शुक्रवार, 3 मई 2024

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृति शेष माहेश्वर तिवारी को श्रद्धा सुमन अर्पित करता डॉ अजय अनुपम का गीत ......



...खुशबुओं के बीच माहेश्वर


बन उतरती धूप 

जिसके गीत में अक्षर

बो गये हैं खुशबुओं के बीज

माहेश्वर


चेतना में चांदनी की

दमकती काया

भाव से जिसने सहज ही

नेह बरसाया

खोल मन की बात

मिलना नेह में भरकर


आंँसुओं को गीत के कपड़े

पिन्हाते थे

गुनगुना कर चांँद-तारों को

बुलाते थे

अब बनाया चांँद-तारों में

उन्होंने घर


वह कनेरों के बगीचे के

दुलारे थे

फूल खुशबू या कि चमकीले

सितारे थे

बन गये नवगीत का पर्याय

शाश्वत-स्वर

खो गये हैं खुशबुओं के बीच

माहेश्वर


✍️डॉ. अजय अनुपम

मुरादाबाद


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