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सोमवार, 6 नवंबर 2023

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की ओर से 5 नवंबर 2023 को आयोजित काव्य-गोष्ठी

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की मासिक काव्य-गोष्ठी रविवार 5 नवंबर  2023 को मिलन विहार स्थित आकांक्षा विद्यापीठ इंटर कॉलेज में हुई। कवि नकुल त्यागी द्वारा प्रस्तुत माॅं सरस्वती की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि रामदत्त द्विवेदी ने की। मुख्य अतिथि वरिष्ठ गजलकार ओमकार सिंह ओंकार एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ कवि रघुराज सिंह निश्चल एवं नकुल त्यागी उपस्थित रहे। 

रचना-पाठ करते हुए वरिष्ठ गजलकार ओंकार सिंह ओंकार ने गजल पेश की- 

किस तरह घर को बनाते हैं बनाने वाले। 

क्या समझ पाएंगे यह आग लगाने वाले।। 

नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा व्योम ने दोहे प्रस्तुत किए- 

मानवता की देह ही, होती लहूलुहान।

 युद्ध समस्या का कभी, होते नहीं निदान।। 

आशाएँ मन में न अब, होतीं कभी अधीर। 

इच्छाएँ सूफ़ी हुईं, सपने हुए कबीर।। 

वरिष्ठ कवि रघुराज सिंह निश्चल ने सुनाया- 

सोचिए आकर जगत में क्या किया। 

किस तरह बहुमूल्य यह जीवन जिया। 

जिंदगी भर बस यही करते रहे। 

सोचिए फिर उठ गए खाया पिया।। 

नकुल त्यागी ने कहा - 

जगमग जगमग दीप जले हैं दिवाली आई। 

मार दशानन राम लखन संग अवध जानकी आई।। 

रामदत्त द्विवेदी ने सुनाया- 

यादों में ना रहते जग की दौलत के रखवारे लोग। 

केवल दिल पर लिखे जाते धर्मशास्त्र के प्यारे लोग।। 

कवि केपी सरल ने सुनाया- 

चलत रही रस्साकसी, हम दोनों के बीच। 

हल्का हम को देख कर, रहा बुढापा खींच।। 

गई जवानी बीत अब, बिगड़़े तन मन खेल।  

वृद्धापन बीमारियाँ, मुझ पर रहा धकेल।। 

कवि अशोक विद्रोही ने वीररस की कविता सुनाई- 

भारत मां की रक्षा खातिर, हमको आज बदलना होगा।

 सेज छोड़कर मखमल की, अब अंगारों पर चलना होगा। 

आस्तीन में छिपे हुए जो, बिषधर जहर उगलते हैं। 

उन जहरीले नागों के फन, हमको आज कुचलना होगा। 

पदम सिंह बेचैन ने कहा- 

और कितनी बेरुखी माधव हमें दिखलाओगे। पाओगे हमको वही जहां कहीं तुम जाओगे।। 

कार्यक्रम का संचालन नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा व्योम ने किया। राजीव प्रखर द्वारा आभार-अभिव्यक्ति के साथ कार्यक्रम समापन पर पहुॅंचा ।










रविवार, 1 अक्तूबर 2023

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की ओर से 1 अक्टूबर 2023 को आयोजित काव्य गोष्ठी .....

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की मासिक काव्य-गोष्ठी रविवार 1 अक्टूबर 2023 को मिलन विहार स्थित आकांक्षा विद्यापीठ इंटर कॉलेज में हुई। 

राजीव प्रखर द्वारा प्रस्तुत माॅं सरस्वती की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कवयित्री मीनाक्षी ठाकुर ने गीत प्रस्तुत करके सभी के हृदय को जीता - 

बांट रहीं दिनकर की किरणें,

 उल्लासित उजियारे।

ऊषा रानी भर लायी है, 

आंचल में सुख सारे। 

 मुख्य अतिथि रामसिंह निशंक की अभिव्यक्ति थी -

अपनी जननी को माॅं कहना किसे नहीं अच्छा लगता। 

सुत का आज्ञाकारी दिखना, किसे नहीं अच्छा लगता। 

विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. महेश 'दिवाकर' की इन पंक्तियों ने सभी के हृदय को छुआ - 

देने को दो शब्द नहीं हैं, भैया पास तुम्हारे। 

कैसे तुमको जगत कहेगा, अपना प्रियतम प्यारे।

 विशिष्ट अतिथि नकुल त्यागी ने कहा - 

लाल बहादुर शास्त्री जी का नारा 

जय जवान जय किसान, 

भारत राष्ट्र बने महान। 

रामदत्त द्विवेदी का दर्द कुछ इस प्रकार झलका - 

समझो, वृद्धों के महत्व को, उनकी कर लो चरण वन्दना। 

दर्जा उनका देवतुल्य है, इसको याद उन्हें है रखना।। 

रामेश्वर प्रसाद 'वशिष्ठ' ने संदेश दिया - 

मानव बन तू दीप सामान,

दीपक सा तू जल जल करके

 कर कर्तव्य महान।

पद्म सिंह बेचैन ने कहा - 

प्यार के इस गीत को मैं गुनगुनाऊॅं किस तरह, 

अपने दिल के दर्द को तुमको बताऊॅं किस तरह। 

 योगेन्द्र वर्मा व्योम ने सामाजिक परिस्थितियों का चित्र खींचा - 

आये दिन यदि हो नहीं, आपस में तकरार। 

मन के आँगन में कभी, उठे न फिर दीवार ।। 

मिल-जुलकर हम-तुम चलो, ऐसा करें उपाय। 

अपनेपन की लघुकथा, उपन्यास बन जाय।। 

संचालन करते हुए राजीव प्रखर ने बालमन की अभिलाषा को व्यक्त किया - 

मनभावन यह प्रीत तुम्हारी, किन शब्दों में तोलूं। 

चिड़िया रानी मन है मेरा, साथ तुम्हारे डोलूं। 

 रचना-पाठ करते हुए जितेन्द्र जौली ने कहा - 

एक साफ मैदान में, पत्ते, फूल गिराय। 

झाडू हाथों में उठा, फोटो लिया खिंचाय।। 

कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मनोज रस्तोगी ने उपस्थित रहकर सभी का उत्साहवर्धन किया।‌ राजीव प्रखर ने आभार-अभिव्यक्त किया ।












गुरुवार, 14 सितंबर 2023

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की ओर से हिन्दी दिवस की पूर्व संध्या बुधवार 13 सितंबर 2023 को आयोजित समारोह में साहित्यकार मीनाक्षी ठाकुर को हिन्दी साहित्य गौरव सम्मान

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की ओर से हिन्दी दिवस सम्मान समारोह आकांक्षा विद्यापीठ मिलन विहार पर आयोजित हुआ। हिन्दी दिवस की पूर्व संध्या बुधवार 13 सितंबर 2023 को आयोजित इस सम्मान समारोह में महानगर की साहित्यकार मीनाक्षी ठाकुर को, हिन्दी भाषा के प्रति उनके समर्पण एवं साहित्यिक सक्रियता के लिए हिन्दी साहित्य गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया। मयंक शर्मा द्वारा प्रस्तुत माॅं सरस्वती की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता  डॉ. अजय अनुपम ने की। मुख्य अतिथि डॉ. मक्खन मुरादाबादी और विशिष्ट अतिथि के रूप में ओंकार सिंह ओंकार मंचासीन रहे। कार्यक्रम का संयुक्त संचालन राजीव प्रखर एवं प्रशांत मिश्र ने किया। 

    सम्मान स्वरूप मीनाक्षी ठाकुर को अंग वस्त्र, मान पत्र, प्रतीक चिह्न एवं श्रीफल अर्पित किए गए। सम्मानित रचनाकार मीनाक्षी ठाकुर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित आलेख का वाचन राजीव प्रखर एवं अर्पित मान-पत्र का वाचन जितेन्द्र जौली ने किया। उल्लेखनीय है कि मुरादाबाद के लब्धप्रतिष्ठ साहित्यकार कीर्तिशेष राजेंद्र मोहन शर्मा शृंग द्वारा स्थापित इस संस्था की ओर से प्रतिवर्ष हिन्दी दिवस पर, हिन्दी के लिए उल्लेखनीय योगदान करने वाले वरिष्ठ/कनिष्ठ रचनाकारों को सम्मानित किया जाता रहा है। इस अवसर पर उपस्थित विभिन्न साहित्यकारों/ रचनाकारों ने अपनी शुभकामनाएं एवं बधाइयां प्रेषित करते हुए कहा कि कवयित्री मीनाक्षी ठाकुर ने अल्प समय में मुरादाबाद एवं मुरादाबाद से बाहर अपनी एक विशेष साहित्यिक पहचान बनाई है जो अन्य उभरते हुए रचनाकारों के लिए भी प्रेरणा बनेगी। 

     साहित्यिक मुरादाबाद शोधालय के संस्थापक डॉ मनोज रस्तोगी ने कहा मीनाक्षी ठाकुर बहुआयामी साहित्यकार हैं। काव्य की विभिन्न विधाओं के साथ साथ उन्होंने साहित्य की अन्य विधाओं एकांकी, लघुकथा, कहानी, बाल साहित्य, रेखा चित्र, समीक्षा में लेखन कार्य किया है। उन्होंने भी शोधालय की ओर से मुरादाबाद के साहित्यकार माहेश्वर तिवारी और डॉ सरोजिनी अग्रवाल की कृतियां सम्मान स्वरूप प्रदान कीं।

    इस अवसर पर सम्मानित साहित्यकार मीनाक्षी ठाकुर ने कहा उनके रचनाकर्म में साहित्यिक मुरादाबाद पटल का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने रचना पाठ करते हुए कहा.....

हिन्दी की बिंदी अब चमचम चमकेगी। 

भारती के गीत सब हिन्दी मे ही गाइये। 

हिन्दी हिन्दुस्तानी रंग, ओढ़ हिन्दी अंग अंग,

 हिन्दी से ही प्रीत कर, गले से लगाइए। 

     इसके अतिरिक्त अन्य उपस्थित रचनाकारों में डॉ. महेश 'दिवाकर', डॉ. अर्चना गुप्ता, हेमा तिवारी, अंकित गुप्ता अंक, योगेन्द्र वर्मा व्योम, दुष्यंत बाबा, अशोक विद्रोही, अशोक विश्नोई, डॉ. कृष्ण कुमार नाज़, राहुल शर्मा,  कमल सक्सेना, अनुराग सुरूर, सुनील ठाकुर, डॉ सोनम पुंडीर, श्रीकृष्ण शुक्ल, योगेन्द्र पाल विश्नोई, नकुल त्यागी, रामेश्वर वशिष्ठ, रघुराज सिंह निश्चल, मनोज मनु, रामगोपाल, प्रदीप विरल, रमेश गुप्त, अतुल जौहरी, रिशिपाल आदि ने भी अपनी-अपनी काव्यात्मक अभिव्यक्ति के माध्यम से हिन्दी की महिमा एवं महत्व तथा जीवन की विभिन्न अनुभूतियों को रेखांकित करने के साथ मीनाक्षी ठाकुर को अपनी शुभकामनाएं प्रेषित कीं। संस्था अध्यक्ष श्री रामदत्त द्विवेदी द्वारा आभार-अभिव्यक्ति के साथ कार्यक्रम समापन पर पहुॅंचा।