुए अशोक विद्रोही ने कहा ....

वह जान देके भी हमें जीना सिखा गए !

रंग दे बसंती चोला अमर गीत गा गये,

सुखदेव, भगत,राजगुरु चूम के फंदे ,

मां भारती की आरती में सर चढ़ा गए!

 राम दत्त द्विवेदी का कहना था ...

इस चमकती जिंदगी में प्यार छिनता जा रहा है 

जान से प्यारा था जो वो यार छिनता जा रहा है 

   डॉ मनोज रस्तोगी ने कहा ....

    सूरज की पहली किरण

    उतरी जब छज्जे पर 

    आंगन का सूनापन उजलाया

 राजीव प्रखर ने कहा .....

दिलों से दूरियां तजकर, 

नये पथ पर बढ़ें मित्रों।

नया भारत बनाने को, 

नयी गाथा गढ़ें मित्रों। 

विवेक निर्मल ने कहा....

 काश्मीर जो मांग रहा था ,मांग रहा अब रोटियां ,

 कश्मीर का नाम लिया तो कर डालेंगे बोटियां 

राम सिंह निशंक का कहना था ...

ठंड अब कुछ इस तरह से तेवर रही दिखाय, 

सूरज भी दुबका फिरे भागा पूंछ दबाय! 

मनोज मनु ने कहा .....

त्रिभुवन तरणी तरल तरंगे हर हर गंगे हर हर गंगे 

पाप विनाशिनी शुभ्र बिहंगे हर हर गंगे हर हर गंगे

   रामेश्वर वशिष्ठ, डॉ महेश दिवाकर, प्रशांत मिश्र, डॉ प्रेमवती उपाध्याय, संजय विश्नोई, अनंत मनु, कृपाल सिंह धीमान, शिशुपाल मधुकर, केपी सिंह सरल ने भी काव्य पाठ किया। काव्य गोष्ठी से पूर्व मकर संक्रांति के उपलक्ष्य में खिचड़ी भोज का आयोजन किया गया।

   इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के भाग संपर्क प्रमुख योगेंद्र धारीवाल, पवनेन्द्र राणा, अनमोल जी भी उपस्थित रहे।































::::::प्रस्तुति::::;;

अशोक विद्रोही 

अध्यक्ष

राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति

 मुरादाबाद