"फिर से कोई गीत लिखूॅं मन कहता है, फिर तुमको मनमीत लिखूॅं मन कहता है।" अपने ऐसे ही अनेक हृदयस्पर्शी गीतों में अमर हो चुके सुप्रसिद्ध गीतकार आनंद कुमार 'गौरव' की पावन स्मृति सभी की ऑंखें नम कर गई। उनका मधुर स्वर, सभी से मैत्रीपूर्ण व्यवहार एवं मोहक मुस्कान, सभी कुछ उनके गीतों के माध्यम से उनके अनगिनत प्रशंसकों की स्मृतियों में बस चुके हैं। कीर्तिशेष गौरव जी के ही शब्दों में - "मेरे सपनों का भारत, मानवता का रखवाला है। सभ्य सुसंस्कृत सद् व्यवहारी, हर हिंदी मतवाला है।"
राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति, मुरादाबाद की ओर से रविवार 28 अप्रैल 2024 को कीर्तिशेष आनंद कुमार 'गौरव' की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन लाइनपार स्थित विश्नोई धर्मशाला में किया गया, जिसमें महानगर के अनेक साहित्यकारों ने उन्हें अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके निधन पर अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं। कीर्तिशेष आनंद कुमार 'गौरव' के साहित्यिक अवदान का स्मरण करते हुए वरिष्ठ शायर ओंकार सिंह ओंकार ने कहा - "गौरव जी के जाने से मनमोहक हृदयस्पर्शी गीतों का एक सुनहरा युग समाप्त हुआ है। वह एक उच्च कोटि के रचनाकार होने के साथ-साथ सभी का हृदय जीतने वाले एक प्यारे इंसान भी थे।"
सुप्रसिद्ध नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने गौरव जी के साथ अपनी स्मृतियों को साझा करते हुए कहा -"समर्पण एवं जीवट के धनी गौरव जी के योगदान को शब्दों में व्यक्त करना अत्यंत कठिन है। अपनी साहित्यिक यात्रा में उन्होंने एक रचनाकार एवं सेवक दोनों रूपों में कुशलता पूर्वक अपनी भूमिका का निर्वहन किया।"
महानगर के रचनाकार राजीव प्रखर ने अपनी भावनात्मक अभिव्यक्ति में कहा -"वरिष्ठ एवं कनिष्ठ सभी को समान रूप से स्नेह बांटना एवं उनके रचनाकर्म पर पैनी दृष्टि रखना गौरव जी की विशेषता थी।"
वरिष्ठ रचनाकार डॉ. मनोज रस्तोगी का कहना था -"गौरव जी के व्यक्तित्व में विद्यमान सरलता व सौम्यता उनकी रचनाओं में भी स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होती है।"
युवा कवि दुष्यंत बाबा के अनुसार -"कुछ अवसरों पर गौरव जी से हुई भेंट जीवन भर मुझे स्मरण रहेगी। उनका उत्कृष्ट व्यक्तित्व एवं कृतित्व सभी के लिए प्रेरक है।"
संस्था के अध्यक्ष राम सिंह निशंक ने कहा -"विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य व सौम्यता को बनाए रखते हुए कार्य करना गौरव जी की विशेषता रही।"
लोकप्रिय शायर ज़िया ज़मीर ने अपने संस्मरण साझा करते हुए कहा - "गौरव जी का जाना साहित्य एवं मानवता दोनों की एक अपूर्णीय क्षति है।"
वरिष्ठ पत्रकार हरि प्रकाश शर्मा के अनुसार -"कीर्तिशेष आनंद गौरव जी जीवन भर साहित्य एवं समाज की सेवा में रत रहे। उनके भीतर का एक अच्छा इंसान उनकी रचनाओं में स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है। उनका प्रत्येक गीत श्रोताओं एवं पाठकों को झंकृत कर डालने की क्षमता से ओत-प्रोत है।"
वरिष्ठ शायर डॉ कृष्ण कुमार नाज़ के अनुसार - "इतने वर्षों तक साथ निभाने के पश्चात् गौरव जी के इस तरह चले जाने से ऐसा प्रतीत होता है मानो हृदयस्पर्शी गीतों का आंगन सूना हो गया हो।"
वरिष्ठ कवयित्री डॉ प्रेमवती उपाध्याय ने गौरव जी का स्मरण करते हुए कहा - "आनंद गौरव जी अपने अद्भुत सृजन में अमर हो चुके हैं। उनके हृदयस्पर्शी गीत उनकी उपस्थिति का भान कराते रहेंगे।"
सभी के नेत्र नम कर देने वाले इस अवसर पर कीर्तिशेष आनंद 'गौरव' जी की पत्नी ऊषा 'गौरव', अनुज अशोक कुमार सिंह, अनुज वधू रेनू सिंह, पुत्री प्रेरणा 'गौरव', धेवती हर्षिता सिंह तथा पुत्रगण विक्रांत गौरव एवं विकास गौरव भी उपस्थित रहे।
इनके अतिरिक्त विवेक निर्मल, वंशी लाल दिवाकर, रघुराज सिंह निश्चल, डॉ. राकेश चक्र, नकुल त्यागी, रवि चतुर्वेदी, निर्मल शर्मा, समीर तिवारी आदि ने भी कीर्तिशेष आनंद कुमार 'गौरव' को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। दिवंगत आत्मा की शांति हेतु दो मिनट का मौन रखने के पश्चात् सभा विसर्जित हुई।
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