शुक्रवार, 3 मई 2024

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृति शेष माहेश्वर तिवारी को श्रद्धा सुमन अर्पित करता डॉ बुद्धि नाथ मिश्र का गीत ......

 




जी भर रोया

रोज एक परिजन को खोया

पाकर लम्बी उमर आज मैं

जी भर रोया।


जिनके साथ उठा-बैठा

पर्वत-शिखरों पर

उनको आया सुला

दहकते अंगारों पर

जो था मुझे जगाता

सारी रात हँसा कर

वह है खुद लहरों पर सोया।


एक-एक कर तजे सभी

सम्मोहन घर का

रहा देखता मैं निरीह

सुग्गा पिंजर का

हुआ अचंभित फूल देखकर

टूट गया वह धागा

जिसमें हार पिरोया।


किसके-किसके नाम

दीप लहरों पर भेजूँ

टूटे-बिखरे शीशे

कितने चित्र सहेजूँ

जिसने चंदा बनने का

एहसास कराया

बादल बनकर वही भिगोया। 


✍️ बुद्धिनाथ मिश्र

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