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गुरुवार, 30 अप्रैल 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार अखिलेश वर्मा की लघुकथा ------- डॉ० साहब क्वारंटाइन में हैं


"हलो ! हलो !!"
"यस ! दिसलोक हॉस्पिटल हियर ।" रिशेप्सनिस्ट आलोक बोला ।
"मुझे डॉ शर्मा का नम्बर लगवाना है जो कॉर्डियोलोजिस्ट हैं ।" मरीज की आवाज़ आयी ।
"वो आपको पंद्रह दिन नहीं मिल सकते ।"
"पर उन्होंने मुझे दिल के आपरेशन की तारीख दे रखी है कल की । तो ऑपरेशन से पहले एडमिट करना होगा .. ज़रूरी टेस्ट वगैरह भी कराने होंगे ।" परेशान आवाज़ में मरीज़ बोला ।
"कहा ना ! वो पंद्रह दिन नहीं मिल सकते ।" आलोक सख्त आवाज़ में बोला ।
"क्या बात कह रहे हैं आप , अभी लॉकडॉउन से पहले ही तो उन्होंने कहा था कि मेरे दिल की नसों में नब्बे प्रतिशत ब्लॉकेज आई है तीन दिन में आपरेशन नहीं कराया तो कोई ताक़त नहीं बचा सकती ।" मरीज़ ने पूरी बात बताई ।
''मगर अब उन्होंने अपने सभी मरीजों के लिए कहा है कि पुराने पर्चे की दवा ही खाएँ पंद्रह दिन और ! " आलोक ने समझाते हुए कहा ।
"पर तब तक तो मैं उनके कहे अनुसार मर जाऊँगा भाई ! आप उनसे मेरी बात तो कराइये ।'' दुखी व रोष में मरीज़ बोला I
"सॉरी , डॉक्टर साहब क्वारंटाइन में हैं ।" कहकर रिसेप्शनिस्ट ने फोन पटक दिया ।

✍️ अखिलेश वर्मा
   मुरादाबाद


गुरुवार, 27 फ़रवरी 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार अखिलेश वर्मा की लघुकथा .....

#ज़हर

"क्या करें ...
हमारा अस्तित्व खतरे में पड़ गया है ...यही हाल रहा
तो पूरा सर्प समाज कीड़ों के नाम से जाना जाएगा ।". सर्पो की सभा में कोबरा साँप उठकर बोला ..
"सत्य है सत्य है ।"..सभी बूढ़े और जहरीले सांपों ने एक साथ समर्थन किया ..
"हमारा अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा ! पर क्यूँ ?".. नन्हा साँप आश्चर्यचकित होकर बोला.
"अरे बेटा ! क्या बताएँ तुम्हें !! आज आदमी हम साँपों से कहीं ज्यादा ज़हरीला हो गया है . उसकी ज़बान में ही नहीं .. शरीर में ही नहीं .. ख़ून में ही नहीं ... उसकी नीयत में भी ज़हर भरा हुआ है .. पैसे कमाने के लिए षडयंत्र और झूठ उसके हथियार बने हुए हैं ... धन के लालच में हर वस्तु में मिलावट ! ज़हर ही खाता है .. ज़हर ही उगलता है. ऐसे में हमारा ज़हर बेकार है हम कीड़े बनकर रह जाएँगे ।" ... मोटे अजगर ने नन्हें साँप को समझाते हुए कहा ।

- अखिलेश वर्मा
   मुरादाबाद

बुधवार, 19 फ़रवरी 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार अखिलेश वर्मा की लघुकथा

परीक्षा

"देख ! देख ! गहनों से लदी है वो लाश.... पेड़ पर लटकी है तो शायद किसी ने नहीं देखी . हमारे दिन बदल जाएंगे यार इसके इतने सारे गहने बेचकर हम और हमारे बच्चों का भविष्य सुधर जाएगा ... मंदिर के पास बाढ़ का पानी उतर चुका है .. लोगों की आवाजाही शुरू होने से पहले ही हम भाग चलेंगे ।" हरीश ने रोशन से चहकते अंदाज़ में कहा।
       "अरे ! वो देखो ! इसकी कमर से बच्चा बँधा है .. इसे बचाने के लिए पहले पेड़ पर चढ़ी होगी फिर कमर से बाँध लिया होगा ... जिंदा है बच्चा अभी ।" रोशन गौर से लाश के करीब जाकर बोला ।
 "अरे छोड़ सब यार .. बच्चे को मत देख ...गहने उतार जल्दी से और भाग चल ।" हरीश उतावला सा होकर बोला।
"नहीं भाई ... वो औरत अपनी जान देकर अपने बच्चे को बचाकर परीक्षा में पास हो गई ... अगर हम इसके गहने लेकर बच्चे को छोड़ गये तो इंसानियत की परीक्षा में फेल हो जाएंगे ... अब हमारी परीक्षा है कि हम इस बच्चे को सहायता कैम्प तक पहुँचा दे और महिला की जानकारी भी दें ।" रोशन ने गंभीर स्वर में कहा ।

- अखिलेश वर्मा
  मुरादाबाद